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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
मेरी आँखें उनके नीचे गिरते हुए कच्छे पर टिकी हुई थी। मेरी सांस मेरे गले में अटक गयी जब चाचाजी का अमानवीय मोटा लंड स्पात की तरह सख्त बाहर आया। मेरी डर के मारे हालत खराब हो गयी। सुरेश चाचा का लंड बड़े मामा से भी मोटा था। हालांकी उनका लंड बड़े मामा से कुछ इंच छोटा था पर उसकी मोटाई ने मुझे डरा दिया। मैंने अपना दिल पक्का कर लिया और अपने से वायदा किया की मैं जैसे भी होगा सुरेश चाचा को अपने साथ आनंद लेने से नहीं रोकूंगी। आखिर नम्रता चाची मेरे बड़े मामा को सारी रात अपने शरीर से आनंद देंगी। मैं कैसे पीछे हट सकती थी। सुरेश चाचा मेरे पास आये और अपना लंड मेरे हवाले कर दिया। मेरे दोनों नाज़ुक छोटे हाथ मुश्किल से उनके मोटे स्थूल लंड के इर्द-गिर्द भी नहीं जा पाए। मैंने तुरंत समझ लिया की चाचाजी का लंड बड़े मामा जितना ही मोटा था पर कुछ इंच छोटा होने की वजह से मुझे ज़्यादा ही मोटा लगा। फिर भी चाचाजी का अमानवीय लंड किसी भी लड़की की चूत और गांड आसानी से फाड़ सकता था। मैंने अपना पूरा खुला हुआ मुंह चाचाजी के सेब जितने बड़े सुपाड़े के ऊपर रख दिया। मेरी जीभ ने उनके सुपाड़े को सब तरफ से चाटना शुरू कर दिया। मेरी झीभ की नोक उनके पेशाब के छेद को चिड़ाने लगी। चाचाजी की सिसकारी ने मुझे भी उत्तेजित कर दिया। मेरे कोमल नाज़ुक कमसिन हाथ बड़ी मुश्किल से उनके दानवीय लंड को काबू में रख पा रहे थे। मेरा छोटा सा मुंह उनके लंड को अंदर लेने के लए पूरा चौड़ा हो कर खुल गया था। सुरेश चाचा की सिसकारी ने मुझे और भी उत्साहित कर दिया। सुरेश चाचा मेरे सर के उपर हाथ रख कर मेरे मुंह को अपने लंड पर दबाने लगे। मेरे दोनों हाथ बड़ी मुश्किल से चाचाजी के लंड के तने को पूरी तरह से पकड़ पा रहे थे फिर भी मैंने उनके लंड को सड़का मारने के अंदाज़ में अपने हाथ उपर नीचे करना शुरू कर दिया। मेरे गर्म मुंह उनके सुपाड़े को मेरी अवयस्क अप्रवीणता के बावजूद उनको काफी मज़ा दे रहा था। सुरेश चाचा ने थोड़ी ही देर में मुझे अपने लंड से उठा कर पलंग पर फ़ेंक दिया। सुरेश चाचा बिजली की तेजी से मेरी पूरी फैली गुदाज़ झांघों के बीच में कूद पड़े। उनका लालची मुंह शीघ्र ही मेरी गीले थरकती हुई चूत के उपर चिपक गया। मेरे मुंह से जोर की सिसकारी निकल गयी, "आआह चाचाजी ऊउन्न्न्न्न मेरी चूत, चाचाजी…..ई……ई…..ई….।” सुरेश चाचा ने अपने मज़बूत बड़े हाथ मेरे भरे-पूरे गोल गुदाज़ नितिम्बों के नीचे रख कर मेरी चूत को अपने मुंह के करीब ले आये। सुरेश चाचा अपने पूरे खुले मुंह को मेरी चूत से भर कर जोर से चूम रहे थे। मेरे गले से जोर की सिसकारी निकल पड़ी। चाचाजी के बड़े मज़बूत हाथ मेरे दोनों चूतडों को मसलने लगे। मैंने अपनी चूत को अपने नितिन्ब उठा कर चाचाजी के मुंह मे दबोचने लगी। चाचाजी ने अपने लम्बे मर्दाने हाथ मेरी भारी झांगों के बाहर कर मेरे दोनों उबलते हुए उरोजों के उपर रख दिए। उनके स्पर्श मात्र से मेरी सिसकारी निकल गयी। चाचाजी ने मेरे दोनों चूचियों को अपने मज़बूत मुट्ठी में जकड़ लिया। चाचाजी ने बेदर्दी से मेरी चूचियों का मर्दन करना शुरू कर दिया, "ऊउम्म्म चाआआ चाआआ जीईईईइ ............धीरे धीरे पप्लीईईईईईईइ .........ज़ज़ज़ज़ज़ज़। आअह मेरी चूत .......ऊउम्म्म।" चाचाजी ने मेरे कच्चे किशोर बदन का वासनामय मर्दन कर के कमरे को मेरी सिस्कारियों से भर दिया। चाचाजी अब अपने मुंह में मेरी चूत ले कर उसे ज़ोरों से चूस रहे थे। मेरी चूत में एक अजीब सा दर्द और आनंद की लहर दौड़ रही थी। मेरे हाथ चाचाजी के घने बालों को सहलाने लगे। उन्होंने अपनी जीभ से मेरी चूत के तंग कोमल द्वार को चाटना शुरू कर दिया। मेरी आँखें वासनामय आनंद से आधी बंद हो गयीं। चाचाजी ने मेरी चूत के बाहरी छेद को चाटने के बाद अपनी जीभ से मेरी चूत मारने लगे। उन्होंने अपनी जीभ को मोड़ कर लंड की शक्ल में कर लिया था। सुरेश चाचा ने अपनी गोल लंड की शक्ल में उमेठी जीभ से मेरी चूत की दरार को खोल कर उसे मेरी तंग, कमसिन, मखमली चूत की सुरंग में घुसेड़ दिया। मेरी सांस अब अटक-अटक कर आ रही थी। मेरे दोनों हाथों ने चाचाजी के घने बालों को अपनी मुट्ठी में जकड़ कर जोर से उनका सर अपनी चूत के ऊपर दबाना शुरू कर दिया। चाचाजी मेरी गीली चूत को अपनी मोटी गरम जीभ से चोदने लगे। मेरी सिस्कारियां कमरे में गूँज उठीं। "आह चाचजी ई ..... ई ......ई ...... ई .....अम्म्म ....ऒऒन्न्न्न्ह्ह्ह," मेरे मुंह से अनर्गल आवाजें निकलने लगीं। चाचजी के दोनों हाथ मेरी चूचियों को बेदर्दी से मसल रहे थे। चाचाजी बीच-बीच में मेरे निप्पल को बेरहमी से उमेठ देते थे। मेरे नाजुक उरोजों और निप्पल के मर्दन से मेरी सिसकारी कभी-कभी छोटी सी चीख में बदल जाती थी। मेरी चूत अब चूतरस से लबालब भर गयी थी। सुरेश चाचा अब मेरे घुण्डी को चूस रहे थे। जितनी बेदर्दी से चाचाजी मेरी चूचियां मसल रहे थे उन्होंने उतनी ही निर्ममता से मेरी घुंडी को चूसना और काटना शुरू कर दिया। मैं कमसिन उम्र में बड़े मामा की*एक दिन की चुदाई में ही में सीख गयी थी की सुरेश चाचा मेरी बेदर्दी से चुदाई करेंगे। मेरे रोम-रोम में बिजली सी दौड़ गयी। मेरे दोनों स्तनों में एक मीठा-मीठा दर्द होना शुरू हो गया। मेरे मुंह से जोर की सीत्कार निकल पड़ी। चाचाजी ने मेरे भग-शिश्न को अपने दातों में दबा कर झंझोड़ दिया। मेरे गले से घुटी-घुटी चीख उबल कर कमरे में गूँज उठी। मेरे चूचियों का दर्द अब मेरे निचले पेट में उतर गया। चाचजी ने मेरी सिसकारी और चीखों से समझ लिया की मेरा रति-स्खलन होने वाला था। सुरेश चाचा मेरे दोनों उरोजों को और भी निर्ममता से मसलने लगे। उन्होंने ने मेरे क्लीटोरिस को अपने होंठों के बीच में ले कर मेरी चूत से दूर खींच लिया। मेरी घुटी-घुटी चीख और वासना में डूबी कराहट ने उन्हें और भी उत्तेजित कर दिया था।
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 03:21 PM



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