08-01-2020, 03:18 PM
सुधा के पिता शीघ्र अपने मोटे लंड से अपनी बेटी को किसी वहशी की तरह चोदने लगे. सुधा के मुंह से अविरत सिस्कारियां निकलने लगी.
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सुधा की चूचियां का मर्दन और उसकी भयंकर चुदाई ने मेरी चूत भी गीली कर दी. मेरे गांड में अंकल का सख्त लंड चुभ रहा था. अंकल के दोनों हाथ मेरे उरोज़ों को मसल रहे थे.
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फिल्म में सुधा की चुदाई की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी. सुधा के सिस्कारियां और चीखें उसके पिता को और भी उत्साहित कर रहीं थी. सुधा थोड़ी देर में चरमोत्कर्ष के प्रभाव में चीख कर अपने रति-विसर्जन से कांपने लगी. सुधा के पिता अपनी बेटी के ऊपर लेट गए और उसके कांपते हुए शरीर को अपनी बाँहों में भर कर उसके भरी भरी सांस लेते आधे खुले मुंह को अपने होंठो से चूमने लगे। कुछ देर में सुधा के थोड़ा संतुलित होते ही उसके पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत मारना शुरू कर दिया. सुधा के पिताजी ने अपने सेब जैसे सुपाड़े को एक ही झटके में अपनी बेटी की मादक रेशम से मुलायम चूत में घुसेड़ कर भयंकर धक्कों से अपना सारा लंड अपनी सिसकती हुई बेटी की चूत में डाल दिया। सुधा कराह उठी, "आह, पिताजी, आपका लंड आह ... कितना आह ... मोटा आह ... है ...आन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मार डाला आपने अपनी बेटी को आआह ....ऊन्न्नग्ग।" सुधा के विशाल उरोज़ पिता के लंड के भीषण धक्कों से बड़े-बड़े गुब्बारों जैसे हिल रहे थे. सुधा के पिताजी अपनी बेटी की वासना की परिधियों से पूरी तरह परिचित थे। उन्हें पता था कि वो चाहें जितनी ज़ोर से अपनी बेटी की चूत मार कर उसे दर्द करें उनकी बेटी अपनी चूत मरवाने से कभी भी पीछे नहीं हटेगी। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी के भारी, मुलायम विशाल मटकते हुए स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उसकी मादक चूचियों को ज़ोर से मसलने लगे। उनके अन्गुंठे और तर्जनी ने अपनी बेटी के सख्त तनतनाये हुए निप्पलों को कस कर भींच कर मड़ोड़ दिया। उन्हें अपनी बेटी के गले से दर्द और आनंद की मिली जुली चीख ने और भी उत्तेजित कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी की कोमल चूचियों का मर्दन और भी बेदर्दी से करना आरंभ कर दिया। उनके पहले से ही भीषण लंड के धक्के और भी विध्वंसक हो चले। सुधा की सांस अब अटक अटक कर आ रही थी। वो अपने पिताजी की निर्मम वासनामयी चुदाई के कारण फिर से झड़ने वाली थी। सुधा एक घुटी घुटी चीख मार कर झड़ने लगी। उसका मीठा सुगन्धित चूतरस उसके पिता के रेल के पिस्टन के जैसे मोटे लंड को नहलाने लगा। सुधा के पिताजी अपनी बेटी को झड़ते देख कर और भी तेजी से उसकी चूत में अपना भयंकर लंड मूसल की तरह पेलने लगे। सुधा दस मिनट में फिर से स्खलित हो गयी. इस बार उसके पिता ने भी अपना लंड अपनी बेटी की चूत में खोल दिया. सुधा निढाल बिस्तर में पसर गयी.पर उसके पिता अभी पूरे संतुष्ट नहीं हुए थे. उनका लंड अभी भी खड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी को पलट कर एक बार फिर उसकी कमर पर लिटा दिया। उन्होंने अपनी निढाल बेटी की दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपना विशाल लंड उसकी छोटी से गांड के छिद्र पर लगा दिया. जैसे ही उसके पिता का मोटा अमानवीय लंड उसकी गांड के छल्ले के अंडर गया सुधा के गले से हल्की चीख उबल पड़ी. सुधा के पिता ने तीन-चार धक्कों में पूरा लंड बेटी की गांड में डाल दिया. सुधा की गांड की चुदाई पहले धीरे-धीरे शुरू की और थोड़ी देर में ही उसके पिता का विशाल लंड सटासट सुधा की गांड मार रहा था.
इस दौरान सुधा के दोनों बेटे वापस आ गए. दोनों तभी खेल कर वापस आ रहे थे। उहोने नीचे हाल में अपने नानाजी का सूटकेस देख के बिना देर लगाए अपनी माँ के शयनकक्ष की और दौड़ लगा दी। दोनों पसीने से भीगे हुए थे। रोज़मर्रा वाले दिन दोनों पहले नहाने जाते पर उस दिन अनिल और सुनील नानाजी को अपने मां की चुदाई करते देख कर जल्दी से नंगे हो कर बिस्तर पर कूद पड़े. नाना ने दोनों का मुस्करा कर स्वागत किया. दोनों ने जल्दी से नानजी को चूम कर नमस्ते की। अपने बेटों के पसीने की महक ने सुधा की वासना को और भी बुलंद कर दिया। दोनों भी अपनी माँ के मुंह के दोनों तरफ घुटनों पर बैठ गए। दोनों बड़ी एकाग्रता से नानाजी को अपनी माँ की गांड मारते हुए देख रहे थे। दोनों अपनी माँ की तंग गुदा को नानाजी के मोटे मूसल पर चौड़ी होते देख कर उत्तेजित हो गए। सुधा के पिताजी लम्बे जोरदार धक्कों से अपनी बेटी की गांड बड़ी तन्मयता से चोद रहे थे। उन्होंने अपने धेवतों की वासना का भी अहसास था। सुधा ने सिसकते हुए अपने बेटों के लंड को चूस कर पूरा सख्त कर दिया. सुधा के पिता ने अपना मल-लिप्त लंड अपनी बेटी की गांड से निकाल कर उसकी चूत में ढूंस दिया. सुधा के बेटे अपने माँ की चूचियों का मर्दन कर रहे थे. सुधा के पिता ने दस-बीस भयंकर धक्कों से अपने बेटी की चूत को चोदा और फिर सुधा की चूत से अपना लंड निकाल कर सुधा की गांड में हिंसक ताकत से डाल दिया. सुधा के पिता ने अपनी बेटी को जकड़ कर अपनी कमर पर पलट गए. अब सुधा की चूत उसके बेटों के लिए प्रस्तुत थी. अनिल ने अपना ८इन्च का मोटा लंड अपनी माँ की चूत में बेदर्दी से ढूंस दिया. सुधा की सिस्कारियां और चीखें अविरत कमरे में गूँज रही थी. सुनील ने अपने दोनों टाँगे अपनी माँ के सीने के दोनों तरफ रखी कर उसकी चूचियों पर बैठ गया. सुनील ने अपना मोटा लंड अपनी बिलखती माँ के खुले मुंह में डाल दिया. सुधा के तीन जान से भी प्यारे मर्द उसकी चूत और गांड को विध्वंस रूप से चोद रहे थे. सुधा का अपने परिवार के पुरुषों से प्यार का इस से अच्छा और कोई प्रमाण नहीं हो सकता था. तीनो ने सुधा को चार बार झाड़ कर अपने लंड का वीर्य-स्खलन कर दिया. चारों अनाचारी प्रेमी बिस्तर पर थोड़ी देर आराम करने को लेट गए. पर कुछ ही क्षणों में सुधा के बेटों का लंड फिर से तन गया. सुधा मुसकराई और अपने बेटों को अपनी बाँहों में भर लिया. तभी सुधा के पति और ससुर ने कमरे में प्रवेश किया. दोनों बिस्तर के दृश्य से प्रसन्न हो गए. दोनों ने अपने कपडे उतार कर अपने मोटे लम्बे लंड को तैयार करने लगे. सुधा के पिता अपनी बेटी को बाँहों में उठा कर कालीन पर ले आये, जिस से पाँचों मर्दों को सुधा को चोदने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. *******************************
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सुधा की चूचियां का मर्दन और उसकी भयंकर चुदाई ने मेरी चूत भी गीली कर दी. मेरे गांड में अंकल का सख्त लंड चुभ रहा था. अंकल के दोनों हाथ मेरे उरोज़ों को मसल रहे थे.
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फिल्म में सुधा की चुदाई की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी. सुधा के सिस्कारियां और चीखें उसके पिता को और भी उत्साहित कर रहीं थी. सुधा थोड़ी देर में चरमोत्कर्ष के प्रभाव में चीख कर अपने रति-विसर्जन से कांपने लगी. सुधा के पिता अपनी बेटी के ऊपर लेट गए और उसके कांपते हुए शरीर को अपनी बाँहों में भर कर उसके भरी भरी सांस लेते आधे खुले मुंह को अपने होंठो से चूमने लगे। कुछ देर में सुधा के थोड़ा संतुलित होते ही उसके पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत मारना शुरू कर दिया. सुधा के पिताजी ने अपने सेब जैसे सुपाड़े को एक ही झटके में अपनी बेटी की मादक रेशम से मुलायम चूत में घुसेड़ कर भयंकर धक्कों से अपना सारा लंड अपनी सिसकती हुई बेटी की चूत में डाल दिया। सुधा कराह उठी, "आह, पिताजी, आपका लंड आह ... कितना आह ... मोटा आह ... है ...आन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मार डाला आपने अपनी बेटी को आआह ....ऊन्न्नग्ग।" सुधा के विशाल उरोज़ पिता के लंड के भीषण धक्कों से बड़े-बड़े गुब्बारों जैसे हिल रहे थे. सुधा के पिताजी अपनी बेटी की वासना की परिधियों से पूरी तरह परिचित थे। उन्हें पता था कि वो चाहें जितनी ज़ोर से अपनी बेटी की चूत मार कर उसे दर्द करें उनकी बेटी अपनी चूत मरवाने से कभी भी पीछे नहीं हटेगी। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी के भारी, मुलायम विशाल मटकते हुए स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उसकी मादक चूचियों को ज़ोर से मसलने लगे। उनके अन्गुंठे और तर्जनी ने अपनी बेटी के सख्त तनतनाये हुए निप्पलों को कस कर भींच कर मड़ोड़ दिया। उन्हें अपनी बेटी के गले से दर्द और आनंद की मिली जुली चीख ने और भी उत्तेजित कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी की कोमल चूचियों का मर्दन और भी बेदर्दी से करना आरंभ कर दिया। उनके पहले से ही भीषण लंड के धक्के और भी विध्वंसक हो चले। सुधा की सांस अब अटक अटक कर आ रही थी। वो अपने पिताजी की निर्मम वासनामयी चुदाई के कारण फिर से झड़ने वाली थी। सुधा एक घुटी घुटी चीख मार कर झड़ने लगी। उसका मीठा सुगन्धित चूतरस उसके पिता के रेल के पिस्टन के जैसे मोटे लंड को नहलाने लगा। सुधा के पिताजी अपनी बेटी को झड़ते देख कर और भी तेजी से उसकी चूत में अपना भयंकर लंड मूसल की तरह पेलने लगे। सुधा दस मिनट में फिर से स्खलित हो गयी. इस बार उसके पिता ने भी अपना लंड अपनी बेटी की चूत में खोल दिया. सुधा निढाल बिस्तर में पसर गयी.पर उसके पिता अभी पूरे संतुष्ट नहीं हुए थे. उनका लंड अभी भी खड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी को पलट कर एक बार फिर उसकी कमर पर लिटा दिया। उन्होंने अपनी निढाल बेटी की दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपना विशाल लंड उसकी छोटी से गांड के छिद्र पर लगा दिया. जैसे ही उसके पिता का मोटा अमानवीय लंड उसकी गांड के छल्ले के अंडर गया सुधा के गले से हल्की चीख उबल पड़ी. सुधा के पिता ने तीन-चार धक्कों में पूरा लंड बेटी की गांड में डाल दिया. सुधा की गांड की चुदाई पहले धीरे-धीरे शुरू की और थोड़ी देर में ही उसके पिता का विशाल लंड सटासट सुधा की गांड मार रहा था.
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