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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
"सुरेश अंकल आप बड़े मामा की तरफदारी क्यों कर रहें है. आंटी आप अंकल को कहें ना?" मैंने प्यार से अंकल के पेट में घूँसा मारा. अंकल ने मुझे हंस कर गले से लगा लिया. "नेहा बेटी, लगता है तुम्हारे अंकल तुम्हारी चूत में घुसने की योजना बना रहे है. इस लिए वो तुम्हारे दर्द को नज़रंदाज़ करने के कोशिश कर रहें है. ये भी रवि भैया के साथ मिल गए हैं." नम्रता आंटी बड़े मामा की बाँहों में समा कर बोलीं. मैंने शर्मा कर अपना मुंह अंकल के सीने में छुपा लिया.मुझे बड़े मामा पर तरस आ गया. मैंने अंकल के सीने से लगे हुए कहा, "नहीं मेरे बड़े मामा ने मेरी चुदाई बहुत अच्छे से की है. आंटी आप उनको कुछ नहीं कहें." "देखा भाभी नेहा बेटी ने मुझे माफ़ कर दिया है," बड़े मामा ठहाका लगा कर हंस दिए. बड़े मामा ने हम सबके सामने नम्रता आंटी को प्यार से चूम लिया. "रवि भैया,आज सिर्फ चुम्बन से काम नहीं चलेगा. मुझे आप से एक चुम्बन से बहुत ज़्यादा चाहिए." आंटी ने बड़े मामा की चौड़ी कमर के इर्द-गिर्द बाहें डाल कर उनसे कस कर लिपट गयीं. बड़े मामा ने अपने विशाल हाथों में आंटी के बड़े-बड़े गुदाज़ चूतड़ों को भर कर जोर से मसला और कहा, "भाभी, हम तो आप के देवी जैसे सौन्दर्य की सेवा करने के लिए तैयार हैं यदि सुरेश और नेहा को कोई आपत्ती नहीं हो तो." अंकल ने मेरी तरफ देखा. मैंने शर्म से लाल अपना मुंह अंकल के सीने में फिर से छुपा लिया और सिर्फ अपना सर हिला कर अनुमति दे दी. हम सब भोजन कक्ष की तरफ चल पड़े. अंकल-आंटी गंगा बाबा और जानकी दीदी से गले मिले. "आंटी, यदि आप एक दिन और रुक सकते हों तो रुक जाइये," जानकी दीदी ने आंटी से अनुरोध किया. अंकल ने जल्दी से सिर हिला कर आंटी को अपनी अनुमती देदी. आंटी ने भी हामी भर कर जानकी के चेहरा खुशी से भर दिया. खाना ख़त्म होते ही गंगा बाबा ने सब नौकरों को विदा कर दिया. हम सब मदिरापान करने बैठक में चले गए. दो गिलास मदिरा के बाद गंगा बाबा ने जानकी की बाजू पकड़ कर उठाया और विदा मांगी. "जानकी, लगता है आज रात तुम्हारी चूत की खैर नहीं है. गंगा, की बेसब्री छुप नहीं पा रही". आंटी ने जानकी की चुटकी ली. जानकी शर्मा कर लाल हो गयी,"पापा तो रोज़ मेरी हालत बुरी कर देतें है.पर मुझे भी उनके बिना चैन नहीं पड़ता." हम सब हंस दिए और दोनों को शुभ-रात्री की कामना के साथ विदा किया. अंकल 'सुधा' के कौटुम्बिक-व्यभिचार के दूसरी किश्त ले कर आये थे. हम सब चलचित्र-गृह की तरफ चल दिए. बड़े मामा ने नम्रता आंटी का हाथ खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. आंटी ने भी अपनी बाहें बड़े मामा की गर्दन पर दाल दीं मैं बड़े मामा और आंटी के बीच खुली संभोग पूर्व क्रीड़ा से प्रभावित हो गयी. जब अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा तो मै स्वतः उनकी गोद में समा गयी. अंकल ने रिमोट से फिल्म शुरू कर दी.


banana
सुधा अपने ससुर की हिंसक चुदाई के बाद थोड़ी देर आराम करने के लिए लेट गयी थी. बेचारी सुधा तीन परिवार के लंड से चुदवा कर बहुत थक गयी थी और वो देर तक सोती रही. नीचे एक करीब ६० साल का एक हृष्ट-पुष्ट पुरुष सूटकेस के साथ हॉल में खड़ा था. उसकी शक्ल काफी सुधा से मिलती-जुलती थी. उसने सूटकेस फर्श पर रख कर सुधा को ढूँढने लगा. अपनी बेटी को नीचे ना पा कर सुधा के पिताजी ऊपर चल पड़े. विश्राम-गृह में उनकी प्यारी बेटी नग्न बिस्तर में सो रही थी. पिता ने प्यार भरी निगाह से अपनी सोती बेटी को निहारा. सुधा के विशाल नर्म उरोज़ उसकी गहरी सांसों से ऊपर-नीचे हो रहे थे. उसकी गोल कमर और फूले हुए बड़े नितिम्ब अत्यंत सुंदर थे. सुधा की खुली जांघों के बीच घनी झांटों से ढका योनिद्वार मानो उसके पिता को निमंत्रित कर रहा था. सुधा के पिता ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिए. सुधा के पिता का लंड कुछ ही क्षणों में तन कर खड़ा हो गया. उनका लंड दस इंच लम्बा और बहुत मोटा था. सुधा की आँख अचानक खुल गयी. अपने पिता को कमरे में देख कर सुधा का चेहरा खुशी से खिल उठा," सॉरी, पापा में आपके लिए पूरी तैयार होना चाहती थी पर मेरी आँख ही नहीं खुली." सुधा के पिता लपक कर बिस्तर पर चढ़ गए और अपनी नग्न बेटी को बाँहों में भर लिया, "बेटा, आप इस से और अच्छी तरह मेरे लिए तैयार नहीं हो सकते थे." सुधा ने अपना आधा खुला मुंह अपने पिता को अर्पण कर दिया. सुधा के पिता अपनी बेटी के खुले मुंह से अपना भूखा मुंह लगा कर सुधा के मुंह का रसास्वादन करने लगे. उनके दोनों हाथ अपनी बेटी के उरोज़ों को मसलने में व्यस्त हो गए. सुधा ने सिसकारी मार कर अपने पिता के मूसल लंड को अपने छोटे-छोटे हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. सुधा ने अपने पिता का विशाल शरीर को प्यार से धक्का दे कर बिस्तर पर चित लिटा दिया। सुधा ने अपना खुला मुंह अपने पिता के लोहे जसे सख्त विशाल लंड के सुपाड़े के ऊपर रख दिया। सुधा का हृदय अपने पिता की मीठी सिसकारी सुन कर प्रसन्न हो गया। उसने प्यार से धीरे-धीरे अपने जीभ से अपने पिता के पूरे सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। अपनी बेटी की जीभ की मीठी यातना से उसके पिता का लंड थरथरा उठा। सुधा के पिताजी को वो दिन साफ़ साफ़ याद था जब उन्होंने अपनी बेटी की कुंवारी चूत पहली बार चोदी थी। इतने सालों के बाद भी उन्हें अपनी बेटी की चूत की भूख बिलकुल भी कम नहीं हुई थी। सुधा ने अपने पिता के लंड के सुपाड़े को चाट कर अपने जीभ की नोक उसके पेशाब-छिद्र में डाल दी। उसके पिता ने अपना भारी हाथ सुधा के सर के पीछे रख कर अपने लंड के ऊपर दबाने लगे। सुधा ने आज्ञाकारी बेटी की तरह अपना मुंह पूरा खोल कर अपने पिताजी का मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। पिताजी ने सिकारते हुए सुधा को और भी उत्साहित किया, "सुधा बेटी, मेरा लंड चूसो। मेरा लंड और भी अपने मुंह के भीतर डालो। सुधा ने अपने पिता का जितना हो सकता था उतना भारी-भरकम मूसल जैसा लंड अपने मुंह में ले कर अपने थूक से गीला कर दिया। उसने अपना मुंह पिता के लंड से उठा कर अपने मुंह को थूक से भर कर उनके लंड के ऊपर उलेढ़ दिया। सुधा के पिताजी का सारा वृहत लंड अपनी बेटी के मीठी लार से सराबोर हो गया। सुधा ने अपने पिताजी का भीमकाय लंड एक बार फिर से अपने मुंह में ले लिया और अपना मुंह ऊपर नीच कर उनके लंड को चूसने लगी। उसके नाज़ुक छोटे छोटे हाथ हाथ अपने पिता के थूक से गीले मोटे लंड के ऊपर नीचे फिरकने लगे। सुधा के पिता जी के मुंह से सिकारियां फूटने लगीं। उन्होंने बेसब्री से अपनी बेटी की भारी गुदगुदी गांड को अपने मजबूत हाथों से खींच कर उसकी चूत अपने मुंह के ऊपर लागा ली। जैसे ही सुधा के पिताजी की जीभ ने उसकी झांटों को फैला कर उसकी चूत की दरार को अपनी जीभ से खोल कर चाटना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से निकली सिसकारी अपने पिताजी के लंड के ऊपर घुट कर रह गयी। दोनों पिता और बेटी एक दुसरे को अपने मुंह से सुख देने लगे। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी की मीठी चूत हज़ारों बार चाट रखी थी फिर भी उसकी महक और स्वाद ने उन्हें बिलकुल पागल कर दिया। सुधा भी अपने पिताजी के मीठे लंड को मुंह में ले लालची भूखी स्त्री की तरह चूसने लगी। उसके पिता का लंड उसकी वासना को कुछ ही क्षण में भड़काने में अभ्यस्त था। पिता और बेटी बड़ी देर तक एक दुसरे के लंड और चूत को अपने मुंह से चाट और चूस कर एक दुसरे के शरीर में कामुकता के तूफ़ान को जगाने लगे। 
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दोनों पिता-पुत्री अगम्यागमन के अनाचार में लिप्त प्रेमी शीघ्र अत्यंत उत्तेजित हो गए, "पापा मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिए. मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये," सुधा ने कामंग्नी में मस्त वासना भरी आवाज़ से अपने पिताजी को उसे चोदने के लिए उत्साहित किया. सुधा के पिता बेसब्री से अपनी बेटी के फ़ैली जांघों के बीच में बैठ कर अपना लंड का मोटा सुपाड़ा अपनी बेटी की योनी के दरार पर रगड़ने लगे. सुधा की सिस्कारियों ने उन्हें अपनी बेटी की चुदाई के लिए और भी उत्साहित कर दिया. आखिर में सुधा के पिता ने अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बेटी की योनी द्वार में घुसेड़ दिया. पिता ने सुधा के दोनों उरोज़ों को कस कर अपने शक्तिशाली हाथों में भर कर तीन भयंकर धक्कों से अपना लम्बा मोटा लंड जड़ तक अपनी बेटी की चूत में दाल दिया. सुधा के वासना भरी चीख से कमरा गूँज उठा, “आह, पिताजी .. ई .. धीरे चोद ...ई आह दर्द मत कीजिये," सुधा की चूत बिलबिला उठी अपने पिताजी के मूसल को अंदर लेने से।


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 03:16 PM



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