08-01-2020, 03:12 PM
जब मैंने अपना मलोत्सर्ग समाप्त कर दिया तो मामाजी ने मुझे उठा कर शौचासन के कुंड पर हाथ रख कर आगे झुका दिया. मेरा मूंह मेरे अपने मल से भरे कमोड के ठीक ऊपर था. बड़े मामा ने पहले मेरी गांड चाट कर साफ़ की फिर मुझसे पूछा,"नेहा बेटा, पहले क्या मरवानी है- चूत या गांड?" मैं तो अब बड़े मामा के महाकाय विशाल अतृप्य लंड की दीवानी हो गयी थी, "बड़े मामा आज आपने मेरी चूत बिलकुल भी नहीं मारी. पहले चूत मारिये, प्लीज़," मैंने मामाजी से अनुरोध किया. बड़े मामा ने अपना विशाल स्थूल लंड मेरी चूत में चार भयंकर धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया. मेरे गले से स्वतः चीख निकल पड़ी. शीघ्र ही बड़े मामा का विकराल लंड मेरी रति-रस से भरी मखमली चूत में वैद्युत मूसल की भांति मेरी चूत की गहरायी नापने लगा । मेरी काम वासना से भरी सिस्कारियां स्नानगृह में गूँज उठीं । बड़े मामा का लंड 'चपक-चपक' की आवाजें बनाते हुए मेरी चूत का प्यार भरा मर्दन करने लगा। मैंने अपने सूजे होंठ को चबा कर अपनी सिस्कारियों को दबाने का निष्फल प्रयास करने के बाद खुल कर ऊंचीं ऊंचीं सीत्कारियां से मामाजी को मेरी चूत निर्मम प्राहरों से मारने के लिए उत्साहित कर दिया । बड़े मामा ने मेरी चूत मार कर मुझे तीन बार झाड़ दिया. मैं अपने आखिरी रति-निष्पत्ति से अभी संभल भी नहीं पाई थी कि बड़े मामा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल कर मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले पर रख कर अंदर दबा दिया. जैसे ही मेरा गुदा-द्वार बड़े मामा के विशाल लंड के सेब सामान मोटे सुपाड़े के अकार के अनुरूप चौड़ा हुआ हुआ तो मेरी दर्द से भरी चीत्कार स्नानगृह में गूँज उठी. पर बड़े मामा ने पहले के अनुभव से मेरी चीत्कार की उपेक्षा कर मेरी गांड में अपना लंड तीन लम्बी विध्वंसक धक्कों से जड़ तक डाल दिया. बड़े मामा ने मेरी गांड का मंथन एक बार शुरू किया तो डेढ़ घंटे तक निरंतर मेरे गुदाभंजन से मुझे बिलकुल पस्त कर दिया. बड़े मामा और मेरा गुदामैथुन मेरी बेहोशी की अवस्था में समाप्त हुआ. मेरे अनगिनत यौन-चरमोत्कर्ष ने मुझे निढाल कर दिया. बड़े मामा ने मेरी गांड में अपना लंड खोल दिया. यदि बड़े मामा ने मुझे नहीं सम्भाला होता तो मैं शौचासन पर गिर जाती, बड़े मामा के साथ अवैध कौटुंबिक व्यभिचार के आधिक्य ने मुझे मदहोश कर दिया. मुझे याद नहीं कि कब बड़े मामा ने अपना स्खलित लंड मेरी दुखती गांड में से बाहर निकाला, कब मुझे अपनी बाँहों में उठा कर बिस्तर में ले गए. ******************* बड़े मामा और मैं देर रात को अचानक गहरी नींद से उठ गए. बड़े मामा का लंड चुदाई के लिए तैयार तना हुआ खड़ा था. मैं अभी नींद में थी पर बड़े मामा ने मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चूत में अपना लंड तीन-चार धक्कों में पूरा अंदर डाल कर मेरी चूत को आधे घंटे तक चोद कर तीन बार झाड़ दिया. हम दोनों उसके बाद देर सुबह तक सोते रहे. हम दोनों को जानकी दीदी ने उठाया, "नेहा, चाचू. चलो दोनों उठो. सारे नौकर घर में हैं. कमरे की सफाई करने के लिए मैंने उन्हें रोका कि आप दोनों अपने कमरों में सो रहे होंगे. चलिए दोनों तैयार हो जाइये. मैं कमरा और बिस्तर साफ़ कर देतीं हूँ," जानकी दीदी ने चादर पर लगे भूरे दागों को देख कर हम दोनों* चिड़ाया, "चाचू लगता है आपने कल रात नेहा की गांड की अच्छे से सेवा की!" मैं शर्मा गयी. बड़े मामा ने जानकी दीदी को बाँहों में भर कर चूमा और फिर शैतानी से उनके दोनों विशाल नर्म*उरोज़ों को कस कर मसल दिया. जानकी दीदी चीख कर बड़े मामा की बाँहों से निकल गयीं. बड़े मामा ने हँसते हुए मुझे अपनी बाँहों में उठा कर स्नानगृह की तरफ चल दिए, "जानकी बेटी, यदि आपकी चूत और गांड खुजलाने लगे तो स्नानगृह खुला है." "इस बार आप सिर्फ नेहा की सेवा करें. पापा* के लंड ने कल रात मेरी दोनों छेदों की तौबा मचा दी." जानकी दीदी ने इठला कर कहा. मेरे मूंह खुला का खुला रह गया. जानकी दीदी और उनके पिताजी, गंगा बाबा भी कौटुम्बिक व्यभिचार में संलग्न थे. बड़े मामा ने मुझे दोनों की कहानी, जब मैं उनका सुबह सवेरे का ताज़ा पेशाब पी रही थी, सुनाई. बड़े मामा को जानकी दीदी ने इस घटना को पूरे विस्तार से सुनाया था. ********************************************