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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
सुधा ने थके हुए होते भी सुनील के लंड तो चाट के साफ़ कर दिया। तीनो पसीने से तरबतर थे। सुधा ने स्नान-गृह में नहाने का निर्देश दिया। दोनों बेटों ने अपनी माँ को पेशाब करते हुए देखा। सुनील ने माँ के मीठे मूत्र को ओख में भर कर पी लिया। अनिल ने भी माँ के सुनहरे प्रसाद को प्यार से चखा। बेटों ने अपनी माँ के देवियों जैसे सुंदर शरीर को शावर में भी अकेला नहीं छोड़ा। बेटों की अठखेलियों से तीनो फिर से वासना के समुन्द्र में गोते लगाने लगे। इस बार दोनों ने बारी बारी से माँ को दीवार से लगा कर चोदा। सुधा जब तीन बार झड़ गयी तो सुनील ने माँ को अपनी मजबूत बाँहों में उठा कर उसकी चूत को अपने लंड पर टिका कर नीचे गिरा दिया। सुधा की लम्बी घुटी चीख ने उसकी चूत में उसके बेटे के लम्बे मोटे लंडे के प्रवेश की घोषणा कर दी। अनिल ने अपनी माँ की गांड में उतनी ही तेजी से अपना लंड डाल दिया। दोनों ने अब अपने स्वार्थ के लिए माँ को चोदा। सुधा फिर भी दो बार झड़ गयी। दोनों ने भी एक बार फिर से अपने गर्म गाढ़े वीर्य की बौछार से अपनी माँ की गांड और चूत को ठंडक प्रदान की। तीन घंटे की चुदाई के बाद माँ और बेटे अस्थायी संतुष्टी से भर गए. दोनों थकी लगती माँ को नहाने के टब में सुगन्धित पानी में बिठा कर तैयार हो दोस्तों के साथ खेलने के लिए निकल पड़े। सुधा कौटुम्बिक सम्भोग के बाद थकन भरी संतुष्टी का आनंद लेते हुए टब में लेती रही। उसके सुंदर चेहरे पर मातृत्व प्रेम की मुस्कान थी जो उसे और भी सुंदर बना रही थी। ****************** आखिर आधे घंटे बाद सुधा टब से निकली और उसने अपना गदराया हुआ बदन मुलायम तौलिया से पौंछ कर सुखाया। जब सुधा का ध्यान अपने शरीर को तौलिया से सुखाने पर था तब उसके ससुर चुप चाप से उसके शयनकक्ष में दाखिल हो गए। उनकी आँखें अपनी बहु के गदराये सुंदर नग्न शरीर को देख कर चमक उठीं। सुधा के ससुर हौले-हौले चलते हुए अपनी बहु के पीछे तक पहुँच गए। उसके ससुर छः फुट ऊँचे भारीभरकम पुरुष थे। उन्होंने सुधा के नग्न शरीर को अपनी बाँहों में भर लिया। सुधा अपने आप को अपने ससुर की शक्तिशाली बुझायों में पा कर खिलखिला कर हंस दी, "बाबूजी, मेरे ससुर जी ने चोरों की तरह कबसे अपनी बहु को पकड़ना शुरू कर दिया?" सुधा प्यार से कुनमुनाई और पलट कर अपने ससुर की मजबूत बाँहों में समा गयी। सुधा के ससुर ने उसे प्यार से कई बार चूम कर उसे खुशखबरी दी, "सुधा बेटा तुम्हारे पापा आज आज शाम को आने वाले हैं." सुधा खुशी से खिलखिला उठी. उसके ससुर खुश बहु के थिरकते हुए भारी विशाल उरोजों को सहलाने लगे। उनका भीमकाय लंड पतलून के भीतर कसा हुआ सख्त होने लगा। अपनी सुंदर बहु का नग्न गुदाज़ शरीर देख कर हमेशा उनका लंड कुछ ही क्षड़ों में फूल जाता था। "सुधा बेटी, मेरे पोतों ने अपनी माँ को चोद कर थका तो नहीं दिया?" सुधा के ससुर ने अपनी बहु के होंठों को प्यार से चूसते हुए कहा। "बाबूजी आपके पोतों ने अपने माँ की चूत और गांड सुबह बुरी तरह से तो मारी है ।" सुधा ने भी अपने मर्दाने ससुर के होंठों को वापस चूसा। "इसका मतलब है कि मेरी थकी बहु अपने ससुर से चुदवाने के लिए अभी तैयार नहीं है," सुधा के ससुर ने उसके एक निप्पल की जोर से चुटकी भर दी। "ऊईई .. बाबूजी," सुधा की दर्द भरे आनंद से सिसकारी निकल गयी, "आपकी बहु क्या कभी भी आपसे चुदवाने के लिए तैयार नहीं मिली ?" सुधा का मुलायम हाथ ने अपने ससुर के विशाल लंड को उनकी पतलून के ऊपर से सहलाया। ससुर के चेहरे पे अपनी बहु के प्यार को देख कर खुशी की मुस्कान छा गयी। उनका दूसरा हाथ अपनी बहु की घुंघराली झांटों से ढकी छोट पर चला गया। उनकी उँगलियों ने उन्हें अपनी बहु की गीली तैयार चूत की सूचना दे दी। उन्होंने अपनी नंगी बहु को अपनी बाँहों में उठा कर पलंग पर पटक दिया। सुधा के ससुर बच्ची की तरह खिलखिला के हंसती हुई बहु को एकटक देखते हुए अपने कपडे बेसब्री से उतारने लगे। सुधा की साँसे तेज़ तेज़ चलने लगीं। उसकी आँखे अपने ससुर के वृहत लंड को कच्छे से बाहर आने के लिए उत्सुक थीं। शीघ्र ही उसके ससुर का भीमकाय दस इंच लम्बा बोतल के जैसा मोटा लोहे की तरह सख्त लंड उनके घने बालों से भरे मर्दाने बदन की शान बड़ा रहा था। सुधा के ससुर ने अपनी बहु की भारी खुली जांघों के बीच बैठ कर अपना अमानुषिक लंड सुधा की कोमल रेशमी चूत के द्वार पर टिका दिया। सुधा की सांस कुछ देर के लिए उसके गले में अटक गयी। सुधा के ससुर ने अपनी अप्सरा जैसी बहु की मोटी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तिशाली बाँहों के उपर रख कर उसके गुदाज़ बदन के उपर झुक गए। सुधा की हलके भूरे रंग की सुंदर आँखे अपने ससुर की वासना से भरी आँखों से अटक गयीं। सुधा के ससुर ने अपने शक्तिशाली कमर की ताकत से प्रचंड धक्का लगाया। सुधा की चीख कमरे में गूँज उठी। सुधा के ससुर ने अपना अमानवीय लंड अपनी बहु की कोमल चूत में डाल दिया। सुधा पांच बार और चीखी। उसकी हर चीख ससुर के खूंखार धक्के से शामिल थी। सुधा रिरयायी, "बाबूजी , मार डाला आपने। धीरे बाबूजी! कितना मोटा लंड है आपका? हाय कितना दर्द करता है इतने सालों के बाद भी?" सुधा के ससुर ने अपनी बहु की गुहार सूनी तो उसे अनसुनी कर दी। ससुर ने बिस्तर पर चित टांगें पसारे लेती अपनी अप्सरा सामान बहू की चूत में अपना विध्वंसक लंड भयंकर धक्कों से जड़ तक डाल कर सुधा की चूत की वहशी अंदाज़ में चुदाई शुरू कर दी। उनके बड़े जालिम हाथ सुधा की हिलती फड़कती चूचियों का मर्दन करने लगे। सुधा की सिस्कारियां कमरे में गूँज रही थीं। सुधा के ससुर का भीमकाय लंड उसकी गीली चूत में 'सपक-सपक' की आवाज़ के साथ रेल इंजिन के पिस्टन की तरह बिजली की तेजी से अंदर बहर जा रहा था। सुधा दर्द भरे आनंद से अभिभूत हो चली। सुधा के ससुर की प्रचंड चुदाई से सुधा की चूत चरमरा गयी। उसके स्तन ससुर के बेदर्दी भरे मर्दन से दर्द से भर गए। पर सारा दर्द सुधा के सिसकारी भरते हुए बदन में परम आनंद की आग लगा रहा था। जल्दी ही सुधा का शरीर एन्थ कर झड़ गया। उसके ससुर ने अपनी बहु के रति-निष्पति की उपेक्षा कर उसको तूफानी रफ़्तार से चोदते रहे। अगले आधे घंटे में सुधा चार बार और झड गयी। सुधा अब वासना के आनंद से अभिभूत अपना सर इधर-उधर फेंक रही थी। उसके रेशमी घुंघराले बाल सब तरफ समुन्द्र की लहरों की तरह बिस्तर पर फ़ैल गए। सुधा के ससुर ने अपनी बहु के कोमल विशाल चूचियों को अपनी मुठी में भर कर कुचलना शुरू कर दिया। उनका लंड पिस्टन की तरह सुधा की चूत मार रहा था।


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 03:06 PM



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