08-01-2020, 03:04 PM
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पहली फिल्म एक सुंदर परिवार में कौटुम्बिक व्यभिचार के बारे में थी. घर में अत्यंत सुंदर माँ और दो किशोर लम्बे तंदरुस्त बेटे थे. लड़कों की छुट्टी के दिन थे सो दोनों सुबह देर से उठे। माँ का नाम सुधा था। सुधा बड़े से रसोईघर एक सफ़ेद रंग की ढीली सी मैक्सी जैसा गाउन पहने नाश्ता तैयार कर रही थी। उसका गाउन के नीचे उसकी गुदाज़ भरी गोरी-गोरी जांघें, पिंडलियाँ और खूबसूरत छोटे-छोटे पैर किसी भी मर्द का संयम हिला सकते थे। सुधा अत्यंत सुंदर स्त्री थी। उसके दो ब्रा से मुक्त बड़े-बड़े गोल स्तन उसकी हर क्रिया पर बहुत आकर्षक तरह से हिल रहे थे। सुधा ने कई बार मुड़ कर देखा। उसे शायद अपने बेटों का देर से नीचे आना विचित्र लग रहा था। कुछ ही देर में दो सुंदर लम्बे-तंदरुस्त किशोरावस्था के लड़के नीचे तेजी से धूम धड़का मचाते हुए रसोईघर में आये। सुधा के सुंदर मुख पर प्रसन्नता की मुस्कान छा गयी। दोनों के सुंदर चेहरों पर तब किसी मूंछ और दाड़ी आने का प्रमाण नहीं था। सुनील और अनिल की उम्र में सिर्फ एक साल का फर्क था। दोनों सिर्फ शॉर्ट्स में थे। सनिल ने पीछे से अपनी माँ को अपनी बाँहों में भर लिया। सुधा मुस्करा के बोली, "बड़ी देर लगाई उठने में। क्या कल रात बहुत थक गए थे?" सुनील ने अपने दोनों हाथ अपने माँ के गाउन के अंडर डाल कर उसके उभरे गोल पेट को सहलाना शूरू कर दिया, "मम्मी, हम आपसे प्यार कर के क्या कभी भी थके हैं?" सुधा के मुंह से, अपने बेटे के हाथों से स्पर्श से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी। सुधा मुड़ कर अपने बेटे की बाँहों में समा गयी। सुनील छोटी उम्र में भी अपनी माँ से काफी लम्बा था। उसने अपना खुला मुंह अपनी माँ के मुस्कराते हुए मुंह पर रख दिया। सुधा की दोनों गुदाज़ भरी-भरी बाहें अपने बेटे की गर्दन के चरों तरफ कस गयी। सुनील ने अपनी जीभ अपनी माँ के मीठे मुंह में भर दी। सुधा ने भी अपनी जीभ से अपने बेटे की स्वादिष्ट जीभ भिड़ा दी। सुधा का मुंह शीघ्र अपने बेटे की मीथी लार से भर गया। सुधा ने जल्दी से उसे अमृत की तरह सटक लिया। सुनील के दोनों हाथ अपनी माँ के बड़े गुदाज़ स्थूल नितिम्बों को मसल रहे थे। पीछे से अनिल की शिकायत आयी, "मम्मी आपका छोटा बेटा भी तो अपनी माँ को गुड-मोर्निंग कहना चाहता है।" सुनील ने नाटकीय अंदाज़ में मुंह बना कर अपने माँ को मुक्त कर दिया। सुधा तुरंत अपने छोटे बेटे की बाँहों में समां गयी। अनिल अपना मुंह बेसब्री से अपनी माँ के मुंह पर रख उसके मीथे होंठों को चूसने लगा। उसके हाथ उतनी हे बेसब्री से सुधा के चूतड़ों को रगड़ रहे थे।
पहली फिल्म एक सुंदर परिवार में कौटुम्बिक व्यभिचार के बारे में थी. घर में अत्यंत सुंदर माँ और दो किशोर लम्बे तंदरुस्त बेटे थे. लड़कों की छुट्टी के दिन थे सो दोनों सुबह देर से उठे। माँ का नाम सुधा था। सुधा बड़े से रसोईघर एक सफ़ेद रंग की ढीली सी मैक्सी जैसा गाउन पहने नाश्ता तैयार कर रही थी। उसका गाउन के नीचे उसकी गुदाज़ भरी गोरी-गोरी जांघें, पिंडलियाँ और खूबसूरत छोटे-छोटे पैर किसी भी मर्द का संयम हिला सकते थे। सुधा अत्यंत सुंदर स्त्री थी। उसके दो ब्रा से मुक्त बड़े-बड़े गोल स्तन उसकी हर क्रिया पर बहुत आकर्षक तरह से हिल रहे थे। सुधा ने कई बार मुड़ कर देखा। उसे शायद अपने बेटों का देर से नीचे आना विचित्र लग रहा था। कुछ ही देर में दो सुंदर लम्बे-तंदरुस्त किशोरावस्था के लड़के नीचे तेजी से धूम धड़का मचाते हुए रसोईघर में आये। सुधा के सुंदर मुख पर प्रसन्नता की मुस्कान छा गयी। दोनों के सुंदर चेहरों पर तब किसी मूंछ और दाड़ी आने का प्रमाण नहीं था। सुनील और अनिल की उम्र में सिर्फ एक साल का फर्क था। दोनों सिर्फ शॉर्ट्स में थे। सनिल ने पीछे से अपनी माँ को अपनी बाँहों में भर लिया। सुधा मुस्करा के बोली, "बड़ी देर लगाई उठने में। क्या कल रात बहुत थक गए थे?" सुनील ने अपने दोनों हाथ अपने माँ के गाउन के अंडर डाल कर उसके उभरे गोल पेट को सहलाना शूरू कर दिया, "मम्मी, हम आपसे प्यार कर के क्या कभी भी थके हैं?" सुधा के मुंह से, अपने बेटे के हाथों से स्पर्श से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी। सुधा मुड़ कर अपने बेटे की बाँहों में समा गयी। सुनील छोटी उम्र में भी अपनी माँ से काफी लम्बा था। उसने अपना खुला मुंह अपनी माँ के मुस्कराते हुए मुंह पर रख दिया। सुधा की दोनों गुदाज़ भरी-भरी बाहें अपने बेटे की गर्दन के चरों तरफ कस गयी। सुनील ने अपनी जीभ अपनी माँ के मीठे मुंह में भर दी। सुधा ने भी अपनी जीभ से अपने बेटे की स्वादिष्ट जीभ भिड़ा दी। सुधा का मुंह शीघ्र अपने बेटे की मीथी लार से भर गया। सुधा ने जल्दी से उसे अमृत की तरह सटक लिया। सुनील के दोनों हाथ अपनी माँ के बड़े गुदाज़ स्थूल नितिम्बों को मसल रहे थे। पीछे से अनिल की शिकायत आयी, "मम्मी आपका छोटा बेटा भी तो अपनी माँ को गुड-मोर्निंग कहना चाहता है।" सुनील ने नाटकीय अंदाज़ में मुंह बना कर अपने माँ को मुक्त कर दिया। सुधा तुरंत अपने छोटे बेटे की बाँहों में समां गयी। अनिल अपना मुंह बेसब्री से अपनी माँ के मुंह पर रख उसके मीथे होंठों को चूसने लगा। उसके हाथ उतनी हे बेसब्री से सुधा के चूतड़ों को रगड़ रहे थे।