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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
जब बड़े मामा गंगा बाबा को फोन कर रहे थे तब मैं अपने कपड़े निकालने लगी. बड़े मामा ने सफ़ेद कुरता पजामा चुना. बड़े मामा पजामे के नीचे कोई कच्छा नहीं पहना. मुझे हंसी आ गयी, "मामाजी, यदि आपका लंड खड़ा हो गया तो पजामा तम्बू की तरह उठ जाएगा."
बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोजों को प्यार से सहलाया, "जंगल में सिर्फ तुम्हारे और कौन इस खड़े लंड को देखेगा? वैसे भी मेरी नेहा बेटी मेरे खड़े लंड को अपनी चूत में छुपा लेगी. नहीं बेटा?" मैं शर्म से लाल हो गयी और धीरे से सर हिला कर हामी भर दी.
बड़े मामा ने मेरी जींस को उठा कर अलग कर दिया. मेरे जिज्ञासु अभिव्यक्ति को देख के मामाजी मुस्कुराये और अलमारी से हलके पीले रंग का पेटीकोट और सफ़ेद ब्लाऊज़ निकल कर मुझे पहनने को दिया, "नेहा बेटी इसमें तुम अत्यंत सुंदर लगोगी," बड़े मामा ने हंस कर कहा, "यदि मेरा लंड खड़ा हो गया तो सिर्फ मुझे तुम्हारा लहंगा ऊपर करने की ही ज़रुरत है और तुम्हारी चूत मेरे लंड के लिए खुल जायेगी."
मैं शर्मा गयी और मामाजी के सीने पर अपने नन्हे हाथों की मुट्ठी से बार बार घूंसे मारने लगी जिसका प्रभाव मेरे विशाल बड़े मामा के ऊपर सिवाय इनको और ज़ोर से हसाने के अलावा निरर्थक था. मैंने लहंगे के नीचे जान्घियाँ और ब्लाऊज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी.
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 03:01 PM



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