08-01-2020, 03:00 PM
मैंने उसके बाद साबुन भरे हाथों से मामाजी के विशाल बालों से भरे चूतड़ों को मसला और अपनी उंगली से उनकी चूतड़ों के बीच की दरार को सहलाया, मेरी उंगली बड़ी देर तक उनके गांड के छेद पर टिकी रही. बड़े मामा ने मुझे मुड़ कर अपनी बाँहों में उठा लिया. मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, मेरे बाहें मामाजी की गर्दन से लिपट गयीं और मेरी टांगों ने मामाजी की चौड़ी कमर के उभार को जकड़ लिया. बड़े मामा ने मेरे साबुन लगे चिकने चूतड़ों को अपने हाथों में संभाला और अपने घुटने झुका कर अपना अमानवीय अकार के घोड़े जैसे साबुन से लस्त लंड के अत्यंत मोटे सुपाड़े को मेरी चूत में घुसेड़ दिया. हम दोनो के बदन साबुन के चिकने थे. मामाजी ने मेरा वज़न की सहायता से मेरी चूत में अपने विशाल लंड को मोटे खूंटे की तरह धकेल दिया. मेरी चीख से स्नानघर गूँज उठा. बड़े मामा ने मेरे चूतड़ ऊपर उठा और फिर मेरे वज़न का इस्तेमाल कर के नीचे गिरा कर अपने लंड से मेरी चूत बिजली की तेज़ी से मारने लगे. बड़े मामा ने भयंकर तीव्रता से मेरी चूत मारनी शुरू कर दी. मेरे सांस एक बार भी संतुलित नहीं हो पायी. बड़े मामा ने अपने विशाल लोहे जैसे सख्त लंड को स्थिर रख, मेरे चूतड़ों से आगे पीछे कर के वास्तव में मेरी चूत से अपना लंड मार रहे थे. मेरी सिस्कारियों से दीवारें बहरी हो गयीं. बड़े मामा ने मुझे अपनी और अपने महाकाय लंड की मर्दानी ताकत का फिर से आभास कराया. मैंने अपना खुला सिसकता हुआ मुंह बड़े मामा की गर्दन में छुपा लिया.बड़े मामा की वहशी चुदाई ने मेरी चूत को पांच बार झाड़ दिया. बड़े मामा की इतनी उत्तेजना भरी चुदाई ने मेरी हालत बेहाल कर दी. मेरी किशोर शरीर बड़े मामा के लंड से उपजी महा-कामेच्छा को संभालने के लिए अभी बहुत अल्पव्यस्क था. मैंने अपने आपको बड़े मामा और अपनी धधकती वासना के ऊपर छोड़ दिया.
जब मुझे लगने लगा कि बड़े मामा उस दिन कभी भी नहीं झड़ेंगे, मामाजी ने मेरी चूत और भी तेज़ी से मारनी शुरू कर दी. मेरी सिस्कारियों में अब चरम कामाग्नी के अलावा थोड़ा सा दर्द भी शामिल था. पर मुझे उस दर्द के भीतर छुपे काम-आनंद ने पागल कर दिया. "मामाजी, मुझे चोदिये. और चोदिये. मेरी चूत अपने मोटे लंड से मारिये. आह अंन्ह ...हाय मेरी चूत ...मामाजी... ई..ई ....ई .... ई ....... मर गयी ई ....ई ... ई........ मैं," मेरा मुंह मामाजी कि गर्दन से चुपका हुआ था. बड़े मामा अपने भयंकर लंड से मेरी चूत का विध्वंस निरंतर हिंसक तेज़ी से करते रहे जब तक उनका लंड अचानक मेरी चूत में स्खलित हो गया. मामाजी के गरम वीर्य ने मेरे हलक से जोर की सिसकारी निकाल दी. मेरी चूत ने भी एक बार फिर से रति-रस विसर्जित कर दिया.बड़े मामा का महाकाय लंड ने लगभग तेरह बार झटके मार कर मेरी चूत को अपने मर्दांगनी के निचोड़,संतान उत्पादक, वीर्य से भर दिया.
बड़े मामा ने मुझे जोर से अपने शरीर से भींच लिया. मैं भी उनसे बच्चे की तरह लिपट गयी. हम दोनों को काफी समय लगा अपनी सांसों को संतुलित करने में.
बड़े मामा और मैं नहा धो कर रसोई में खाने के लिए चल दिए. बड़े मामा ने सब नौकरों को छुट्टी दे कर घर हमारी चुदाई के लिए तैयार कर दिया था. पर नौकर शाम को रात के खाने के लिए वापस आने वाले थे. बड़े मामा ने खाना गरम करने की मेज़ से दोनों के लिए खाना परोसा. मेरी सारी पसंद की चींज़े बड़े मामा ने पकवाईं थी. मैनें मामाजी से लिपट कर उन्हें प्यार से कई बार चूमा. बड़े मामा ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.
बड़े मामा के हाथ बड़ी मुश्किल से मेरे गुदाज़ स्तनों कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। मेरे कोमल उरोज यों तो मेरी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। बड़े मामा ने उन को रात भर और सुबह मसल, मड़ोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था। बड़े मामा ने मेरी दोनों चुचुक को भींच कर मेरे गाल को चूम कर पूछा, "मेरी बेटी किस विचारों में खो गयी है?" मैं शर्मा कर लाल हो गयी, "मामाजी मैं अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?" बड़े मामा ने मुझे कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए मेरे उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। मैं भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। मैंने अपने मूंह में भरे चिकन के कुचले हुए टुकड़े को हँसते हुए मामाजी के मूंह से अपना मूंह लगा कर उनके मूंह में डाल दिया। बड़े मामा ने उसे प्यार से और भी चबा कर खा गए। मैं इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।
बड़े मामा और मैं अब अपने मूंह में चबाये हुए भोजन को एक दूसरे को खिलाने लगे। बड़े मामा ने चार गुलाब जामुन मेरी टाँगे चौड़ा कर मेरी चूत में भीतर तक भर भर दिए। मैं मचल उठी, "बड़े मामू मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।" "नेहा बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।" बड़े मामा और मैं फिर से अपने मूंह से भोजन चबा आकर एक दूसरे को खिलाने लगे। "बड़े मामा हमें भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" मैं इठला कर बोली। "यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी बेटी की चूत है," बड़े मामा खुल कर हंस पड़े।
पर मैं अब बड़े मामा के परिपक्व अनुभव से तेज़ी से कामानंद की क्रियायें सीख रही थी। मैंने बड़े मामा को हाथ पकड़ कर उठाया और उन्हें आगे झुकने के लिए निवेदन किया। बड़े मामा के विशाल बालों से भरे चूतडों के बीच में छोटी सी गांड का छेड़ मेरे लिए तैय्यार था। मैंने बरगी के चार पांच टुकड़े बड़े मामा की गांड के अंदर अपनी उंगली से घुसा दिये। मैंने फिर उनकी मीठी गांड को प्यार से चूमकर नाटकीय अंदाज़ में कहा, "मेरे प्यारे बड़े मामू की प्यारी प्यारी गांड कृपया मेरी बर्फी को और भी मीठा कर दो।"
बड़े मामा और मेरी चुहल बाजी, हंसी-मज़ाक पूरे खाने के दौरान चलती रही। खाना समाप्त होने के प्रश्च्यात बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे मेज पर लिटा दिया। मैं भी वासनामयी मुस्कान से खिल उठी। मैंने जोर लगा कर अपनी चूत में भरे गुलाब जामुनों को बाहर धकेलने का प्रयास किया। बड़े मामा ने अपनी उंगली से मेरी मदद की।
उन्होंने मेरी चूत से निकली मिठाई को लालाचपने से खाया। बड़े मामा ने अपने जीभ और मूंह से मेरी चूत पर लिसी चासनी को साफ़ कर दिया। उनके बाद मेरी बारी थी। बड़े मामा मेज पर हाथ रख कर आगे झुक गए। उन्होंने भी जोर लगा कर मसली कुचली बर्फी अपनी गांड से बाहर निकालने की कोशिश की। धीरे धीरे मिठाई उनकी बालों से ढकी गांड के छेद के बाहर आने लगी। मैंने अपना खुला मूंह बड़े मामा की गांड पर लगा कर मिठाई को अपने मूंह में भर लिया। बर्फी अब झक सफ़ेद तो नहीं रही थी पर उसमे बड़े मामा की गांड की मिठास तो बेशक शामिल हो गयी थी। जो बाक़ी बर्फी बड़े मामा अपनेआप से नहीं निकाल पाए उसे मैंने अपनी कोमल उंगली से कुरेद कर चाट लिया।
बड़े मामा मुझे, ‘खाना खाने के बाद’, गोद में उठा कर कमरे में ले गए, "नेहा बेटा, मुझे गंगा बाबा और दुसरे नौकरों को फोन कर के रात के खाने के लिए आने की इजाज़त देनी पड़ेगी. हम दोनों झील के जंगल में घूमने जा सकते हैं.
जब मुझे लगने लगा कि बड़े मामा उस दिन कभी भी नहीं झड़ेंगे, मामाजी ने मेरी चूत और भी तेज़ी से मारनी शुरू कर दी. मेरी सिस्कारियों में अब चरम कामाग्नी के अलावा थोड़ा सा दर्द भी शामिल था. पर मुझे उस दर्द के भीतर छुपे काम-आनंद ने पागल कर दिया. "मामाजी, मुझे चोदिये. और चोदिये. मेरी चूत अपने मोटे लंड से मारिये. आह अंन्ह ...हाय मेरी चूत ...मामाजी... ई..ई ....ई .... ई ....... मर गयी ई ....ई ... ई........ मैं," मेरा मुंह मामाजी कि गर्दन से चुपका हुआ था. बड़े मामा अपने भयंकर लंड से मेरी चूत का विध्वंस निरंतर हिंसक तेज़ी से करते रहे जब तक उनका लंड अचानक मेरी चूत में स्खलित हो गया. मामाजी के गरम वीर्य ने मेरे हलक से जोर की सिसकारी निकाल दी. मेरी चूत ने भी एक बार फिर से रति-रस विसर्जित कर दिया.बड़े मामा का महाकाय लंड ने लगभग तेरह बार झटके मार कर मेरी चूत को अपने मर्दांगनी के निचोड़,संतान उत्पादक, वीर्य से भर दिया.
बड़े मामा ने मुझे जोर से अपने शरीर से भींच लिया. मैं भी उनसे बच्चे की तरह लिपट गयी. हम दोनों को काफी समय लगा अपनी सांसों को संतुलित करने में.
बड़े मामा और मैं नहा धो कर रसोई में खाने के लिए चल दिए. बड़े मामा ने सब नौकरों को छुट्टी दे कर घर हमारी चुदाई के लिए तैयार कर दिया था. पर नौकर शाम को रात के खाने के लिए वापस आने वाले थे. बड़े मामा ने खाना गरम करने की मेज़ से दोनों के लिए खाना परोसा. मेरी सारी पसंद की चींज़े बड़े मामा ने पकवाईं थी. मैनें मामाजी से लिपट कर उन्हें प्यार से कई बार चूमा. बड़े मामा ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.
बड़े मामा के हाथ बड़ी मुश्किल से मेरे गुदाज़ स्तनों कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। मेरे कोमल उरोज यों तो मेरी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। बड़े मामा ने उन को रात भर और सुबह मसल, मड़ोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था। बड़े मामा ने मेरी दोनों चुचुक को भींच कर मेरे गाल को चूम कर पूछा, "मेरी बेटी किस विचारों में खो गयी है?" मैं शर्मा कर लाल हो गयी, "मामाजी मैं अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?" बड़े मामा ने मुझे कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए मेरे उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। मैं भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। मैंने अपने मूंह में भरे चिकन के कुचले हुए टुकड़े को हँसते हुए मामाजी के मूंह से अपना मूंह लगा कर उनके मूंह में डाल दिया। बड़े मामा ने उसे प्यार से और भी चबा कर खा गए। मैं इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।
बड़े मामा और मैं अब अपने मूंह में चबाये हुए भोजन को एक दूसरे को खिलाने लगे। बड़े मामा ने चार गुलाब जामुन मेरी टाँगे चौड़ा कर मेरी चूत में भीतर तक भर भर दिए। मैं मचल उठी, "बड़े मामू मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।" "नेहा बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।" बड़े मामा और मैं फिर से अपने मूंह से भोजन चबा आकर एक दूसरे को खिलाने लगे। "बड़े मामा हमें भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" मैं इठला कर बोली। "यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी बेटी की चूत है," बड़े मामा खुल कर हंस पड़े।
पर मैं अब बड़े मामा के परिपक्व अनुभव से तेज़ी से कामानंद की क्रियायें सीख रही थी। मैंने बड़े मामा को हाथ पकड़ कर उठाया और उन्हें आगे झुकने के लिए निवेदन किया। बड़े मामा के विशाल बालों से भरे चूतडों के बीच में छोटी सी गांड का छेड़ मेरे लिए तैय्यार था। मैंने बरगी के चार पांच टुकड़े बड़े मामा की गांड के अंदर अपनी उंगली से घुसा दिये। मैंने फिर उनकी मीठी गांड को प्यार से चूमकर नाटकीय अंदाज़ में कहा, "मेरे प्यारे बड़े मामू की प्यारी प्यारी गांड कृपया मेरी बर्फी को और भी मीठा कर दो।"
बड़े मामा और मेरी चुहल बाजी, हंसी-मज़ाक पूरे खाने के दौरान चलती रही। खाना समाप्त होने के प्रश्च्यात बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे मेज पर लिटा दिया। मैं भी वासनामयी मुस्कान से खिल उठी। मैंने जोर लगा कर अपनी चूत में भरे गुलाब जामुनों को बाहर धकेलने का प्रयास किया। बड़े मामा ने अपनी उंगली से मेरी मदद की।
उन्होंने मेरी चूत से निकली मिठाई को लालाचपने से खाया। बड़े मामा ने अपने जीभ और मूंह से मेरी चूत पर लिसी चासनी को साफ़ कर दिया। उनके बाद मेरी बारी थी। बड़े मामा मेज पर हाथ रख कर आगे झुक गए। उन्होंने भी जोर लगा कर मसली कुचली बर्फी अपनी गांड से बाहर निकालने की कोशिश की। धीरे धीरे मिठाई उनकी बालों से ढकी गांड के छेद के बाहर आने लगी। मैंने अपना खुला मूंह बड़े मामा की गांड पर लगा कर मिठाई को अपने मूंह में भर लिया। बर्फी अब झक सफ़ेद तो नहीं रही थी पर उसमे बड़े मामा की गांड की मिठास तो बेशक शामिल हो गयी थी। जो बाक़ी बर्फी बड़े मामा अपनेआप से नहीं निकाल पाए उसे मैंने अपनी कोमल उंगली से कुरेद कर चाट लिया।
बड़े मामा मुझे, ‘खाना खाने के बाद’, गोद में उठा कर कमरे में ले गए, "नेहा बेटा, मुझे गंगा बाबा और दुसरे नौकरों को फोन कर के रात के खाने के लिए आने की इजाज़त देनी पड़ेगी. हम दोनों झील के जंगल में घूमने जा सकते हैं.