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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
बड़े मामा की गहरी साँसे मेरे मुंह में मीठा स्वाद पैदा कर रहीं थीं. मेरी चूत की नाज़ुक कंदरा उनके धड़कते लंड की हर थरथराहट के आभास से कुलमुला रही थे. बड़े मामा और मैं एक दूसरे से लिपट कर अपने लम्बे अवैध कौटुम्बिक व्यभिचार के कामोन्माद के बाद की शक्तिहीन अवस्था और एक दूसरे के मुंह का मीठा स्वाद का आनंद ले रहे थे. बड़े मामा मुझे क़रीब दो घंटे से चोद रहे थे.
बड़े मामा का लंड अभी भी इस्पात से बने खम्बे की तरह सख्त था, "बड़े मामा आपका लौहे जैसा सख्त लंड तो अभी भी मेरी चूत में तनतना रहा है? क्या इसे अपनी बेटी जैसी भांजी की चूत और मारनी है?" मैने कृत्रिम इठलाहट से मामाजी को चिड़ाया.
बड़े मामा ने मेरी नाक की नोक को दातों से हलके से काट के, मुझे अपनी विशाल बाँहों में भींच आकर कहा,"अब तो तुम्हारी चूत की चुदाई शुरू हुई है, नेहा बेटा. अब तक तो हम आपकी को अपने लंड से पहचान करवा रहे थे."
बड़े मामा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकालने लगे. मेरी आँखें मेरे नेत्रगुहा से बाहर निकल पड़ी. मैं विष्वास नहीं कर सकी जब मैंने बड़े मामा का हल्लवी मूसल घोड़े के वृहत्काय लिंग के माप का लंड अपनी छोटी सी अछूती कुंवारी चूत में से निकलते हुए देखा. बड़े मामा का लंड मेरे कौमार्य भंग के खून और अपने वीर्य से सना हुआ था, "भगवान्, बड़े मामा ने कैसे इतना बड़ा लंड मेरी चूत में डाल दिया?" मेरा दिमाग चक्कर खाने लगा. मुझे काफी जलन हुई जब बड़े मामा का लंड मेरी चूत के द्वार-छिद्र से निकला. मेरी चूत से विपुल गरम गरम द्रव बह निकला.
बड़े मामा ने मुझे गुड़िया जैसे उठा कर कहा, " नेहा बेटा, अब हम तुम्हारी चूत पीछे से मारेंगें." मैं बड़े मामा के महाविशाल लंड और अपनी चूत में से बहे खून को देख कर काफी असहाय महसूस करने लगी और बड़े मामा की शक्तिशाली मर्द सत्ता के प्रभाव में उनकी हर इच्छा का पालन करने को इच्छुक थी. मेरी दृष्टी सफ़ेद चादर पर फैले गाड़े लाल रंग के बड़े दाग पर पड़ी. पता नहीं क्या मेरी चूत वाकई फट गयी थी? इतना खून कहाँ से निकला होगा?

बड़े मामा ने मुझे घोड़े की मुद्रा में मोड़ कर स्थिर कर के मेरे फूले, मुलायम चूतड़ों के पीछे खड़े हो गए. बड़े मामा ने अपना विशाल लंड तीन चार धक्कों में पूरा मेरी चूत में फिर से घुसेड़ दिया. मेरे मुंह से सिसकारी निकल पडीं , "धीरे बड़े मामा, धीरे. आपका लंड बहुत बड़ा है," मैंने अपने होंठ अपने दातों में दबा लिए वरना मेरी चीख निकल जाती. "नेहा बेटा, अब तो तुम्हारी चूत दनदना कर मारूंगा. तुम्हारी कोमल चूत अब खुल गयी है." बड़े मामा ने मेरी धीरे चूत मारने की प्रार्थना की खुले रूप से उपेक्षा कर दी.
बड़े मामा ने अपने हाथों से मेरी गुदाज़ कमर को स्थिर कर अपने लंड से मेरी चूत मारना प्रारंभ कर दिया. इस बार बड़े मामा ने लंड दस-बारह ठोकरों के बाद बाद मेरी चूत में अपना लंड से सटासट तेज़ और ज़ोर से धक्के मारने लगे. मेरी सांस अनियमित और भारी हो गयी. मेरी सिस्कारियों से कमरा गूँज उठा. बड़े मामा की शक्तिशाली कमर की मांसपेशियां उनके विशाल लंड को मेरी चूत में उनका लंड बहुत ताकत से धकेल रहीं थी. बड़े मामा के लंड का हर धक्का मेरे पूरे शरीर को हिला रहा था. मेरी नीचे लटकी बड़ी चूचियां बुरी तरह से आगे पीछे हिल रही थीं.

"आह, मामाजी, मुझे चोदिये. अँ...अँ..ऊं..ऊं..उह ..उह..और चोदिये बड़े मामा. मेरी चूत में अपना लंड ज़ोर से डालिए. मेरी चूत झाड़ दीजिये," मेरे मूंह से वासना के प्रभाव में अश्लील शब्द अपने आप निकल आकर बड़े मामा को और ज़ोर से चूत मारने को उत्साहित करने लगे. बड़े मामा ने कभी बहुत तेज़ छोटे धक्कों से, और कभी पूरे लंड के ताकतवर लम्बे बेदर्द धक्कों से मेरी चूत का निरंतर मंथन अगले एक घंटे तक किया. मैं कम से कम दस बार झड़ चुकी थी तब बड़े मामा ने मेरी चूत में अपना लंड दूसरी बार खोल कर वीर्य स्खलन कर दिया. दूसरी बार भी बड़े मामा के वीर्य की मात्रा अमानवीय प्रचुर थी.
मैं बहुविध रति-निष्पत्ति से थकी अवस्था में बड़े मामा की आखिरी ठोकर को सह नहीं पाई और मैं मूंह और पेट के बल बिस्तर पर गिर पडी. बड़े मामा का लंड मेरी चूत से बाहर निकल गया.
मुझे बड़े मामा के मुंह से मनोरथ भंग होने की कुंठा से गुर्राहट निकलती सुनाई पड़ी. बड़े मामा अब अपनी कामवासना से अभिभूत थे और उनकी बेटी समान भांजी का किशोर नाबालिग शरीर उनकी भूख मिटाने के लिए ज़रूरी और उनके सामने हाज़िर था. बड़े मामा ने बड़ी बेसब्री से मुझे पीठ पर पलट चित कर दिया. मेरी उखड़ी साँसे मेरे सीने और उरोज़ों से ऊपर को नीचे कर रहीं थी.
बड़े मामा ने मेरी दोनों टांगों को मेरी चूचियों की तरफ ऊपर धकेल दिया. मैं अब लगभग दोहरी लेटी हुए थी. बड़े मामा ने अपना अतृप्य स्पात के समान सख्त विशाल लंड मेरी खुली चूत में तीन धक्कों से पूरा अंदर डाल कर वहशी अंदाज़ में चोदने लगे. बड़े मामा ने मेरी चूत को बेदर्दी से भयंकर ताकत भरे धक्कों से चोदना शुरू कर दिया. बड़े मामा मानो मेरी कुंवारी, नाज़ुक चूत का लतमर्दन से विध्वंस करने का निश्चय कर चुके थे. मेरी सिस्कारियां और बड़े मामा की जांघों के मेरे चूतड़ों पर हर धक्के के थप्पड़ जैसी टक्कर की आवाज़ से कमरा गूँज उठा.
बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को अपने हाथों में ले कर मसल-मसल कर बुरा हाल कर दिया. मुझे अपनी चड़ती वासना के ज्वार में समझ कुछ नहीं आ रहा था कि कहाँ बड़े मामा मुझे ज्यादा दर्द कर रहे थे - अपने महाकाय लंड से मेरी चूत में या अपने हाथों से बेदर्दी से मसल कर मेरी चूचियों में. अब मैं अपने निरंतर, लहर की तरह मेरे शरीर को तोड़ रहे चरम-आनन्द के लिए मैं दोनों पीड़ा का स्वागत कर रही थी.
"बड़े मामा, आपने तो मेरी चूत को आह..बड़े..ऐ..ऐ ..ऐ *मा..मा...मा..मामा..आं..आं..आं..आं..आं. मुझे झाड़ दीजिये.उफ ओह मामा जी ..ई..ई..ई." मैं हलक फाड़ कर चिल्लाई. मेरे निरंतर रति-स्खलन ने मेरे दिमाग को विचारहीन और निरस्त कर दिया.
मेरा सारा शरीर दर्द भरी मीठी एंठन से जकड़ा हुआ था. बड़े मामा ने एक के बाद एक और भयानक ताक़त से भरे धक्कों से मेरी चूत को बिना थके और धीमे हुए एक घंटे से भी ऊपर तक चोदते रहे. मैं अनगिनत बार झड़ चुकी थे और मुझ पर रति-निष्पत् के बाद की बेहोशी जैसी स्तिथी व्याप्त होने लगी. मेरी चूत मेरे मामाजी के विशाल मोटे लंड से घंटों लगातार चुद कर बहुत जलन पर दर्द कर रही थी.
"बड़े मामा, अब मेरी चूत आपका अतिमानव लंड और सहन नहीं कर सकती. मेरे प्यारे मामाजी मेरी चूत में अपना लंड खोल दीजिये. मेरी चूत को अपने गरम वीर्य से भर दीजिये," मैं चुदाई की अधिकता भरी मदहोशी में बड़े मामा को चुदाई ख़त्म करने के लिए मनाने लगी. मुझे नहीं लगता था कि मैं काफी देर तक अपना होश संभाल पाऊँगी.
मेरी थकी विवश आवाज़ और शब्दों ने बड़े मामा की कामेच्छा को आनन्द की पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया,"नेहा बेटा,मैं अब तुम्हारी चूत में झड़ने वाला हूँ," बड़े मामा ने मेरे चूत का सिर्फ कौमार्य भंग ही नहीं किया था पर उसे अपने विशाल लंड और अमानवीय सहवास संयम-शक्ति से अपना दासी भी बना लिया था. मैं बड़े मामा से सारी ज़िंदगी चुदवाने के लिए तैयार ही नहीं पर उसके विचार से ही रोमांचित थी.
बड़े मामा ने मेरे चूचियों को बेदार्दी से मसल कर मेरी छाती में ज़ोर से दबा कर अपने भारी मोटे लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर तक बारह-तेरह बार डाल कर मेरे ऊपर अपने पूरे वज़न से गिर पड़े. मेरे फेफड़ों से सारी वायु बाहर निकल पड़ी. उनका लंड मेरे चूत में फट पड़ा. बड़े मामा के स्खलन ने मेरी चूत में नया रति-स्खलन शुरू कर दिया. मैंने अपने बाहें, ज़ोर-ज़ोर से सांस लेते हुए बड़े मामा की गर्दन के चरों तरफ डाल कर, उनको कस कर पकड़ लिया. हम दोनों अवैध अगम्यागमन के चरमानंद से मदहोश इकट्ठे झड़ रहे थे.
बड़े मामा मेरी गरदन पर हल्क़े चुम्बन देने लगे. मैंने थके हुए अपने बड़े मामा को वात्सल्य से जकड़ कर अपने से चुपका लिया. मुझे बड़े मामा पर माँ का बेटे के ऊपर जैसा प्यार आ रहा था. बड़े मामा और मैं उसी अवस्था में एक दूसरे की बाँहों में लिपटे कामंगना की अस्थायी संतुष्टी की थकन से निंद्रा देवी की गोद में सो गए.

मेरे आँख कुछ घंटों में खुली. मैंने अपने को बड़े मामा की मांसल भुजाओं में लिपटा पाया. बड़े मामा अभी भी सो रहे थे. उनके थोड़े से खुले होंठों से गहरी सांस मेरे मुंह से टकरा रही थी. मुझे बड़े मामा की साँसों की गरमी बड़ी अच्छी लग रही थी. बड़े मामा के नथुने बड़ी गहरी सांस के साथ-साथ फ़ैल जाते थे. बड़े
मामा की गहरी सांस कभी खर्राटों में बदल जाती थी. मुझे बड़े मामा का पुरूषत्व से भरा खूबसूरत चेहरा मुझे पहले से भी ज़्यादा प्यारा लगा, और उनका वोह चेहरा मेरे दिल में बस गया. मैंने अब आराम से बड़े मामा के वृहत्काय शरीर को प्यार से निरीक्षण किया. मामाजी की घने बालों से ढके चौड़े सीने के बाद उनका बड़ा सा पेट भी बालों से ढका था. मेरी दृष्टी उनके लंड पर जम गयी. बड़े मामा का लंड शिथिल अवस्था में भी इतना विशाल था की मुझे मामाजी से घंटों चुदने के बाद भी विश्वास नहीं हुआ की उनका अमानवीय वृहत लंड मेरी चूत में समा गया था. मैं मामाजी के सीने पर अपना चेहरा रख कर उनके ऊपर लेट गयी. बड़े मामा ने नींद में ही मुझे अपनी बाँहों में पकड़ लिया.


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 02:59 PM



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