08-01-2020, 02:55 PM
"बड़े मामा, क्या मैं आपका लंड चूसूं?" मैंने हलके से पूछा. बड़े मामा के चेहरे पर खुली मुस्कान मेरा जवाब था.
बड़े मामा मेरे सीने के दोनों तरफ घुटने रख कर अपना लगभग पूरा तनतनाया हुए लंड को मेरे मूंह की तरफ बड़ा दिया. बड़े मामा का लंड उसकी मुरझाई स्तिथी से अब लगभग
दुगना लंबा और मोटा हो गया था. उनका लंड मेरे चूचियों के ऊपर से लेकर मेरे माथे से भी ऊपर पहुँच रहा था.
मेरे छोटे-छोटे नाज़ुक हाथ बड़े मामा के लंड की पूरी परिधी को पकड़ने के लिए अपर्याप्त थे. मैंने दोनों हाथों से मामाजी का लौहे जैसा सख्त, पर रेशम जैसा
चिकना, लंड संभाल कर उनके लंड का सुपाड़ा अपने पूरे खुले मुंह में ले लिया. मेरा मुंह मामाजी के लंड के सिर्फ सुपाड़े से ही भर गया. मुझे लंड को चूसने का कोई भी अभ्यास
नहीं था. मैंने जैसे भी मैं कर सकती थी वैसे ही बड़े मामा के लंड को कभी मुंह में लेकर, कभी जीभ से चाट कर अपने प्यारे मामाजी को शिश्न-चूषण के आनंद देने का भरपूर
प्रयास किया.
मैंने बड़े मामा के अत्यंत मोटे भारी लंड को अपने अगरम मूंह से जितना भी सुख देने की मेरा सामर्थ्य था उतना प्रयास मैंने दिल लगा
कर किया। उनके मोटे लंड ने मेरे गले को बिलकुल भर दिया था। मेरे मूंह के किनारे इतने खिंच रहे थे कि मुझे थोड़ा थोड़ा दर्द होने लगा।
पांच मिनट के बाद बड़े मामा ने अपना लंड मेरे थूक से भरे मुंह से निकाल लिया और फिर से मेरी जांघों के बीच में चले गए, "नेहा बेटा
अब आपकी चूत मारने का समय आ गयाहै."
मेरा हलक रोमांच से सूख गया. मेरी आवाज़ नहीं निकली, मैंने सिर्फ अपना सिर हिला कर मामाजी के निश्चय को अपना समर्थन दे दिया.
बड़े मामा ने मेरी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तीशाली बाज़ुओं पर डाल लीं. उन्हीने अपना लंड मेरी गीली कुंवारी चूत के प्रविष्टी-द्वार पर ऊपर-नीचे रगड़ा. फिर मुझे उनके, छोटे
सेब के बराबर के आकार के लंड का सुपाड़ा अपनी छोटी सी कुंवारे चूत के छिद्र पर महसूस हुआ.
"नेहा बेटा, पहली चुदाई में थोड़ा दर्द तो ज़रूर होगा. आपने नीलू बेटी की चुदाई तो देखी थी. एक बार तुम्हारी चूत के अंदर लंड घुसड़ने के बाद चूत लंड के आकार
से अनुकूलन कर लेगी."
बड़े मामा के मेरे कौमार्य-भंग की चुदाई के पहले का आश्वासन से मेरा दिल में और भी डर बैठ गया.
************************************************************
बड़े मामाजी ने एक हल्की सी ठोकड़ लगाई और उनके विशाल लंड का बेहंत मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के प्रवेश-द्वार के छल्ले को फैला कर मेरी कुंवारी चूत के अंदर
दाखिल हो गया.
"बड़े मामा, धीरे, प्लीज़.आपका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे दर्द हो रहा है," मैं बिलबिलायी. मेरी चूत मामाजी के वृहत्काय लंड के ऊपर*अप्राकृतिक आकार में फ़ैल
गयी थी. मेरे सारे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी. मैं छटपटाई और मामाजी को धक्का देकर अपने से दूर करने के लिए हाथ फैंकने लगी.
मामाजी का लंड अब मेरी चूत में फँस गया था. बड़े मामा ने मेरी दोनों कलाई अपने एक विशाल हाथ में पकड़ कर मेरे सिर के ऊपर स्थिरता से दबा दी और अपना भारी विशाल
बदन का पूरा वज़न डाल मेरे ऊपर लेट गए. मैं अब बड़े मामा के नीचे बिलकुल निस्सहाय लेटने के कुछ और नहीं कर सकती थी. बड़े मामा का महाकाय शरीर मुझे अब और भी दानवीय आकार का लग रहा था.
मैंने अपने नीचे के होंठ को दातों से दबा कर आने वाले दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश के लिए तैयार होने का प्रयास करने लगी.
बड़े मामा ने अपनी शक्तिशाली कमर और कूल्हों की मांसपेशियों की सहायता से अपने असुर के समान महाकाय लंड को मेरी असहाय कुंवारी चूत में दो-तीन
इंच और अंदर धकेल दिया. मैं दर्द के मारे छटपटा कर ज़ोर से चीखी, "नहीं, नहीं , मामाजी, आपने मेरी चूत फाड़ दी. मेरी चूत से अपना लंड निकाल लीजिये. मुझे
आपसे नहीं चुदवाना. मैं मर गयी, बड़े मामा ...आह मेरी चू...ऊ ..ऊ ..त फ..अ..आ..त ग...यी."
मैं पानी के बिना मछली के समान कपकपा रही थी.
बड़े मामा ने मेरी दयनीय स्तिथी और रिरियाने को बिलकुल नज़रंदाज़ कर दिया. मैं बिस्तर में बड़े मामा के अमानवीय शक्तिशाली शरीर के
नीचे असहाय थी. बड़े मामा ने मेरी चूत में अपने दानवाकारी लंड को पूरा अंदर डाल कर मेरी चुदाई का निश्चय कर रखा था.
मेरी आँखों से आंसू बहने लगे. बड़े मामा ने "चुप बेटा..शुष.." की आवाज़ों से मुझे *असहनीय पीढ़ा को बर्दाश्त करने की सलाह सी दी.
बड़े मामा ने मेरी चूत के अंदर अपना लौहे समान सख्त लंड और भी अंदर घुसेड़ दिया. उनका लंड मेरी कौमार्य की सांकेतिक योनिद्वार की झिल्ली
को फाड़ कर और भी अंदर तक चला गया.
मेरी दर्द से भरी चीख से सारा कमरा गूँज उठा. मैं रिरिया कर मामा से अपना लंड बाहर निकलने की प्रार्थना कर रही थी. मेरे आंसूओं की अविरल धारा
मेरे दोनों गालों को तर करके मेरी गर्दन और उरोज़ों तक पहुँच रही थी. मैंने सुबक सुबक कर रोना शुरू कर दिया.
बड़े मामा कठोड़ हृदय से मेरी सुबकाई और छटपटाहट की उपेक्षा कर अपने यंत्रणा के हथियार को मेरी दर्द से भरी चूत में कुछ इंच और भीतर धकेल
दिया. मुझे अपनी चूत से एक गरम तरल द्रव की अविरल धारा बह कर मेरी गांड के ऊपर से बिस्तर पर इकट्ठी होती महसूस हुई.
बड़े मामा मेरे सीने के दोनों तरफ घुटने रख कर अपना लगभग पूरा तनतनाया हुए लंड को मेरे मूंह की तरफ बड़ा दिया. बड़े मामा का लंड उसकी मुरझाई स्तिथी से अब लगभग
दुगना लंबा और मोटा हो गया था. उनका लंड मेरे चूचियों के ऊपर से लेकर मेरे माथे से भी ऊपर पहुँच रहा था.
मेरे छोटे-छोटे नाज़ुक हाथ बड़े मामा के लंड की पूरी परिधी को पकड़ने के लिए अपर्याप्त थे. मैंने दोनों हाथों से मामाजी का लौहे जैसा सख्त, पर रेशम जैसा
चिकना, लंड संभाल कर उनके लंड का सुपाड़ा अपने पूरे खुले मुंह में ले लिया. मेरा मुंह मामाजी के लंड के सिर्फ सुपाड़े से ही भर गया. मुझे लंड को चूसने का कोई भी अभ्यास
नहीं था. मैंने जैसे भी मैं कर सकती थी वैसे ही बड़े मामा के लंड को कभी मुंह में लेकर, कभी जीभ से चाट कर अपने प्यारे मामाजी को शिश्न-चूषण के आनंद देने का भरपूर
प्रयास किया.
मैंने बड़े मामा के अत्यंत मोटे भारी लंड को अपने अगरम मूंह से जितना भी सुख देने की मेरा सामर्थ्य था उतना प्रयास मैंने दिल लगा
कर किया। उनके मोटे लंड ने मेरे गले को बिलकुल भर दिया था। मेरे मूंह के किनारे इतने खिंच रहे थे कि मुझे थोड़ा थोड़ा दर्द होने लगा।
पांच मिनट के बाद बड़े मामा ने अपना लंड मेरे थूक से भरे मुंह से निकाल लिया और फिर से मेरी जांघों के बीच में चले गए, "नेहा बेटा
अब आपकी चूत मारने का समय आ गयाहै."
मेरा हलक रोमांच से सूख गया. मेरी आवाज़ नहीं निकली, मैंने सिर्फ अपना सिर हिला कर मामाजी के निश्चय को अपना समर्थन दे दिया.
बड़े मामा ने मेरी गुदाज़ जांघें अपनी शक्तीशाली बाज़ुओं पर डाल लीं. उन्हीने अपना लंड मेरी गीली कुंवारी चूत के प्रविष्टी-द्वार पर ऊपर-नीचे रगड़ा. फिर मुझे उनके, छोटे
सेब के बराबर के आकार के लंड का सुपाड़ा अपनी छोटी सी कुंवारे चूत के छिद्र पर महसूस हुआ.
"नेहा बेटा, पहली चुदाई में थोड़ा दर्द तो ज़रूर होगा. आपने नीलू बेटी की चुदाई तो देखी थी. एक बार तुम्हारी चूत के अंदर लंड घुसड़ने के बाद चूत लंड के आकार
से अनुकूलन कर लेगी."
बड़े मामा के मेरे कौमार्य-भंग की चुदाई के पहले का आश्वासन से मेरा दिल में और भी डर बैठ गया.
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बड़े मामाजी ने एक हल्की सी ठोकड़ लगाई और उनके विशाल लंड का बेहंत मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के प्रवेश-द्वार के छल्ले को फैला कर मेरी कुंवारी चूत के अंदर
दाखिल हो गया.
"बड़े मामा, धीरे, प्लीज़.आपका लंड बहुत बड़ा और मोटा है. मुझे दर्द हो रहा है," मैं बिलबिलायी. मेरी चूत मामाजी के वृहत्काय लंड के ऊपर*अप्राकृतिक आकार में फ़ैल
गयी थी. मेरे सारे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी. मैं छटपटाई और मामाजी को धक्का देकर अपने से दूर करने के लिए हाथ फैंकने लगी.
मामाजी का लंड अब मेरी चूत में फँस गया था. बड़े मामा ने मेरी दोनों कलाई अपने एक विशाल हाथ में पकड़ कर मेरे सिर के ऊपर स्थिरता से दबा दी और अपना भारी विशाल
बदन का पूरा वज़न डाल मेरे ऊपर लेट गए. मैं अब बड़े मामा के नीचे बिलकुल निस्सहाय लेटने के कुछ और नहीं कर सकती थी. बड़े मामा का महाकाय शरीर मुझे अब और भी दानवीय आकार का लग रहा था.
मैंने अपने नीचे के होंठ को दातों से दबा कर आने वाले दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश के लिए तैयार होने का प्रयास करने लगी.
बड़े मामा ने अपनी शक्तिशाली कमर और कूल्हों की मांसपेशियों की सहायता से अपने असुर के समान महाकाय लंड को मेरी असहाय कुंवारी चूत में दो-तीन
इंच और अंदर धकेल दिया. मैं दर्द के मारे छटपटा कर ज़ोर से चीखी, "नहीं, नहीं , मामाजी, आपने मेरी चूत फाड़ दी. मेरी चूत से अपना लंड निकाल लीजिये. मुझे
आपसे नहीं चुदवाना. मैं मर गयी, बड़े मामा ...आह मेरी चू...ऊ ..ऊ ..त फ..अ..आ..त ग...यी."
मैं पानी के बिना मछली के समान कपकपा रही थी.
बड़े मामा ने मेरी दयनीय स्तिथी और रिरियाने को बिलकुल नज़रंदाज़ कर दिया. मैं बिस्तर में बड़े मामा के अमानवीय शक्तिशाली शरीर के
नीचे असहाय थी. बड़े मामा ने मेरी चूत में अपने दानवाकारी लंड को पूरा अंदर डाल कर मेरी चुदाई का निश्चय कर रखा था.
मेरी आँखों से आंसू बहने लगे. बड़े मामा ने "चुप बेटा..शुष.." की आवाज़ों से मुझे *असहनीय पीढ़ा को बर्दाश्त करने की सलाह सी दी.
बड़े मामा ने मेरी चूत के अंदर अपना लौहे समान सख्त लंड और भी अंदर घुसेड़ दिया. उनका लंड मेरी कौमार्य की सांकेतिक योनिद्वार की झिल्ली
को फाड़ कर और भी अंदर तक चला गया.
मेरी दर्द से भरी चीख से सारा कमरा गूँज उठा. मैं रिरिया कर मामा से अपना लंड बाहर निकलने की प्रार्थना कर रही थी. मेरे आंसूओं की अविरल धारा
मेरे दोनों गालों को तर करके मेरी गर्दन और उरोज़ों तक पहुँच रही थी. मैंने सुबक सुबक कर रोना शुरू कर दिया.
बड़े मामा कठोड़ हृदय से मेरी सुबकाई और छटपटाहट की उपेक्षा कर अपने यंत्रणा के हथियार को मेरी दर्द से भरी चूत में कुछ इंच और भीतर धकेल
दिया. मुझे अपनी चूत से एक गरम तरल द्रव की अविरल धारा बह कर मेरी गांड के ऊपर से बिस्तर पर इकट्ठी होती महसूस हुई.