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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
"अंजू भाभी, आप को तो सुबह जाने की तय्यारी करनी थी," मैं भी अंजू भाभी के साथ ज़ोर से लिपट गयी.

अंजू भाभी ने मुझे पलट कर पीठ पर सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट गयीं. उन्होंने ने मेरे होठों पर अपने गरम कोमल होंठ रख कर धीरे से फुसफुसाईं,"मेरी प्यारी और अत्यंत सुंदर नन्दरानी, तुम्हे प्यार से विदा किये बिना तो मैं नहीं जा सकती थी."


अंजू भाभी ने अपने जीभ से मेरे होंठों को खोलकर मेरे मूंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे मसूड़ों को प्यार से सहलाया.उनका मीठा थूक मेरे मूंह में बह रहा था. मैंने भी अपनी जीभ उनकी जीभ से भिड़ा दी.


अंजू भाभी ने मेरी टीशर्ट ऊपर कर मेरे फड़कते हुए मोटे पर अभी भी पूर्ण तरह से अविकसित स्तनों को उज्जागर कर दिया। उनका हाथ मेरे दोनों उरोजों को बारी बारी से लगा। मेरी सिसकारी भाभी के मुंह में समा गयी। उन्होंने मेरा एक स्तन अपने हाथ से मसलना शुरू कर दिया औए अपनी जीभ ज़ोर से मेरे मुंह में घुसेड़ने लगीं।

मेरी चूत मेरे रस से भर गयी और मेरा रस चूत से बहार निकल कर मेरी जांघों को भिगोना लगा।


अंजू भाभी के काफी लम्बे चुम्बन से मेरी सांस कामोन्माद से रुक-रुक कर आ रही थी. अंजू भाभी ने अंत में मुझे मुक्त कर दिया. मैंने भाभी की मीठी लार निगल कर नटखटपने से कहा, "आज क्या बात है, अप्सरा से भी सुंदर मेरी भाभी इस वक़्त नरेश भैया से नहीं चुद रहीं?" मैंने अपनी छोटी सी किशोर-उम्र में पहली बार अश्लील शब्द का उपयोग किया.


अंजू भाभी खिलखिला कर हंसी और मुझे जोर से चूमने के बाद बोलीं, "मेरी छोटी सी, गुड़िया जैसी प्यारी नन्द. आपके भैया मेरी चूत और गांड दोनों मारने के बाद सो गएँ हैं. मैंने उनसे तुम्हारे बारे में पूछ लिया है. तुम्हारे भैया ने सन्देश भेजा है की जब तुम्हारा मन चाहे वो अत्यंत खुशी से तुम्हारी चुदाई के लए तैयार हैं. मैं तुम्हे यह अकेले में बताना चाहती थी. तुम बस हमें फ़ोन कर देना. तुम्हारे भैया और मैं कुछ भी बहाना बना कर तुम्हे अपने पास बुला लेंगे."


मेरी चूत बिलकुल गीली हो गयी. मैंने भाभी को प्यार से चूमा, "अंजू भाभी, क्या मैं आपकी ताज़ी चुदी हुई चूत और गांड देख सकती हूँ?" मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अब कामेच्छा से इतनी प्रभावित हो चुकी थी कि अब मुझे भाभी से इस तरह की बातें करते हुए कोई शर्म नहीं आ रही थी.


भाभी ने हंसते हुए अपना साया ऊपर किया और दोनों घुटने मेरे सिर के दोनों तरफ रख कर अपनी घने घुंघराले झांटों से भरी सुगन्धित चूत को मेरे मूंह के ठीक ऊपर रख दिया. भाभी ने अपने हाथों से अपनी यौनी के फ़लकों को खोल कर मेरे सामने अपनी चूत का गुलाबी प्रवेश-मार्ग मेरे सामने कर दिया, "नेहा, यदी चाहो तो अपनी जीभ से अपने भैया के वीर्य का स्वाद चख सकती हो."


भाभी की चूत की नैसर्गिक सुगंध से मेरे होश गुम हो गए.

मेरी जीभ अपनी मर्ज़ी से भाभी की चूत के प्रवेश को धीरे से चाटने लगी. मुझे भाभी की चूत से तेज़, तीखा-मीठा स्वाद मिला. भाभी ने नीचे की तरफ ज़ोर लगाया मानो पखाना करना करना चाहतीं हों. उनकी खुशबू भरी चूत से धीरे-धीरे सफ़ेद, चिपचिपा लसदार पदार्थ बह कर मेरी जीभ पर ढलक गया. मैंने जल्दी से अपना मूंह बंद कर लिया. मेरे नरेश भैया का वीर्य, भाभी के रति-रस से मिलकर विचित्र पर मदहोश करने वाले स्वाद से मेरा मूंह भर गया.


भाभी बोलीं, "नेहा मैं तुम्हरे भैया के वीर्य के स्वाद की दासी बन चुकी हूँ. मैं कोशिश करती हूँ शायद मेरी गांड में से भी थोड़ा सा निकल जाये."

इससे पहले कि मैं कुछ भी बोल पाऊँ भाभी कि कोमल हल्की-भूरी गांड का छोटा सा छेद मेरे खुले मूंह पर था. भाभी ने अपने दोनों नाज़ुक छोटे-छोटे हाथों से अपने भारी, मुलायम, गुदाज़ नितिम्बों को फैला दिया. भाभी बड़ी सी सांस भर कर ज़ोर से अपनी गांड का छेद खोलने की कोशिश करने लगीं. उनकी गांड का छल्ला धीरे-धीरे खुलने लगा. मुझे उनके गांड के भीतर की सुगंध से मदहोशी होने लगी. कुछ देर में ही भैया का लसलसा वीर्य की एक छोटी सी धार भाभी की गांड से बह कर मेरे मूंह में गिर पडी. इस बार भैया के वीर्य में भाभी की गांड का स्वाद शामिल था. मैंने लोभी की तरह भैया का वीर्य सटक लिया.



अंजू भाभी की गांड का छल्ला मेरे मुंह के ऊपर खुल-बंद हो रहा था। उनकी गांड के अंदर की गुलाबी परत जब भाभी जोर लगा कर अपनी गांड खोलती थीं तो मुझे दिखने लगती थी। मेरे बिना सोचे समझे और किये मेरी जीभ स्वतः मेरे मुंह से निकल भाभी की गांड के फूले छल्ले को चूमने लगी अंजू भाभी की सितकारी निकल गयी, "आह, नेहा, तुमने ...... आह, .... नेहा फिर से मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटो।"


मैं गर्व से फूल गयी। मेरी जीभ ने अंजू भाभी को आनंद दिया इस बात से मैं उत्तेजित हो गयी। मैंने दोनों हाथों से भाभी के फूले बड़े मुलायम चौड़े चूतड़ पकड़ कर उनकी गांड को अपने मुंह के पास खींच लिया। मेरी जीभ ने उनके गांड के छिद्र को चाटना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब ऊंची होने लगीं।


मैंने उनकी फड़कती हुई गांड के छेड़ में अपनी जीभ की नोक अंदर डालने कोशिश शुरू कर दी। मेरी महनत का मुझे शीघ्र ही इनाम मिल गया। भाभी ने कराह कर अपनी गांड को ज़ोर लगा कर खोलनी की कोशिश की और मेरी तैयार जीभ उनकी गांड के अंदर समा गयी। मुझे उनकी गांड की मादक सुगंध तो पहले ही लुभा गयी थी अब उनकी गांड के अंदर का विचित्र स्वाद भी मुझे लुभाने लगा।


भाभी ने अपनी गांड धीरे धीरे मेरी जीभ के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया।

उनकी हर सिसकारी मुझे प्रोत्साहन दे रही थी। थोड़ी देर में अंजू भाभी करह आकर घुटी घुटी आवाज़ में बोलीं, "नेहा अब मेरी चूत चाटो। मुझे अपने मीठे मुंह से चूस कर झाड़ दो।"


भाभी के आदेश ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया। भाभी ने अपने चूतड़ हिला कर अपनी गीले घुंघराले रेशमी झांटों से ढकी योनी को मेरे मुंह के ऊपर सटा दिया। मैंने नादानी में उनकी सुगन्धित प्यारी चूत को अपने मुंह में भर कर कस कर चूम लिया। भाभी के गले से धीमी सी चीख निकल पड़ी। पहले तो मुझे लगा कि मैंने अपनी प्यारी सुंदर भाभी की चूत को चोट पहुंचा दी थी। पर जल्दी ही भाभी ने धीरे से कहा, " नेहा, तुम तो बहुत अच्छी चूत चूस रही हो। और ज़ोर से मेरी चूत चूसो। मेरी छूट को काट खाओ।


मैंने हिम्मत कर उनके मोटे, मुलायम ढीले लटके हुए गुलाबी भगोष्ठों को अपने मुंह में भर पहले तो धीरे धीरे से चूसा फिर भाभी की सिस्कारियां सुन कर मेरा साहस बड़ गया और मैंने भाभी के दोनों मोटे मुलायम भागोश्थों को अपने होंठों में दबा कर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब कराहट में बदल गयीं, "आह .. ने .. एहा ...ऐसे ही चूसो। और ज़ोर से नेहा। और ज़ोर चूस कर दर्द करो।मैं जल्दी से झड़ने वाली हूँ।"


अंजू भाभी की गांड का छल्ला मेरे मुंह के ऊपर खुल-बंद हो रहा था। उनकी गांड के अंदर की गुलाबी परत जब भाभी जोर लगा कर अपनी गांड खोलती थीं तो मुझे दिखने लगती थी। मेरे बिना सोचे समझे और किये मेरी जीभ स्वतः मेरे मुंह से निकल भाभी की गांड के फूले छल्ले को चूमने लगी अंजू भाभी की सितकारी निकल गयी, "आह, नेहा, तुमने ...... आह, .... नेहा फिर से मेरी गांड को अपनी जीभ से चाटो।"


मैं गर्व से फूल गयी। मेरी जीभ ने अंजू भाभी को आनंद दिया इस बात से मैं उत्तेजित हो गयी। मैंने दोनों हाथों से भाभी के फूले बड़े मुलायम चौड़े चूतड़ पकड़ कर उनकी गांड को अपने मुंह के पास खींच लिया। मेरी जीभ ने उनके गांड के छिद्र को चाटना शुरू कर दिया।

अंजू भाभी की सिस्कारियां अब ऊंची होने लगीं।


मैंने उनकी फड़कती हुई गांड के छेड़ में अपनी जीभ की नोक अंदर डालने कोशिश शुरू कर दी। मेरी महनत का मुझे शीघ्र ही इनाम मिल गया। भाभी ने कराह कर अपनी गांड को ज़ोर लगा कर खोलनी की कोशिश की और मेरी तैयार जीभ उनकी गांड के अंदर समा गयी। मुझे उनकी गांड की मादक सुगंध तो पहले ही लुभा गयी थी अब उनकी गांड के अंदर का विचित्र स्वाद भी मुझे लुभाने लगा।


भाभी ने अपनी गांड धीरे धीरे मेरी जीभ के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया।

उनकी हर सिसकारी मुझे प्रोत्साहन दे रही थी। थोड़ी देर में अंजू भाभी करह आकर घुटी घुटी आवाज़ में बोलीं, "नेहा अब मेरी चूत चाटो। मुझे अपने मीठे मुंह से चूस कर झाड़ दो।"


भाभी के आदेश ने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया। भाभी ने अपने चूतड़ हिला कर अपनी गीले घुंघराले रेशमी झांटों से ढकी योनी को मेरे मुंह के ऊपर सटा दिया। मैंने नादानी में उनकी सुगन्धित प्यारी चूत को अपने मुंह में भर कर कस कर चूम लिया। भाभी के गले से धीमी सी चीख निकल पड़ी। पहले तो मुझे लगा कि मैंने अपनी प्यारी सुंदर भाभी की चूत को चोट पहुंचा दी थी। पर जल्दी ही भाभी ने धीरे से कहा, " नेहा, तुम तो बहुत अच्छी चूत चूस रही हो। और ज़ोर से मेरी चूत चूसो। मेरी छूट को काट खाओ।


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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 02:47 PM



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