08-01-2020, 02:43 PM
बड़े मामा ने ने मेरे गाल पर चुम्मी दे कर मेरी कुर्सी को पीछे खींच कर मुझे जाने की जगह दे दी। मेरे परिवार में सब लोग मुझे प्यार से कभी भी चूम लेते थे। पर अब मेरे दिल में बड़े मामा से चुदवाने की वासना का चोर बैठ गया था। मेरा मुंह शर्म से लाल हो गया। मई जल्दी से अपने कमरे की तरफ चल पड़ी।
मैंने अपने कुर्ते को अपनी कमर के इर्द-गिर्द खींच लिया। मैं मुश्किल से अपनी सलवार के नाड़े को खोल कर कमोड के अपर बैठने वाली थी की बड़े मामा ने स्नानगृह में प्रविष्ट हो कर मेरे गले से आश्चर्य की घुट्टी घुट्टी चीख निकाल दी, "बड़े मामा आप यहाँ**क्या कर रहें है। किसी* को पता चल गया तो?"
मैं बड़े मामा के अनपेक्षित आगमन के प्रभाव से भूल गयी थी की मेरी सलवार खुली हुई थी।
"हम अपनी नेहा बेटी को पेशाब करते देखने के लिए आयें हैं," बड़े मामा के चेहरे पर मासूमियत भरी मुस्कान थी।
"बड़े मामा आप भी कैसे ...मुझे कितनी घबराहट हो रही है," मेरा पेशाब करने की तीव्र इच्छा गायब हो गयी।
"बेटा, पेशाब करने में क्या घबराहट?" बड़े मामा ने मेरी उलझन को नाज़रंदाज़ कर दिया।
मैं भी उनकी शरारत भरे व्यवहार से मचल उठी, "आप कितने शैतान हैं, बड़े मामा?"
बड़े मामा अब तक फर्श पर बैठ गए थे। उन्होंने धीरे से मेरी सलवार मेरे हाथों से ले कर मेरी भरी-भरी टांगों को निवस्त्र कर दिया।
उन्होंने मेरी सलवार के अगले भाग को बड़े प्यार से सूंघा। मैं खिलखिला के हंस पड़ी।
"बड़े मामा हमें आपके सामने सू-सू करते हुए शर्म आएगी," मेरा मुंह शर्म से लाल होने लगा।
"नेहा बेटी, यदि मेरे सामने में पेशाब करने से इतनी उलझन होती है तो मुझसे अपनी चूत कैसे चुदवाओगी?" बड़े मामा अब अश्लील शब्दों का इस्तेमाल कर मेरी वासना को भड़काने के विशेषज्ञ हो गए थे।
मेरी साँसे तेज़-तेज चलने लगीं। मेरे हृदय की धड़कन पूरे स्नानघर में गूंजने लगीं। बड़े मामा ने मेरी कच्छी के सामने गीले दाग को घूर कर देखा। उनकी उंगलियाँ मेरी कच्छी के कमरबंद में फँस गयीं। मैं अब अपने आप को निसहाय महसूस करने लगी। मुझे बचपन से बड़ों के ऊपर अपनी जिम्मेदारी छोड़ने की आदत की वजह से मुझे बड़े मामा की हर इच्छा स्वीकार थी।
बड़े मामा ने मेरी कच्छी उतार कर उसके गीली भाग को अपने मुंह पर रख कर एक गहरी सांस ले कर प्यार से सूंघा। मैं ना चाहते हुए भी मुस्करा उठी और मेरी चूत फिर से रस से भर गयी।
"बड़े मामा, आप कितने गंदे हैं। मेरी गंदी कच्छी को क्यों सूंघ रहे हैं?" मैंने इठला कर बड़े मामा की ओर प्यार से देखा। उनके मेरी कच्छी को सूंघने से मेरी योनि में एक तूफ़ान सा भर उठा।
"बेटा, बहुत ही कम सौभाग्यशाली पिता को अपनी कुंवारी बेटी के चूतरस को सूंघने और चखने का सौभाग्य मिलता है। आप मेरी बेटी की तरह हो। मैं इस अवसर हाथ से जाने थोड़े ही दूंगा!" बड़े मामा ने मेरी कच्छी के गीले भाग को अपनी जीभ से चाट कर मुंह में भर लिया।
मैं वासना के ज्वार से कांप उठी।
बड़े मामा ने मेरी कच्छी को अपने कुर्ते की जेब में रख लिया।
"नेहा बेटा, मैं आपको पेशाब करते हुए देखने के लए बहुत ही उत्सुक हूँ।" बड़े मामा का मुंह मेरी गीली, रस से भरी चूत से थोड़ी ही दूर था।
मैं शर्म से लाल हो गयी। मुझे अपने बड़े मामा के सामने मूतने में बड़ी शर्म आ रही थी। बड़े मामा ने मेरे चूत को धीरे धीरे अपनी उँगलियों से सहलाना शुरू कर दिया। उनकी उंगली जैसे ही मेरे मूत्र-छिद्र पर पहुँची मेरा पेशाब करने की इच्छा फिर से तीव्र हो गयी।
"बड़े मामा, मेरा पेशाब लिकने वाला है," मैं बिना जाने पहली बार सू-सू के जगह पेशाब शब्द का इस्तेमाल किया।
बड़े मामा ने फुसफुसा कर कहा, "बेटा, मैं आपके पेशाब की मीथी सुंगंधित धार का इंतज़ार कर रहा हूँ।"
मेरा मूत्राशय पूरा भरा हुआ था और अब मैं उसे बिलकुल भी रोक नहीं सकती थी।
मैंने अपने मूत्राशय को खोल दिया और मेरे छोटे से मुत्रछिद्र से एक झर्झर करती पेशाब की निकल पड़ी। मेरे सुनहरे गर्म पेशाब की गंध सस्नानगृह में फ़ैल गयी।
बड़े मामा का हाथ मेरे मूत्र की धार में था और पूरा मेरे पेशाब से भीग गया। बड़े मामा मेरी जांघें फैला कर मेरी मूतती हुई चूत को एकटक निहारने लगे। बड़े मामा ने अपना मेरे पेशाब से भीगे हाथ को प्यार से चाटा। मैं अब इतनी वासना की आंधी में उलझ गयी थी की मुझे बड़े मामा का मेरा पेशाब चाटना बुरा नहीं लगा। बड़े मामा ने अपना हाथ कई बार मेरे पेशाब में भिगो कर अपने मुंह से चाटा।
अंततः मेरे पेशाब की धार हल्की होने लगी। बड़े मामा ने गहरी सांस ले कर मेरे पेशाब की गंध को सूंघा। मैं हमेशा अपने पेट को कस कर जितना भी मूत्राशय में सू-सू बचा होता है उसे निकाल लेती हूँ। उस दिन मैंने जब अपने मूत्राशय को दबाया तो मेरी बचे हुए पेशाब की धार बड़ी ऊंची हो गयी और बड़े मामा के मुंह पर गिर पड़ी। बड़े मामा का मुंह मेरे पेशाब से भीग गया। बड़े मामा को बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आखिरकार मेरा मूत्राशय खाली हो गया। बड़े मामा ने बड़े प्यार से मेरी पेशाब से गीली चूत को चूम लिया।
मैंने अपने कुर्ते को अपनी कमर के इर्द-गिर्द खींच लिया। मैं मुश्किल से अपनी सलवार के नाड़े को खोल कर कमोड के अपर बैठने वाली थी की बड़े मामा ने स्नानगृह में प्रविष्ट हो कर मेरे गले से आश्चर्य की घुट्टी घुट्टी चीख निकाल दी, "बड़े मामा आप यहाँ**क्या कर रहें है। किसी* को पता चल गया तो?"
मैं बड़े मामा के अनपेक्षित आगमन के प्रभाव से भूल गयी थी की मेरी सलवार खुली हुई थी।
"हम अपनी नेहा बेटी को पेशाब करते देखने के लिए आयें हैं," बड़े मामा के चेहरे पर मासूमियत भरी मुस्कान थी।
"बड़े मामा आप भी कैसे ...मुझे कितनी घबराहट हो रही है," मेरा पेशाब करने की तीव्र इच्छा गायब हो गयी।
"बेटा, पेशाब करने में क्या घबराहट?" बड़े मामा ने मेरी उलझन को नाज़रंदाज़ कर दिया।
मैं भी उनकी शरारत भरे व्यवहार से मचल उठी, "आप कितने शैतान हैं, बड़े मामा?"
बड़े मामा अब तक फर्श पर बैठ गए थे। उन्होंने धीरे से मेरी सलवार मेरे हाथों से ले कर मेरी भरी-भरी टांगों को निवस्त्र कर दिया।
उन्होंने मेरी सलवार के अगले भाग को बड़े प्यार से सूंघा। मैं खिलखिला के हंस पड़ी।
"बड़े मामा हमें आपके सामने सू-सू करते हुए शर्म आएगी," मेरा मुंह शर्म से लाल होने लगा।
"नेहा बेटी, यदि मेरे सामने में पेशाब करने से इतनी उलझन होती है तो मुझसे अपनी चूत कैसे चुदवाओगी?" बड़े मामा अब अश्लील शब्दों का इस्तेमाल कर मेरी वासना को भड़काने के विशेषज्ञ हो गए थे।
मेरी साँसे तेज़-तेज चलने लगीं। मेरे हृदय की धड़कन पूरे स्नानघर में गूंजने लगीं। बड़े मामा ने मेरी कच्छी के सामने गीले दाग को घूर कर देखा। उनकी उंगलियाँ मेरी कच्छी के कमरबंद में फँस गयीं। मैं अब अपने आप को निसहाय महसूस करने लगी। मुझे बचपन से बड़ों के ऊपर अपनी जिम्मेदारी छोड़ने की आदत की वजह से मुझे बड़े मामा की हर इच्छा स्वीकार थी।
बड़े मामा ने मेरी कच्छी उतार कर उसके गीली भाग को अपने मुंह पर रख कर एक गहरी सांस ले कर प्यार से सूंघा। मैं ना चाहते हुए भी मुस्करा उठी और मेरी चूत फिर से रस से भर गयी।
"बड़े मामा, आप कितने गंदे हैं। मेरी गंदी कच्छी को क्यों सूंघ रहे हैं?" मैंने इठला कर बड़े मामा की ओर प्यार से देखा। उनके मेरी कच्छी को सूंघने से मेरी योनि में एक तूफ़ान सा भर उठा।
"बेटा, बहुत ही कम सौभाग्यशाली पिता को अपनी कुंवारी बेटी के चूतरस को सूंघने और चखने का सौभाग्य मिलता है। आप मेरी बेटी की तरह हो। मैं इस अवसर हाथ से जाने थोड़े ही दूंगा!" बड़े मामा ने मेरी कच्छी के गीले भाग को अपनी जीभ से चाट कर मुंह में भर लिया।
मैं वासना के ज्वार से कांप उठी।
बड़े मामा ने मेरी कच्छी को अपने कुर्ते की जेब में रख लिया।
"नेहा बेटा, मैं आपको पेशाब करते हुए देखने के लए बहुत ही उत्सुक हूँ।" बड़े मामा का मुंह मेरी गीली, रस से भरी चूत से थोड़ी ही दूर था।
मैं शर्म से लाल हो गयी। मुझे अपने बड़े मामा के सामने मूतने में बड़ी शर्म आ रही थी। बड़े मामा ने मेरे चूत को धीरे धीरे अपनी उँगलियों से सहलाना शुरू कर दिया। उनकी उंगली जैसे ही मेरे मूत्र-छिद्र पर पहुँची मेरा पेशाब करने की इच्छा फिर से तीव्र हो गयी।
"बड़े मामा, मेरा पेशाब लिकने वाला है," मैं बिना जाने पहली बार सू-सू के जगह पेशाब शब्द का इस्तेमाल किया।
बड़े मामा ने फुसफुसा कर कहा, "बेटा, मैं आपके पेशाब की मीथी सुंगंधित धार का इंतज़ार कर रहा हूँ।"
मेरा मूत्राशय पूरा भरा हुआ था और अब मैं उसे बिलकुल भी रोक नहीं सकती थी।
मैंने अपने मूत्राशय को खोल दिया और मेरे छोटे से मुत्रछिद्र से एक झर्झर करती पेशाब की निकल पड़ी। मेरे सुनहरे गर्म पेशाब की गंध सस्नानगृह में फ़ैल गयी।
बड़े मामा का हाथ मेरे मूत्र की धार में था और पूरा मेरे पेशाब से भीग गया। बड़े मामा मेरी जांघें फैला कर मेरी मूतती हुई चूत को एकटक निहारने लगे। बड़े मामा ने अपना मेरे पेशाब से भीगे हाथ को प्यार से चाटा। मैं अब इतनी वासना की आंधी में उलझ गयी थी की मुझे बड़े मामा का मेरा पेशाब चाटना बुरा नहीं लगा। बड़े मामा ने अपना हाथ कई बार मेरे पेशाब में भिगो कर अपने मुंह से चाटा।
अंततः मेरे पेशाब की धार हल्की होने लगी। बड़े मामा ने गहरी सांस ले कर मेरे पेशाब की गंध को सूंघा। मैं हमेशा अपने पेट को कस कर जितना भी मूत्राशय में सू-सू बचा होता है उसे निकाल लेती हूँ। उस दिन मैंने जब अपने मूत्राशय को दबाया तो मेरी बचे हुए पेशाब की धार बड़ी ऊंची हो गयी और बड़े मामा के मुंह पर गिर पड़ी। बड़े मामा का मुंह मेरे पेशाब से भीग गया। बड़े मामा को बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आखिरकार मेरा मूत्राशय खाली हो गया। बड़े मामा ने बड़े प्यार से मेरी पेशाब से गीली चूत को चूम लिया।