08-01-2020, 02:43 PM
उस सारा दिन मेरी हालत कामुकता से अभिभूत और व्याकुल रही. बड़े मामा ने मेरी हालत और खराब करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा. उन्हें जब भी मुझे अकेले पाने का मौका मिलता वो मुझे अपनी शक्तिशाली बाँहों में जकड़ कर चुमते, मेरे दोनों चूतड़ों और उरोजों अपने मज़बूत बड़े-बड़े हाथों से दबा कर ज़ोरों से मसल देते थे.
अब मैं सारा दिन उनसे मिलने से घबराती थी और बेसब्री से उनसे मिलने की इच्छा से व्याकुल भी रहती थी.
शाम को खाने के ठीक बाद अंजू भाभी और नरेश भैया ने अपने शहर वापस जाने की तय्यारी की वजह से जल्दी खाने की मेज़ छोड़ने की क्षमा-प्रार्थना के बाद सुबह-सवेरे जल्दी प्रस्थान की योजना के लिए अपने कमरे की तरफ चल दिए.
बड़े मामा ने सारे परिवार को गोल्फ खेलने के लिए उत्साहित किया. नानाजी ने अपनी विशाल जागीर पर एक '१८ होल' का 'गोल्फ कोर्स' के अलावा ४ तरण ताल, ३ टेनिस, ४ बैडमिंटन कोर्ट्स भी बनवाये थे.
सब लोगों को गोल्फ का विचार बहुत अच्छा लगा. सारे दो खिलाड़ियों की टीम बनाने में व्यस्त हो गए. मेरे पापा ने मेरी दादीजी के साथ जोड़ा बनाया. छोटे मामा ने मेरी मम्मी, अपनी छोटी बहन, के साथ टीम बनाई. मेरी बुआ, पापा की बड़ी बहन, अपने डैडी, मेरे दादाजी, के साथ जुड़ गयीं.
बड़े मामा जल्दी से मेरे पीछे आ कर खड़े हो गए और प्यार से मेरे कन्धों पर अपने भारी विशाल हाथ रख कर हम दोनों की जोड़ी की घोषणा कर दी. मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगा. गोल्फ के खेल के लिए जोड़े बनाने की गहमा-गहमी के बाद बड़े मामा मेरे पास की कुर्सी पर बैठ गए.
थोड़ी देर में जब सब मीठा और चाय या कॉफ़ी का आनंद उठा रहें थे, नौकर ने आ कर बड़े मामा को उनके करीबी दोस्त शर्माजी के टेलीफ़ोन काल की सूचना दी. बड़े मामा ने मेरी दायीं जांघ को जोर से दबाया और मेरी तरफ प्यार से मुस्करा कर फ़ोन-कॉल लेने के लिए बाहर चल गए.
थोड़ी देर में बड़े मामा वापस आ कर मेरे पास कुर्सी पर बैठ गए. उनका हाथ मेजपोश के नीचे फिर से मेरी जांघ पर पहुँच गया.
"भई, मुझे आप सब से माफी मंगनी पड़ेगी. सुरेश [सुरेश शर्मा, बड़े मामा के बहुत करीबे दोस्त थे] के साथ मैंने मछ्ली पकड़ने का वादा किया था कुछ महीनों पहले जो मैं बिलकुल भूल गया. वो बेचारा सुबह झील के बंगले पर पहुँचाने वाला है. नम्रता भाभी [सुरेश अंकल की पत्नी] भी आ रहीं हैं."
मेज़ से 'आह नहीं' , 'सो सैड' 'नहीं आपको अपना वादा निभाना चाहिये' की आवाजें उठीं.
बड़े मामा ने मेरी जांघ दबाई और बोले, "मेरी जोड़ी का खिलाड़ी तो बेचारी अकेली रह जायेगी," फिर मामाजी ने मेरी तरफ मुड़ कर कहा, "नेहा बेटा, नम्रता भाभी आपकी काफी याद कर रहीं थीं. आप चाहो तो मेरे साथ झील की तरफ चल सकते हैं."
मुझे अब सब समझ आ गया. मेरे चेहरा एक आनंद भरी मुस्कान से चमक गया," हाँ! हाँ!, बिलकुल बड़े मामा. मुझे झील पर जाना बहुत अच्छा लगता है. मैं सुरेश अंकल और नम्रता आंटी से बड़ी दिनों से नहीं मिली हूँ. मम्मी क्या मैं कल बड़े मामा के साथ चली जाऊं?"
मैं भी बड़े मामा की योजना में पूरे उत्साह से सहयोग देने लगी.
मम्मी ने हंस कर कहा,"नेहा तुम और तुम्हारे बड़े मामा के बीच में पड़ने वाली मैं कौन होतीं हूँ ? "
बड़े मामा ने मेरे बालों को प्यार से चूमा, "नेहा बेटा, हम लोग सुबह जल्दी निकलेंगे. वापसी या तो परसों अन्यथा उसके एक दिन बाद होगी. इस बात का सुरेश की बिज़नस एमरजेंसी पर निर्भर करता है. आप कम से कम तीन दिनों के कपड़े रख लो."
मेरा गला रोमांच और उत्तेजना से बिलकुल सूख गया. मेरे आवाज़ नहीं निकल पा रही थी. मैंने चुपचाप मुस्करा के हामी में सिर हिला दिया.
बड़े मामाजी के साथ तीन दिन और दो रातों के ख़याल से मेरा सारा शरीर रोमांचित हो गया.
सब लोग शीघ्र ही फिर से वार्तालाप में व्यस्त हो गए। मामा का बड़ा भारी मर्दाना हाथ अभी भी मेरी मोटी गुदाज़ जांघ पर रखा हुआ था। उन्होंने मेरी जांघ को धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया। मेरी साँस मानो गले में अटक गयी। मैंने घबरा के अपने परिवार ले सदस्यों के चेहरों की तरफ देखा। सब मामा और मेरे बीच होती रास-लीला से अनभिज्ञ थे।
मामा के जादू भरे हाथ ने मेरी छूट को रस से भर दिया। मुझे लगा की मेरा पेशाब निकलने वाला है। मैं शौचालय की तरफ के तरफ जाने के लए उठने लगी।
मामा जी ने धीरे से पूछा, "क्या हुआ बेटा?"
"मामाजी मुझे सू-सू करने जाना है।" मैंने पेशाब के लिए बचपन के नाम का उपयोग किया।
अब मैं सारा दिन उनसे मिलने से घबराती थी और बेसब्री से उनसे मिलने की इच्छा से व्याकुल भी रहती थी.
शाम को खाने के ठीक बाद अंजू भाभी और नरेश भैया ने अपने शहर वापस जाने की तय्यारी की वजह से जल्दी खाने की मेज़ छोड़ने की क्षमा-प्रार्थना के बाद सुबह-सवेरे जल्दी प्रस्थान की योजना के लिए अपने कमरे की तरफ चल दिए.
बड़े मामा ने सारे परिवार को गोल्फ खेलने के लिए उत्साहित किया. नानाजी ने अपनी विशाल जागीर पर एक '१८ होल' का 'गोल्फ कोर्स' के अलावा ४ तरण ताल, ३ टेनिस, ४ बैडमिंटन कोर्ट्स भी बनवाये थे.
सब लोगों को गोल्फ का विचार बहुत अच्छा लगा. सारे दो खिलाड़ियों की टीम बनाने में व्यस्त हो गए. मेरे पापा ने मेरी दादीजी के साथ जोड़ा बनाया. छोटे मामा ने मेरी मम्मी, अपनी छोटी बहन, के साथ टीम बनाई. मेरी बुआ, पापा की बड़ी बहन, अपने डैडी, मेरे दादाजी, के साथ जुड़ गयीं.
बड़े मामा जल्दी से मेरे पीछे आ कर खड़े हो गए और प्यार से मेरे कन्धों पर अपने भारी विशाल हाथ रख कर हम दोनों की जोड़ी की घोषणा कर दी. मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़कने लगा. गोल्फ के खेल के लिए जोड़े बनाने की गहमा-गहमी के बाद बड़े मामा मेरे पास की कुर्सी पर बैठ गए.
थोड़ी देर में जब सब मीठा और चाय या कॉफ़ी का आनंद उठा रहें थे, नौकर ने आ कर बड़े मामा को उनके करीबी दोस्त शर्माजी के टेलीफ़ोन काल की सूचना दी. बड़े मामा ने मेरी दायीं जांघ को जोर से दबाया और मेरी तरफ प्यार से मुस्करा कर फ़ोन-कॉल लेने के लिए बाहर चल गए.
थोड़ी देर में बड़े मामा वापस आ कर मेरे पास कुर्सी पर बैठ गए. उनका हाथ मेजपोश के नीचे फिर से मेरी जांघ पर पहुँच गया.
"भई, मुझे आप सब से माफी मंगनी पड़ेगी. सुरेश [सुरेश शर्मा, बड़े मामा के बहुत करीबे दोस्त थे] के साथ मैंने मछ्ली पकड़ने का वादा किया था कुछ महीनों पहले जो मैं बिलकुल भूल गया. वो बेचारा सुबह झील के बंगले पर पहुँचाने वाला है. नम्रता भाभी [सुरेश अंकल की पत्नी] भी आ रहीं हैं."
मेज़ से 'आह नहीं' , 'सो सैड' 'नहीं आपको अपना वादा निभाना चाहिये' की आवाजें उठीं.
बड़े मामा ने मेरी जांघ दबाई और बोले, "मेरी जोड़ी का खिलाड़ी तो बेचारी अकेली रह जायेगी," फिर मामाजी ने मेरी तरफ मुड़ कर कहा, "नेहा बेटा, नम्रता भाभी आपकी काफी याद कर रहीं थीं. आप चाहो तो मेरे साथ झील की तरफ चल सकते हैं."
मुझे अब सब समझ आ गया. मेरे चेहरा एक आनंद भरी मुस्कान से चमक गया," हाँ! हाँ!, बिलकुल बड़े मामा. मुझे झील पर जाना बहुत अच्छा लगता है. मैं सुरेश अंकल और नम्रता आंटी से बड़ी दिनों से नहीं मिली हूँ. मम्मी क्या मैं कल बड़े मामा के साथ चली जाऊं?"
मैं भी बड़े मामा की योजना में पूरे उत्साह से सहयोग देने लगी.
मम्मी ने हंस कर कहा,"नेहा तुम और तुम्हारे बड़े मामा के बीच में पड़ने वाली मैं कौन होतीं हूँ ? "
बड़े मामा ने मेरे बालों को प्यार से चूमा, "नेहा बेटा, हम लोग सुबह जल्दी निकलेंगे. वापसी या तो परसों अन्यथा उसके एक दिन बाद होगी. इस बात का सुरेश की बिज़नस एमरजेंसी पर निर्भर करता है. आप कम से कम तीन दिनों के कपड़े रख लो."
मेरा गला रोमांच और उत्तेजना से बिलकुल सूख गया. मेरे आवाज़ नहीं निकल पा रही थी. मैंने चुपचाप मुस्करा के हामी में सिर हिला दिया.
बड़े मामाजी के साथ तीन दिन और दो रातों के ख़याल से मेरा सारा शरीर रोमांचित हो गया.
सब लोग शीघ्र ही फिर से वार्तालाप में व्यस्त हो गए। मामा का बड़ा भारी मर्दाना हाथ अभी भी मेरी मोटी गुदाज़ जांघ पर रखा हुआ था। उन्होंने मेरी जांघ को धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया। मेरी साँस मानो गले में अटक गयी। मैंने घबरा के अपने परिवार ले सदस्यों के चेहरों की तरफ देखा। सब मामा और मेरे बीच होती रास-लीला से अनभिज्ञ थे।
मामा के जादू भरे हाथ ने मेरी छूट को रस से भर दिया। मुझे लगा की मेरा पेशाब निकलने वाला है। मैं शौचालय की तरफ के तरफ जाने के लए उठने लगी।
मामा जी ने धीरे से पूछा, "क्या हुआ बेटा?"
"मामाजी मुझे सू-सू करने जाना है।" मैंने पेशाब के लिए बचपन के नाम का उपयोग किया।