08-01-2020, 02:39 PM
बड़े मामा ने मुझे घास पर खड़ा कर दिया. मैं गुस्से से बोली, "बड़े मामा, आप को पता था कि वो लड़की मैं थी."
बड़े मामा ने मुस्करा कर सिर हिलाया, "नेहा बेटी, तुम्हारी सुंदरता और प्यार ने मुझे बिलकुल निस्सहाय कर दिया. मनू की खिड़की के पास तुम्हे देख कर मुझसे और बर्दाश्त नहीं हुआ."
मेरा दीमाग गुस्से से और इस नयी स्थिती से ठीक से सोच नहीं पा रहा था. मैं बड़े मामा की तरफ कमर कर खड़ी हो गयी. इस से पहले मैं कुछ बोल पाऊँ,बड़े मामा ने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़. उनके दोनों हाथों ने मेरे दोनों बड़े-बड़े उरोजों को ढक लिया. बड़े मामा ने धीरे-धीरे मेरे उरोजों को सहलाना शुरू कर दिया.
मेरी चूत में पानी भर गया. मेरा दिमाग ने बड़े मामा के हाथों के जादू के प्रभाव में नियंत्रण खो दिया. मेरी सोच-समझने की क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो गयी. रही सही कसर बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को अपने बड़े-बड़े हाथों में दबा कर मुझे अपनी विशाल शरीर से भींच कर पूरी कर दी. मेरी साँसों में तूफान आ गया. बड़े मामा अपनी भरी पर प्यार भरी आवाज़ में बोले, "नेहा बेटा, यदि तुम्हें मनू की खिड़की के सामने पता होता कि वो आदमी मैं था तो फिर सब ठीक था? फिर तुम्हे यह सब स्वीकार होता?"
बड़े मामा के तर्क ने मुझे लाजवाब कर दिया और मैं अवाक रह गयी. बड़े मामा ने मुझे बचपन से अब की तरुणावस्था तक हमेशा अपनी बच्ची की तरह से प्यार किया था.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को अभिव्यक्त कर पाई, "बड़े मामा, मैं तो आपकी बेटी की तरह… आपकी अकेली बहन की बेटी,….भांजी हूँ."
बड़े मामा ने मेरे बालों पर प्यार से चुम्बन दिया, उनके हाथ मेरे चूचियों पर और भी कस गए,"नेहा बेटा, मैं तुम्हारे अप्सरा जैसे स्वरुप से मुग्ध सम्पूर्ण रूप से विमोह में हूँ. यदि तुम चाहो तो इसे बुद्धिलोप कह सकती हो. अब मैं तुम्हरी चूत का ख्याल अपने दिमाग से नहीं निकाल सकता. मुझे तुम्हे चोदे बिना चैन नहीं पडेगा."
मेरी सांस रुक-रुक आ रही थी. मेरे मस्तिष्क में विपरीत विचार मुझे दोनो तरफ खींच रहे थे.
"बड़े मामा, प्लीज़, मुझे थोडा समय दीजिये.मैं अभी बहुत उलझन में हूँ." मेरी आवाज़ से स्पष्ट था कि मैं रोने वाली थी.
बड़े मामा का, जो हमेशा से मेरे*पिता तुल्य थे,पितृवत् प्यार उनकी मेरे ऊपर कामलिप्सा से बहुत बलवान था. उन्होंने मुझे अपने बाँहों में उठा कर अपने गले से लगा लिया.मैं उनके गले को अपनी बाँहों से ज़क्कड़ किया और जोर से रोने लगी. मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी. बड़े मामा ने मुझे अपने से िचपका कर मेरे कमरे की तरफ चल पड़े.
कमरे में उन्होंने मुझे धीरे और प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया. मैं अभी भी ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी. बड़े मामा भी बिस्तर में मेरे साथ लेट गए. मैंने उनकी तरफ पलट कर उन्हें अपनी बाँहों में भर उनसे लिपट गयी.
मैं बहुत देर तक रोती रही. बड़े मामा प्यार से मेरे बालों को सहलाते रहे. आखिर कर मैंने रोना बंद किया.
बड़े मामा ने मुझे सीधा लिटा कर अपना सिर अपने हाथ पर टिका कर प्यार से एकटक मेरे आंसू से मलिन चेहरे को देख रहे थे.
उनकी प्यार भरी आँखों में अपनी आँखे डालने के बाद मेरे चेहरे पर मुस्कराहट अपने आप आ गयी. मुझे अब पता चला कि मेरे बेतहाँ रोने से मेरी नाक भी बह रही थी.
बड़े मामा ने मेरी सूजी हुई आँखों को प्यार से चूमा. फिर उन्होंने मेरे पूरे मलिन चेहरे को अपने होठों और जीभ से बड़े प्यार से साफ़ कर दिया.
बड़े मामा ने अपनी जीभ से मेरी सुंदर नाक चूम और चाट कर साफ़ की. फिर उन्होंने अपनी झीभ की नोंक मेरी दोनों नथुनों के अंदर बारी-बारी से डाल कर मेरे नथुनों को साफ़ कर दिया. मैं अब खिलखिला कर हंस रही थी.
बड़े मामा ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर धीरे-धीरे मेरे बालों को सहला कर सुला दिया. मुझे तो बहुत बाद में पता चला. बड़े मामा, जब मैं सो गयी, तो काफी देर तक मुझे सोते हुए देखते रहे. उनको मेरी गहरी नींद में मेरी ज़ोर की साँसें और मृदु खर्राटें सुन कर आत्मिक प्रसन्नता मिली.
मैं सुबह देर से ऊठी. मेरा मन बिस्तर से निकलने का नहीं हुआ. मैं जगी हुई बिस्तर में लेटी रही. करीब नौ बजे होंगे जब अंजू भाभी मेरे कमरे में मुस्कुराती हुईं दाखिल हुईं. वो अभी भी रात के गाउन में थीं. उन्हें देख कर मेरा चेहरा खिल ऊठा.
"नेहा, अभी तक बिस्तर में हो? क्या मुझे निमंत्रण दे रही हो? यदी चाहो तो मैं तुम्हारे जैसे प्यारी सुंदर नन्द को बहुत प्यार कर सकती हूँ. पर मेरा विचार है कि तुम्हे एक औरत की चूत नहीं एक बड़े मर्द का विशाल लंड चाहियें," अंजू भाभी ने हमेशा कि तरह अश्लील भाषा में मज़ाक करने शुरू कर दिए.
अंजू भाभी जल्दी से मेरे साथ बिस्तर में घुस गयीं. उन्होंने गाऊन के नीचे कोई ब्रा और जांघिया नहीं पहन रखा था.
अंजू भाभी ने मुझे अपने बाँहों में भर लिया. उन्होंने फिर बहुत प्यार से मेरे मूंह का चुम्बन लिया. अंजू भाभी भी अभी-अभी बिस्तर से निकली थीं और उन्होंने सुबह-सवेरे की कोई सफाई नहीं की थी. उनके मूंह में, मेरे मूंह के जैसे, रात के सोने बाद का मीठी सुगंध और मीठा स्वाद था.
"नेहा, क्या तुमने मनू को नीलम कि चुदाई करते हुई देखा?" अंजू भाभी सर्वज्ञ मालूम होतीं थीं.
मैंने शर्म से भरे लाल चेहरे से मनू भैया और नीलम भाभी के पहली चुदाई का विस्तृत रूप से वर्णन दिया. मैंने बड़े मामा से मिलने का कोई संकेत नहीं दिया. अंजू भाभी ने मुझे न जाने कितनी बार मुझे होठों पर चुम्बन दिया.
"नेहा, क्या तुम्हारा दिल नहीं करता, एक मूसल जैसे बड़े लंड से चुदवाने का?" अंजू भाभी हमेशा से मेरे साथ अश्लील, सम्भोग की बातें करती थीं.
मेरे चेहरे पर रात की बात याद आते ही शायद थोड़ी सी उदासी छा गयी थी. मैंने धीरे से सिर हिला कर हांमी भर दी.
"नेहा, जब तुम चाहो मुझे बता देना. मैं तुम्हारे नरेश भैया से तुम्हारी चुदाई का इंतज़ाम करवा दूंगीं."
नेहा के आखें बहर निकल पड़ीं, "भाभी, क्या कह रही हो? भैया और मैं एक दुसरे को चोदेंगें*?"
अंजू भाभी ने प्यार से मेरी नाक के ऊपर चुम्बन दिया,"बहन-भाई, यह सब बकवास है. यह पिछड़े हुए दकियानूसी रुकावटें है प्यार के रास्ते मैं. यदि मैं अपने सिर्फ अपने भाई से ही शादी करना चाहती तो यह समाज मुझे रोक सकता था? नहीं. मैं और मेरे भैया दूर कहीं जा कर अपनी गृहस्थी बसा लेते. जैसे मैंने पहले बोला, नेहा, समाज के प्रतिबन्ध केवल बेवकूफ लोगों के लिये होतें हैं."
अंजू भाभी ने मेरी पूरे नाक अपने मूंह में लेकर बड़े प्यार से उसे चूसा. फिर अपनी जीभ मेरे दोनों नथुनों में डाल कर अपने थूक से मेरी नाक भर दी. मैं खिलखिला कर हंस रही थी.
"नेहा, सच में. जब तुम तैयार हो मुझे बता देना. तुम्हारे नरेश भैया अपने को खुशकिस्मत समझेंगें यदि तुम उनसे अपनी चूत मरवाने का निर्णय करोगी." अंजू भाभी ने मुझे प्यार से चूमा और नाश्ते के लिए तैयार होने के लिये कह कर खुद तैयार होने के लिए अपने बंगले की तरफ चल दीं.
*********
बड़े मामा ने मुस्करा कर सिर हिलाया, "नेहा बेटी, तुम्हारी सुंदरता और प्यार ने मुझे बिलकुल निस्सहाय कर दिया. मनू की खिड़की के पास तुम्हे देख कर मुझसे और बर्दाश्त नहीं हुआ."
मेरा दीमाग गुस्से से और इस नयी स्थिती से ठीक से सोच नहीं पा रहा था. मैं बड़े मामा की तरफ कमर कर खड़ी हो गयी. इस से पहले मैं कुछ बोल पाऊँ,बड़े मामा ने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़. उनके दोनों हाथों ने मेरे दोनों बड़े-बड़े उरोजों को ढक लिया. बड़े मामा ने धीरे-धीरे मेरे उरोजों को सहलाना शुरू कर दिया.
मेरी चूत में पानी भर गया. मेरा दिमाग ने बड़े मामा के हाथों के जादू के प्रभाव में नियंत्रण खो दिया. मेरी सोच-समझने की क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो गयी. रही सही कसर बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को अपने बड़े-बड़े हाथों में दबा कर मुझे अपनी विशाल शरीर से भींच कर पूरी कर दी. मेरी साँसों में तूफान आ गया. बड़े मामा अपनी भरी पर प्यार भरी आवाज़ में बोले, "नेहा बेटा, यदि तुम्हें मनू की खिड़की के सामने पता होता कि वो आदमी मैं था तो फिर सब ठीक था? फिर तुम्हे यह सब स्वीकार होता?"
बड़े मामा के तर्क ने मुझे लाजवाब कर दिया और मैं अवाक रह गयी. बड़े मामा ने मुझे बचपन से अब की तरुणावस्था तक हमेशा अपनी बच्ची की तरह से प्यार किया था.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को अभिव्यक्त कर पाई, "बड़े मामा, मैं तो आपकी बेटी की तरह… आपकी अकेली बहन की बेटी,….भांजी हूँ."
बड़े मामा ने मेरे बालों पर प्यार से चुम्बन दिया, उनके हाथ मेरे चूचियों पर और भी कस गए,"नेहा बेटा, मैं तुम्हारे अप्सरा जैसे स्वरुप से मुग्ध सम्पूर्ण रूप से विमोह में हूँ. यदि तुम चाहो तो इसे बुद्धिलोप कह सकती हो. अब मैं तुम्हरी चूत का ख्याल अपने दिमाग से नहीं निकाल सकता. मुझे तुम्हे चोदे बिना चैन नहीं पडेगा."
मेरी सांस रुक-रुक आ रही थी. मेरे मस्तिष्क में विपरीत विचार मुझे दोनो तरफ खींच रहे थे.
"बड़े मामा, प्लीज़, मुझे थोडा समय दीजिये.मैं अभी बहुत उलझन में हूँ." मेरी आवाज़ से स्पष्ट था कि मैं रोने वाली थी.
बड़े मामा का, जो हमेशा से मेरे*पिता तुल्य थे,पितृवत् प्यार उनकी मेरे ऊपर कामलिप्सा से बहुत बलवान था. उन्होंने मुझे अपने बाँहों में उठा कर अपने गले से लगा लिया.मैं उनके गले को अपनी बाँहों से ज़क्कड़ किया और जोर से रोने लगी. मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी. बड़े मामा ने मुझे अपने से िचपका कर मेरे कमरे की तरफ चल पड़े.
कमरे में उन्होंने मुझे धीरे और प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया. मैं अभी भी ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी. बड़े मामा भी बिस्तर में मेरे साथ लेट गए. मैंने उनकी तरफ पलट कर उन्हें अपनी बाँहों में भर उनसे लिपट गयी.
मैं बहुत देर तक रोती रही. बड़े मामा प्यार से मेरे बालों को सहलाते रहे. आखिर कर मैंने रोना बंद किया.
बड़े मामा ने मुझे सीधा लिटा कर अपना सिर अपने हाथ पर टिका कर प्यार से एकटक मेरे आंसू से मलिन चेहरे को देख रहे थे.
उनकी प्यार भरी आँखों में अपनी आँखे डालने के बाद मेरे चेहरे पर मुस्कराहट अपने आप आ गयी. मुझे अब पता चला कि मेरे बेतहाँ रोने से मेरी नाक भी बह रही थी.
बड़े मामा ने मेरी सूजी हुई आँखों को प्यार से चूमा. फिर उन्होंने मेरे पूरे मलिन चेहरे को अपने होठों और जीभ से बड़े प्यार से साफ़ कर दिया.
बड़े मामा ने अपनी जीभ से मेरी सुंदर नाक चूम और चाट कर साफ़ की. फिर उन्होंने अपनी झीभ की नोंक मेरी दोनों नथुनों के अंदर बारी-बारी से डाल कर मेरे नथुनों को साफ़ कर दिया. मैं अब खिलखिला कर हंस रही थी.
बड़े मामा ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर धीरे-धीरे मेरे बालों को सहला कर सुला दिया. मुझे तो बहुत बाद में पता चला. बड़े मामा, जब मैं सो गयी, तो काफी देर तक मुझे सोते हुए देखते रहे. उनको मेरी गहरी नींद में मेरी ज़ोर की साँसें और मृदु खर्राटें सुन कर आत्मिक प्रसन्नता मिली.
मैं सुबह देर से ऊठी. मेरा मन बिस्तर से निकलने का नहीं हुआ. मैं जगी हुई बिस्तर में लेटी रही. करीब नौ बजे होंगे जब अंजू भाभी मेरे कमरे में मुस्कुराती हुईं दाखिल हुईं. वो अभी भी रात के गाउन में थीं. उन्हें देख कर मेरा चेहरा खिल ऊठा.
"नेहा, अभी तक बिस्तर में हो? क्या मुझे निमंत्रण दे रही हो? यदी चाहो तो मैं तुम्हारे जैसे प्यारी सुंदर नन्द को बहुत प्यार कर सकती हूँ. पर मेरा विचार है कि तुम्हे एक औरत की चूत नहीं एक बड़े मर्द का विशाल लंड चाहियें," अंजू भाभी ने हमेशा कि तरह अश्लील भाषा में मज़ाक करने शुरू कर दिए.
अंजू भाभी जल्दी से मेरे साथ बिस्तर में घुस गयीं. उन्होंने गाऊन के नीचे कोई ब्रा और जांघिया नहीं पहन रखा था.
अंजू भाभी ने मुझे अपने बाँहों में भर लिया. उन्होंने फिर बहुत प्यार से मेरे मूंह का चुम्बन लिया. अंजू भाभी भी अभी-अभी बिस्तर से निकली थीं और उन्होंने सुबह-सवेरे की कोई सफाई नहीं की थी. उनके मूंह में, मेरे मूंह के जैसे, रात के सोने बाद का मीठी सुगंध और मीठा स्वाद था.
"नेहा, क्या तुमने मनू को नीलम कि चुदाई करते हुई देखा?" अंजू भाभी सर्वज्ञ मालूम होतीं थीं.
मैंने शर्म से भरे लाल चेहरे से मनू भैया और नीलम भाभी के पहली चुदाई का विस्तृत रूप से वर्णन दिया. मैंने बड़े मामा से मिलने का कोई संकेत नहीं दिया. अंजू भाभी ने मुझे न जाने कितनी बार मुझे होठों पर चुम्बन दिया.
"नेहा, क्या तुम्हारा दिल नहीं करता, एक मूसल जैसे बड़े लंड से चुदवाने का?" अंजू भाभी हमेशा से मेरे साथ अश्लील, सम्भोग की बातें करती थीं.
मेरे चेहरे पर रात की बात याद आते ही शायद थोड़ी सी उदासी छा गयी थी. मैंने धीरे से सिर हिला कर हांमी भर दी.
"नेहा, जब तुम चाहो मुझे बता देना. मैं तुम्हारे नरेश भैया से तुम्हारी चुदाई का इंतज़ाम करवा दूंगीं."
नेहा के आखें बहर निकल पड़ीं, "भाभी, क्या कह रही हो? भैया और मैं एक दुसरे को चोदेंगें*?"
अंजू भाभी ने प्यार से मेरी नाक के ऊपर चुम्बन दिया,"बहन-भाई, यह सब बकवास है. यह पिछड़े हुए दकियानूसी रुकावटें है प्यार के रास्ते मैं. यदि मैं अपने सिर्फ अपने भाई से ही शादी करना चाहती तो यह समाज मुझे रोक सकता था? नहीं. मैं और मेरे भैया दूर कहीं जा कर अपनी गृहस्थी बसा लेते. जैसे मैंने पहले बोला, नेहा, समाज के प्रतिबन्ध केवल बेवकूफ लोगों के लिये होतें हैं."
अंजू भाभी ने मेरी पूरे नाक अपने मूंह में लेकर बड़े प्यार से उसे चूसा. फिर अपनी जीभ मेरे दोनों नथुनों में डाल कर अपने थूक से मेरी नाक भर दी. मैं खिलखिला कर हंस रही थी.
"नेहा, सच में. जब तुम तैयार हो मुझे बता देना. तुम्हारे नरेश भैया अपने को खुशकिस्मत समझेंगें यदि तुम उनसे अपनी चूत मरवाने का निर्णय करोगी." अंजू भाभी ने मुझे प्यार से चूमा और नाश्ते के लिए तैयार होने के लिये कह कर खुद तैयार होने के लिए अपने बंगले की तरफ चल दीं.
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