08-01-2020, 11:27 AM
नौकरानी के सामने कपडे उतारने में पंकज को भी शर्म आ रही थी पर इसके बिना आगे बढ़ना असंभव था. पंकज अपने कपड़े उतारने लगे. यह देख कर निराली ने भी अपनी साडी उतार दी. पंकज अपना कुरता उतार चुके थे और अपना पाजामा उतार रहे थे. निराली को उनके लिंग आकार अभी से दिखाई देने लगा था. उसने अपना ब्लाउज उतारा. पंकज की नज़र उसकी छाती पर थी. जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी, उसके दोनो स्तन उछल कर आज़ाद हो गये. फिर उसने अपना पेटीकोट भी उतार दिया. उसने अन्दर चड्डी नही पहनी थी. … उसका गदराया हुआ बदन, करीब 36 साइज़ के उन्नत स्तन, तने हुए निप्पल, पतली कमर, पुष्ट जांघें और जांघों के बीच एक हल्की सी दरार … यह सब देख कर पंकज की उत्तेजना सारी हदें पर कर गई. उन्होंने अनुभव किया कि निराली का नंगा शरीर दीपिका से ज्यादा उत्तेजक है. वो अब उसे पा लेने को आतुर हो गये.
अब तक पंकज भी नंगे हो चुके थे. निराली ने लजाते हुए उनके लिंग को देखा. उसे वो कोई खास बड़ा नहीं लगा. उससे बड़ा तो उसके मरद का था. वो सोच रही थी कि यह अन्दर जाएगा तो उसे कैसा लगेगा. … शुरुआत उसने ही की. वो पंकज के पास गई और उनके लिंग को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पा कर लिंग तुरंत तनाव में आ गया. पंकज ने भी उसके स्तनो को थाम कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद पंकज निराली को पलंग पर ले गए. दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये. दीपक ने अपने एक हाथ से उसके निपल को मसलते हुए कहा, “निराली, … तुम नही जानती कि मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था!”
“मैं खुश हूं कि मेरे कारण आपको वो सुख मिल रहा है जिसकी आपको जरूरत थी,” निराली ने पंकज के लिंग को मसलते हुए कहा.
पंकज फुसफुसा कर बोले, “तुम्हारे हाथों में जादू है, निराली.”
निराली बोली, “अच्छा? लेकिन यह तो मेरे हाथ में आने से पहले से खड़ा है.”
पंकज भी नहीं समझ पा रहे थे कि आज उनके लिंग में इतना जोश कहाँ से आ रहा है. वो भी अपने लिंग के कड़ेपन को देख कर हैरान थे और कामोत्तेजना से आहें भर रहे थे. … निराली ने अपनी कोहनी के बल अपने को उठाया और वो पंकज की जांघों के बीच झुकने लगी. पंकज यह सोच कर रोमांचित हो रहे थे कि निराली उनके लिंग को अपने मुह में लेने वाली है. उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि निराली जैसी कम पढ़ी स्त्री मुखमैथुन से परिचित होगी. उनकी पढ़ी-लिखी मॉडर्न पत्नी ने भी सिर्फ एक-दो बार उनका लिंग मुंह में लिया था और फिर जता दिया था कि उन्हें यह पसंद नहीं है.
“ओह! … कितना उत्तेजक होगा यह अनुभव!” पंकज ने सोचा और धीमे से निराली के सर के पीछे अपना हाथ रखा. उसके सर को आगे की तरफ धकेल कर उन्होंने यह जता दिया कि वे भी यही चाहते है. निराली ने उनके लिंगमुंड को चूमा. उसके होंठ लिंग के ऊपरी हिस्से को छू रहे थे और तीन-चार बार चूमने के बाद निराली ने अपनी जीभ लिंग पर फिरानी शुरू कर दी …. पंकज आँखें बंद कर के इस एहसास का आनंद ले रहे थे. निराली ने अपना मुंह खोला और लिंग को थोड़ा अंदर लेते हुए अपने होंठों से कस लिया. उसके ऐसा करते ही पंकज को अपने लिंग पर उसके मुह की आंतरिक गरमाहट महसूस हुई. उन्हें लगा कि उनका वीर्य उसी समय निकल जाएगा.
अब तक पंकज भी नंगे हो चुके थे. निराली ने लजाते हुए उनके लिंग को देखा. उसे वो कोई खास बड़ा नहीं लगा. उससे बड़ा तो उसके मरद का था. वो सोच रही थी कि यह अन्दर जाएगा तो उसे कैसा लगेगा. … शुरुआत उसने ही की. वो पंकज के पास गई और उनके लिंग को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाने लगी. उसके हाथ का स्पर्श पा कर लिंग तुरंत तनाव में आ गया. पंकज ने भी उसके स्तनो को थाम कर उन्हें मसलना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद पंकज निराली को पलंग पर ले गए. दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों में भर कर लेट गये. दीपक ने अपने एक हाथ से उसके निपल को मसलते हुए कहा, “निराली, … तुम नही जानती कि मैं इस दिन का कब से इंतजार कर रहा था!”
“मैं खुश हूं कि मेरे कारण आपको वो सुख मिल रहा है जिसकी आपको जरूरत थी,” निराली ने पंकज के लिंग को मसलते हुए कहा.
पंकज फुसफुसा कर बोले, “तुम्हारे हाथों में जादू है, निराली.”
निराली बोली, “अच्छा? लेकिन यह तो मेरे हाथ में आने से पहले से खड़ा है.”
पंकज भी नहीं समझ पा रहे थे कि आज उनके लिंग में इतना जोश कहाँ से आ रहा है. वो भी अपने लिंग के कड़ेपन को देख कर हैरान थे और कामोत्तेजना से आहें भर रहे थे. … निराली ने अपनी कोहनी के बल अपने को उठाया और वो पंकज की जांघों के बीच झुकने लगी. पंकज यह सोच कर रोमांचित हो रहे थे कि निराली उनके लिंग को अपने मुह में लेने वाली है. उन्हें कतई उम्मीद नहीं थी कि निराली जैसी कम पढ़ी स्त्री मुखमैथुन से परिचित होगी. उनकी पढ़ी-लिखी मॉडर्न पत्नी ने भी सिर्फ एक-दो बार उनका लिंग मुंह में लिया था और फिर जता दिया था कि उन्हें यह पसंद नहीं है.
“ओह! … कितना उत्तेजक होगा यह अनुभव!” पंकज ने सोचा और धीमे से निराली के सर के पीछे अपना हाथ रखा. उसके सर को आगे की तरफ धकेल कर उन्होंने यह जता दिया कि वे भी यही चाहते है. निराली ने उनके लिंगमुंड को चूमा. उसके होंठ लिंग के ऊपरी हिस्से को छू रहे थे और तीन-चार बार चूमने के बाद निराली ने अपनी जीभ लिंग पर फिरानी शुरू कर दी …. पंकज आँखें बंद कर के इस एहसास का आनंद ले रहे थे. निराली ने अपना मुंह खोला और लिंग को थोड़ा अंदर लेते हुए अपने होंठों से कस लिया. उसके ऐसा करते ही पंकज को अपने लिंग पर उसके मुह की आंतरिक गरमाहट महसूस हुई. उन्हें लगा कि उनका वीर्य उसी समय निकल जाएगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.