08-01-2020, 11:23 AM
Quote:पहले डॉक्टर ये भी मानते थे कि मर्दों का हारमोन टेस्टोस्टेरान, महिलाओं में यौनेच्छा जगाता है. इसीलिए जब महिलाएं सेक्स की कम ख़्वाहिश की परेशानी लेकर डॉक्टरों के पास जाती थीं तो उन्हें टेस्टोस्टेरान लेने का नुस्खा बताया जाता था. बल्कि बहुत से डॉक्टर आज भी यही इलाज कम यौनेच्छा महसूस करने वाली महिलाओं को सुझा रहे हैं.
जबकि तमाम रिसर्च के बाद ये कहा जाने लगा है कि महिलाओं में सेक्स की इच्छा से टेस्टोस्टेरेान का कोई ताल्लुक़ नहीं. मिशिगन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सारी वान एंडर्स कहती हैं कि, सेक्स की चाहत के असर से हारमोन का बहाव तेज़ होता है. और लोग समझते उल्टा हैं.
उन्हें लगता है कि हारमोन के ज़्यादा रिसाव से सेक्स की चाहत पैदा होती है. बल्कि वो तो ये भी कहती हैं कि सेक्स की इच्छा का हारमोन से कोई ताल्लुक़ ही नहीं.
सेक्स के दौरान भी महिलाओं को अलग-अलग एहसास होते हैं. वो मर्दों की तरह उत्तेजना, चरमोत्कर्ष और तसल्ली के एहसास से रूबरू हों, ऐसा ज़रूरी नहीं. महिलाओं के मामले में सेक्स बंधी-बंधाई लक़ीर पर चलने वाली चीज़ नहीं. सब कुछ उलट-पुलट हो जाता है. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें ऑर्गैज़्म पहले महसूस हो और साथी के छुअन की ज़रूरत बाद में.
उन्हें उत्तेजित करने के लिए हर बार यौन अंगों से छेड़खानी करनी पड़े, ऐसा भी ज़रूरी नहीं. कई बार इसके ख़्याल से ही उन्हें तसल्ली हो जाती है. उनके लिए सेक्स एक दिमाग़ी तजुर्बा है. मर्दों के मामले में ऐसा हमेशा नहीं होता.
ज़रूरी नहीं कि महिलाओं की ख़्वाहिश हर बार सेक्स करके पूरी हो. हर औरत अलग तरह से तसल्ली महसूस करती है. अलग-अलग वक़्त में एक औरत भी कई तरह के एहसास से गुज़रती है. कई बार उन्हें हस्तमैथुन से ही तसल्ली मिल जाती है. कइयों को सिर्फ़ सेक्स के ख़्याल से ही ऑर्गैज़्म हो जाता है.
कइयों को पूरी तरह तसल्ली के लिए साथी की ज़रूरत होती है. कई बार महिलाएं, साथी के साथ होकर भी उसके साथ सेक्स के बग़ैर यौन सुख महसूस कर लेती हैं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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