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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
#36
देवर -भौजाई,.... होली की रगड़ाई 

[Image: HOLI-maxresdefault.jpg]


तब तक 'हे भौजी..' की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा, सुनील हीं था, अपने दो तीन दोस्तों के साथ, मुझे होली खेलने के लिए नीचे बुला रहा था| मैंने हाथ के इशारे से उसे मना किया| 

[Image: male-10.jpg]

दरवाजा बंद था इसलिए वो तो अंदर आ नहीं सकता था| लेकिन मन तो मेरा भी कर रहा था, उसने उंगली के इशारे से चूत और लंड बना के चुदाई का निशान बनाया तो उसकी बहन गुड़िया का नाम लेके मैंने एक गंदी सी गाली दी और साड़ी सुखाने के बहाने आँचल ढलका के उसे अपने जोबन का दरसन भी करा दिया| 




अब तो उस बेचारे की हालत और खराब हो गई|


दो दिन पहले जब वह फिर मुझे खेतों के बीच मिला था तो अबकी उसने सिर्फ हाथ हीं नहीं पकड़ा बल्कि सीधे बाँहों में भर लिया था 

[Image: Sugarcane-11111-1.jpg]



और खींच के गन्ने के खेत के बीच में...छेड़ता रहा मुझे, 

“अरे भौजी तोहरी कोठरिया में हम झाड़ब, अरे आगे से झाड़ब, पीछे से झाड़ब, उखियो में झाड़ब, रहरियो में झाड़ब, अरे तोहरी कुठरिया...|”


आखिर जब मैंने वायदा कर लिया कि होली के दिन दूंगी सचमुच में एकदम मना नहीं करुँगी तो वो जाके माना|


जब उसने नीचे से बहुत इशारे किये तो मैंने कहा कि अपने दोस्तों को हटाओ तो बाहर आउंगी होली खेलने| वो मान गया| मैं नीचे उतर के पीछे के दरवाजे से बाहर निकली|


मैंने अपने दोनों हाथों में गाढ़ा पेंट लगाया और कमर में रंगों का पैकेट खोंसा| सामने से वो इशारे कर रहा था| 


[Image: h2.jpg]


दोनों हाथ पीछे किये मैं बढ़ी| तब तक पीछे से उसके दोनों दोस्तों ने, जो दीवाल के साथ छिप के खड़े थे, मुझे पीछे से आके पकड़ लिया| 


मैं छटपटाती रही| 


वो दोनों हाथों में रंग पोत के मेरे सामने आके खड़ा हो गया और बोला, 

“क्यों डाल दिया जाय कि छोड़ दिया जाय, बोल तेरे साथ क्या सलूक किया जाय|” 




मैं बड़ी अदा से बोली, 

[Image: VCUegAD.jpg]

“तुम तीन हो ना तभी...छोड़ो तो बताती हूँ|”

जैसे हीं उसके इशारे पे उसके साथियों ने मुझे छोड़ा, 

'होली है..' कह के कस के उसके गालों पे रंग मल दिया| 

अच्छा बताता हूँ, और फिर उसने मेरे गुलाबी गालों को जम के रगड़-रगड़ के रंग लगाया| मुझे पकड़ के खींचते हुए वो पास के गन्ने के खेत में ले गया और बोला असली होली तो अब होगी| 

“हाँ मंजूर है, लेकिन एक एक करके पहले अपने दोस्तों को तो हटाओ|”


[Image: Holi-Poonam-d6ad3985e5e04a92b884d86bdfc2202a.jpg]




उसके इशारे पे वो पास में हीं कहीं बैठ गये| पहले ब्लाउज के ऊपर से और फिर कब बटन गये, कब मेरी साड़ी ऊपर सरक गई...थोड़ी देर में हीं मेरी गोरी रसीली जाँघें पूरी तरह फैली थीं, टाँगे उसके कंधे पे और 'वो' अंदर|



मैं मान गई कि जो चंपा भाभी मेरी ननद को चिढ़ा रही थीं वो ठीक हीं रहा होगा| उसका मोटा कड़ा सुपाड़ा जब रगड़ के अंदर जाता तो सिसकी निकल जाती|

[Image: fucking-ruff-15135570.gif]

वो किसी कुत्ते की गाँठ से कम मोटा नहीं लग रहा था| और क्या धमक के धक्के मार रहा था, हर चोट सीधे बच्चेदानी पे| 

साथ में उसके रंग लगे हाथ मेरी मोटी-मोटी चूचियों पे कस के रंग भी लगा रहे थे| 


[Image: lygs9sfnyjd9-t.jpg]

पहली बार मैं इस तरह गन्ने के खेत में चुद रही थी, मेरे चूतड़ कस-कस के मिट्टी पे, मिट्टी के बड़े-बड़े ढेलों से रगड़ रहे थे| लेकिन बहुत मजा आ रहा था और साथ में मैं उसकी बहन का नाम ले ले के और गालियाँ भी दे रही थी,



“चोद साले चोद, अरे गुड़िया के यार, बहन के भंडुए, देखती हूँ उस साल्ली मेरी छिनाल ननद ने क्या-क्या सिखाया, उस चूत मरानो के खसम, तेरी बहन की बुर में...गदहे का लंड जाय|” 

वो ताव में आके और कस-कस के चोद रहा था| हम दोनों जब झड़े तो मैंने देखा कि बगल में उसके दोनों दोस्त,


 “भौजी हम भी...”

मैं कौन होती थी मना करने वाली| 

लेकिन उन दोनों ने, मैंने जो सुना था कि गाँव में कीचड़ की होली होती है, उसका मजा दे दिया|

बगल में एक गड्ढे में कीचड़ था, पहले तो वहाँ से लाके कीचड़ पोता मुझे| मैं क्यों छोड़ती अपने देवरों को| मैंने भी कुछ अपने बदन का कीचड़ रगड़ के उनकी देह पे लगाया, कुछ उनके हाथ से छीन के| फिर उन सबने मिल के मेरी डोली बना के कीचड़ में हीं ले जा के पटक दिया|


[Image: Mud-18862460.jpg]


एक साथ मुझे मड रेस्लिंग का भी मजा मिला और चुदाई का भी| 

थोड़ी देर वो ऊपर था और फिर मैं ऊपर हो गई और खुद उसे कीचड़ में गिरा-गिरा के रगड़ के चोदा| 



बस गनीमत थी कि उनके दिमाग में मुझे सैंडविच बनाने का आइडिया नहीं आया, इसलिए मेरी गांड़ बच गई| 



[Image: Mud-646f8b5cc8aebaf558b5b3efcde97706-mud.jpg]

उन सबसे निपटने के बाद मैंने साड़ी ब्लाउज फिर से पहना और खेत से बाहर निकली|
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RE: ससुराल की पहली होली - by komaalrani - 01-02-2019, 09:01 PM



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