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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
#35
गाँव की होली का मजा 




[Image: colors-holi-18.jpg]



बाहर खूब होली की गालियाँ, जोगीड़ा, कबीर...| जमीन पे पड़ी साड़ी चोली किसी तरह मैंने लपेटी और अंदर गई कि जरा देखूं मेरा भाई कहाँ है|



उस बिचारे की तो मुझसे भी ज्यादा दुरगत हो रही थी| 

सारी की सारी औरतें यहाँ तक की मेरी सास भी...

तब तक मेरी बड़ी ननद भी वहाँ पहुँची और बोलीं, 
[Image: zoom-holi-12.jpg]


“अरे तुम सब अकेले इस कच्ची कली का मजा ले रहे हो! रुक साल्ले, अभी तेरी बहन को खिला पिला के आ रही हूँ, अब तेरा नंबर है, चल अभी तुझे गरम गरम हलवा खिलाती हूँ|” 

मैं सहम गई कि इतनी मुश्किल से तो बची हूँ, अगर फिर कहीं इन लोगों के चक्कर में पड़ी तो...उन सबकी नजर बचा के मैं छत पे पहुँच गई| 

बहुत देर से मैंने 'इनको' और अपनी जेठानी को नहीं देखा था|



 


शैतान की बात सोचिये और...भुस वाले कमरे में मैंने देखा कि भागते हुए मेरी जेठानी घुसीं और उनके पीछे पीछे उनके देवर यानी मेरे 'वो' रंग लेके| अंदर घुसते हीं उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया|


 

पर ऊपर एक रोशनदान से, जहाँ मैं खड़ी थी, अंदर का नजारा साफ साफ दिख रहा था| '




इन्होंने' अपनी भाभी को कस के बाँहों में भर लिया और गालों पे कस-कस के रंग लगाने लगे| थोड़ी देर में 'इनका' हाथ सरक के उनकी चोली पे और फिर चोली के अंदर जोबन पे...वो भी न सिर्फ खुशी खुशी रंग लगवा रही थीं, बल्कि उन्होंने भी 'उनके' पाजामे में हाथ डाल के सीधे 'उनके' खूंटे को पकड़ लिया|

[Image: Holi-Party-Hot-Photos-2013-15.jpg]


थोड़ी हीं देर में दोनों के कपड़े दूर थे और जेठानी मेरी पुआल पे और 'वो' उनकी जाँघों के बीच...और उनकी ८ इंच की मोटी पिचकारी सीधे अपने निशाने पे| 


[Image: fucking-forced-389-1000.gif]

देवर भाभी की ये होली देख के मेरा भी मन गनगना गया और मैं सोचने लगी कि मेरा देवर...देवर भाभी की भी होली का मजा ले लेती| 

सगा देवर चाहे मेरा न हो लेकिन ममेरे, चचेरे, गाँव के देवरों की कोई कमी नहीं थी| 

खास कर फागुन लगने के बाद से सब उसे देख के इशारे करते, सैन मारते, गंदे गंदे गाने गाते और उनमें सुनील सबसे ज्यादा| उनका चचेरा देवर लगता था, सटा हुआ घर था उन लोगों के घर के बगल में हीं| 


[Image: man-tumblr-oyd5qzo9wh1slni0io1-540.jpg]

गबरू पट्ठा जवान और क्या मछलियाँ थी बाँहों में, खूब तगड़ा, सारी लड़कियाँ, औरतें उसे देख के मचल जाती थीं| 

एक दिन फागुन शुरू हीं हुआ था, फगुनाहट वाली बयार चल रही थी कि गन्ने के खेत की बीच की पगडंडी पे उसने मुझे रोक लिया और गाते हुए गन्ने के खेत की ओर इशारा कर के बोला,

“बोला बोला भौजी, देबू देबू, कि जईबू थाना में|”


अगले दिन पनघट पे जब मैंने जिकर किया तो मेरी क्या ब्याही, अन ब्याही ननदों और जेठानियों की साँसें रुकी रह गई| 

एक ननद बेला बोली,

“अरे भौजी आप मौका चूक गई| फागुन भी था और रंगीला देवर का रिश्ता भी, आपकी अच्छी होली की शुरुआत हो जाती| फिर तो...” 

एकदम खुल के एक ननद बोली, जो सबसे ज्यादा चालू थी गाँव में, 

[Image: Teej-blue-saree.jpg]

“अरे क्या लंड है उसका, भाभी एक बार ले लोगी तो...”

चंपा भाभी (जो मेरी जेठानियों में सबसे बड़ी लगती थीं और जिनका 'खुल के' गाली देने में हर ननद पानी मांग लेती, दीर्घ स्तना, ४०डी साइज के चूतड़) बोलीं, 

“हाँ, हाँ, ये एकदम सही कह रही है, ये इसके पहले बिना कुत्ते से चुदवाए इसे नींद नहीं आती थी लेकिन एक बार इसने जो सुनील से चुदवा लिया तो फिर उसके बाद कुत्तों से चुदवाने की आदत छूट गई| 

बेचारी ननद, वो कुछ और बोलती उसके पहले हीं वो बोलीं, 

[Image: Manju-Bai-19.jpg]

“और भूल गई, जब सुनील से गांड़ मरवाई थी सबसे पहले, तो मैं हीं ले के गई थी मोची के पास...सिलवाने|”

तब तक

'हे भौजी..' 

की आवाज ने मेरा ध्यान खींचा, सुनील हीं था, अपने दो तीन दोस्तों के साथ, मुझे होली खेलने के लिए नीचे बुला रहा था
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RE: ससुराल की पहली होली - by komaalrani - 01-02-2019, 08:40 PM



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