01-02-2019, 08:16 PM
टिकोरे , कच्चे
गाडी सब्जी मंडी के बीच से चल रही थी , एकदम धीरे। तब तक मेरी निगाह सड़क पर बैठी एक सब्जीवाली के पास बिक रहे टिकोरों पर पड़ गयी।
और जोर से मैं चीखी , हे गाडी रोको , जल्दी , रोको न।
और उन्होंने तुरंत ब्रेक मार के ,मेरी ओर अचरज देखते हुए कहा " हुआ क्या , "
" वो सब्जी वाली को देख रहे हो न , टिकोरे बेच रही है। प्लीज जाके आधे किलो ले आओ न। बहुत अच्छे लग हैं , है न। लेकिन हाथ से दबा के चेक कर लेना। कड़े होने चाहिएएकदम , कच्चे भी चलेंगे। प्लीज जाओ न। "
बड़ी मुश्किल से मैं अपनी मुस्कराहट रोक पा रही थी , जब वो नीचे उत्तर कर उस सब्जी वाली के पास गए।
मुझे अपनी ननद कम सौतन याद आ गयी ,
" मेरे भैया , टिकोरे , छूना भूल जाइए , नाम भी नहीं ले सकते। "
कार के शीशे से मैं देख रही थी।
एक एक दबा के चेक कर के ही वो ले आ रहे थे।
रात को उसकी चटनी बनायीं मैंने , और ऊँगली में लगा के उनकी ओर बढ़ाई और खुद चट्ट कर गयी।
वाउ क्या मस्त स्वाद है , उन्हें सुना के ललचाते मैं बोली। लेकिन फिर उन्हें वार्निंग भी दी
" चाहिए तो मांगना पड़ेगा "
" चटनी चटाओ न "
बड़े द्विअर्थी अंदाज में बोले।
" किस चीज की ,साफ साफ बोलो न " मैंने और उकसाया।
कुछ देर तक तो वो हिचके ,फिर रुकते रुकते बोले
" टिकोरे की "
" अरे लो न मेरे रज्जा "
और न सिर्फ उन्हें चटनी चटाई बल्कि आधे से ज्यादा उन्होंने ही साफ की।
" अगर टिकोरे की चटनी खाने की मेज पर भी आ जाय न , तो भैय्या ,मेज से उठ कर चले जायेंगे "
.
अगर आज वो ज़रा सा भी नखड़ा करते तो मैं उनकी माँ चोद देती।
लेकिन उनकी माँ बची नहीं , रात में। ब
बहुत दिन बाद रात में तीन बार , और हर बार पहले मैं , बहुत जोश में थे वो। एक बूँद हम रात में नहीं सोये।
वो इत्ते जोर जोर का धक्का मार रहे थे की मेरी चूल चूल ढीली हो गयी।
" अरे यार मेरी सास का भोंसड़ा नहीं है जो इत्ती ताकत से , हचक हचक के पेल रहे हो , जरा आराम से। "
वो एक पल के लिए शरारत से मुझे देखते रहे , खूंटा पूरा जड़ तक घुसा हुआ था।
मैंने फिर वार्न किया ,
" अगर तुमने दुबारा ऐसे तेज पेला न तो मैं समझ जाउंगी , तुम मेरी सास का भोंसड़ा समझ के ही ,… "
बस क्या था , उन्होंने मेरी दोनों कलाई जोर पकड़ीं , सुपाड़े तक लंड बाहर निकाला , और क्या धक्का मारा ,
मेरी पांच छ चूड़ियाँ चुरुर मुरुरु करते टूट गयीं ,सीधे मेरे बच्चेदानी पे लगा।
मैं हिल गयी , और उन्होंने फिर निकाल के , दरेरते ,रगड़ते , उससे भी तेज।
पांच धक्के एक के बाद एक ,
मैं गालियां देती रहीं
तेरी माँ की , तेरे सारे मायकेवालियों की ,...
हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे और जब मैं झड़ गयी तभी उन्होंने कुछ रफ्तार कम की।
मेरे बिना कहे दो बार डॉगी पोज भी
गाडी सब्जी मंडी के बीच से चल रही थी , एकदम धीरे। तब तक मेरी निगाह सड़क पर बैठी एक सब्जीवाली के पास बिक रहे टिकोरों पर पड़ गयी।
और जोर से मैं चीखी , हे गाडी रोको , जल्दी , रोको न।
और उन्होंने तुरंत ब्रेक मार के ,मेरी ओर अचरज देखते हुए कहा " हुआ क्या , "
" वो सब्जी वाली को देख रहे हो न , टिकोरे बेच रही है। प्लीज जाके आधे किलो ले आओ न। बहुत अच्छे लग हैं , है न। लेकिन हाथ से दबा के चेक कर लेना। कड़े होने चाहिएएकदम , कच्चे भी चलेंगे। प्लीज जाओ न। "
बड़ी मुश्किल से मैं अपनी मुस्कराहट रोक पा रही थी , जब वो नीचे उत्तर कर उस सब्जी वाली के पास गए।
मुझे अपनी ननद कम सौतन याद आ गयी ,
" मेरे भैया , टिकोरे , छूना भूल जाइए , नाम भी नहीं ले सकते। "
कार के शीशे से मैं देख रही थी।
एक एक दबा के चेक कर के ही वो ले आ रहे थे।
रात को उसकी चटनी बनायीं मैंने , और ऊँगली में लगा के उनकी ओर बढ़ाई और खुद चट्ट कर गयी।
वाउ क्या मस्त स्वाद है , उन्हें सुना के ललचाते मैं बोली। लेकिन फिर उन्हें वार्निंग भी दी
" चाहिए तो मांगना पड़ेगा "
" चटनी चटाओ न "
बड़े द्विअर्थी अंदाज में बोले।
" किस चीज की ,साफ साफ बोलो न " मैंने और उकसाया।
कुछ देर तक तो वो हिचके ,फिर रुकते रुकते बोले
" टिकोरे की "
" अरे लो न मेरे रज्जा "
और न सिर्फ उन्हें चटनी चटाई बल्कि आधे से ज्यादा उन्होंने ही साफ की।
" अगर टिकोरे की चटनी खाने की मेज पर भी आ जाय न , तो भैय्या ,मेज से उठ कर चले जायेंगे "
.
अगर आज वो ज़रा सा भी नखड़ा करते तो मैं उनकी माँ चोद देती।
लेकिन उनकी माँ बची नहीं , रात में। ब
बहुत दिन बाद रात में तीन बार , और हर बार पहले मैं , बहुत जोश में थे वो। एक बूँद हम रात में नहीं सोये।
वो इत्ते जोर जोर का धक्का मार रहे थे की मेरी चूल चूल ढीली हो गयी।
" अरे यार मेरी सास का भोंसड़ा नहीं है जो इत्ती ताकत से , हचक हचक के पेल रहे हो , जरा आराम से। "
वो एक पल के लिए शरारत से मुझे देखते रहे , खूंटा पूरा जड़ तक घुसा हुआ था।
मैंने फिर वार्न किया ,
" अगर तुमने दुबारा ऐसे तेज पेला न तो मैं समझ जाउंगी , तुम मेरी सास का भोंसड़ा समझ के ही ,… "
बस क्या था , उन्होंने मेरी दोनों कलाई जोर पकड़ीं , सुपाड़े तक लंड बाहर निकाला , और क्या धक्का मारा ,
मेरी पांच छ चूड़ियाँ चुरुर मुरुरु करते टूट गयीं ,सीधे मेरे बच्चेदानी पे लगा।
मैं हिल गयी , और उन्होंने फिर निकाल के , दरेरते ,रगड़ते , उससे भी तेज।
पांच धक्के एक के बाद एक ,
मैं गालियां देती रहीं
तेरी माँ की , तेरे सारे मायकेवालियों की ,...
हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे और जब मैं झड़ गयी तभी उन्होंने कुछ रफ्तार कम की।
मेरे बिना कहे दो बार डॉगी पोज भी