07-01-2020, 06:51 AM
मैं- हेलो…. मिसेज़. मिश्रा
मिसेज़. मिश्रा - हेलो….. जी हां आप कॉन ?
मैं- मिसेज़. मिश्रा जी मैं निशा…. आप ने अभी रूपा से बोला था आप से बात करने के लिए ?
मिसेज़. मिश्रा – हां यार निशा मैने ही बोला था ऑर क्या कर रही हो ?
मैं- कुछ ख़ास नही कर रही थी. तुम बताओ कैसे याद किया ?
मिसेज़. मिश्रा- निशा यार अगर तुम फ्री हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैं- कोई ख़ास काम है ?
मिसेज़. मिश्रा- हां मुझे थोड़ा चेक-अप करवाना था. ऑर कलश के पास भी जाने के लिए टाइम नही है उन्होने बोला कि किसी ऑर के साथ चली जाओ. तुम तो जानती ही हो मेरी मेरे घर पर किसी से ज़्यादा बनती नही है इस लिए मैं उन मे से किसी को भी अपने साथ नही ले जाना चाहती हू. अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैने थोड़ी देर सोचा कि मेरे पास भी कोई काम नही है ऑर यहा पर बैठे बैठे मेरे दिमाग़ मे भी इस समय बेकार ऑर फालतू की बाते घूम रही थी. इस लिए मैने सोचा कि मिसेज़. मिश्रा के साथ थोड़ा घूम कर आउन्गि तो मन ठीक हो जाएगा ऑर ये सब बेकार की बाते मेरे दिमाग़ से निकल जाएगी.
मैं- ठीक है मैं थोड़ी देर मैं तैयार हो कर अभी तुम्हारे पास आती हू. कह कर मैने फ़ोन काट दिया.
थोड़ी ही देर मैं मिसेज़. मिश्रा के घर मे आ गयी थी वो तो जैसे एक दम तैयार हो कर मेरा ही इंतजार कर रही थी.
अरे निशा आओ…. कुछ लोगि ठंडा/गरम ? उसने मुझे देख कर अंदर बुलाते हुए कहा
नही कुछ नही….. मैने मना कर दिया
चलो ठीक है चलते है बस मैं ज़रा अपना पर्स ले लू.. कह कर वो अंदर से अपना पर्स लेने चली गयी ओर थोड़ी ही देर मे अपना पर्स ले कर वापस आ गयी.
कार मैं बैठ कर हम दोनो ही चले जा रहे थे. ऑर ड्राइवर गाड़ी चला रहा था.
ऑर सुनाए मिसेज़. मिश्रा जी क्या हाल चाल है ? कैसी चल रही है आप की लाइफ ? मैने ही गाड़ी मे बात की शुरूवात करते हुए कहा
क्या यार निशा मैं तुम्हे निशा करके बुला रही हू ऑर तुम मुझे मिसेज़. मिश्रा कह कर बुलाए जा रही है अरे यार मेरा नाम वन्या है मुझे वन्या कह कर बुला ना हम दोनो सेम एज के ही है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
ओके.. तो वन्या कैसी चल रही है तेरी लाइफ ? तेरे पति की जॉब कैसी चल रही है ? क्या मज़े चल रहे है तुम्हारे ? मैने भी अब एक दम यारी दोस्ती वाली लॅंग्वेज यूज़ कर के उस से बात कर रही थी.
मेरा तो सब बढ़िया है तुम सूनाओ क्या चल रहा है.?
मैं भी बढ़िया ही हू. वैसे डॉक्टर. के पास क्यू जा रही हो ? कोई दिक्कत वाली बात तो नही है ?
अरे नही ऐसे ही रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हू. मन थोड़ा खराब रहता है.
रुटीन चेक-अप…. मैने चुटकी भरे अंदाज मे कहा. तो नये मेहमान के आने की तैयारी शुरू की जा रही है. ? हहहे……. वैसे कितने महीने हो गये है ?
अभी ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
अरे जब ऐसा कुछ नही है तो फिर किस बात का रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हो ?
बात करते हुए मैने उसके चेहरे पर एक उदासी सी छा गयी थी. पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे. जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उस से पूछ ही लिया क्या बात है तुम बोहोत परेशान सी लग रही हो.? हम बोहोत धीमे धीमे बात कर रहे थे ताकि हमारी बाते ड्राइवर को ना सुनाई दे.
अब क्या बताऊ यार निशा तुझे तो पता ही है हमारी शादी को लगभग 8 महीने से उपर हो गये है. ऑर अब इनका इंटरेस्ट ना जाने क्यू मुझमे कम होता जा रहा है. शुरू शुरू मे तो हम दोनो के बीच मे बोहोत सेक्स होता था हमारी हर रात दीवाली होती थी हर रात हम दोनो के बीच मे सेक्स होता था पर कुछ महीनो से जब से इनका प्रमोशन हुआ है तब से इन्होने तो जैसे मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है. हर रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली हो गया है. ऑर उस मे भी ये सिर्फ़ फॉरमॅलिटी सी ही पूरी करते है.
बिस्तर पर आते है मेरे उपर चढ़ते है ओर अपना काम ख़तम करके सो जाते है बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा क्या होता होगा.? मेरी प्यास बुझी कि नही बुझी इस बात से अब इन्हे कोई मतलब नही रह गया है. बिस्तर पर मेरे साथ एक दम ऐसा रिक्ट करते है जैसे किसी रंडी के पास जा कर उसके साथ करते है. इनकी हवस तो पूरी हो जाती है पर मैं एक दम प्यासी रह जाती हू. मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने पति के होने के बाद भी अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ता है.
मिसेज़. मिश्रा - हेलो….. जी हां आप कॉन ?
मैं- मिसेज़. मिश्रा जी मैं निशा…. आप ने अभी रूपा से बोला था आप से बात करने के लिए ?
मिसेज़. मिश्रा – हां यार निशा मैने ही बोला था ऑर क्या कर रही हो ?
मैं- कुछ ख़ास नही कर रही थी. तुम बताओ कैसे याद किया ?
मिसेज़. मिश्रा- निशा यार अगर तुम फ्री हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैं- कोई ख़ास काम है ?
मिसेज़. मिश्रा- हां मुझे थोड़ा चेक-अप करवाना था. ऑर कलश के पास भी जाने के लिए टाइम नही है उन्होने बोला कि किसी ऑर के साथ चली जाओ. तुम तो जानती ही हो मेरी मेरे घर पर किसी से ज़्यादा बनती नही है इस लिए मैं उन मे से किसी को भी अपने साथ नही ले जाना चाहती हू. अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो क्या तुम मेरे साथ चल सकती हो ?
मैने थोड़ी देर सोचा कि मेरे पास भी कोई काम नही है ऑर यहा पर बैठे बैठे मेरे दिमाग़ मे भी इस समय बेकार ऑर फालतू की बाते घूम रही थी. इस लिए मैने सोचा कि मिसेज़. मिश्रा के साथ थोड़ा घूम कर आउन्गि तो मन ठीक हो जाएगा ऑर ये सब बेकार की बाते मेरे दिमाग़ से निकल जाएगी.
मैं- ठीक है मैं थोड़ी देर मैं तैयार हो कर अभी तुम्हारे पास आती हू. कह कर मैने फ़ोन काट दिया.
थोड़ी ही देर मैं मिसेज़. मिश्रा के घर मे आ गयी थी वो तो जैसे एक दम तैयार हो कर मेरा ही इंतजार कर रही थी.
अरे निशा आओ…. कुछ लोगि ठंडा/गरम ? उसने मुझे देख कर अंदर बुलाते हुए कहा
नही कुछ नही….. मैने मना कर दिया
चलो ठीक है चलते है बस मैं ज़रा अपना पर्स ले लू.. कह कर वो अंदर से अपना पर्स लेने चली गयी ओर थोड़ी ही देर मे अपना पर्स ले कर वापस आ गयी.
कार मैं बैठ कर हम दोनो ही चले जा रहे थे. ऑर ड्राइवर गाड़ी चला रहा था.
ऑर सुनाए मिसेज़. मिश्रा जी क्या हाल चाल है ? कैसी चल रही है आप की लाइफ ? मैने ही गाड़ी मे बात की शुरूवात करते हुए कहा
क्या यार निशा मैं तुम्हे निशा करके बुला रही हू ऑर तुम मुझे मिसेज़. मिश्रा कह कर बुलाए जा रही है अरे यार मेरा नाम वन्या है मुझे वन्या कह कर बुला ना हम दोनो सेम एज के ही है. उसने मुझे टोकते हुए कहा.
ओके.. तो वन्या कैसी चल रही है तेरी लाइफ ? तेरे पति की जॉब कैसी चल रही है ? क्या मज़े चल रहे है तुम्हारे ? मैने भी अब एक दम यारी दोस्ती वाली लॅंग्वेज यूज़ कर के उस से बात कर रही थी.
मेरा तो सब बढ़िया है तुम सूनाओ क्या चल रहा है.?
मैं भी बढ़िया ही हू. वैसे डॉक्टर. के पास क्यू जा रही हो ? कोई दिक्कत वाली बात तो नही है ?
अरे नही ऐसे ही रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हू. मन थोड़ा खराब रहता है.
रुटीन चेक-अप…. मैने चुटकी भरे अंदाज मे कहा. तो नये मेहमान के आने की तैयारी शुरू की जा रही है. ? हहहे……. वैसे कितने महीने हो गये है ?
अभी ऐसा कुछ नही है जैसा तुम सोच रही हो. उसने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया.
अरे जब ऐसा कुछ नही है तो फिर किस बात का रुटीन चेक-अप के लिए जा रही हो ?
बात करते हुए मैने उसके चेहरे पर एक उदासी सी छा गयी थी. पता नही क्या चल रहा था उसके दिमाग़ मे. जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उस से पूछ ही लिया क्या बात है तुम बोहोत परेशान सी लग रही हो.? हम बोहोत धीमे धीमे बात कर रहे थे ताकि हमारी बाते ड्राइवर को ना सुनाई दे.
अब क्या बताऊ यार निशा तुझे तो पता ही है हमारी शादी को लगभग 8 महीने से उपर हो गये है. ऑर अब इनका इंटरेस्ट ना जाने क्यू मुझमे कम होता जा रहा है. शुरू शुरू मे तो हम दोनो के बीच मे बोहोत सेक्स होता था हमारी हर रात दीवाली होती थी हर रात हम दोनो के बीच मे सेक्स होता था पर कुछ महीनो से जब से इनका प्रमोशन हुआ है तब से इन्होने तो जैसे मेरी तरफ देखना ही बंद कर दिया है. हर रात होने वाला सेक्स अब वीक्ली हो गया है. ऑर उस मे भी ये सिर्फ़ फॉरमॅलिटी सी ही पूरी करते है.
बिस्तर पर आते है मेरे उपर चढ़ते है ओर अपना काम ख़तम करके सो जाते है बिना इस बात की परवाह किए कि मेरा क्या होता होगा.? मेरी प्यास बुझी कि नही बुझी इस बात से अब इन्हे कोई मतलब नही रह गया है. बिस्तर पर मेरे साथ एक दम ऐसा रिक्ट करते है जैसे किसी रंडी के पास जा कर उसके साथ करते है. इनकी हवस तो पूरी हो जाती है पर मैं एक दम प्यासी रह जाती हू. मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए अपने पति के होने के बाद भी अपनी उंगली का सहारा लेना पड़ता है.