06-01-2020, 03:48 PM
वो पागल सी हो गईं और मेरे कपड़े उतारने लगीं.. फिर अंडरवियर से मेरे लंड को निकाल कर चूसने लगीं।
मैं उनकी फुद्दी चाटता और कभी अपनी उंगली उनकी फुद्दी में घुसेड़ देता.. तो वो चीख पड़ती थीं।
अब वो बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. कुछ कर.. डाल दे मेरे अन्दर अपना लंड संचू…
लेकिन मैंने पहले उन्हें मेरा लंड चूसने को बोला.. और उनके मुँह में लौड़ा घुसेड़ दिया।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर बोलीं- अब डाल दो.. भैनचोद.. क्यों तरसा रहे हो..??
मैंने उन्हें झट से बिस्तर पर पटका और उनकी टाँगें खोल दीं। अब अपना लंड मैंने उनकी फुद्दी पर लगाया और एक झटका मार कर अपना खड़ा लंड अन्दर डाल दिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
वो ‘आह.. आह.. आह.. आह..’ कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद दीदी बोलीं- संचू.. मैं झड़ने वाली हूँ.. थोड़ा और तेज करो..
थोड़ी देर में दीदी झड़ गईं.. पर अभी मैं झड़ने वाला नहीं था.. तो मैंने अपना चुदाई का काम चालू रखा।
काफी देर के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया.. तो मैंने दीदी से बोला- दीदी मेरा छूटने वाला है।
तो दीदी कामुकता से बोलीं- संचू भैनचोद.. चूत में अन्दर ही माल डाल दे..
मैंने सारा पानी उनकी चूत में ही गिरा दिया।
फिर मैं वैसे ही दीदी पर लेट गया।
दीदी बोली- संचू.. बड़ा मज़ा आया आज.
वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगीं.. थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से अकड़ गया.. और मैं फिर से दीदी की चुदाई करने को तैयार हो उठा था।
दीदी ने भी मेरा साथ दिया.. और अब की बार मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनकी फुद्दी मारी।
इस बार पहले से भी ज़्यादा मज़ा आया और दीदी ने मेरा सारा माल अपने मुँह में डलवाया और बड़े मजे से स्वाद लेते हुए पूरा माल पी गईं।
उसके बाद मैंने दीदी को अपने लंड के ऊपर बिठाया और उन्हें चोदा, मैंने उस दिन दीदी को चार बार अलग-अलग तरीके से चोदा।
अब शाम हो गई थी.. दीदी तैयार हुई और जाने लगीं.. तो मैंने एक बार फिर उन्हें चोदने के लिए बोला।
पहले दीदी ने मना कर दिया.. पर मेरे बोलने पर मान गईं। अबकी बार मैंने सिर्फ़ उनकी सलवार और पैन्टी ही खोली थी।
इस बार की ठुकाई में भी दीदी दो बार झड़ गईं और मैंने भी अपना सारा माल उनके मुँह में ही झाड़ा।
फिर उन्होने अपने कपड़े पहने और हमने 10 मिनट तक एक-दूसरे को चूमा।
उसके बाद दीदी चली गईं..
मैं उनकी फुद्दी चाटता और कभी अपनी उंगली उनकी फुद्दी में घुसेड़ देता.. तो वो चीख पड़ती थीं।
अब वो बोलीं- अब नहीं रहा जाता.. कुछ कर.. डाल दे मेरे अन्दर अपना लंड संचू…
लेकिन मैंने पहले उन्हें मेरा लंड चूसने को बोला.. और उनके मुँह में लौड़ा घुसेड़ दिया।
थोड़ी देर चूसने के बाद वो फिर बोलीं- अब डाल दो.. भैनचोद.. क्यों तरसा रहे हो..??
मैंने उन्हें झट से बिस्तर पर पटका और उनकी टाँगें खोल दीं। अब अपना लंड मैंने उनकी फुद्दी पर लगाया और एक झटका मार कर अपना खड़ा लंड अन्दर डाल दिया और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।
वो ‘आह.. आह.. आह.. आह..’ कर रही थीं।
थोड़ी देर बाद दीदी बोलीं- संचू.. मैं झड़ने वाली हूँ.. थोड़ा और तेज करो..
थोड़ी देर में दीदी झड़ गईं.. पर अभी मैं झड़ने वाला नहीं था.. तो मैंने अपना चुदाई का काम चालू रखा।
काफी देर के बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया.. तो मैंने दीदी से बोला- दीदी मेरा छूटने वाला है।
तो दीदी कामुकता से बोलीं- संचू भैनचोद.. चूत में अन्दर ही माल डाल दे..
मैंने सारा पानी उनकी चूत में ही गिरा दिया।
फिर मैं वैसे ही दीदी पर लेट गया।
दीदी बोली- संचू.. बड़ा मज़ा आया आज.
वो मेरे लंड को फिर से सहलाने लगीं.. थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से अकड़ गया.. और मैं फिर से दीदी की चुदाई करने को तैयार हो उठा था।
दीदी ने भी मेरा साथ दिया.. और अब की बार मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनकी फुद्दी मारी।
इस बार पहले से भी ज़्यादा मज़ा आया और दीदी ने मेरा सारा माल अपने मुँह में डलवाया और बड़े मजे से स्वाद लेते हुए पूरा माल पी गईं।
उसके बाद मैंने दीदी को अपने लंड के ऊपर बिठाया और उन्हें चोदा, मैंने उस दिन दीदी को चार बार अलग-अलग तरीके से चोदा।
अब शाम हो गई थी.. दीदी तैयार हुई और जाने लगीं.. तो मैंने एक बार फिर उन्हें चोदने के लिए बोला।
पहले दीदी ने मना कर दिया.. पर मेरे बोलने पर मान गईं। अबकी बार मैंने सिर्फ़ उनकी सलवार और पैन्टी ही खोली थी।
इस बार की ठुकाई में भी दीदी दो बार झड़ गईं और मैंने भी अपना सारा माल उनके मुँह में ही झाड़ा।
फिर उन्होने अपने कपड़े पहने और हमने 10 मिनट तक एक-दूसरे को चूमा।
उसके बाद दीदी चली गईं..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
