06-01-2020, 03:47 PM
मैंने बहाना बनाया कि यह मेरी नहीं है मेरे दोस्त की है.. पढ़ाई कर के बोर हो रहा था.. तो सोचा की कोई मूवी देख लूँ.. पर मुझे नहीं पता था कि इसमें ये सब है।
दीदी ने मुझे शक भरी नजरों से देखा और बोलीं- ज्यादा तेज मत बन..
फिर मैंने बात बदलते हुए कहा- दीदी आप पानी पियोगी?
तो दीदी ने बोला- हाँ.. पिला दे.. और ए.सी. की कूलिंग थोड़ा बढ़ा दे।
मैं रसोई से पानी ले कर आ गया और देखा कि.. दीदी ने अपना दुपट्टा अलग रखा हुआ था और उनके मम्मे सूट से बाहर आते नजर आ रहे थे।
मैं बोला- दीदी, पानी पी लो।
मेरे हाथ अभी भी काँप रहे थे और मैंने पूरा गिलास दीदी के ऊपर ही गिरा दिया।
दीदी गुस्से में बोली- यह तूने क्या किया?
मैं ‘सॉरी..सॉरी..’ करता रहा।
दीदी बोली- चल कोई बात नहीं..
फिर उन्होने जीजू को फोन किया और कहा- मैं मौसी के साथ कहीं जा रही हूँ.. संचित मुझे शाम को छोड़ जाएगा..
इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया।
लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया कि दीदी के मन में क्या चल रहा था।
फिर अचानक दीदी बोलीं- अब इधर आ..
उन्होंने अपने हाथ ऊपर करके कहा- मेरी कमीज ऊपर खींच।
मैंने कहा- दीदी ये क्या बोल रही हो आप?
वो गुस्से से बोलीं- जल्दी कर.. जो कहा है..
मैं कांप रहा था.. मैंने दीदी की कमीज को ऊपर खींच दिया और वो ब्रा में मेरे सामने आ गई थीं।
मैं निगाहें नीचे करके चोरी-चोरी से उनके मम्मे देख रहा था।
फिर उन्होंने मुझे अपनी सलवार का नाड़ा खोलने को कहा।
इस बार मैंने कुछ नहीं बोला और उनका नाड़ा खींच दिया.. और दीदी के बोलने पर उनकी सलवार भी उतार दी।
अब वो केवल गुलाबी ब्रा और गुलाबी पैन्टी में मेरे सामने थीं।
दीदी ने मुझे शक भरी नजरों से देखा और बोलीं- ज्यादा तेज मत बन..
फिर मैंने बात बदलते हुए कहा- दीदी आप पानी पियोगी?
तो दीदी ने बोला- हाँ.. पिला दे.. और ए.सी. की कूलिंग थोड़ा बढ़ा दे।
मैं रसोई से पानी ले कर आ गया और देखा कि.. दीदी ने अपना दुपट्टा अलग रखा हुआ था और उनके मम्मे सूट से बाहर आते नजर आ रहे थे।
मैं बोला- दीदी, पानी पी लो।
मेरे हाथ अभी भी काँप रहे थे और मैंने पूरा गिलास दीदी के ऊपर ही गिरा दिया।
दीदी गुस्से में बोली- यह तूने क्या किया?
मैं ‘सॉरी..सॉरी..’ करता रहा।
दीदी बोली- चल कोई बात नहीं..
फिर उन्होने जीजू को फोन किया और कहा- मैं मौसी के साथ कहीं जा रही हूँ.. संचित मुझे शाम को छोड़ जाएगा..
इतना कह कर उन्होंने फोन काट दिया।
लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया कि दीदी के मन में क्या चल रहा था।
फिर अचानक दीदी बोलीं- अब इधर आ..
उन्होंने अपने हाथ ऊपर करके कहा- मेरी कमीज ऊपर खींच।
मैंने कहा- दीदी ये क्या बोल रही हो आप?
वो गुस्से से बोलीं- जल्दी कर.. जो कहा है..
मैं कांप रहा था.. मैंने दीदी की कमीज को ऊपर खींच दिया और वो ब्रा में मेरे सामने आ गई थीं।
मैं निगाहें नीचे करके चोरी-चोरी से उनके मम्मे देख रहा था।
फिर उन्होंने मुझे अपनी सलवार का नाड़ा खोलने को कहा।
इस बार मैंने कुछ नहीं बोला और उनका नाड़ा खींच दिया.. और दीदी के बोलने पर उनकी सलवार भी उतार दी।
अब वो केवल गुलाबी ब्रा और गुलाबी पैन्टी में मेरे सामने थीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.