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Adultery सोलवां सावन
#31
मजा आया गन्ने के खेत में 



[Image: Sugarcane-t2usityb8ylz.md.jpg]



वह मुश्कुराता हुआ बोला- 



“अरे, मेरी जान अभी तो सिर्फ सुपाड़ा अंदर आया है, अभी पूरा मूसल तो बाहर बाकी है, और वैसे भी इस गन्ने के खेत में तुम चाहे जितना चीखो कोई सुनने वाला नहीं…” 





अब उसने मेरी दोनों पतली कोमल कलाईयों को कस के पकड़ लिया और एक बार फिर से पूरे जोर से उसने धक्का लगाया, मेरी चीख निकलने के पहले ही उसने संतरे की फांक ऐसे मेरे पतले रसीले होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच कसके भींच लिया और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी।





मुझे उसी तरह जकड़े वह धक्के लगाता रहा। 





मेरी आधी लाल गुलाबी चूड़ियां टूट गयीं।





मैं अपने गोरे-गोरे मदमस्त चूतड़, मिट्टी में रगड़ रही थी पर उसके लण्ड के निकलने का कोई चांस नहीं था। और जब आधे से ज्यादा लण्ड मेरी चूत ने घोंट लिया तभी उस जालिम ने छोड़ा। 





पर छोड़ा क्या… उसके हाथ मेरी कलाईयों को छोड़कर मेरी रसीली चूचियों को मसलने, गूंथने में लग गये। 



उसके होंठों ने मेरे होंठों को छोड़कर मेरे गुलाबी गालों का रस लेना शुरू कर दिया और उसका लण्ड उसी तरह मेरी चूत में धंसा था। 





“क्यों बहुत दर्द हो रहा है…” उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर पूछा। 





“बकरी की जान चली गयी और खाने वाला स्वाद के बारे में पूछ रहा है…” मुश्कुराते, आँख नचाते, शिकायत भरे स्वर में मैंने कहा। 





“अरे स्वाद तो बहुत आ रहा है, मेरी जान, स्वाद तो मेरे इससे पूछो…” 




और ये कह के उसने मेरे चूतड़ पकड़ के कस के अपने लण्ड का धक्का लगाया। अब वह सब कुछ भूल के गचागच गचागच मेरी चुदाई कर रहा था। मेरी चूत पूरी तरह फैली हुई थी। दर्द तो बहुत हो रहा था, पर जब उसका लण्ड मेरी चूत में अंदर तक घुसता तो बता नहीं सकती, कितना मजा आ रहा था। 

उसकी उंगलियां कभी मेरे निपल खींचतीं, कभी मेरी क्लिट छेड़तीं, और उस समय तो मैं नशे में पागल हो जाती। उसकी इस धुआंधार चुदाई से मैं जल्द ही झड़ने के कगार पर पहुँच गयी। 



पर सुनील को भी मेरी हालत का अंदाज़ हो गया था और उसने अपना लण्ड मेरी चूत के लगभग मुहाने तक निकाल लिया। 

[Image: fucking-anuja-9.jpg]







मैं- “हे डालो ना, प्लीज़ रुक क्यों गये, करो ना… अच्छा लगा रहा है…” 

पर वह उसी तरह मुझे छेड़ता रहा। 





मैं- “हे डालो ना, करो ना…” मैंने फिर कहा। 





“क्या डालूं… क्या करूं… साफ-साफ बोलो…” वो बोला। 
मैं- “चोदो चोदो, मेरी चूत… अपने इस मोटे लण्ड से कस-कस के चोदो, प्लीज़…” 
“ठीक है, लेकिन आज से तुम सिर्फ इसी तरह से बोलोगी, और मुझसे एक बार और चुदवाओगी…” 




मैं- “हां, हां, जो तुम कहो एक बार क्या मेरे राजा तुम जितनी बार बोलोगे उतनी बार चुदवाऊँगी, पर अभी तो…” 







उसने पूरी ताकत से मेरे कंधे पकड़ के इतनी जोर से धक्का मारा कि उसका पूरा लण्ड एक बार में ही अंदर समा गया। और मैं झड़ गयी, देर तक झड़ती रही, पर वह रुका नहीं और धक्के मारता रहा, मुझे चोदता रहा। 



थोड़ी ही देर में मैं फिर पूरे जोश में आ गयी थी और उसके हर धक्के का जवाब चूतड़ उठा के देती। मेरे टीन चूतड़ उसके जोरदार धक्कों से जमीन पर रगड़ खा रहे थे। मेरी चूची पकड़ के, कभी कमर पकड़ के वह बहुत देर तक चोदता रहा और जब मैं अगली बार झड़ी तो उसके बाद ही वह झड़ा। 





सुनील ने मुझे हाथ पकड़ के उठाया और मेरे नितम्बों पर लगी मिट्टी झाड़ने के बहाने उसने मेरे चूतड़ों पर कस-कस के मारा और एक चूतड़ पकड़ के न सिर्फ दबोच लिया बल्की मेरी गाण्ड में उंगली भी कर दी। 





“हे क्या करते हो मन नहीं भरा क्या, अब इधर भी…” मैंने उसे हटाते हुये कहा। 




“और क्या, तेरे ये मस्त चूतड़ देख के गाण्ड मारने का मन तो करने लगाता है…” ये कहते हुये उसने मेरे जोबन दबाते हुये गाल कसकर काट लिया। 

“उइइइइ…” मैं चीखी और उससे छुड़ाते हुए बाहर निकली।



साथ-साथ सुनील भी आया। बाहर निकलते ही मैं चकित रह गयी।





चन्दा के साथ-साथ अजय भी था। 



सुनील ने मेरे कंधे पे हाथ रखा था, मेरी चूची टीपते हुए, अजय को दिखाकर वो बोला- “देख मैंने तेरे माल पे हाथ साफ कर लिया…” 



अजय कौन कम था, उसने चन्दा के गाल हल्के से काटते हुए कहा- “और मैंने तेरे पे…” 



चन्दा भी छेड़ने के मूड में थी, उसने आँख नचाकर मुझसे पूछा- “क्यों, आया मजा… सुनील के साथ…” 

मुंह बनाकर मैं बोली- “यहां जान निकल गयी और तू मजे की पूछ रही है…” 



चन्दा मेरे पास आकर मेरे नितम्बों को दबोचती बोली- 




[Image: Geeta-anjana-singh-new-pics.jpg]




“अभी चूतड़ उठा-उठाकर गपागप घोंट रही थी और… (मेरे कान में बोली) आगे का जो वादा किया है… और यहां छिनारपन दिखा रही है…” 



“हे, तूने कहां से देखा…” अब मेरे चौंकने की बारी थी। 





“जहां से तू कल देख रही थी…” 


मैं उसे पकड़ने को दौड़ी, पर वह मोटे चूतड़ मटकाती, तेजी से भाग निकली। मुझे घर के बाहर छोड़कर ही वह चली गयी। घर के अंदर पहुँचकर मैं सीधे अपने कमरे में गयी और अपनी हालत थोड़ी ठीक की। 
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Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 01-02-2019, 10:39 AM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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