05-01-2020, 09:53 AM
(31-12-2019, 11:44 AM)@Raviraaj Wrote: कोमल जी बहुत बहुत आभार आप का ??
मोहे रंग दे कि शुरुआत कर दी है बहुत ही उम्दा कहानी शुरू की है चाहे कहानी कोई हो भी हो अगर उस की लेखक आप है फिर क्या देखना,क्या पूछना ?
हम आप की अद्धभुत लेखनी के दिल से मुरीद है,कोई एक कहानी शुरू कीजिए सिर्फ महिला संबंधों पर आधारित हो क्यों कि जिस प्रकार की प्रतिभा आप मे है निसंदेह आप प्रेमसागर के इस अथाह संसार में एक नीलकमल है आप महिला प्रेम पर एक कामुख कहानी पोस्ट करें नए साल पर आप से ये मांग है मेरी,, एक विधवा महिला हो एक उस की बॉस हो और बस अथाह प्रेम हो बस प्रेम और मीठी आहें सिसकारियां एक लंबा वृतांत लिखे बहुत सारा आभार आप का ??
(02-01-2020, 01:47 PM)@Raviraaj Wrote: क्या बात है कोमल जी,बिल्कुल सही खरीददारी हुई है ?
बस इस्तेमाल सटीक तरीके से होना चाहिए बिल्कुल कीमत वसूल ??
बस बहुत बेचेनी से इंतज़ार है समधन कब आये,,कब आप उस की कस कस के???
कोमल जी एक निवेदन है अभी ये स्टोरी बहुत आगे जाएगी आप प्लीज् दूसरी लेडीज़ ओनली नाईट वाला अपडेट बीच मे रख दो ना जहां समधन से पहले उस मिसेस मोइत्रा की अच्छे से रगड़ाई Punishment लेस्बियन रेसलिंग सभी हो जाये क्यों कि जहां कहानी अधूरी छुटी है वहाँ यहीं मोड़ है तो हमें उस चीज का बहुत इंतज़ार है साथ मे मंजुबाई जो मिसेज मोइत्रा की लेगी 24 घण्टे वो अपडेट जल्दी से दे दो ना हाथ जोड़ के प्रार्थना है प्लीज बाकी कहानी के हिसाब से पूरे साल वहां तक नहीं पहुंच पाएंगे हम
कन्या रस वाली बात , आप की बात काफी रुचिकर है , एक प्रौढ़ा और दूसरी कैशोर्य में कदम रखती कच्ची कली , थोड़ा बहलाना , फुसलाना , समझाना और थोड़ी जोर जबरदस्ती , सोलहवां सावन में जो आयु का संबंध था , गुड्डी और उनकी भाभी की माँ के बीच , ... मैं सोच रही हूँ इस फ़ोरम में चल रही अपनी होली की कहानी के सीक्वेल में , ... या सोलहवां सावन के सीक्वेल में , पर अभी कुछ कह नहीं सकती , ... सीक्वेल का फायदा यह होता है की स्टोरी के बिल्ड अप में वह समय नहीं लगता ,
अब आपकी दूसरी बात ,.... आप ही ने कहा था की इस कहानी के किसी प्रसंग को मैं छोड़ू , ... जौनपुर जी की कृपा और आर्शीवाद से खुलते बंद होते फोरमो के झंझावात में भी मेरी फागुन के दिन चार और जोरू का गुलाम ( अपूर्ण ) ऐसी कहानियां बच गयी , जिन्हे शायद उपन्यास कहना सही होगा , न सिर्फ आकार के दृष्टि से बल्कि घटनाओं की भी दृष्टि से , न सिर्फ घटनास्थल , बल्कि पात्र भी कई है जो कहानी के शुरू से लेकर अंत तक जुड़े हैं , और अगर सिर्फ एक प्रसंग अलग से तो जो इस कहानी से अच्छी तरह नहीं परिचित हैं , उनके लिए उस पृष्ठभूमि से जुड़ना कठिन होता है ,
पर जैसा मैंने कहा , मैंने मना नहीं किया ,
जोरू का गुलाम , अब जोरू का गुलाम रिवैम्पड है , इसमें नए पात्र या घटनास्थल तो नहीं जुड़ेंगे लेकिन घटनाये और जुड़ सकती हैं और जुड़ भी रही हैं , पुराने फोरम के बंद होने का दुःख तो है , लेकिन नए फोरम में मुझे लगता है क्रिएटिव लिबर्टी ज्यादा है , हर पोस्ट के बाद ये डर नहीं लगता की कोई मॉडरेटर झांक रहा होगा और बिना संदर्भ समझे कैंची चला देगा , और यह भी नहीं की हमेशा , हर कैरेकटर की हाईकॉलेज की मार्कशीट , बर्थ सर्टिफिकेट और आधार साथ में ले कर चलना पड़ेगा .
तो मैं कोशिश करुँगी की जिन प्रंसगों की ओर आपने इशारा किया है , उन्हें रिवैम्प में अगर हो सके तो , ... लेकिन तब तक यही अनुरोध रहेगा इस कथा यात्रा में आप साथी बने रहें , ... हर पग पर पोस्ट के बाद , हौसला बढ़ाते रहें , ...