05-01-2020, 08:12 AM
जब रोमांच का वो दौर थमा तो मेरा हाथ मेरे योनि रस मे पूरा का पूरा सन चुका था. मैं जल्दी से पानी से अपना हाथ ऑर अपनी योनि को सॉफ करने लगी तभी बाहर से आती हुई आवाज़ ने मुझे बुरी तरह से चोव्क्ने पर मजबूर कर दिया..
भाभी जी ये उंगली से करने की जगह नही है.. कब तक उंगली से काम चलाओगी ? मेरा लंड तैयार है एक दम खड़ा हुआ है बस एक बार आप कहो तो सही… हहहे
मेरी तो साँसे ही अटक गयी उसकी आवाज़ ऑर फिर भयानक हँसी सुन कर. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. ये तो बाहर ही खड़ा हुआ है ऑर ये मुझे देख रहा था... हे भगवान.... क्या करू... मैने जल्दी से खड़े हो कर अपने कपड़े उठाए ऑर उन्हे पहनना शुरू कर दिया...
मेरी डर के मारे हालत खराब हो रही थी. क्या करू ? बाहर कैसे जाउन्गि अब ? कही ये फिर से मुझे ना पकड़ ले. हे भगवान क्या करू अब ? उस वक़्त तो जैसे मेरे दिमाग़ ने काम करना बिल्कुल बंद ही कर दिया था.
मैने डरती हुई आवाज़ मे कपड़े पहन कर उस से कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
भाभी जी नींद ही नही आने दे रही हो आप ? ऑर आप अपनी उंगलियो को क्यू बेकार मे तकलीफ़ दे रही हो ? भला उंगली से ही कभी चूत की प्यास बुझी है ? चूत की प्यास बुझती है लंड से. ओर मुझे अच्छे से पता है मनीष भैया के लंड की तुम्हे बोहोत याद आ रही है..हहहे……. पर आप चिंता ना करो उनकी कमी को पूरा करने के लिए मैं हू ना.
बंद करो अपनी बकवास ओर चुप-छाप अपने कमरे मे चले जाओ. ये सब फालतू की बात मुझसे करने की कोई ज़रूरत नही है.. समझे की नही. मैने उसे गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
भाभी जी… बेकार का काम तो आप कर रही हो उंगली कर के.. अरे जब आप के पास आप के ही घर मे लंबा ऑर मोटा लंड है तो उसे ईस्तमाल ना करके आप ही बेकार काम कर रही हो.. हहहे…
बंद करो देहाती अपनी बकवास ओर चुप-चाप यहा से चले जाओ. मैने फिर से उसे गुस्से मे डाँट’ते हुए कहा.
अब उसके जाने की उसके कदमो की आवाज़ सुनाई देने लग गयी. उसे सुन कर मेरी जान मे जान मे आई. मैने हल्के से बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखा तो वहाँ कोई नही दिखाई दिया. मैं अपने गीले कपड़े वही छ्चोड़ कर जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी.
कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.
क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?
तभी दरवाजे की बेल बज गयी…
मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी. मैने जल्दी से तोलिया हटा कर अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिया. इस सब को याद कर के मैं बुरी तरह से गीली हो गयी थी पर इस वक़्त कोई दरवाजे पर आ गया था.
.
इस लिए मैने जल्दी से अपने बाकी कपड़े पहने ऑर दरवाजे पर जा कर देखने लगी कॉन आया है.? दरवाजा खोल कर देखा तो सामने रूपा खड़ी हुई थी. रूपा को देख कर मुझे टाइम का एहसास हुआ कि मैं अपने ख़यालो मे इतना खो गयी थी कि कब शाम हो गयी पता ही नही चला.
रूपा के अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. करने के लिए कोई काम तो ख़ास था नही बस दो-तीन झूठे बर्तन थे साफ करने के लिए. जिन्हे उसने जल्दी से साफ भी कर दिया. ऑर हल्की फुल्की झाड़ू पोंचा भी कर दिया.
भाभी जी ये उंगली से करने की जगह नही है.. कब तक उंगली से काम चलाओगी ? मेरा लंड तैयार है एक दम खड़ा हुआ है बस एक बार आप कहो तो सही… हहहे
मेरी तो साँसे ही अटक गयी उसकी आवाज़ ऑर फिर भयानक हँसी सुन कर. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. ये तो बाहर ही खड़ा हुआ है ऑर ये मुझे देख रहा था... हे भगवान.... क्या करू... मैने जल्दी से खड़े हो कर अपने कपड़े उठाए ऑर उन्हे पहनना शुरू कर दिया...
मेरी डर के मारे हालत खराब हो रही थी. क्या करू ? बाहर कैसे जाउन्गि अब ? कही ये फिर से मुझे ना पकड़ ले. हे भगवान क्या करू अब ? उस वक़्त तो जैसे मेरे दिमाग़ ने काम करना बिल्कुल बंद ही कर दिया था.
मैने डरती हुई आवाज़ मे कपड़े पहन कर उस से कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?
भाभी जी नींद ही नही आने दे रही हो आप ? ऑर आप अपनी उंगलियो को क्यू बेकार मे तकलीफ़ दे रही हो ? भला उंगली से ही कभी चूत की प्यास बुझी है ? चूत की प्यास बुझती है लंड से. ओर मुझे अच्छे से पता है मनीष भैया के लंड की तुम्हे बोहोत याद आ रही है..हहहे……. पर आप चिंता ना करो उनकी कमी को पूरा करने के लिए मैं हू ना.
बंद करो अपनी बकवास ओर चुप-छाप अपने कमरे मे चले जाओ. ये सब फालतू की बात मुझसे करने की कोई ज़रूरत नही है.. समझे की नही. मैने उसे गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
भाभी जी… बेकार का काम तो आप कर रही हो उंगली कर के.. अरे जब आप के पास आप के ही घर मे लंबा ऑर मोटा लंड है तो उसे ईस्तमाल ना करके आप ही बेकार काम कर रही हो.. हहहे…
बंद करो देहाती अपनी बकवास ओर चुप-चाप यहा से चले जाओ. मैने फिर से उसे गुस्से मे डाँट’ते हुए कहा.
अब उसके जाने की उसके कदमो की आवाज़ सुनाई देने लग गयी. उसे सुन कर मेरी जान मे जान मे आई. मैने हल्के से बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखा तो वहाँ कोई नही दिखाई दिया. मैं अपने गीले कपड़े वही छ्चोड़ कर जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी.
कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.
क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?
तभी दरवाजे की बेल बज गयी…
मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी. मैने जल्दी से तोलिया हटा कर अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिया. इस सब को याद कर के मैं बुरी तरह से गीली हो गयी थी पर इस वक़्त कोई दरवाजे पर आ गया था.
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इस लिए मैने जल्दी से अपने बाकी कपड़े पहने ऑर दरवाजे पर जा कर देखने लगी कॉन आया है.? दरवाजा खोल कर देखा तो सामने रूपा खड़ी हुई थी. रूपा को देख कर मुझे टाइम का एहसास हुआ कि मैं अपने ख़यालो मे इतना खो गयी थी कि कब शाम हो गयी पता ही नही चला.
रूपा के अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. करने के लिए कोई काम तो ख़ास था नही बस दो-तीन झूठे बर्तन थे साफ करने के लिए. जिन्हे उसने जल्दी से साफ भी कर दिया. ऑर हल्की फुल्की झाड़ू पोंचा भी कर दिया.