04-01-2020, 07:34 AM
मेरी नींद का दुश्मन
और जगी पूरे घंटे , डेढ़ घंटे बाद , ...
जगाया किसने , ...
वही मेरी नींद का दुश्मन , मेरे कपड़ो का दुश्मन ,...
वो रहते तो सोने नहीं देते
( और वो चाहते भी तो मैं सोने नहीं देती , अब तो 'उस के लिए ' मेरा मन इन से भी ज्यादा करता था )
और नहीं रहते तो उनकी यादें नहीं सोने देतीं
उन्होंने और उनके दिए आई फोन ने ,
वो बनारस पहुँच गए थे ... बाबतपुर एयरपोर्ट , अभी बोर्डिंग पर थे
जैसे कई बार आप बहुत सोना चाहें तो नींद नहीं आती , उसी तरह जब आप बहुत बात करना चाहें तो बात भी समझ में नहीं आती ,
बस उस बदमाश की आवाज सुनना काफी था ,
वो बोलते रहे मैं सुनती रही , ... जब कुछ समझ में नहीं आया तो बस वही बात बोली ,
" अपना ख्याल रखना "
और जैसे कोई लूज बाल पर सेट बैट्समेन चौक्का मार दे , वो हँसते हुए बोले ,
" तू है न उसके लिए "
मैंने कुशल राजनीतिज्ञ की तरह बात बदल दी , ...
" वो तुझे प्रोजेक्ट रिपोर्ट , कम्प्लीट करनी थी न ... बहुत पिटाई होगी तुम्हारी "
" काफी हो गयी , बाकि प्लेन में कर लूंगा " वो बोले ,
पर वो लड़का भी न उसे कुछ भी नहीं आता था सिवाय मेरा ख्याल करने के ,
और पता नहीं कहाँ से उसने कैमरे , कमरे में , मेरे मन के कोने कोने में लगा रखे थे , उसे सब पता चल जाता था ,
वैसे तो एकदम बुद्धू , पर ,...
और उसने पूछ लिया ,
" रोई तो नहीं , सच बोल ,... "
मैं क्या बोलती ,
मुश्किल से अपनी सुबकियां रोक पायी , तकिया पूरा गीला था , मेरे चेहरे पर भी , ...
बहुत मुश्किल से झूठ बोल पायी ,
" नहीं नहीं रोऊँगी क्यों , ... "
और एक बार फिर आंसुओं की धार फूट पड़ी ,
" बस पांच दिन की बात , अगले सैटरडे , फिर मैं आ जाऊँगा , " उनकी आवाज आयी ,
जेठानी जी की बात याद करके मैं मुस्करा पड़ी , चोर
" चोर की तरह मत आना , आधी रात को ,... "
मैं बोली
" नहीं नहीं अबकी शाम को ही जाऊँगा , ... पक्का "
वो बोले , तबतक पीछे से कुछ अनाउंसमेंट सुनाई पड़ा और वो बोले बोर्डिंग शुरू होगयी है , बंगलौर पहुँच के फोन करता हूँ , "
और फोन काट दिया।
मैं बिना बोले देर तक फोन देखती रही , जैसे अभी फोन से फिर उनकी आवाज आनी शुरू हो जायेगी , ...
मुझे मालूम था , अब ज़नाब गगन विहारी होंगे , दो ढाई घंटे से पहले उनकी आवाज सुनने का कोई चांस नहीं , ...
और फोन पकडे पकडे , देखते देखते कब मैं सो गयी पता नहीं ,
उठी घंटे सवा घंटे बाद , लेकिन जानबूझ कर मैंने आँख नहीं खोली ,
गुड्डी थी ,
वही उनका माल , कच्ची अमिया वाली और उसकी दो सहेलियां , एकदम पक्की वाली।
और जगी पूरे घंटे , डेढ़ घंटे बाद , ...
जगाया किसने , ...
वही मेरी नींद का दुश्मन , मेरे कपड़ो का दुश्मन ,...
वो रहते तो सोने नहीं देते
( और वो चाहते भी तो मैं सोने नहीं देती , अब तो 'उस के लिए ' मेरा मन इन से भी ज्यादा करता था )
और नहीं रहते तो उनकी यादें नहीं सोने देतीं
उन्होंने और उनके दिए आई फोन ने ,
वो बनारस पहुँच गए थे ... बाबतपुर एयरपोर्ट , अभी बोर्डिंग पर थे
जैसे कई बार आप बहुत सोना चाहें तो नींद नहीं आती , उसी तरह जब आप बहुत बात करना चाहें तो बात भी समझ में नहीं आती ,
बस उस बदमाश की आवाज सुनना काफी था ,
वो बोलते रहे मैं सुनती रही , ... जब कुछ समझ में नहीं आया तो बस वही बात बोली ,
" अपना ख्याल रखना "
और जैसे कोई लूज बाल पर सेट बैट्समेन चौक्का मार दे , वो हँसते हुए बोले ,
" तू है न उसके लिए "
मैंने कुशल राजनीतिज्ञ की तरह बात बदल दी , ...
" वो तुझे प्रोजेक्ट रिपोर्ट , कम्प्लीट करनी थी न ... बहुत पिटाई होगी तुम्हारी "
" काफी हो गयी , बाकि प्लेन में कर लूंगा " वो बोले ,
पर वो लड़का भी न उसे कुछ भी नहीं आता था सिवाय मेरा ख्याल करने के ,
और पता नहीं कहाँ से उसने कैमरे , कमरे में , मेरे मन के कोने कोने में लगा रखे थे , उसे सब पता चल जाता था ,
वैसे तो एकदम बुद्धू , पर ,...
और उसने पूछ लिया ,
" रोई तो नहीं , सच बोल ,... "
मैं क्या बोलती ,
मुश्किल से अपनी सुबकियां रोक पायी , तकिया पूरा गीला था , मेरे चेहरे पर भी , ...
बहुत मुश्किल से झूठ बोल पायी ,
" नहीं नहीं रोऊँगी क्यों , ... "
और एक बार फिर आंसुओं की धार फूट पड़ी ,
" बस पांच दिन की बात , अगले सैटरडे , फिर मैं आ जाऊँगा , " उनकी आवाज आयी ,
जेठानी जी की बात याद करके मैं मुस्करा पड़ी , चोर
" चोर की तरह मत आना , आधी रात को ,... "
मैं बोली
" नहीं नहीं अबकी शाम को ही जाऊँगा , ... पक्का "
वो बोले , तबतक पीछे से कुछ अनाउंसमेंट सुनाई पड़ा और वो बोले बोर्डिंग शुरू होगयी है , बंगलौर पहुँच के फोन करता हूँ , "
और फोन काट दिया।
मैं बिना बोले देर तक फोन देखती रही , जैसे अभी फोन से फिर उनकी आवाज आनी शुरू हो जायेगी , ...
मुझे मालूम था , अब ज़नाब गगन विहारी होंगे , दो ढाई घंटे से पहले उनकी आवाज सुनने का कोई चांस नहीं , ...
और फोन पकडे पकडे , देखते देखते कब मैं सो गयी पता नहीं ,
उठी घंटे सवा घंटे बाद , लेकिन जानबूझ कर मैंने आँख नहीं खोली ,
गुड्डी थी ,
वही उनका माल , कच्ची अमिया वाली और उसकी दो सहेलियां , एकदम पक्की वाली।