03-01-2020, 05:33 PM
आप को मज़ा तो आ रहा है ना निशा भाभी. उसने फिर से बेशर्मी से अपनी बत्तीसी फाड़ते हुए कहा.
तुम्हे शरम आनी चाहिए मेरे साथ ये सब करते हुए. मैने उस से गुस्से भरे अंदाज मे कहा.
आ तो बोहोत रही है भाभी जी पर मैं दिल के हाथो बोहोत मजबूर हो गया हू. जब से आया हू तब से आप की कातिल मतवाली गांद का नशा मेरी आँखो से हट’ती ही नही है.
शट-अप, चुप रहो मैने उसकी तरफ गुस्से से कहा. इस दौरान उसने कब मेरे सरीर से अपनी पकड़ ढीली कर ली मुझे पता ही नही चला था
अचानक उसने कुछ अजीब तरह से मेरे पीछे के छेद को इस तरह से रगड़ दिया जी से मेरे मुँह से खुद ब खुद सिसकारी सी निकल गयी. ओर मैं थोड़ा उछल कर आगे की तरफ हो गयी
मेरे आगे की तरफ को होते ही लाइट भी आ गयी.
लाइट के आते ही मैं एक दम से होश मे आई ऑर अपने आप को उसके चंगुल से पूरी तारह छुड़ाते हुए देख लेना देहाती मैं ये सारी बाते मनीष को बताउन्गि तब देखना वो तुम्हारा क्या हाल करते है कह कर फ़ौरन अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया.
कमरे के अंदर आते ही मैं बेड पर जा कर गिर पड़ी. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे मुझे बोहोत बुरा लग रहा था कि मनीष की बीवी होने के बाद भी मैने अपने शरीर को उसे च्छुने दिया. बेड पर मेरा बदन बुरी तरह से थर-थर काँप रहा था. मुझे अभी भी अपने दोनो नितंबो के बीच मे उस अमित की उंगली अपने गुदा छिद्र पर महसूस हो रही थी.
मुझे यकीन करना मुस्किल हो रहा था कि मेरे साथ मेरे ही घर मे उसने ये सब कुछ किया ओर तो ओर मैं भी उसकी हरकत से अपने आप पर काबू नही रख पाई. मैं मन ही मन अमित को गाली देती जा रही थी.
अब कुछ भी हो जाए पानी सर से उपर हो गया है मुझे मनीष को सब कुछ साफ साफ बताना होगा. मैने मनीष का नंबर. लगाया पर मनीष का नंबर नोट रीचबल आ रहा था. ये मनीष भी ना. जब भी इन्हे किसी ज़रूरी काम से फ़ोन करती हू हमेशा इनका नंबर. नोट रीचबल आता है या फ़ोन उठाते ही नही है. मेरी टांगे बुरी तरह से चिप-चिपा रही थी. मैने सोचा की नहा लिया जाए वरना से गंदा एहसास मुझे पूरी रात परेशान करता रहेगा. पर……. कही वो दरवाजे के बाहर ही हुआ तो ?
नही….. नही वो बाहर नही होगा अब तो काफ़ी रात हो गई है वो अपने कमरे मे सो गया होगा. मैने अपने आप ही सवाल किया ऑर अपने आप ही उसका जवाब दे दिया. पर फिर भी एक बार कन्फर्म कर लेना ठीक है. कही उसने ये सब हरकत दोबारा शुरू कर दी तो ?
काफ़ी देर तक मैं खुद से सवाल जवाब करती रही. इधर एसी का चलना ना चलना एक बराबर था. पर जब वीर्य के सूख जाने से उसकी चुभन मेरी जाँघो पर तेज होने लगी तो मुझ से रहा नही गया ऑर मैने बोहोत ही धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला ऑर सर निकाल कर इधर उधर देखा जब मैने चारो तरफ देख लिया ऑर मुझे विश्वास हो गया कि वो कही भी नही है. मैने पूरा दरवाजा खोल दिया ऑर उसके कमरे की तरफ देख. उसके कमरे का दरवाजा बंद था इस का मतलब वो अपने कमरे मे ही है.
मैं जल्दी से अपने कमरे मे वापस आई ऑर अपने दूसरे कपड़े अलमारी से निकाल लिए. ऑर उन्हे ले कर बाथ रूम मे आ गयी. एसी कमरे से बाहर निकलने के बाद तो गर्मी जैसे अपने चरम पर थी. बाथरूम के अंदर आते ही मैने जल्दी से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.
बाथरूम मे आ कर मैं जल्दी से अपने शरीर से कपड़े निकालने लग गयी. कुछ ही समय मे मैने अपने शरीर से पूरे कपड़े निकाल दिए थे. मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नही रहा था.
मैने अपने शरीर पर ठंडा ठंडा पानी डालना शुरू कर दिया. ऑर अपनी टाँगो को रगड़ रगड़ कर सॉफ करने लगी जहा मेरा योनि रस बह बह कर मेरी जाँघो पर जम गया था.
जैसे जैसे पानी मेरे जिस्म पर गिरता जा रहा था मेरे दिल को कुछ राहत मिल रही थी. पर अगले ही पल फिर से वही एहसास मुझे अपने नितंबो पर होने लगा. जैसा थोड़ी देर पहले उसने मुझे पकड़ लिया था तब हुआ था.
शरीर पर पानी गिरने के बाद भी मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह से दहक उठा. उस एहसास ने ना जाने मुझ पर क्या जादू सा कर दिया था. मेरा हाथ अपने आप ही मेरे नितंबो पर आ गया. पहली बार मैने अपने नितंबो को छू कर देखा ऑर सच मे वो एक दम रूई के जैसे मुलायम रखे हुए थे. उसने कुछ भी ग़लत नही कहा था उसकी बात याद करते ही मेरे चेहरे पर अपने आप हँसी आ गयी.
पर मेरे बदन मे जो एक अजीब किस्म की खुमारी एक अजीब किस्म का नशा चढ़ता जा रहा था. जाने क्या हो गया था मुझे कहाँ तो मैं कभी कभी मनीष को सेक्स के लिए मना कर देती थी ऑर आज मैं खुद ही ज़रा ज़रा सी बात को सोच कर ही अपने आप बहकति जा रही थी ऑर इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरी योनि ने एक बार फिर से बहाना शुरू कर दिया था.
अपनी योनि के रिसाव से मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, मैं खड़ी हुई थी पर मेरी योनि ने रिसाव करना जैसे ही शुरू किया मेरी टाँगो ने जवाब दे दिया. ऑर मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गयी नीचे बैठ ते के साथ ही कब मेरी योनि के साथ जंग कहु या दोस्ती, जो शुरू हुई उसने तो मुझे रोमांच की नयी उँचाई पर ले जा कर खड़ा कर दिया
तुम्हे शरम आनी चाहिए मेरे साथ ये सब करते हुए. मैने उस से गुस्से भरे अंदाज मे कहा.
आ तो बोहोत रही है भाभी जी पर मैं दिल के हाथो बोहोत मजबूर हो गया हू. जब से आया हू तब से आप की कातिल मतवाली गांद का नशा मेरी आँखो से हट’ती ही नही है.
शट-अप, चुप रहो मैने उसकी तरफ गुस्से से कहा. इस दौरान उसने कब मेरे सरीर से अपनी पकड़ ढीली कर ली मुझे पता ही नही चला था
अचानक उसने कुछ अजीब तरह से मेरे पीछे के छेद को इस तरह से रगड़ दिया जी से मेरे मुँह से खुद ब खुद सिसकारी सी निकल गयी. ओर मैं थोड़ा उछल कर आगे की तरफ हो गयी
मेरे आगे की तरफ को होते ही लाइट भी आ गयी.
लाइट के आते ही मैं एक दम से होश मे आई ऑर अपने आप को उसके चंगुल से पूरी तारह छुड़ाते हुए देख लेना देहाती मैं ये सारी बाते मनीष को बताउन्गि तब देखना वो तुम्हारा क्या हाल करते है कह कर फ़ौरन अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया.
कमरे के अंदर आते ही मैं बेड पर जा कर गिर पड़ी. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे मुझे बोहोत बुरा लग रहा था कि मनीष की बीवी होने के बाद भी मैने अपने शरीर को उसे च्छुने दिया. बेड पर मेरा बदन बुरी तरह से थर-थर काँप रहा था. मुझे अभी भी अपने दोनो नितंबो के बीच मे उस अमित की उंगली अपने गुदा छिद्र पर महसूस हो रही थी.
मुझे यकीन करना मुस्किल हो रहा था कि मेरे साथ मेरे ही घर मे उसने ये सब कुछ किया ओर तो ओर मैं भी उसकी हरकत से अपने आप पर काबू नही रख पाई. मैं मन ही मन अमित को गाली देती जा रही थी.
अब कुछ भी हो जाए पानी सर से उपर हो गया है मुझे मनीष को सब कुछ साफ साफ बताना होगा. मैने मनीष का नंबर. लगाया पर मनीष का नंबर नोट रीचबल आ रहा था. ये मनीष भी ना. जब भी इन्हे किसी ज़रूरी काम से फ़ोन करती हू हमेशा इनका नंबर. नोट रीचबल आता है या फ़ोन उठाते ही नही है. मेरी टांगे बुरी तरह से चिप-चिपा रही थी. मैने सोचा की नहा लिया जाए वरना से गंदा एहसास मुझे पूरी रात परेशान करता रहेगा. पर……. कही वो दरवाजे के बाहर ही हुआ तो ?
नही….. नही वो बाहर नही होगा अब तो काफ़ी रात हो गई है वो अपने कमरे मे सो गया होगा. मैने अपने आप ही सवाल किया ऑर अपने आप ही उसका जवाब दे दिया. पर फिर भी एक बार कन्फर्म कर लेना ठीक है. कही उसने ये सब हरकत दोबारा शुरू कर दी तो ?
काफ़ी देर तक मैं खुद से सवाल जवाब करती रही. इधर एसी का चलना ना चलना एक बराबर था. पर जब वीर्य के सूख जाने से उसकी चुभन मेरी जाँघो पर तेज होने लगी तो मुझ से रहा नही गया ऑर मैने बोहोत ही धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला ऑर सर निकाल कर इधर उधर देखा जब मैने चारो तरफ देख लिया ऑर मुझे विश्वास हो गया कि वो कही भी नही है. मैने पूरा दरवाजा खोल दिया ऑर उसके कमरे की तरफ देख. उसके कमरे का दरवाजा बंद था इस का मतलब वो अपने कमरे मे ही है.
मैं जल्दी से अपने कमरे मे वापस आई ऑर अपने दूसरे कपड़े अलमारी से निकाल लिए. ऑर उन्हे ले कर बाथ रूम मे आ गयी. एसी कमरे से बाहर निकलने के बाद तो गर्मी जैसे अपने चरम पर थी. बाथरूम के अंदर आते ही मैने जल्दी से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.
बाथरूम मे आ कर मैं जल्दी से अपने शरीर से कपड़े निकालने लग गयी. कुछ ही समय मे मैने अपने शरीर से पूरे कपड़े निकाल दिए थे. मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नही रहा था.
मैने अपने शरीर पर ठंडा ठंडा पानी डालना शुरू कर दिया. ऑर अपनी टाँगो को रगड़ रगड़ कर सॉफ करने लगी जहा मेरा योनि रस बह बह कर मेरी जाँघो पर जम गया था.
जैसे जैसे पानी मेरे जिस्म पर गिरता जा रहा था मेरे दिल को कुछ राहत मिल रही थी. पर अगले ही पल फिर से वही एहसास मुझे अपने नितंबो पर होने लगा. जैसा थोड़ी देर पहले उसने मुझे पकड़ लिया था तब हुआ था.
शरीर पर पानी गिरने के बाद भी मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह से दहक उठा. उस एहसास ने ना जाने मुझ पर क्या जादू सा कर दिया था. मेरा हाथ अपने आप ही मेरे नितंबो पर आ गया. पहली बार मैने अपने नितंबो को छू कर देखा ऑर सच मे वो एक दम रूई के जैसे मुलायम रखे हुए थे. उसने कुछ भी ग़लत नही कहा था उसकी बात याद करते ही मेरे चेहरे पर अपने आप हँसी आ गयी.
पर मेरे बदन मे जो एक अजीब किस्म की खुमारी एक अजीब किस्म का नशा चढ़ता जा रहा था. जाने क्या हो गया था मुझे कहाँ तो मैं कभी कभी मनीष को सेक्स के लिए मना कर देती थी ऑर आज मैं खुद ही ज़रा ज़रा सी बात को सोच कर ही अपने आप बहकति जा रही थी ऑर इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरी योनि ने एक बार फिर से बहाना शुरू कर दिया था.
अपनी योनि के रिसाव से मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, मैं खड़ी हुई थी पर मेरी योनि ने रिसाव करना जैसे ही शुरू किया मेरी टाँगो ने जवाब दे दिया. ऑर मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गयी नीचे बैठ ते के साथ ही कब मेरी योनि के साथ जंग कहु या दोस्ती, जो शुरू हुई उसने तो मुझे रोमांच की नयी उँचाई पर ले जा कर खड़ा कर दिया