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Adultery मेहमान बेईमान
#43
हे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छुने की… छ्चोड़ो मुझे अभी के अभी.. मैने उसकी क़ैद से आज़ाद होने के लिए छटपटाते हुए कहा. उसने इस तरह से पकड़ रहा था कि मेरी दोनो बाँहो मे बहता हुआ खून सा रुक गया था.

अमित ने मुझे घूमा वैसे ही पकड़े पकड़े घूमा दिया जिस कारण अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी ऑर उसकी निकलती हुई साँसे मुझे मेरे कंधे पर महसूस हो रही थी.

पीठ की तरफ घूम जाने से मुझे मेरे नितम पर उसका लिंग साफ महसूस हो रहा था जिसे महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजिली सी कोंध गयी.

अचानक उसने अपना एक हाथ पकड़ से हटा कर मेरे नितंब पर रख दिया. उसका हाथ अपने नितंब पर महसूस करते ही एक अजीब से डर के कारण मेरे रोंगटे खड़े हो गये.

मैने उसकी क़ैद से निकलने की दोबारा कोसिस करते हुए उस से कहा.. छ्चोड़ो मुझे ये क्या कर रहे हो ?

पर वो तो अपनी मस्ती मे मस्त था.. अपना चेहरा मेरे कान के नज़दीक ला कर धीरे से मेरे कान मे बोला बोहोत मुलायम है. एक दम रूई के गद्दे के जैसे. ऑर खिल-खिला कर हंस दिया

मैं कहती हू अपना हाथ वहाँ से हटा लो. वरना इसका नतीजा अच्छा नही होगा. मैने लगभग पूरी ताक़त से से उसकी पकड़ से निकलने का प्रयास किया ऑर अपने दाँत भींचते हुए उस से कहा.

पर उसने मेरी एक नही सुनी मैं बराबर उस से मुझे छोड़ने की कह रही थी लेकिन वो उतनी ही सख्ती के साथ अपने हाथ को मेरे नितंब पर चलाए जा रहा था. बारी बारी से उसने मेरे दोनो नितंबो को मसल कर रख दिया.

मैने जल्दी जल्दी मे कपड़े पहनने के चक्कर मे अंदर पनती ओर पेटिकोट नही पहना था जिस कारण उसका हाथ मेरे नितंबो पर आसानी से चल रहा था ऑर मेरे दोनो नितंबो को मसले जा रहा था. उसके इस तरह मेरे नितंबो को मसल्ने से मेरी सारी पूरी तरह से ढीली हो गयी थी.

उसके हाथो से अपने नितंबो को इस तरह से मसले जाना मुझे अंदर ही अंदर कही ना कही बड़ा अच्छा सा फील करा रहा था. मैने पकड़ से बाहर निकलने की कोसिस करना भी बंद सा कर दिया था. पर तभी मैं बुरी तरह से काँप उठी. उसने नितंबो को मसल्ते मसल्ते ही साड़ी के उपर से नितंबो की दरार मे उंगली डाल दी. अपने नितंबो के बीच मे उंगली महसूस करते ही मेरा पूरा बदन फिर से थर-थर काँपने लग गया.

तुम हट रहे हो कि नही. मैं मनीष को अभी फ़ोन करके सब बता दूँगी. मैने अबकी बार लग-भग चिल्लाते हुए कहा

बता देना जिसे भी बताना है. पर भाभी जी इसमे नुकसान आप का ही होगा. उसने मेरे कंधे को चूमते हुए कहा. हर कोई मेरी तरह गांद की मालिश नही कर सकता. सोच लो. खिल-खिलाते हुए उसने अपनी बात पूरी की.

शट-अप, बंद करो अपनी बेहूदा बकवास. एक तरफ मुझे भाभी कह रहे हो ऑर दूसरी तरफ मेरे साथ ये सब कर रहे हो शरम नही आती तुम्हे.

देवर भाभी, जीजा-साली के रिश्ते मे ये सब चलता है. तुमने सुना नही है साली आधी घर वाली होती है. ऑर भाभी मा के समान जब मा अपने बच्चे को दूध पिला सकती है तो भाभी क्यू नही पिला सकती. भाभी जी माँ बन कर दूध पिलाओगी ? उसने खिल-खिलाते हुए कहा.

मैने कहा छ्चोड़ो मुझे. तुम मेरे साथ ऐसा कुछ भी नही कर सकते हो. मैने गुस्से भरी आवाज़ मे उस से कहा.

उसने मेरी साड़ी को मेरे नितंबो के उपर से नितंबो की दरार मे अंदर की तरफ धकेलते हुए उसने अपनी एक उंगली मेरे नितंब के छेद पर ले जा कर टिका दी. आज तक किसी ने भी मुझे वहाँ नही च्छुआ था यहाँ तक कि मनीष ने भी नही. उसकी उंगली अपने गुदा द्वार पर महसूस करते ही मेरा शरीर काँपने लग गया.

भाभी कमाल की गांद है तुम्हारी एक दम गजब. मनीष भैया तो खेले बिना नही रह पाते होंगे ऐसी मस्तानी मतवाली गांद से. एक दम कातिलाना गांद है तुम्हारी भाभी.

तुम्हे क्या लेना देना है ऑर चुप-चाप से मुझे छ्चोड़ दो अगर अपनी भलाई चाहते हो तो. मैने उसे एक बार फिर से चेतावनी देते हुए कहा.

पर उसने मेरी बात को पूरी तरह से अन सुना कर दिया ओर बराबर मेरे गुदा छेद को रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था पर उसकी पकड़ मे होने के कारण कुछ कर नही पा रही थी. लेकिन धीरे धीरे उसके मेरे गुदा छेद को रगड़ने से मुझे मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल महसूस होने लग गयी. सबसे बड़ा झटका तो मुझे तब लगा जब मुझे अपनी दोनो टाँगो के बीच मे गीला गीला सा महसूस होने लग गया. मेरे पीछे वाले छेद पर हो रही रगड़ के कारण मेरी योनि ने गीला होना शुरू कर दिया था. जिस कारण मैं एक दम खामोशी के साथ जो कर रहा था उसे करने दे रही थी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 03-01-2020, 05:31 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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