03-01-2020, 12:22 PM
2 घंटे बाद गौरव के घर पूरी टास्क फोर्स इकट्ठा थी. गौरव और अंकिता की शादी की प्लॅनिंग हो रही थी.
“यार 2-3 दिन का वक्त तो दो तैयारी के लिए. एक दम से सब कुछ कैसे होगा.” सौरभ ने कहा.
“देखो भाई अंकिता अपने पापा को बोल चुकी है कि आज ही शादी कर रही है वो मुझसे. इसलिए हम शादी आज ही करेंगे.”
“फिर तो मंदिर में करलो जाकर. भगवान का घर है….उनका भी आशीर्वाद मिल जाएगा.” सौरभ ने कहा.
“हां वैसे अंकिता ने मंदिर ही बोला है अपने पापा को.” गौरव ने कहा.
“ठीक है फिर…मंदिर सबसे अच्छी ऑप्शन है इस वक्त.” सौरभ ने कहा.
“ऋतू प्लीज़ न्यूज़ में मत डालना. पता चले, कल टीवी पर न्यूज़ आ रही है ‘ए एस पी साहिबा ने मंदिर में शादी की’.." गौरव ने कहा
“गौरव पागल हो क्या. मैं भला ऐसा क्यों करूँगी.” ऋतू ने कहा.
“जस्ट किडिंग ऋतू…” गौरव ने हंसते हुए कहा
आशुतोष और सौरभ ने मंदिर में शादी का पूरा इंतज़ाम कर दिया. मंदिर में जाते वक्त अंकिता ने अपने पापा को फोन मिलाया.
“पापा अगर आप आएँगे तो ख़ुशी होगी मुझे.”
“बेटा मैं तो नही आ पाउन्गा. खुश रहो जहाँ भी रहो.” इतना कह कर अंकिता के पापा ने फोन काट दिया.
“क्या हुआ…”गौरव ने पूछा.
“वो नही आएँगे.”
“अंकिता सोच लो. हम शादी फिर कभी कर सकते हैं.” गौरव ने कहा.
“नही आज ही करेंगे. डेले करेंगे तो पापा फिर से समझाएँगे आकर. फिर वही बाते होंगी. जब तय कर लिया है हमने तो कर ही लेते हैं.” अंकिता ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” गौरव ने कहा.
गौरव और अंकिता को फेरे लेते देख आशुतोष, अपर्णा के कान में बोला, “अब बस हम रह गये.”
“अगले महीने हम भी कर लेंगे.” अपर्णा ने कहा. दोनो एक दूसरे की तरफ हंस दिए.
शादी की सभी रस्मे पूरी होने के बाद सभी ने होटेल में जाकर लंच किया.
गौरव और अंकिता को अपने घर वापिस आते-आते शाम हो गयी.
“सब कुछ कितना जल्दी-जल्दी हो गया. अजीब सी बात हुई. ना मेरे घर से कोई आ पाया ना तुम्हारे घर से. मेरे मम्मी डेडी मुंबई में थे वरना वो तो शामिल हो ही जाते. पिंकी कॉलेज के टूर पर गयी है. ” गौरव ने कहा.
“तुम्हारे मम्मी पापा को कोई ऐतराज़ तो नही होगा ना?” अंकिता ने पूछा.
“शादी से ऐतराज़ नही होगा. मगर जब वो देखेंगे कि तुम्हे घर का कोई काम नही आता तब दिक्कत आएगी.”
“डराओ मत मुझे. मैं आज से ही सीखना शुरू कर देती हूँ. चलो किचन में मुझे गॅस चलाना सीख़ाओ.” अंकिता ने कहा.
"ए एस पी साहिबा जी...पहले प्यार करना सीख लें. वो ज़्यादा ज़रूरी है.” गौरव ने अंकिता को बाहों में भर लिया.
“क्या… ….मुझे लगा था तुम मेरे करीब नही आओगे.”
“बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. चाह कर भी तुमसे दूर नही रह सकता…आओ प्यार करते हैं सब कुछ भूल कर.” गौरव अंकिता का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया. अंकिता की टांगे काँपने लगी. उसे रह..रह कर कल का वो दर्द याद आ रहा था
"मेडम जी काँप क्यों रही हैं आप."
"क..कहाँ काँप रही हूँ. तुम्हे यू ही लग रहा है."
"डरने की ज़रूरत नही है. प्यार कभी नुकसान नही पहुँचता." गौरव ने अंकिता के माथे को चूम लिया. अंकिता का डर कुछ कम हुआ.
दोनो एक दूसरे से चिपक कर लेट गये बिस्तर पर. शुरूवात प्यार में भीगे चुंबन से हुई. दोनो बहकने लगे तो एक-एक करके धीरे धीरे दोनो के कपड़े उतरने लगे. भावनाए भड़क रही थी दोनो की. दोनो तरफ आग बराबर थी. जब दोनो पूरे कपड़े उतार कर एक दूसरे के गले मिले तो उन्हे लगा की कपड़ो की बहुत मोटी दीवार थी उन दोनो के बीच. होंटो से होठ टकराए….छाती से छाती टकराई. कुछ ऐसे चिपके हुए थे दोनो एक दूसरे से की हवा भी नही थी उन दोनो के दरमियाँ.
“यार 2-3 दिन का वक्त तो दो तैयारी के लिए. एक दम से सब कुछ कैसे होगा.” सौरभ ने कहा.
“देखो भाई अंकिता अपने पापा को बोल चुकी है कि आज ही शादी कर रही है वो मुझसे. इसलिए हम शादी आज ही करेंगे.”
“फिर तो मंदिर में करलो जाकर. भगवान का घर है….उनका भी आशीर्वाद मिल जाएगा.” सौरभ ने कहा.
“हां वैसे अंकिता ने मंदिर ही बोला है अपने पापा को.” गौरव ने कहा.
“ठीक है फिर…मंदिर सबसे अच्छी ऑप्शन है इस वक्त.” सौरभ ने कहा.
“ऋतू प्लीज़ न्यूज़ में मत डालना. पता चले, कल टीवी पर न्यूज़ आ रही है ‘ए एस पी साहिबा ने मंदिर में शादी की’.." गौरव ने कहा
“गौरव पागल हो क्या. मैं भला ऐसा क्यों करूँगी.” ऋतू ने कहा.
“जस्ट किडिंग ऋतू…” गौरव ने हंसते हुए कहा
आशुतोष और सौरभ ने मंदिर में शादी का पूरा इंतज़ाम कर दिया. मंदिर में जाते वक्त अंकिता ने अपने पापा को फोन मिलाया.
“पापा अगर आप आएँगे तो ख़ुशी होगी मुझे.”
“बेटा मैं तो नही आ पाउन्गा. खुश रहो जहाँ भी रहो.” इतना कह कर अंकिता के पापा ने फोन काट दिया.
“क्या हुआ…”गौरव ने पूछा.
“वो नही आएँगे.”
“अंकिता सोच लो. हम शादी फिर कभी कर सकते हैं.” गौरव ने कहा.
“नही आज ही करेंगे. डेले करेंगे तो पापा फिर से समझाएँगे आकर. फिर वही बाते होंगी. जब तय कर लिया है हमने तो कर ही लेते हैं.” अंकिता ने कहा.
“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.” गौरव ने कहा.
गौरव और अंकिता को फेरे लेते देख आशुतोष, अपर्णा के कान में बोला, “अब बस हम रह गये.”
“अगले महीने हम भी कर लेंगे.” अपर्णा ने कहा. दोनो एक दूसरे की तरफ हंस दिए.
शादी की सभी रस्मे पूरी होने के बाद सभी ने होटेल में जाकर लंच किया.
गौरव और अंकिता को अपने घर वापिस आते-आते शाम हो गयी.
“सब कुछ कितना जल्दी-जल्दी हो गया. अजीब सी बात हुई. ना मेरे घर से कोई आ पाया ना तुम्हारे घर से. मेरे मम्मी डेडी मुंबई में थे वरना वो तो शामिल हो ही जाते. पिंकी कॉलेज के टूर पर गयी है. ” गौरव ने कहा.
“तुम्हारे मम्मी पापा को कोई ऐतराज़ तो नही होगा ना?” अंकिता ने पूछा.
“शादी से ऐतराज़ नही होगा. मगर जब वो देखेंगे कि तुम्हे घर का कोई काम नही आता तब दिक्कत आएगी.”
“डराओ मत मुझे. मैं आज से ही सीखना शुरू कर देती हूँ. चलो किचन में मुझे गॅस चलाना सीख़ाओ.” अंकिता ने कहा.
"ए एस पी साहिबा जी...पहले प्यार करना सीख लें. वो ज़्यादा ज़रूरी है.” गौरव ने अंकिता को बाहों में भर लिया.
“क्या… ….मुझे लगा था तुम मेरे करीब नही आओगे.”
“बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे मैं. चाह कर भी तुमसे दूर नही रह सकता…आओ प्यार करते हैं सब कुछ भूल कर.” गौरव अंकिता का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम में ले आया. अंकिता की टांगे काँपने लगी. उसे रह..रह कर कल का वो दर्द याद आ रहा था
"मेडम जी काँप क्यों रही हैं आप."
"क..कहाँ काँप रही हूँ. तुम्हे यू ही लग रहा है."
"डरने की ज़रूरत नही है. प्यार कभी नुकसान नही पहुँचता." गौरव ने अंकिता के माथे को चूम लिया. अंकिता का डर कुछ कम हुआ.
दोनो एक दूसरे से चिपक कर लेट गये बिस्तर पर. शुरूवात प्यार में भीगे चुंबन से हुई. दोनो बहकने लगे तो एक-एक करके धीरे धीरे दोनो के कपड़े उतरने लगे. भावनाए भड़क रही थी दोनो की. दोनो तरफ आग बराबर थी. जब दोनो पूरे कपड़े उतार कर एक दूसरे के गले मिले तो उन्हे लगा की कपड़ो की बहुत मोटी दीवार थी उन दोनो के बीच. होंटो से होठ टकराए….छाती से छाती टकराई. कुछ ऐसे चिपके हुए थे दोनो एक दूसरे से की हवा भी नही थी उन दोनो के दरमियाँ.