03-01-2020, 12:19 PM
दोनो के होठ एक दूसरे पर बरस पड़े. गौरव के लिए एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था. गौरव ने अंकिता की सलवार का नाडा खोलने की कोशिश की तो अंकिता ने उसका हाथ पकड़ लिया.अंकिता के हाथ पैर काँपने लगे थे.
"रुक जाओ मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है."
"अजीब क्यों लग रहा है तुम्हे...ये प्यार ही तो है."
अंकिता वर्जिन थी और सेक्स के बारे में कोई अनुभव नही रखती थी. उसका डर स्वाभाविक था.
गौरव ने अंकिता के हाथ एक तरफ हटाए और एक झटके में उसका नाडा खोल कर उसकी सलवार नीचे सरका दी. अंकिता ने अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक लिया. वो वाकाई इस सब के लिए मेंटली प्रिपेर नही थी. गौरव को रोकना उसके लिए मुश्किल हो रहा था. अंकिता का एक मन था कि बह जाए भावनाओ में और एक मन था की गौरव को रोक दे वही. मगर वो कोई फ़ैसला नही कर पा रही थी. जब गौरव ने उसकी पॅंटी नीचे सर्काई तो उसने अपनी चूत को अपने दोनो हाथो से ढक लिया. लेकिन शरम से लाल चेहरा अब गौरव के सामने था.
"वाह ए एस पी साहिबा तो शरम से लाल हो गयी...हिहिहीही"
"हँसो मत नही तो मारूँगी तुम्हे मैं..."
"देखने तो दीजिए क्या छुपा रखा है हाथो के पीछे...हिहीही." गौरव ने अंकिता के हाथ हटाने की कोशिश की. मगर अंकिता ने नही हटाए.
"प्लीज़..."
"ऐसे नही चलेगा...मुझे हक़ है तुम्हे देखने का." गौरव ने अंकिता के हाथ पकड़ कर उसकी चूत से हटा दिए.
"वाओ...ब्यूटिफुल...कैन'ट वेट टू प्लंडर दिस ब्यूटी."
"शट अप."
गौरव ने अंकिता की चूत पर हाथ रखा तो पाया कि वो पूरी तरह भीगी हुई है.
"ह्म्म...आप तो तैयार हैं प्यार के लिए मेडम...क्या ख्याल है."
अंकिता ने दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक लिया. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
गौरव मन ही मन मुस्कुराया अंकिता को शरमाते देख. उसने देर करना उचित नही समझा क्योंकि अंकिता का मूड कभी भी बदल सकता था और वो अपने प्यार को पाना चाहता था.
गौरव ने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और अंकिता के उपर आ गया. अंकिता ने अभी भी अपने चेहरे को हाथो से ढक रखा था.
गौरव ने अंकिता की टाँगो को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को अंकिता की चूत पर लगा दिया. अंकिता अपनी चूत पर लंड को महसूस करते ही काँपने लगी. साँसे और ज़्यादा तेज हो गयी उसकी.
गौरव ने ज़ोर से धक्का मारा और उसका आधा लंड अंकिता की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
“नूऊऊऊओ……..गौरव….स्टॉप इट.” अंकिता ने सोचा भी नही था कि इतना दर्द होगा.
“वेट ए मिनिट…थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा.” गौरव ने कहा.
“स्टॉप इट आइ से…आआअहह...इसे बाहर निकालो.” अंकिता दर्द से कराहते हुए बोली.
"थोड़ा धैर्य रखो सब ठीक हो जाएगा." गौरव ने हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड थोड़ा और अंकिता के अंदर सरक गया.
"नूऊऊ....इट्स टू मच..." अंकिता ने गौरव को ज़ोर से धक्का मारा. धक्का इतनी ज़ोर का था कि वो बेड से नीचे जाकर गिरा.
“क्या हुआ अंकिता?”
“इतना दर्द हो रहा है..और तुम वेट ए मिनिट बोल रहे हो. पास मत आना मेरे तुम.” अंकिता चिल्लाई.
गौरव ने अपने कपड़े वापिस पहन लिए. अंकिता ने भी अपने कपड़े पहन लिए और बोली, “मैं जा रही हूँ.”
“नाराज़ हो गयी मुझसे.” गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ लिया.
अंकिता गौरव का हाथ झटक कर बाहर आ गयी. गौरव वही बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठ गया और बोला, “हे भगवान ये किस कयामत से प्यार कर लिया मैने. ये सच में कयामत है.”
अंकिता घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठ कर अपने घर की तरफ चल दी.वो बहुत गुस्से में थी.
“क्या यही प्यार है? मुझे नही चाहिए ऐसा प्यार.” अंकिता ने मन ही मन सोचा.
"रुक जाओ मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है."
"अजीब क्यों लग रहा है तुम्हे...ये प्यार ही तो है."
अंकिता वर्जिन थी और सेक्स के बारे में कोई अनुभव नही रखती थी. उसका डर स्वाभाविक था.
गौरव ने अंकिता के हाथ एक तरफ हटाए और एक झटके में उसका नाडा खोल कर उसकी सलवार नीचे सरका दी. अंकिता ने अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक लिया. वो वाकाई इस सब के लिए मेंटली प्रिपेर नही थी. गौरव को रोकना उसके लिए मुश्किल हो रहा था. अंकिता का एक मन था कि बह जाए भावनाओ में और एक मन था की गौरव को रोक दे वही. मगर वो कोई फ़ैसला नही कर पा रही थी. जब गौरव ने उसकी पॅंटी नीचे सर्काई तो उसने अपनी चूत को अपने दोनो हाथो से ढक लिया. लेकिन शरम से लाल चेहरा अब गौरव के सामने था.
"वाह ए एस पी साहिबा तो शरम से लाल हो गयी...हिहिहीही"
"हँसो मत नही तो मारूँगी तुम्हे मैं..."
"देखने तो दीजिए क्या छुपा रखा है हाथो के पीछे...हिहीही." गौरव ने अंकिता के हाथ हटाने की कोशिश की. मगर अंकिता ने नही हटाए.
"प्लीज़..."
"ऐसे नही चलेगा...मुझे हक़ है तुम्हे देखने का." गौरव ने अंकिता के हाथ पकड़ कर उसकी चूत से हटा दिए.
"वाओ...ब्यूटिफुल...कैन'ट वेट टू प्लंडर दिस ब्यूटी."
"शट अप."
गौरव ने अंकिता की चूत पर हाथ रखा तो पाया कि वो पूरी तरह भीगी हुई है.
"ह्म्म...आप तो तैयार हैं प्यार के लिए मेडम...क्या ख्याल है."
अंकिता ने दोनो हाथो से अपना चेहरा ढक लिया. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
गौरव मन ही मन मुस्कुराया अंकिता को शरमाते देख. उसने देर करना उचित नही समझा क्योंकि अंकिता का मूड कभी भी बदल सकता था और वो अपने प्यार को पाना चाहता था.
गौरव ने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और अंकिता के उपर आ गया. अंकिता ने अभी भी अपने चेहरे को हाथो से ढक रखा था.
गौरव ने अंकिता की टाँगो को अपने कंधे पर रखा और अपने लंड को अंकिता की चूत पर लगा दिया. अंकिता अपनी चूत पर लंड को महसूस करते ही काँपने लगी. साँसे और ज़्यादा तेज हो गयी उसकी.
गौरव ने ज़ोर से धक्का मारा और उसका आधा लंड अंकिता की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
“नूऊऊऊओ……..गौरव….स्टॉप इट.” अंकिता ने सोचा भी नही था कि इतना दर्द होगा.
“वेट ए मिनिट…थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा.” गौरव ने कहा.
“स्टॉप इट आइ से…आआअहह...इसे बाहर निकालो.” अंकिता दर्द से कराहते हुए बोली.
"थोड़ा धैर्य रखो सब ठीक हो जाएगा." गौरव ने हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड थोड़ा और अंकिता के अंदर सरक गया.
"नूऊऊ....इट्स टू मच..." अंकिता ने गौरव को ज़ोर से धक्का मारा. धक्का इतनी ज़ोर का था कि वो बेड से नीचे जाकर गिरा.
“क्या हुआ अंकिता?”
“इतना दर्द हो रहा है..और तुम वेट ए मिनिट बोल रहे हो. पास मत आना मेरे तुम.” अंकिता चिल्लाई.
गौरव ने अपने कपड़े वापिस पहन लिए. अंकिता ने भी अपने कपड़े पहन लिए और बोली, “मैं जा रही हूँ.”
“नाराज़ हो गयी मुझसे.” गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ लिया.
अंकिता गौरव का हाथ झटक कर बाहर आ गयी. गौरव वही बिस्तर पर सर पकड़ कर बैठ गया और बोला, “हे भगवान ये किस कयामत से प्यार कर लिया मैने. ये सच में कयामत है.”
अंकिता घर से बाहर निकल कर अपनी कार में बैठ कर अपने घर की तरफ चल दी.वो बहुत गुस्से में थी.
“क्या यही प्यार है? मुझे नही चाहिए ऐसा प्यार.” अंकिता ने मन ही मन सोचा.