03-01-2020, 12:17 PM
गौरव अंकिता का हाथ पकड़ कर उसे घर के अंदर ले आया.
घर के अंदर आते ही अंकिता गौरव से चिपक गयी और बोली, “गौरव वैसे तुम्हे रोकना नही चाहती कुछ करने से. क्योंकि तुम्हारा हक़ है मुझ पर. जिंदगी भर तुम्हारी रहूंगी मैं. मैं भी खो जाना चाहती हूँ तुम्हारे प्यार में जबकि डर भी लग रहा है मुझे. बस एक बात कहना चाहती हूँ.”
“हां बोलो ना क्या बात है.” गौरव ने अंकिता के सर पर हाथ फिराते हुए कहा.
“मुझे यकीन है कि एक ना एक दिन घर वाले मान ही जाएँगे. क्योंकि मैं कही और शादी नही करूँगी तो उनके पास भी कोई चारा नही रहेगा. देखना वो राज़ी हो ही जाएँगे. इसलिए चाहती थी कि हम थोड़ा रुक जायें तो अच्छा रहेगा. मैं भी बहक रही हूँ और हर हद पार कर जाना चाहती हूँ आज तुम्हारे साथ. पर दिल के एक कोने में ये अहसास भी है कि हमें इंतेज़ार करना चाहिए.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ पूरी तरह. मुझे भी कोई जल्दी नही है. वो हम किस करते-करते बहक गये थे नही तो ऐसा सोचते भी नही अभी.”
“थॅंक्स गौरव…”
“तुम बैठो मैं चाय लाता हूँ तुम्हारे लिए.” गौरव अंकिता से अलग हो गया.
“यू नो व्हाट…मुझे किचन का कोई काम नही आता. यहाँ तक की गॅस चलानी भी नही आती.”
“क्या ...गयी भँस पानी में. मुझे ऐसी बीवी चाहिए थी जो खाना अच्छा बनाती हो.”
“तो प्यार सोच समझ कर करना चाहिए था तुम्हे… ..मुझे किचन में घुसना भी पसंद नही है.”
“क्या बात है…. ए एस पी साहिबा की हर अदा निराली है.”
“ये तारीफ़ है या मज़ाक.”
“तारीफ़ है जी…आपकी हर अदा वाकाई में निराली है.” गौरव ने हंसते हुए कहा.
“मैं सीख लूँगी गौरव ज़्यादा ताने मत मारो…”
“अरे बुरा मत मानो…जस्ट किडिंग…वैसे गुस्से में क्या कमाल लगती हो तुम.”
“आज अचानक तुमने मुझे आप से तुम कहना शुरू किया…अच्छा लगा मुझे.”
“तुम्हारे अंडर नही हूँ ना अब. सस्पेंशन का डर नही है. इसलिए आप से तुम पर उतर आया ...”
“वेरी फन्नी…वैसे कल कहाँ गायब हो गये थे. तुम्हारे कारण पूरा दिन और पूरी रात परेशान रही मैं. पता है दिन भर मैने कुछ नही खाया. रात को बस एक सॅंडविच लिया था.”
“तुमने मुझे ‘गेट आउट’ बोला तो बहुत बुरा लगा मुझे. यकीन नही हो रहा था कि तुम ऐसा बोल सकती हो मुझे. फोन स्विच्ड ऑफ करके मसूरी चला गया था. वहाँ एक होटेल में पड़ा रहा चुपचाप.”
“सॉरी गौरव. कल सुबह पापा से हुई बहस के कारण मूड खराब था. सारा गुस्सा तुम पर उतर गया.”
“कोई बात नही… मेरी बाहों में आ जाओ…अब सब समझ रहा हूँ मैं.” गौरव ने अंकिता को बाहों में भर लिया और उसके होंटो पर होठ रख दिए.
उनकी ये दूसरी किस पहले से भी ज़्यादा कामुक थी. गौरव ने अंकिता को काश कर भींच रखा था अपनी बाहों में और उनके होठ बड़े कामुक अंदाज़ से एक दूसरे से खेल रहे थे. अचानक गौरव ने अंकिता के नितंबो को पकड़ कर अपनी ओर दबाव बनाया. अंकिता को अपनी चूत के थोड़ा उपर कुछ महसूस हुआ तो वो सिहर उठी. उसकी साँसे तेज चलने लगी. वो फिर से गौरव के साथ बहक रही थी और फिर से खुद को रोकना नही चाहती थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि दोनो ही थोड़ी देर पहले किए अपने फ़ैसले को भूल गये थे. बहुत देर तक चूमते रहे दोनो एक दूसरे को.
अचानक गौरव, अंकिता के होंटो को छोड़ कर हट गया और उसे गोदी में उठा कर बेडरूम में ले आया.
अंकिता ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी. गौरव ने उसे प्यार से बिस्तर पर लिटाया और उसके उपर चढ़ गया. "
"हम फिर से बहक गये गौरव...ये ठीक नही है."
"अगर प्यार सच्चा है अपना तो ये बातें मायने नही रखती. आइ लव यू फ्रॉम दा बॉटम ऑफ माय हार्ट."
"आइ लव यू टू गौरव."
घर के अंदर आते ही अंकिता गौरव से चिपक गयी और बोली, “गौरव वैसे तुम्हे रोकना नही चाहती कुछ करने से. क्योंकि तुम्हारा हक़ है मुझ पर. जिंदगी भर तुम्हारी रहूंगी मैं. मैं भी खो जाना चाहती हूँ तुम्हारे प्यार में जबकि डर भी लग रहा है मुझे. बस एक बात कहना चाहती हूँ.”
“हां बोलो ना क्या बात है.” गौरव ने अंकिता के सर पर हाथ फिराते हुए कहा.
“मुझे यकीन है कि एक ना एक दिन घर वाले मान ही जाएँगे. क्योंकि मैं कही और शादी नही करूँगी तो उनके पास भी कोई चारा नही रहेगा. देखना वो राज़ी हो ही जाएँगे. इसलिए चाहती थी कि हम थोड़ा रुक जायें तो अच्छा रहेगा. मैं भी बहक रही हूँ और हर हद पार कर जाना चाहती हूँ आज तुम्हारे साथ. पर दिल के एक कोने में ये अहसास भी है कि हमें इंतेज़ार करना चाहिए.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ पूरी तरह. मुझे भी कोई जल्दी नही है. वो हम किस करते-करते बहक गये थे नही तो ऐसा सोचते भी नही अभी.”
“थॅंक्स गौरव…”
“तुम बैठो मैं चाय लाता हूँ तुम्हारे लिए.” गौरव अंकिता से अलग हो गया.
“यू नो व्हाट…मुझे किचन का कोई काम नही आता. यहाँ तक की गॅस चलानी भी नही आती.”
“क्या ...गयी भँस पानी में. मुझे ऐसी बीवी चाहिए थी जो खाना अच्छा बनाती हो.”
“तो प्यार सोच समझ कर करना चाहिए था तुम्हे… ..मुझे किचन में घुसना भी पसंद नही है.”
“क्या बात है…. ए एस पी साहिबा की हर अदा निराली है.”
“ये तारीफ़ है या मज़ाक.”
“तारीफ़ है जी…आपकी हर अदा वाकाई में निराली है.” गौरव ने हंसते हुए कहा.
“मैं सीख लूँगी गौरव ज़्यादा ताने मत मारो…”
“अरे बुरा मत मानो…जस्ट किडिंग…वैसे गुस्से में क्या कमाल लगती हो तुम.”
“आज अचानक तुमने मुझे आप से तुम कहना शुरू किया…अच्छा लगा मुझे.”
“तुम्हारे अंडर नही हूँ ना अब. सस्पेंशन का डर नही है. इसलिए आप से तुम पर उतर आया ...”
“वेरी फन्नी…वैसे कल कहाँ गायब हो गये थे. तुम्हारे कारण पूरा दिन और पूरी रात परेशान रही मैं. पता है दिन भर मैने कुछ नही खाया. रात को बस एक सॅंडविच लिया था.”
“तुमने मुझे ‘गेट आउट’ बोला तो बहुत बुरा लगा मुझे. यकीन नही हो रहा था कि तुम ऐसा बोल सकती हो मुझे. फोन स्विच्ड ऑफ करके मसूरी चला गया था. वहाँ एक होटेल में पड़ा रहा चुपचाप.”
“सॉरी गौरव. कल सुबह पापा से हुई बहस के कारण मूड खराब था. सारा गुस्सा तुम पर उतर गया.”
“कोई बात नही… मेरी बाहों में आ जाओ…अब सब समझ रहा हूँ मैं.” गौरव ने अंकिता को बाहों में भर लिया और उसके होंटो पर होठ रख दिए.
उनकी ये दूसरी किस पहले से भी ज़्यादा कामुक थी. गौरव ने अंकिता को काश कर भींच रखा था अपनी बाहों में और उनके होठ बड़े कामुक अंदाज़ से एक दूसरे से खेल रहे थे. अचानक गौरव ने अंकिता के नितंबो को पकड़ कर अपनी ओर दबाव बनाया. अंकिता को अपनी चूत के थोड़ा उपर कुछ महसूस हुआ तो वो सिहर उठी. उसकी साँसे तेज चलने लगी. वो फिर से गौरव के साथ बहक रही थी और फिर से खुद को रोकना नही चाहती थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि दोनो ही थोड़ी देर पहले किए अपने फ़ैसले को भूल गये थे. बहुत देर तक चूमते रहे दोनो एक दूसरे को.
अचानक गौरव, अंकिता के होंटो को छोड़ कर हट गया और उसे गोदी में उठा कर बेडरूम में ले आया.
अंकिता ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी. गौरव ने उसे प्यार से बिस्तर पर लिटाया और उसके उपर चढ़ गया. "
"हम फिर से बहक गये गौरव...ये ठीक नही है."
"अगर प्यार सच्चा है अपना तो ये बातें मायने नही रखती. आइ लव यू फ्रॉम दा बॉटम ऑफ माय हार्ट."
"आइ लव यू टू गौरव."