03-01-2020, 12:16 PM
Update 122
“शूकर है तुमने कबूल तो किया कि तुम मुझे प्यार करती हो.” गौरव ने अंकिता की छाती से सर उठा कर कहा.
“हां करती हूँ प्यार. बहुत ज़्यादा प्यार करती हूँ तुम्हे. प्यार का इज़हार करके अपने कदम वापिस नही खींचना चाहती थी इसलिए खामोश रहती थी.”
“आज क्यों बोल रही हो फिर.”
“क्योंकि मैने तैय कर लिया है कि मैं वहाँ शादी नही करूँगी जहा पापा चाहते हैं. अगर उन्हे मेरी पसंद मंजूर नही तो मुझे भी उनकी मंजूर नही. मैने शादी ना करने का फ़ैसला किया है. शादी करूँगी तो तुमसे नही तो नही करूँगी.”
“कब किया ये फ़ैसला.”
“अभी जब तुम मेरे सीने से लग कर रो रहे थे. मैं किसी और के साथ नही रह सकती गौरव.”
“तुम्हे नही पता कि कितनी बड़ी खुशी दी है तुमने मुझे आज ये बात बोल कर. तुम्हारे प्यार के इस इज़हार को हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा मैं.”
“गौरव”
“हां बोलो.”
“आइ लव यू.”
“बस अब जान ले लोगि क्या तुम. कहा तो बोल ही नही रही थी… कहाँ अब प्यार की वर्षा कर रही हो मेरे उपर.”
“बहुत दिन से दबा रखा था ना दिल में ये प्यार… आज निकल रहा है…तुम्हारे लिए.”
दोनो भावनाओ में बह रहे थे. गौरव अपना चेहरा अंकिता के चेहरे के बहुत करीब ले आया. दोनो की गरम-गरम साँसे आपस में टकरा कर प्यार की गर्मी बढ़ा रही थी. एक पल के लिए वक्त थम गया. दोनो एक दूसरे से कुछ नही बोल रहे थे. बहुत धीरे से गौरव ने अपने होठ अंकिता के होंटो की तरफ बढ़ाए. इस बार अंकिता ने अपना चेहरा नही घुमाया. जब दोनो के होठ आपस में टकराए तो ऐसा लगा जैसे बरसो के मिलन की प्यास पूरी हो गयी. दोनो पूरी तरह डूब गये एक दूसरे में. उन्हे ये अहसास भी नही रहा की वो उस वक्त जंगल में हैं.
भावनायें भड़क रही थी दोनो की और ऐसा लग रहा था कि एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं. गौरव ने किस करते करते एक हाथ से अंकिता के उभार को थाम लिया और उसे ज़ोर से मसल्ने लगा. सब कुछ अपने आप हो रहा था. अंकिता को जब गौरव का हाथ अपने उभार पर महसूस हुआ तो उसने अपने होठ गौरव के होंटो से अलग करने की कोशिश की. पर गौरव ने उसके होंटो को काश कर दबा लिया अपने होंटो में. कुछ देर बाद उसने खुद को अपनी भावनाओं के हवाले कर दिया. प्यार करती थी वो गौरव से. बहुत ज़्यादा प्यार. उसे रोकना नही चाहती थी अब. बह जाना चाहती थी प्यार में वो. अचानक गौरव हट गया और अंकिता को गोदी में उठा लिया.
“क्या कर रहे हो.”
“घर चलते हैं…यहाँ हम एक दूसरे में खो नही पाएँगे.”
अंकिता ने बिना कुछ कहे अपनी आँखे बंद कर ली.
कार में बैठ कर वो घर की तरफ चल दिए. जंगल से बाहर निकल कर अंकिता ने चौहान को फोन करके जंगल में सड़क पर कार में पड़ी लाश का पोस्टमार्टम करने को बोल दिया. पूरा रास्ता अंकिता खामोश रही. गौरव ड्राइव कर रहा था. अंकिता उसके कंधे पर सर रख कर बैठी थी. दोनो खामोसी से अपने प्यार का जशन मना रहे थे. कई बार खामोशी का जशन शोर शराबे वाले जशन से ज़्यादा सुंदर होता है.
गौरव ने घर के बाहर कार रोक कर कहा, “चलें…”
“पहली बार तुमसे डर लग रहा है मुझे.”
“ए एस पी साहिबा क्यों डर रही हैं?”
“मैं इस सब के लिए तैयार नही थी. आय ऍम इन शॉक.”
“मैने भी कहाँ सोचा था. मुझे तो ये लगता था कि हमारी किस मुमकिन ही नही हैं क्योंकि आप डाँट डपट कर मुझे दूर ही रखेंगी.”
“हहेहेहहे….फिर क्यों किस किया मुझे.”
“एमोशनल हो गया था. रोक नही पाया खुद को.”
“सेम हियर. रोक पाती खुद को तो रोक लेती.”
“जो भी है तुमने बहुत अच्छे से प्यार किया मेरे होंटो को.”
अंकिता शर्मा गयी गौरव की इस बात पर.
“उफ्फ... ए एस पी साहिबा शरमाती भी हैं. सो क्यूट.”
“गौरव दुबारा मत बोलना ऐसा नही तो…”
“सस्पेंड ही करोगी ना….मैं रिज़ाइन कर चुका हूँ मेडम. बहुत सोच समझ कर फ़ैसला लिया था मैने.”
“रिज़ाइन क्या इसलिए किया था तुमने .”
“जस्ट किडिंग…. आओ ना मुझे तडपाओ मत. जल्दी आओ.. प्यार में ज़्यादा लंबा ब्रेक नही लेना चाहिए.”
“शूकर है तुमने कबूल तो किया कि तुम मुझे प्यार करती हो.” गौरव ने अंकिता की छाती से सर उठा कर कहा.
“हां करती हूँ प्यार. बहुत ज़्यादा प्यार करती हूँ तुम्हे. प्यार का इज़हार करके अपने कदम वापिस नही खींचना चाहती थी इसलिए खामोश रहती थी.”
“आज क्यों बोल रही हो फिर.”
“क्योंकि मैने तैय कर लिया है कि मैं वहाँ शादी नही करूँगी जहा पापा चाहते हैं. अगर उन्हे मेरी पसंद मंजूर नही तो मुझे भी उनकी मंजूर नही. मैने शादी ना करने का फ़ैसला किया है. शादी करूँगी तो तुमसे नही तो नही करूँगी.”
“कब किया ये फ़ैसला.”
“अभी जब तुम मेरे सीने से लग कर रो रहे थे. मैं किसी और के साथ नही रह सकती गौरव.”
“तुम्हे नही पता कि कितनी बड़ी खुशी दी है तुमने मुझे आज ये बात बोल कर. तुम्हारे प्यार के इस इज़हार को हमेशा दिल में छुपा कर रखूँगा मैं.”
“गौरव”
“हां बोलो.”
“आइ लव यू.”
“बस अब जान ले लोगि क्या तुम. कहा तो बोल ही नही रही थी… कहाँ अब प्यार की वर्षा कर रही हो मेरे उपर.”
“बहुत दिन से दबा रखा था ना दिल में ये प्यार… आज निकल रहा है…तुम्हारे लिए.”
दोनो भावनाओ में बह रहे थे. गौरव अपना चेहरा अंकिता के चेहरे के बहुत करीब ले आया. दोनो की गरम-गरम साँसे आपस में टकरा कर प्यार की गर्मी बढ़ा रही थी. एक पल के लिए वक्त थम गया. दोनो एक दूसरे से कुछ नही बोल रहे थे. बहुत धीरे से गौरव ने अपने होठ अंकिता के होंटो की तरफ बढ़ाए. इस बार अंकिता ने अपना चेहरा नही घुमाया. जब दोनो के होठ आपस में टकराए तो ऐसा लगा जैसे बरसो के मिलन की प्यास पूरी हो गयी. दोनो पूरी तरह डूब गये एक दूसरे में. उन्हे ये अहसास भी नही रहा की वो उस वक्त जंगल में हैं.
भावनायें भड़क रही थी दोनो की और ऐसा लग रहा था कि एक दूसरे के लिए जन्मो से प्यासे हैं. गौरव ने किस करते करते एक हाथ से अंकिता के उभार को थाम लिया और उसे ज़ोर से मसल्ने लगा. सब कुछ अपने आप हो रहा था. अंकिता को जब गौरव का हाथ अपने उभार पर महसूस हुआ तो उसने अपने होठ गौरव के होंटो से अलग करने की कोशिश की. पर गौरव ने उसके होंटो को काश कर दबा लिया अपने होंटो में. कुछ देर बाद उसने खुद को अपनी भावनाओं के हवाले कर दिया. प्यार करती थी वो गौरव से. बहुत ज़्यादा प्यार. उसे रोकना नही चाहती थी अब. बह जाना चाहती थी प्यार में वो. अचानक गौरव हट गया और अंकिता को गोदी में उठा लिया.
“क्या कर रहे हो.”
“घर चलते हैं…यहाँ हम एक दूसरे में खो नही पाएँगे.”
अंकिता ने बिना कुछ कहे अपनी आँखे बंद कर ली.
कार में बैठ कर वो घर की तरफ चल दिए. जंगल से बाहर निकल कर अंकिता ने चौहान को फोन करके जंगल में सड़क पर कार में पड़ी लाश का पोस्टमार्टम करने को बोल दिया. पूरा रास्ता अंकिता खामोश रही. गौरव ड्राइव कर रहा था. अंकिता उसके कंधे पर सर रख कर बैठी थी. दोनो खामोसी से अपने प्यार का जशन मना रहे थे. कई बार खामोशी का जशन शोर शराबे वाले जशन से ज़्यादा सुंदर होता है.
गौरव ने घर के बाहर कार रोक कर कहा, “चलें…”
“पहली बार तुमसे डर लग रहा है मुझे.”
“ए एस पी साहिबा क्यों डर रही हैं?”
“मैं इस सब के लिए तैयार नही थी. आय ऍम इन शॉक.”
“मैने भी कहाँ सोचा था. मुझे तो ये लगता था कि हमारी किस मुमकिन ही नही हैं क्योंकि आप डाँट डपट कर मुझे दूर ही रखेंगी.”
“हहेहेहहे….फिर क्यों किस किया मुझे.”
“एमोशनल हो गया था. रोक नही पाया खुद को.”
“सेम हियर. रोक पाती खुद को तो रोक लेती.”
“जो भी है तुमने बहुत अच्छे से प्यार किया मेरे होंटो को.”
अंकिता शर्मा गयी गौरव की इस बात पर.
“उफ्फ... ए एस पी साहिबा शरमाती भी हैं. सो क्यूट.”
“गौरव दुबारा मत बोलना ऐसा नही तो…”
“सस्पेंड ही करोगी ना….मैं रिज़ाइन कर चुका हूँ मेडम. बहुत सोच समझ कर फ़ैसला लिया था मैने.”
“रिज़ाइन क्या इसलिए किया था तुमने .”
“जस्ट किडिंग…. आओ ना मुझे तडपाओ मत. जल्दी आओ.. प्यार में ज़्यादा लंबा ब्रेक नही लेना चाहिए.”