03-01-2020, 12:14 PM
“डू यू लव मी अंकिता.”
अंकिता ने गौरव को ज़ोर से धक्का दिया. धक्का इतनी ज़ोर का था कि गौरव धदाम से नीचे गिरा. उसका सर एक पठार से टकराया. खून तो नही निकला पर दर्द बहुत हुआ. एक मिनिट के लिए सर घूम गया गौरव का.
अंकिता दौड़ कर उसके पास आई, “चोट तो नही लगी तुम्हे.”
“मेरी यही औकात है तुम्हारी जिंदगी में. काफ़ी दफ़ा हो जाने को बोल दो, कभी गेट आउट बोल दो और आज तो हद ही हो गयी. ऐसे धक्का दिया तुमने मुझे जैसे कि मैं रेप अटेंप्ट कर रहा था तुम पर.” गौरव ने उठते हुए कहा.
अंकिता ने गौरव के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “सॉरी गौरव मैने कुछ जान बुझ कर नही किया.”
“वाह पहले कतल कर दो और फिर सॉरी बोल दो. अरे मरने वाला तो मर गया ना. तुम्हारे सॉरी बोलने से क्या होगा अब.” गौरव ने कहा.
“तुम्हे जो समझना है समझो…मैं जा रही हूँ.” अंकिता वहाँ से चल पड़ी सड़क की तरफ. सड़क पर आकर अंकिता ने देखा की गौरव की कार वहाँ नही है.
“गौरव की कार कोन ले गया.” अंकिता ने अंदाज़ा लगाया की गौरव ने ज़रूर अपनी कार गीता और शेखर को दे दी होगी.
“मुझे क्या लेना देना मैं चलती हूँ यहाँ से.” अंकिता कार में बैठ गयी. एंजिन स्टार्ट कर लिया उसने पर कार को आगे नही बढ़ा पाई. वो बार बार जंगल की तरफ देख रही थी. 10 मिनिट बीत गये पर गौरव नही आया. अंकिता बैठी रही चुपचाप कार में. बार बार एंजिन स्टार्ट करके बंद कर देती थी. दिमाग़ वहाँ से जाने को कह रहा था क्योंकि जंगल का एरिया था पर दिल वहाँ से जाने को तैयार नही था. जब आधा घंटा बीत गया तो अंकिता खुद को रोक नही पाई. वो कार से बाहर आकर उसी जगह वापिस आ गयी जहा वो गौरव को छोड़ कर गयी थी.
गौरव वही बैठा था जहा अंकिता उसे छोड़ कर गयी थी.
“क्या रात भर यही बैठने का इरादा है तुम्हारा. सादे 12 बज रहे हैं.” अंकिता ने कहा.
“मेरी कार मैने उन दोनो को दे दी. तुम जाओ…”
“चलो मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगी…”
“तुम्हारे साथ नही जाऊगा मैं…तुम जाओ… आइ कैन टेक केर मायसेल्फ.”
“गौरव प्लीज़ उठो. मैं तुम्हे यहाँ छोड़ कर कैसे जा सकती हूँ”
“अंकिता तुम जाओ…मैं तुम्हारे साथ नही चल सकता.”
“ज़िद्द मत करो गौरव. उठो.”
“तुम जाओ ना…क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो.”
“आइ केर फॉर यू गौरव.”
गौरव ये सुनते ही उठा और अंकिता को फिर से कंधो से पकड़ कर पेड़ से सटा दिया.
“सच बताओ ये केर है या कुछ और?” गौरव ने पूछा.
“क्या मतलब... मैं कुछ समझी नही.”
“समझोगी भी नही क्योंकि तुम समझना ही नही चाहती.”
“गौरव प्लीज़ फिर से वही बहस शुरू मत करो.” अंकिता गिड़गिडाई.
गौरव कुछ देर खामोश रहा फिर गहरी साँस ले कर बोला, “प्लीज़ एक बार बता दो मुझे. क्या तुम मुझे प्यार करती हो. सिर्फ़ हां या ना में जवाब दे दो. आखरी बार पूछ रहा हूँ तुमसे. फिर कभी नही पूछूँगा मैं”
अंकिता कुछ नही बोली. वो अजीब दुविधा में पड़ गयी थी. हां वो बोलना नही चाहती थी और ना कहने की उसमें हिम्मत नही थी.
“कुछ तो बोलो प्लीज़…मेरी खातिर.” गौरव गिड़गिडया.
अंकिता खामोश खड़ी रही.
गौरव आगे बढ़ा और अपने चेहरे को अंकिता के चेहरे के बहुत नज़दीक ले आया. दोनो की गरम गरम साँसे आपस में टकरा रही थी. गौरव ने अपने होठ अंकिता के होंटो पर रखने की कोशिश की तो अंकिता ने चेहरा घुमा लिया.
गौरव इतना भावुक हो गया कि तुरंत उसकी आँखो में आँसू भर आए. कब उसका माथा अंकिता की छाती पर टिक गया उसे पता भी नही चला. वो बस भावनाओ में बह कर रोए जा रहा था. अंकिता ने सर पर हाथ रख लिया गौरव के और वो भी रो पड़ी. बहुत ही एमोशनल पल था वो दोनो के बीच. दोनो उस पेड़ के नीचे खड़े रोए जा रहे थे उस प्यार के लिए जो उनके बीच था.
“अंकिता एक बात पूछूँ?” गौरव ने दर्द भरी आवाज़ में कहा.
“हां पूछो ना.”
“छोड़ो जाने दो. तुम जवाब तो देती नही हो.”
“पूछो प्लीज़…” अंकिता सुबक्ते हुए बोली.
“तुम क्यों रो रही हो. मैं तो इसलिए रो रहा हूँ क्योंकि तुम्हे खो दिया मैने.”
“मैने कल सुबह फिर से पापा से बात की थी तुम्हारे बारे में. वो मान-ने को तैयार ही नही हैं. मुझे चेतावनी भी दे दी है उन्होने की दुबारा बात की तुम्हारे बारे में तो उनका मरा मूह देखूँगी. तुम्हे सिर्फ़ अपना प्यार दिखता है…मेरा प्यार तुम्हे दिखाई नही देता.”
अंकिता ने गौरव को ज़ोर से धक्का दिया. धक्का इतनी ज़ोर का था कि गौरव धदाम से नीचे गिरा. उसका सर एक पठार से टकराया. खून तो नही निकला पर दर्द बहुत हुआ. एक मिनिट के लिए सर घूम गया गौरव का.
अंकिता दौड़ कर उसके पास आई, “चोट तो नही लगी तुम्हे.”
“मेरी यही औकात है तुम्हारी जिंदगी में. काफ़ी दफ़ा हो जाने को बोल दो, कभी गेट आउट बोल दो और आज तो हद ही हो गयी. ऐसे धक्का दिया तुमने मुझे जैसे कि मैं रेप अटेंप्ट कर रहा था तुम पर.” गौरव ने उठते हुए कहा.
अंकिता ने गौरव के कंधे पर हाथ रखा और बोली, “सॉरी गौरव मैने कुछ जान बुझ कर नही किया.”
“वाह पहले कतल कर दो और फिर सॉरी बोल दो. अरे मरने वाला तो मर गया ना. तुम्हारे सॉरी बोलने से क्या होगा अब.” गौरव ने कहा.
“तुम्हे जो समझना है समझो…मैं जा रही हूँ.” अंकिता वहाँ से चल पड़ी सड़क की तरफ. सड़क पर आकर अंकिता ने देखा की गौरव की कार वहाँ नही है.
“गौरव की कार कोन ले गया.” अंकिता ने अंदाज़ा लगाया की गौरव ने ज़रूर अपनी कार गीता और शेखर को दे दी होगी.
“मुझे क्या लेना देना मैं चलती हूँ यहाँ से.” अंकिता कार में बैठ गयी. एंजिन स्टार्ट कर लिया उसने पर कार को आगे नही बढ़ा पाई. वो बार बार जंगल की तरफ देख रही थी. 10 मिनिट बीत गये पर गौरव नही आया. अंकिता बैठी रही चुपचाप कार में. बार बार एंजिन स्टार्ट करके बंद कर देती थी. दिमाग़ वहाँ से जाने को कह रहा था क्योंकि जंगल का एरिया था पर दिल वहाँ से जाने को तैयार नही था. जब आधा घंटा बीत गया तो अंकिता खुद को रोक नही पाई. वो कार से बाहर आकर उसी जगह वापिस आ गयी जहा वो गौरव को छोड़ कर गयी थी.
गौरव वही बैठा था जहा अंकिता उसे छोड़ कर गयी थी.
“क्या रात भर यही बैठने का इरादा है तुम्हारा. सादे 12 बज रहे हैं.” अंकिता ने कहा.
“मेरी कार मैने उन दोनो को दे दी. तुम जाओ…”
“चलो मैं तुम्हे घर छोड़ दूँगी…”
“तुम्हारे साथ नही जाऊगा मैं…तुम जाओ… आइ कैन टेक केर मायसेल्फ.”
“गौरव प्लीज़ उठो. मैं तुम्हे यहाँ छोड़ कर कैसे जा सकती हूँ”
“अंकिता तुम जाओ…मैं तुम्हारे साथ नही चल सकता.”
“ज़िद्द मत करो गौरव. उठो.”
“तुम जाओ ना…क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो.”
“आइ केर फॉर यू गौरव.”
गौरव ये सुनते ही उठा और अंकिता को फिर से कंधो से पकड़ कर पेड़ से सटा दिया.
“सच बताओ ये केर है या कुछ और?” गौरव ने पूछा.
“क्या मतलब... मैं कुछ समझी नही.”
“समझोगी भी नही क्योंकि तुम समझना ही नही चाहती.”
“गौरव प्लीज़ फिर से वही बहस शुरू मत करो.” अंकिता गिड़गिडाई.
गौरव कुछ देर खामोश रहा फिर गहरी साँस ले कर बोला, “प्लीज़ एक बार बता दो मुझे. क्या तुम मुझे प्यार करती हो. सिर्फ़ हां या ना में जवाब दे दो. आखरी बार पूछ रहा हूँ तुमसे. फिर कभी नही पूछूँगा मैं”
अंकिता कुछ नही बोली. वो अजीब दुविधा में पड़ गयी थी. हां वो बोलना नही चाहती थी और ना कहने की उसमें हिम्मत नही थी.
“कुछ तो बोलो प्लीज़…मेरी खातिर.” गौरव गिड़गिडया.
अंकिता खामोश खड़ी रही.
गौरव आगे बढ़ा और अपने चेहरे को अंकिता के चेहरे के बहुत नज़दीक ले आया. दोनो की गरम गरम साँसे आपस में टकरा रही थी. गौरव ने अपने होठ अंकिता के होंटो पर रखने की कोशिश की तो अंकिता ने चेहरा घुमा लिया.
गौरव इतना भावुक हो गया कि तुरंत उसकी आँखो में आँसू भर आए. कब उसका माथा अंकिता की छाती पर टिक गया उसे पता भी नही चला. वो बस भावनाओ में बह कर रोए जा रहा था. अंकिता ने सर पर हाथ रख लिया गौरव के और वो भी रो पड़ी. बहुत ही एमोशनल पल था वो दोनो के बीच. दोनो उस पेड़ के नीचे खड़े रोए जा रहे थे उस प्यार के लिए जो उनके बीच था.
“अंकिता एक बात पूछूँ?” गौरव ने दर्द भरी आवाज़ में कहा.
“हां पूछो ना.”
“छोड़ो जाने दो. तुम जवाब तो देती नही हो.”
“पूछो प्लीज़…” अंकिता सुबक्ते हुए बोली.
“तुम क्यों रो रही हो. मैं तो इसलिए रो रहा हूँ क्योंकि तुम्हे खो दिया मैने.”
“मैने कल सुबह फिर से पापा से बात की थी तुम्हारे बारे में. वो मान-ने को तैयार ही नही हैं. मुझे चेतावनी भी दे दी है उन्होने की दुबारा बात की तुम्हारे बारे में तो उनका मरा मूह देखूँगी. तुम्हे सिर्फ़ अपना प्यार दिखता है…मेरा प्यार तुम्हे दिखाई नही देता.”