03-01-2020, 12:12 PM
अंकिता उस लड़की के पास आई.
“कोन हो तुम. डरने की ज़रूरत नही है हम पोलीस वाले हैं?” अंकिता ने कहा.
“मेरा नाम गीता है. ये मेरे पति हैं शेखर. हम मसूरी जा रहे थे.”
“तुम दोनो को मारने की सुपारी दी गयी थी.” गौरव ने कहा.
“क्या हमें मारने की सुपारी?” शेखर ने हैरानी में कहा. वो बड़ी मुश्किल से उठा. बहुत बुरी तरह पीटा गया था उसे.
“हां सुपारी…क्या बता सकते हो कि कॉन है ऐसा जो तुम्हे मारना चाहेगा.”
“हमारी तो किसी से दुश्मनी नही है. पता नही किसने दी ये सुपारी.” शेखर ने कहा.
अचानक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई और अंकिता गन लेकर उस तरफ चल दी.
“अरे रूको कहाँ जा रही हो तुम?”
गौरव ने अपनी कार की चाबी शेखर के हाथ में रख कर कहा, “जाओ किसी होटेल में रुक जाओ जाकर. तुम मसूरी नही जा सकते अभी जब तक तहकीकात पूरी नही हो जाती. तुम लोगो की कार भी यही रहेगी क्योंकि उसमे लाश पड़ी है.”
“आप अपनी कार दे रहे हैं हमें. आपको पता कैसे चलेगा कि हम कहाँ हैं और कॉन से होटेल में हैं. मोबायल नंबर दे दीजिए अपना.”
“मेरी कार मेरे मोबायल से कनेक्टेड है. तुम चिंता मत करो मैं ट्रेस कर लूँगा. जाओ तुम दोनो.”
उन दोनो के जाने के बाद गौरव अंकिता के पीछे गया.
अंकिता दबे पाँव आगे बढ़ रही थी. गौरव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, “क्या करना चाहती हो तुम. कहाँ जा रही हो.”
“श्ह्ह्ह…झाड़ियों में कुछ हलचल हुई थी.”
“जंगल है... होगा कोई जानवर. चलो चलतें हैं.”
“मुझे लगता है उन तीनो में से कोई है”
“अरे वो यहाँ क्यों छुपे रहेंगे. इतना बड़ा जंगल है…वो बहुत दूर निकल गये होंगे.” गौरव ने कहा.
“तुम्हे क्या लेना देना मैं कुछ भी करूँ…कॉन होते हो तुम मुझे टोकने वाले.” अंकिता चिल्लाई.
“जान बुझ कर ये सब नाटक कर रही हो ताकि मैं यही तुम्हारे साथ उलझा रहूं और कल सुबह की मेरी ट्रेन मिस हो जाए.”
“तुम्हे ये नाटक लग रहा है. मैं अपनी ड्यूटी कर रही हूँ और तुम बाधा डाल रहे हो. जाओ यहाँ से…… मुझे अकेला छोड़ दो.”
“अंकिता…तुम मुझसे गुस्सा हो जानता हूँ. गुस्से में ये सब करने की ज़रूरत नही है तुम्हे. चलो घर जाओ चुपचाप.”
“मैं चली जाऊगी…तुम जाओ यहाँ से.”
गौरव ने अंकिता को दोनो कंधो से कस कर पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से सटा दिया.
“ये क्या पागल पन है. मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी. बिना सोचे समझे कुछ भी किए जा रही हो” गौरव गुस्से में बोला.
“मुझे भी तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी जैसा तुमने मेरे साथ किया” अंकिता ने कहा
“कोन हो तुम. डरने की ज़रूरत नही है हम पोलीस वाले हैं?” अंकिता ने कहा.
“मेरा नाम गीता है. ये मेरे पति हैं शेखर. हम मसूरी जा रहे थे.”
“तुम दोनो को मारने की सुपारी दी गयी थी.” गौरव ने कहा.
“क्या हमें मारने की सुपारी?” शेखर ने हैरानी में कहा. वो बड़ी मुश्किल से उठा. बहुत बुरी तरह पीटा गया था उसे.
“हां सुपारी…क्या बता सकते हो कि कॉन है ऐसा जो तुम्हे मारना चाहेगा.”
“हमारी तो किसी से दुश्मनी नही है. पता नही किसने दी ये सुपारी.” शेखर ने कहा.
अचानक झाड़ियों में कुछ हलचल हुई और अंकिता गन लेकर उस तरफ चल दी.
“अरे रूको कहाँ जा रही हो तुम?”
गौरव ने अपनी कार की चाबी शेखर के हाथ में रख कर कहा, “जाओ किसी होटेल में रुक जाओ जाकर. तुम मसूरी नही जा सकते अभी जब तक तहकीकात पूरी नही हो जाती. तुम लोगो की कार भी यही रहेगी क्योंकि उसमे लाश पड़ी है.”
“आप अपनी कार दे रहे हैं हमें. आपको पता कैसे चलेगा कि हम कहाँ हैं और कॉन से होटेल में हैं. मोबायल नंबर दे दीजिए अपना.”
“मेरी कार मेरे मोबायल से कनेक्टेड है. तुम चिंता मत करो मैं ट्रेस कर लूँगा. जाओ तुम दोनो.”
उन दोनो के जाने के बाद गौरव अंकिता के पीछे गया.
अंकिता दबे पाँव आगे बढ़ रही थी. गौरव ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला, “क्या करना चाहती हो तुम. कहाँ जा रही हो.”
“श्ह्ह्ह…झाड़ियों में कुछ हलचल हुई थी.”
“जंगल है... होगा कोई जानवर. चलो चलतें हैं.”
“मुझे लगता है उन तीनो में से कोई है”
“अरे वो यहाँ क्यों छुपे रहेंगे. इतना बड़ा जंगल है…वो बहुत दूर निकल गये होंगे.” गौरव ने कहा.
“तुम्हे क्या लेना देना मैं कुछ भी करूँ…कॉन होते हो तुम मुझे टोकने वाले.” अंकिता चिल्लाई.
“जान बुझ कर ये सब नाटक कर रही हो ताकि मैं यही तुम्हारे साथ उलझा रहूं और कल सुबह की मेरी ट्रेन मिस हो जाए.”
“तुम्हे ये नाटक लग रहा है. मैं अपनी ड्यूटी कर रही हूँ और तुम बाधा डाल रहे हो. जाओ यहाँ से…… मुझे अकेला छोड़ दो.”
“अंकिता…तुम मुझसे गुस्सा हो जानता हूँ. गुस्से में ये सब करने की ज़रूरत नही है तुम्हे. चलो घर जाओ चुपचाप.”
“मैं चली जाऊगी…तुम जाओ यहाँ से.”
गौरव ने अंकिता को दोनो कंधो से कस कर पकड़ लिया और उसे एक पेड़ से सटा दिया.
“ये क्या पागल पन है. मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी. बिना सोचे समझे कुछ भी किए जा रही हो” गौरव गुस्से में बोला.
“मुझे भी तुमसे ऐसी उम्मीद नही थी जैसा तुमने मेरे साथ किया” अंकिता ने कहा