03-01-2020, 12:10 PM
Update 121
“क्यों आए तुम मेरे पीछे.” अंकिता ने कहा.
“मन तो नही था आने का पर दिल से मजबूर हो कर आना पड़ा.” गौरव ने जवाब दिया.
“समझते क्या हो तुम खुद को…जब दिल किया मुझसे दूर चले जाओगे और जब दिल किया पास आ जाओगे. तुम…..”
“श्ह्ह्ह…कोई इसी तरफ आ रहा है.” गौरव ने अंकिता के मूह पर हाथ रख दिया.
“यही कही होने चाहिए वो लोग.”
“2 कार खड़ी हैं सड़क पर. मुझे डर लग रहा है. जग्गू चल उन दोनो का काम तमाम करके जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”
“बब्बल तू संजू के पास वापिस जा. मैं देखता हूँ कि ये कॉन हमारे काम में टाँग अड़ाने आ गये. और हां लड़की से दूर रहना अभी. पहले मैं लूँगा उसकी. मस्त आइटम है साली.”
बब्बल के जाने के बाद जग्गू बंदूक ताने वही आस पास घूमता रहा. जब वो उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पीछे गौरव और अंकिता छुपे थे तो गौरव ने तुरंत पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक रख दी.
“तू सुधरा नही जग्गू हा….ये बंदूक नीचे फेंक दे.” गौरव ने कहा.
“सर आप…”
“हां मैं…बंदूक नीचे फेंक जल्दी और हाथ उपर कर वरना भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“गोली मत चलाना सर…ये लीजिए फेंक दी बंदूक मैने.”
“गुड.... अब बताओ क्या चल रहा है यहाँ.” गौरव ने दृढ़ता से पूछा.
“कुछ नही चल रहा सर.”
“झूठ मत बोल तेरी खोपड़ी खोल दूँगा मैं.”
“सुपारी ले रखी है मैने. अपना काम कर रहा था बस.”
“चल मुझे अपने साथियों के पास ले चल. ज़रा भी चालाकी की तो तेरा भेजा उड़ा दूँगा.”
“गोली मत चलना सर…मैं उनको छोड़ दूँगा.”
जग्गू चल दिया जंगल के अंदर की ओर. गौरव उसके पीछे पीछे उसके सर पर बंदूक रखे चल रहा था. अंकिता गौरव के पीछे थी. उसने भी बंदूक तान रखी थी हाथ में.
ज़्यादा दूर नही जाना पड़ा उन्हे. जब वो वहाँ पहुँचे तो गौरव ने देखा कि संजू और बब्बल लड़की के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे.
“रुक जाओ वरना दोनो को शूट कर दूँगी मैं.” अंकिता चिल्लाई.
संजू और बब्बल तुरंत रुक गये अंकिता की आवाज़ सुन कर.
“सर आपके साथ कोन हैं?”
“ए एस पी साहिबा हैं. अपने साथियों से कहो कि तुरंत दोनो को छोड़ दें.”
अचानक संजू ने गौरव के सर की तरफ फाइयर किया. गोली सर के बिल्कुल पास से गुजर गयी. गौरव ने तुरंत उसकी तरफ फाइयर किया. मोके का फायदा उठा कर जग्गू ने गौरव को धक्का दिया और वहाँ से भाग गया. बब्बल और संजू भी वहाँ से भाग खड़े हुए. अंधेरे में वो तुरंत आँखो से ओझल हो गये. गौरव ने 2-3 फाइयर किए पर कोई फायदा नही हुआ.
“क्यों आए तुम मेरे पीछे.” अंकिता ने कहा.
“मन तो नही था आने का पर दिल से मजबूर हो कर आना पड़ा.” गौरव ने जवाब दिया.
“समझते क्या हो तुम खुद को…जब दिल किया मुझसे दूर चले जाओगे और जब दिल किया पास आ जाओगे. तुम…..”
“श्ह्ह्ह…कोई इसी तरफ आ रहा है.” गौरव ने अंकिता के मूह पर हाथ रख दिया.
“यही कही होने चाहिए वो लोग.”
“2 कार खड़ी हैं सड़क पर. मुझे डर लग रहा है. जग्गू चल उन दोनो का काम तमाम करके जल्दी निकलते हैं यहाँ से.”
“बब्बल तू संजू के पास वापिस जा. मैं देखता हूँ कि ये कॉन हमारे काम में टाँग अड़ाने आ गये. और हां लड़की से दूर रहना अभी. पहले मैं लूँगा उसकी. मस्त आइटम है साली.”
बब्बल के जाने के बाद जग्गू बंदूक ताने वही आस पास घूमता रहा. जब वो उस पेड़ के पास से गुजरा जिसके पीछे गौरव और अंकिता छुपे थे तो गौरव ने तुरंत पीछे से आकर उसके सर पर बंदूक रख दी.
“तू सुधरा नही जग्गू हा….ये बंदूक नीचे फेंक दे.” गौरव ने कहा.
“सर आप…”
“हां मैं…बंदूक नीचे फेंक जल्दी और हाथ उपर कर वरना भेजा उड़ा दूँगा तेरा.”
“गोली मत चलाना सर…ये लीजिए फेंक दी बंदूक मैने.”
“गुड.... अब बताओ क्या चल रहा है यहाँ.” गौरव ने दृढ़ता से पूछा.
“कुछ नही चल रहा सर.”
“झूठ मत बोल तेरी खोपड़ी खोल दूँगा मैं.”
“सुपारी ले रखी है मैने. अपना काम कर रहा था बस.”
“चल मुझे अपने साथियों के पास ले चल. ज़रा भी चालाकी की तो तेरा भेजा उड़ा दूँगा.”
“गोली मत चलना सर…मैं उनको छोड़ दूँगा.”
जग्गू चल दिया जंगल के अंदर की ओर. गौरव उसके पीछे पीछे उसके सर पर बंदूक रखे चल रहा था. अंकिता गौरव के पीछे थी. उसने भी बंदूक तान रखी थी हाथ में.
ज़्यादा दूर नही जाना पड़ा उन्हे. जब वो वहाँ पहुँचे तो गौरव ने देखा कि संजू और बब्बल लड़की के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे.
“रुक जाओ वरना दोनो को शूट कर दूँगी मैं.” अंकिता चिल्लाई.
संजू और बब्बल तुरंत रुक गये अंकिता की आवाज़ सुन कर.
“सर आपके साथ कोन हैं?”
“ए एस पी साहिबा हैं. अपने साथियों से कहो कि तुरंत दोनो को छोड़ दें.”
अचानक संजू ने गौरव के सर की तरफ फाइयर किया. गोली सर के बिल्कुल पास से गुजर गयी. गौरव ने तुरंत उसकी तरफ फाइयर किया. मोके का फायदा उठा कर जग्गू ने गौरव को धक्का दिया और वहाँ से भाग गया. बब्बल और संजू भी वहाँ से भाग खड़े हुए. अंधेरे में वो तुरंत आँखो से ओझल हो गये. गौरव ने 2-3 फाइयर किए पर कोई फायदा नही हुआ.