03-01-2020, 12:09 PM
अचानक अंकिता की नज़र सड़क के बीचो बीच खड़ी कार पर गयी. अभी वो कार से बहुत दूर थी मगर उसे ये साफ दीखाई दे रहा था की कार सड़क के बीच में खड़ी है.
“ये सड़क के बीच में किसने पार्क कर रखी है कार.” अंकिता हैरत में पड़ गयी.
ना चाहते हुए भी अंकिता को ब्रेक लगाने पड़े. अंकिता ने कार में बैठे बैठे देखा गौर से उस कार को.
“कोई नज़र नही आ रहा कार में.”
चारो तरफ अंधेरा था. बस अपनी कार की लाइट की रंगे में ही देख पा रही थी अंकिता.
अचानक एक चीख सुनाई दी अंकिता को. “हेल्प…आहह ओह नो प्लीज़.”
अंकिता ने अपने पर्स से गन निकाली और कार से बाहर आ कर जंगल की तरफ बढ़ी. तब तक गौरव भी पहुँच गया था वहाँ. गौरव तुरंत अपनी कार से बाहर आया अंकिता का हाथ पकड़ लिया, “रूको कहाँ जा रही हो तुम?”
“श्ह्ह्ह चुप रहो….संबडी नीड्स हेल्प.”
“आ स प हो पर अकल एक धेले की नही है. पहले देख तो लें कि माजरा क्या है.”
गौरव सड़क के बीच खड़ी कार के पास आया. उसने झाँक कर देखा कार में. अगली सीट पर ड्राइवर की लाश पड़ी थी. उसके सर से खून बह रहा था.
“सर में गोली मारी गयी है इसके.”
तभी फिर से एक चीख सुनाई दी, “नहियीईई….प्लीज़……”
“किसी लड़की की आवाज़ है ये.” गौरव ने कहा.
“तुम जाओ यहाँ से मैं संभाल लूँगी.”
“अकेली क्या संभालॉगी तुम यहाँ.”
“पोलीस पार्टी बुला रही हूँ. तुम जाओ अपना काम देखो…क्या भूल गये तुम कि तुम रिज़ाइन कर चुके हो. तुम्हे यहाँ रुकने का कोई हक़ नही है.”
“कैसे बुलाओगी यहाँ जंगल में सिग्नल ही नही आता फोन पर.” गौरव ने कहा.
“तो मैं खुद देख लूँगी कि क्या करना है. यू गेट दा हेल आउट ऑफ हियर.” अंकिता ने कहा.
तभी एक और चीख सुनाई दी उन्हे. इस बार चीख किसी आदमी की थी.
अंकिता भाग कर जंगल में घुस गयी. गौरव भाग कर अपनी कार के पास आया.
“मेरी गन कहा है यार. ये ए एस पी साहिबा मेरी जान ले लेगी.”
गन सीट के नीचे पड़ी थी. 1 मिनिट खराब हुआ गन ढूँडने में. गन मिलते ही गौरव अंकिता के पीछे जंगल में घुस गया.
अंधेरा बहुत था जंगल में. गौरव भाग कर आया था जंगल में. अंकिता दीखाई नही दी और टकरा गया उस से. गिरते-गिरते बची वो.
“ये क्या बदतमीज़ी है.” अंकिता छील्लाई.
“श्ह्ह… चुप रहो मेडम जी. ग़लती से टक्कर लग गयी. जान बुझ कर नही मारी मैने.”
तभी गोली चलने की आवाज़ आई. गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ा और उसे एक पेड़ के पीछे ले आया.
“क्या कर रहे हो तुम.”
“गोली चली…सुना नही क्या तुम्हे. हो सकता है हम पर चलाई गयी हो. पेड़ के पीछे रहना ठीक है.”
अंकिता भी गुस्से में थी और गौरव भी गुस्से में था. दोनो एक दूसरे से खफा थे. पेड़ से सत कर खड़े थे दोनो साथ साथ. उनका आधा ध्यान क्राइम को हैंडल करने पर था और आधा ध्यान अपने बीच हो रही कसंकश पर था. कुछ-कुछ कोल्ड वॉर जैसी स्तिथि बनी हुई थी.
“ये सड़क के बीच में किसने पार्क कर रखी है कार.” अंकिता हैरत में पड़ गयी.
ना चाहते हुए भी अंकिता को ब्रेक लगाने पड़े. अंकिता ने कार में बैठे बैठे देखा गौर से उस कार को.
“कोई नज़र नही आ रहा कार में.”
चारो तरफ अंधेरा था. बस अपनी कार की लाइट की रंगे में ही देख पा रही थी अंकिता.
अचानक एक चीख सुनाई दी अंकिता को. “हेल्प…आहह ओह नो प्लीज़.”
अंकिता ने अपने पर्स से गन निकाली और कार से बाहर आ कर जंगल की तरफ बढ़ी. तब तक गौरव भी पहुँच गया था वहाँ. गौरव तुरंत अपनी कार से बाहर आया अंकिता का हाथ पकड़ लिया, “रूको कहाँ जा रही हो तुम?”
“श्ह्ह्ह चुप रहो….संबडी नीड्स हेल्प.”
“आ स प हो पर अकल एक धेले की नही है. पहले देख तो लें कि माजरा क्या है.”
गौरव सड़क के बीच खड़ी कार के पास आया. उसने झाँक कर देखा कार में. अगली सीट पर ड्राइवर की लाश पड़ी थी. उसके सर से खून बह रहा था.
“सर में गोली मारी गयी है इसके.”
तभी फिर से एक चीख सुनाई दी, “नहियीईई….प्लीज़……”
“किसी लड़की की आवाज़ है ये.” गौरव ने कहा.
“तुम जाओ यहाँ से मैं संभाल लूँगी.”
“अकेली क्या संभालॉगी तुम यहाँ.”
“पोलीस पार्टी बुला रही हूँ. तुम जाओ अपना काम देखो…क्या भूल गये तुम कि तुम रिज़ाइन कर चुके हो. तुम्हे यहाँ रुकने का कोई हक़ नही है.”
“कैसे बुलाओगी यहाँ जंगल में सिग्नल ही नही आता फोन पर.” गौरव ने कहा.
“तो मैं खुद देख लूँगी कि क्या करना है. यू गेट दा हेल आउट ऑफ हियर.” अंकिता ने कहा.
तभी एक और चीख सुनाई दी उन्हे. इस बार चीख किसी आदमी की थी.
अंकिता भाग कर जंगल में घुस गयी. गौरव भाग कर अपनी कार के पास आया.
“मेरी गन कहा है यार. ये ए एस पी साहिबा मेरी जान ले लेगी.”
गन सीट के नीचे पड़ी थी. 1 मिनिट खराब हुआ गन ढूँडने में. गन मिलते ही गौरव अंकिता के पीछे जंगल में घुस गया.
अंधेरा बहुत था जंगल में. गौरव भाग कर आया था जंगल में. अंकिता दीखाई नही दी और टकरा गया उस से. गिरते-गिरते बची वो.
“ये क्या बदतमीज़ी है.” अंकिता छील्लाई.
“श्ह्ह… चुप रहो मेडम जी. ग़लती से टक्कर लग गयी. जान बुझ कर नही मारी मैने.”
तभी गोली चलने की आवाज़ आई. गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ा और उसे एक पेड़ के पीछे ले आया.
“क्या कर रहे हो तुम.”
“गोली चली…सुना नही क्या तुम्हे. हो सकता है हम पर चलाई गयी हो. पेड़ के पीछे रहना ठीक है.”
अंकिता भी गुस्से में थी और गौरव भी गुस्से में था. दोनो एक दूसरे से खफा थे. पेड़ से सत कर खड़े थे दोनो साथ साथ. उनका आधा ध्यान क्राइम को हैंडल करने पर था और आधा ध्यान अपने बीच हो रही कसंकश पर था. कुछ-कुछ कोल्ड वॉर जैसी स्तिथि बनी हुई थी.