03-01-2020, 12:08 PM
“अरे रूको सौरभ मज़ाक कर रहा है” पूजा ने आवाज़ दी.
“जानता हूँ….मगर दूसरे लोग वेट कर रहे हैं. हम ही स्टेज घेरे रहेंगे तो बाकी लोग सगन कैसे देंगे….अरे गौरव सर कहाँ गये.” आशुतोष ने कहा.
सौरभ और पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. “देखा गया ना अंकिता के पीछे.” सौरभ ने कहा.
“क्या पता कही और गया हो?” पूजा ने कहा.
“हो ही नही सकता. वो उसी के पीछे गया है. तुमने उस रात नही देखा. जब साइको अंकिता को बार्ब वाइयर लिपटे बेसबॉल बॅट से पीटने वाला था तो गौरव अंकिता के उपर लेट गया था. पूरी कमर छिल गयी थी उसकी मगर हटा नही था अंकिता के उपर से.”
“जब गौरव इतना प्यार करता है अंकिता से तो वो कही और शादी क्यों कर रही है.” पूजा ने पूछा.
“कुछ तो मजबूरी है उनकी वरना यू ही कोई बेवफा नही होता.” सौरभ ने कहा.
“ये बात भी है. मुझसे तो देखे ही नही गये उसके आँसू. एक पल को तो मैं हैरान रह गयी. मुझे यकीन ही नही हुआ कि अंकिता ऐसे रो सकती थी.”
“प्यार इंसान से सब कुछ करवा देता है. वैसे आँसू तुम्हारे भी निकलेंगे थोड़ी देर में.”
“हां बापू बहुत खुश हैं. दीदी भी बहुत खुश है. मैं सबसे ज़्यादा खुश हूँ. रोने का मन नही है पर रोना आ जाएगा क्योंकि खुशी ही इतनी ज़्यादा है.” पूजा ने कहा.
………………………………………………………………………
अंकिता स्टेज से उतर कर सीधी अपनी कार के पास आ गयी थी. आँसुओ को थाम रही थी वो पर जब भावनाओं का उफान आता था तो उसकी हर कोशिश बेकार जाती थी.
“मेरी तरफ देखा तक नही तुमने. कितनी बेचैन थी तुमसे मिलने के लिए मैं. पर तुम्हे क्या फर्क पड़ता है. कहने को तुम मुझे प्यार करते हो पर मेरी बिल्कुल परवाह नही तुम्हे. आइ हेट यू…”
गौरव जब वहाँ पहुँचा तो अंकिता अपनी कार का दरवाजा खोल रही थी. गौरव ने तुरंत भाग कर उसका हाथ पकड़ लिया.
“कैसी हो तुम.” गौरव ने पूछा.
“हाथ छोड़ो मेरा.” अंकिता ने बिना पीछे मुड़े कहा. वो अपने आँसू गौरव को नही दीखाना चाहती थी.
गौरव ने अंकिता के हाथ पर पकड़ और मजबूत कर दी. “तुम रो क्यों रही थी.”
“तुमने कब देखा मुझे रोते हुए…तुम तो मुझे देख भी नही रहे थे.” अंकिता की आवाज़ में दर्द था.
“माफ़ करदो मुझे उस गुस्ताख़ी के लिए. तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ मैं. तुम्हे ना देख कर खुद को ही सज़ा दी मैने.”
“मुझे कुछ नही सुन-ना तुमसे. छोड़ो मेरा हाथ.” अंकिता ने हाथ को ज़ोर से झटका. गौरव ने हाथ छोड़ दिया.
“लो छोड़ दिया हाथ तुम्हारा. मुझे कोई शॉंक नही है तुम्हारा हाथ पकड़ने का.”
अंकिता ने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठ कर कार स्टार्ट करके वहाँ से निकल गयी. अंकिता बहुत स्पीड से निकली वहाँ से.
“पागल हो गयी है लगता है. इतनी स्पीड से भागने की क्या ज़रूरत थी.” गौरव भी भाग कर अपनी कार में आया और कार स्टार्ट करके अंकिता के पीछे चल दिया.
अंकिता इतने गुस्से में थी कि उसे ध्यान ही नही रहा की वो ग़लत रास्ते से मूड गयी है. उसने कार जंगल के रास्ते पर मोड़ ली थी. उसे पता चल गया था कि गौरव पीछे आ रहा है इसलिए उसने कार घुमाने की कोशिश नही की. वैसे जंगल पार करके एक सड़क उसके घर तक जाती थी, इसलिए भी उसने गाड़ी नही मोडी.
“अब क्यों आ रहे हो तुम मेरे पीछे. कल से तो ना जाने कहाँ गायब हो गये थे. पहली बार इतना रोई मैं जिंदगी में. तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं.”
“जानता हूँ….मगर दूसरे लोग वेट कर रहे हैं. हम ही स्टेज घेरे रहेंगे तो बाकी लोग सगन कैसे देंगे….अरे गौरव सर कहाँ गये.” आशुतोष ने कहा.
सौरभ और पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. “देखा गया ना अंकिता के पीछे.” सौरभ ने कहा.
“क्या पता कही और गया हो?” पूजा ने कहा.
“हो ही नही सकता. वो उसी के पीछे गया है. तुमने उस रात नही देखा. जब साइको अंकिता को बार्ब वाइयर लिपटे बेसबॉल बॅट से पीटने वाला था तो गौरव अंकिता के उपर लेट गया था. पूरी कमर छिल गयी थी उसकी मगर हटा नही था अंकिता के उपर से.”
“जब गौरव इतना प्यार करता है अंकिता से तो वो कही और शादी क्यों कर रही है.” पूजा ने पूछा.
“कुछ तो मजबूरी है उनकी वरना यू ही कोई बेवफा नही होता.” सौरभ ने कहा.
“ये बात भी है. मुझसे तो देखे ही नही गये उसके आँसू. एक पल को तो मैं हैरान रह गयी. मुझे यकीन ही नही हुआ कि अंकिता ऐसे रो सकती थी.”
“प्यार इंसान से सब कुछ करवा देता है. वैसे आँसू तुम्हारे भी निकलेंगे थोड़ी देर में.”
“हां बापू बहुत खुश हैं. दीदी भी बहुत खुश है. मैं सबसे ज़्यादा खुश हूँ. रोने का मन नही है पर रोना आ जाएगा क्योंकि खुशी ही इतनी ज़्यादा है.” पूजा ने कहा.
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अंकिता स्टेज से उतर कर सीधी अपनी कार के पास आ गयी थी. आँसुओ को थाम रही थी वो पर जब भावनाओं का उफान आता था तो उसकी हर कोशिश बेकार जाती थी.
“मेरी तरफ देखा तक नही तुमने. कितनी बेचैन थी तुमसे मिलने के लिए मैं. पर तुम्हे क्या फर्क पड़ता है. कहने को तुम मुझे प्यार करते हो पर मेरी बिल्कुल परवाह नही तुम्हे. आइ हेट यू…”
गौरव जब वहाँ पहुँचा तो अंकिता अपनी कार का दरवाजा खोल रही थी. गौरव ने तुरंत भाग कर उसका हाथ पकड़ लिया.
“कैसी हो तुम.” गौरव ने पूछा.
“हाथ छोड़ो मेरा.” अंकिता ने बिना पीछे मुड़े कहा. वो अपने आँसू गौरव को नही दीखाना चाहती थी.
गौरव ने अंकिता के हाथ पर पकड़ और मजबूत कर दी. “तुम रो क्यों रही थी.”
“तुमने कब देखा मुझे रोते हुए…तुम तो मुझे देख भी नही रहे थे.” अंकिता की आवाज़ में दर्द था.
“माफ़ करदो मुझे उस गुस्ताख़ी के लिए. तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ मैं. तुम्हे ना देख कर खुद को ही सज़ा दी मैने.”
“मुझे कुछ नही सुन-ना तुमसे. छोड़ो मेरा हाथ.” अंकिता ने हाथ को ज़ोर से झटका. गौरव ने हाथ छोड़ दिया.
“लो छोड़ दिया हाथ तुम्हारा. मुझे कोई शॉंक नही है तुम्हारा हाथ पकड़ने का.”
अंकिता ने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठ कर कार स्टार्ट करके वहाँ से निकल गयी. अंकिता बहुत स्पीड से निकली वहाँ से.
“पागल हो गयी है लगता है. इतनी स्पीड से भागने की क्या ज़रूरत थी.” गौरव भी भाग कर अपनी कार में आया और कार स्टार्ट करके अंकिता के पीछे चल दिया.
अंकिता इतने गुस्से में थी कि उसे ध्यान ही नही रहा की वो ग़लत रास्ते से मूड गयी है. उसने कार जंगल के रास्ते पर मोड़ ली थी. उसे पता चल गया था कि गौरव पीछे आ रहा है इसलिए उसने कार घुमाने की कोशिश नही की. वैसे जंगल पार करके एक सड़क उसके घर तक जाती थी, इसलिए भी उसने गाड़ी नही मोडी.
“अब क्यों आ रहे हो तुम मेरे पीछे. कल से तो ना जाने कहाँ गायब हो गये थे. पहली बार इतना रोई मैं जिंदगी में. तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं.”