03-01-2020, 12:07 PM
Update 120
“अरे अंकिता को क्या हुआ…वो बिना कुछ कहे चली गयी.?” सौरभ ने कहा.
“जाने दो उसे…ए एस पी साहिबा हैं वो बहुत बिज़ी रहती हैं काम में. आ गया होगा कोई काम.” गौरव ने कहा.
“नही वो रोते हुए गयी है यहाँ से.” पूजा तुरंत बोली.
“रोते हुए पर क्यों?” सौरभ ने कहा.
“ये तो गौरव ही बता सकता है. बहुत देर से ढूंड रही थी तुम्हे वो गौरव. और मैने नोट किया कि तुमने उसके साथ बात तक नही की.” अपर्णा ने कहा.
“मुझे ढूंड रही थी. तुम्हे कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी.” गौरव ने कहा.
सौरभ उठा अपनी सीट से और गौरव का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गया.
“बात क्या है गौरव…क्या मुझे बताओगे.”
“कुछ नही है यार. कुछ मत पूछ मुझसे. मैं कोई बात नही करना चाहता इस बारे में.” गौरव ने कहा.
“अच्छा मुझे कुछ जान-ने का हक़ नही है क्या. क्या दोस्ती सिर्फ़ नाम की है ये. बताओ मुझे क्या बात है.”
“प्यार करती है वो मुझसे और अपने मा-बाप के कारण शादी कहीं और कर रही है. इसीलिए मैं ये शहर और नौकरी छोड़ कर जा रहा हूँ.”
“देखो हर कोई प्यार में बोल्ड स्टेप नही उठा सकता. मा-बाप को इग्नोर करना इतना आसान नही होता. उसकी सिचुयेशन तुम नही समझ रहे हो.”
“समझ रहा हूँ पर यार इतना भी कोई मजबूर नही हो सकता कि अपने प्यार का गला घोंट दे.”
“वो सब ठीक है. अब जब तुम जा ही रहे हो यहाँ से तो क्या नाराज़ हो कर जाना ज़रूरी है. ख़ुशी ख़ुशी उस से मिल कर जाओ.”
“वही करना चाहता था. कल मेरी उस से बहस हो गयी और उसने मुझे अपने कमरे से दफ़ा हो जाने को कहा. प्यार के दो बोल तो बोले नही आज तक ‘गेट आउट’ बड़ी जल्दी बोल दिया. खुद को पता नही क्या समझती है. बहुत दुख हुआ मुझे कल. कल मुझे अहसास हुआ कि मैने किस जालिम से प्यार किया है.”
“वो जालिम होती तो रो कर ना जाती यहाँ से.”
“पूजा को कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी. वो रो ही नही सकती मैं शर्त लगा सकता हूँ इस बात की.”
“पूजा इधर आना.” सौरभ ने पूजा को आवाज़ दी.
पूजा भी उठ कर उनके पास आ गयी.
“क्या बात है सौरभ?”
“तुमने देखा था ना अपनी आँखो से अंकिता को रोते हुए.” सौरभ ने पूछा.
“हां मैने देखा था.”
“अरे उसकी आँख में कुछ गिर गया होगा…इसलिए नाम हो गयी होंगी आँखे.” गौरव मान-ने को तैयार नही था.
“उसकी आँखे बरस रही थी गौरव. होंटो तक आँसू आ गये थे उसके. ऐसा आँखो में कुछ गिरने से नही होता. ऐसा तभी होता है जब किसी के दिल पर चोट लगती है. तुमने उसे इग्नोर क्यों किया गौरव?”
“पूजा तुम नही समझोगी” गौरव ने कहा.
“गौरव जाओ यार उसके पीछे…बात करो उस से. जिसे प्यार करते हो उसे ऐसे दुख देना सही नही है.”
“दुख तो मुझे मिल रहा है. उसे क्या दुख मिलेगा. मैं किसी के पीछे नही जाने वाला. मैं कल यहाँ से जा रहा हूँ कोई टेन्षन नही चाहता मैं जाते जाते. कोई रोता है तो रोता रहे. खुद को मजबूर उसने बना रखा है मैने नही. अपने आँसुओ के लिए वो खुद ज़िम्मेदार है.”
“ये आँसू तुमने उसे दिए हैं…उसे इग्नोर करके.” पूजा ने कहा.
सौरभ ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “छोड़ो गौरव…तुम शादी एंजाय करो…हम क्यों बेकार की बहस कर रहे हैं…चलो पूजा बैठते हैं अपनी हॉट सीट पर.”
पूजा ने सौरभ को सवालिया नज़रो से देखा. सीट पर बैठ कर सौरभ ने पूजा के कान में कहा, “नाटक कर रहा है ये. अभी देखना कैसे दौड़ के जाएगा उसके पीछे. उसके चेहरे पर हल्की से शिकन भी ये बर्दास्त नही कर सकता आँसू तो बहुत बड़ी चीज़ है.”
“अच्छा…काश ऐसा प्यार हमें भी करे कोई.” पूजा हंसते हुए बोली.
“तुम रो कर तो दीखाओ…मैं तुम्हारे हर आँसू के लिए प्यार की एक दास्तान लिख दूँगा. बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे.”
“पता है मुझे.”
“हम भी हैं यहाँ गुरु. तुम दोनो हमें इग्नोर करोगे तो मेडम की तरह हम भी रो कर उतर जाएँगे स्टेज से.”
“उतर जाओ यार जल्दी. डिस्टर्ब मत करो हमें.” सौरभ ने कहा.
“चलो अपर्णा यहाँ हमारी किसी को ज़रूरत नही है.” आशुतोष ने अपर्णा का हाथ पकड़ कर कहा.
“अरे अंकिता को क्या हुआ…वो बिना कुछ कहे चली गयी.?” सौरभ ने कहा.
“जाने दो उसे…ए एस पी साहिबा हैं वो बहुत बिज़ी रहती हैं काम में. आ गया होगा कोई काम.” गौरव ने कहा.
“नही वो रोते हुए गयी है यहाँ से.” पूजा तुरंत बोली.
“रोते हुए पर क्यों?” सौरभ ने कहा.
“ये तो गौरव ही बता सकता है. बहुत देर से ढूंड रही थी तुम्हे वो गौरव. और मैने नोट किया कि तुमने उसके साथ बात तक नही की.” अपर्णा ने कहा.
“मुझे ढूंड रही थी. तुम्हे कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी.” गौरव ने कहा.
सौरभ उठा अपनी सीट से और गौरव का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गया.
“बात क्या है गौरव…क्या मुझे बताओगे.”
“कुछ नही है यार. कुछ मत पूछ मुझसे. मैं कोई बात नही करना चाहता इस बारे में.” गौरव ने कहा.
“अच्छा मुझे कुछ जान-ने का हक़ नही है क्या. क्या दोस्ती सिर्फ़ नाम की है ये. बताओ मुझे क्या बात है.”
“प्यार करती है वो मुझसे और अपने मा-बाप के कारण शादी कहीं और कर रही है. इसीलिए मैं ये शहर और नौकरी छोड़ कर जा रहा हूँ.”
“देखो हर कोई प्यार में बोल्ड स्टेप नही उठा सकता. मा-बाप को इग्नोर करना इतना आसान नही होता. उसकी सिचुयेशन तुम नही समझ रहे हो.”
“समझ रहा हूँ पर यार इतना भी कोई मजबूर नही हो सकता कि अपने प्यार का गला घोंट दे.”
“वो सब ठीक है. अब जब तुम जा ही रहे हो यहाँ से तो क्या नाराज़ हो कर जाना ज़रूरी है. ख़ुशी ख़ुशी उस से मिल कर जाओ.”
“वही करना चाहता था. कल मेरी उस से बहस हो गयी और उसने मुझे अपने कमरे से दफ़ा हो जाने को कहा. प्यार के दो बोल तो बोले नही आज तक ‘गेट आउट’ बड़ी जल्दी बोल दिया. खुद को पता नही क्या समझती है. बहुत दुख हुआ मुझे कल. कल मुझे अहसास हुआ कि मैने किस जालिम से प्यार किया है.”
“वो जालिम होती तो रो कर ना जाती यहाँ से.”
“पूजा को कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी. वो रो ही नही सकती मैं शर्त लगा सकता हूँ इस बात की.”
“पूजा इधर आना.” सौरभ ने पूजा को आवाज़ दी.
पूजा भी उठ कर उनके पास आ गयी.
“क्या बात है सौरभ?”
“तुमने देखा था ना अपनी आँखो से अंकिता को रोते हुए.” सौरभ ने पूछा.
“हां मैने देखा था.”
“अरे उसकी आँख में कुछ गिर गया होगा…इसलिए नाम हो गयी होंगी आँखे.” गौरव मान-ने को तैयार नही था.
“उसकी आँखे बरस रही थी गौरव. होंटो तक आँसू आ गये थे उसके. ऐसा आँखो में कुछ गिरने से नही होता. ऐसा तभी होता है जब किसी के दिल पर चोट लगती है. तुमने उसे इग्नोर क्यों किया गौरव?”
“पूजा तुम नही समझोगी” गौरव ने कहा.
“गौरव जाओ यार उसके पीछे…बात करो उस से. जिसे प्यार करते हो उसे ऐसे दुख देना सही नही है.”
“दुख तो मुझे मिल रहा है. उसे क्या दुख मिलेगा. मैं किसी के पीछे नही जाने वाला. मैं कल यहाँ से जा रहा हूँ कोई टेन्षन नही चाहता मैं जाते जाते. कोई रोता है तो रोता रहे. खुद को मजबूर उसने बना रखा है मैने नही. अपने आँसुओ के लिए वो खुद ज़िम्मेदार है.”
“ये आँसू तुमने उसे दिए हैं…उसे इग्नोर करके.” पूजा ने कहा.
सौरभ ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “छोड़ो गौरव…तुम शादी एंजाय करो…हम क्यों बेकार की बहस कर रहे हैं…चलो पूजा बैठते हैं अपनी हॉट सीट पर.”
पूजा ने सौरभ को सवालिया नज़रो से देखा. सीट पर बैठ कर सौरभ ने पूजा के कान में कहा, “नाटक कर रहा है ये. अभी देखना कैसे दौड़ के जाएगा उसके पीछे. उसके चेहरे पर हल्की से शिकन भी ये बर्दास्त नही कर सकता आँसू तो बहुत बड़ी चीज़ है.”
“अच्छा…काश ऐसा प्यार हमें भी करे कोई.” पूजा हंसते हुए बोली.
“तुम रो कर तो दीखाओ…मैं तुम्हारे हर आँसू के लिए प्यार की एक दास्तान लिख दूँगा. बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे.”
“पता है मुझे.”
“हम भी हैं यहाँ गुरु. तुम दोनो हमें इग्नोर करोगे तो मेडम की तरह हम भी रो कर उतर जाएँगे स्टेज से.”
“उतर जाओ यार जल्दी. डिस्टर्ब मत करो हमें.” सौरभ ने कहा.
“चलो अपर्णा यहाँ हमारी किसी को ज़रूरत नही है.” आशुतोष ने अपर्णा का हाथ पकड़ कर कहा.