03-01-2020, 12:03 PM
Update 119
अंकिता को थाने पहुँचते ही अपने रूम में फॅक्स मिला कि गौरव का सस्पेंशन वापिस हो गया है. अंकिता के दुखी मन को कुछ राहत मिली. बहुत कोशिश की थी उसने गौरव के लिए. वो खुश थी कि उसकी कोशिश कामयाब रही. उसने तुरंत गौरव को फोन मिलाया.
“हेलो गौरव. क्या इसी वक्त थाने आ सकते हो.” अंकिता फोन पर कुछ नही बताना चाहती थी.
“मैं थाने ही आ रहा हूँ. रास्ते में हूँ. बस 10 मिनिट में पहुँच रहा हूँ मैं.”
गौरव जब अंकिता के रूम पहुँचा तो वो चौहान को कुछ डाइरेक्षन्स दे रही थी. गौरव दरवाजे पर ही रुक गया.
“मिस्टर चौहान यू मे गो नाओ. जैसा कहा है वैसे ही करना.” अंकिता ने चौहान को कहा.
चौहान गौरव को घूरता हुआ बाहर चला गया.
“गौरव आओ ना वही खड़े रहोगे क्या. आओ तुम्हे एक खूसखबरी देनी थी.” अंकिता ने कहा.
गौरव चुपचाप बिना कुछ कहे अंकिता के सामने कुर्सी पर आकर बैठ गया.
“क्या बात है कुछ खोए-खोए से हो.”
“नही बस यू ही…”
“गौरव तुम्हारा सस्पेंशन कैंसिल हो गया है. तुम अभी आज से ही जॉइन कर सकते हो.”
गौरव हल्का सा मुस्कुराया ये सुन कर और बिना कुछ कहे अंकिता की टेबल पर एक लीफाफा रख दिया.
अंकिता गौरव के इस रिक्षन पर हैरान रह गयी.
“क्या बात है गौरव. तुम्हे कोई ख़ुशी नही हुई इस बात की.”
“ख़ुशी तो बहुत है. आपने बहुत कोशिश की इसके लिए. आपका बहुत बहुत शुक्रिया”
“ख़ुशी नज़र नही आ रही तुम्हारे चेहरे पर. इस लीफाफ़े में क्या है?”
“खोल के देख लीजिए.”
अंकिता ने लीफाफ़े में से लेटर निकाला. वो उसे पढ़ कर चोंक गयी.
“गौरव ये क्या मज़ाक है. रिज़ाइन क्यों कर रहे हो तुम. बड़ी मुश्किल से मैने सस्पेंशन कैंसिल करवाया है और तुम रिज़ाइन कर रहे हो. क्या पूछ सकती हूँ मैं कि ऐसा क्यों कर रहे हो तुम.”
“परसो पुणे वापिस जा रहा हूँ मैं. पोलीस की नौकरी कभी भी पसंद नही थी मुझे. मेरे डेडी के कारण जॉइन किया था मैने यहाँ.”
अंकिता को एक और झटका लगा. “पुणे जा रहे हो?...पर क्यों.”
“यहाँ नही रह सकता मैं. मेरी कुछ मजबूरी है.”
“मेरे अंडर काम नही करना चाहते तुम अब है ना. यही मजबूरी है ना तुम्हारी. तुम्हारी मेल ईगो अब तुम्हे मेरे अंडर काम करने की इजाज़त नही देती.”
“ऐसा कुछ नही है.”
“फिर बोलो क्या बात है. क्यों जा रहे हो मुझसे इतनी दूर तुम.”
“आपको मेरे चले जाने से फर्क पड़ेगा क्या कोई.”
“फर्क नही पड़ता तो क्या मैं परेशान होती इस वक्त. तुम यही रहो गौरव मेरे पास. मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ यहाँ.”
“आपने आज तक अपने मूह से प्यार का इज़हार तक नही किया. आज मैं जाने की बात कर रहा हूँ तो आपको तकलीफ़ हो रही है.”
“गौरव एक बात बताओ. क्या तुम्हारा और मेरा रिश्ता बस प्यार का ही हो सकता है? …. क्या हम दोस्त बन कर नही रह सकते.”
“क्या हम दोस्त थे कभी जो अब दोस्त बन कर रहें. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से. इस प्यार को दोस्ती में नही बदल सकता मैं.”
“क्यों नही बदल सकते. दोस्ती भी तो प्यार का ही एक रूप है.”
“पहले प्यार तो कबूल कर लेती आप फिर मैं कुछ सोचता भी इस बारे में. बेकार में बहस कर रही हैं आप मेरे साथ इस बारे में.”
“तुम मुझसे क्या चाहते हो गौरव?”
“आपसे कोई चाहत तो तब रखता जब आप ये हक़ देती मुझे. क्योंकि मेरा प्यार एक तरफ़ा है शायद… इसलिए कुछ नही चाहता आपसे मैं. यहाँ से जा रहा हूँ क्योंकि अपने प्यार को किसी और के साथ शादी करते हुए नही देख सकता. यहाँ रहूँगा तो हर पल घुट-घुट कर जीऊँगा मैं. इसलिए यहाँ से जा रहा हूँ.”
“तो ये नौकरी और शहर तुम मेरे कारण छोड़ रहे हो.” अंकिता की आवाज़ में अजीब सा दर्द था.
“ये नौकरी तो मुझे छोड़नी ही थी. मैने कहा ना मुझे पोलीस की नौकरी कभी पसंद नही थी.”
“हां पर फिलहाल तो तुम मेरे कारण कर रहे हो ना ये सब. क्या इस से बड़ी सज़ा दे सकते हो तुम मुझे.”
“सज़ा आपको नही दे रहा हूँ बल्कि खुद को दे रहा हूँ. बहुत प्यार करता हूँ आपसे मैं….आपको सज़ा कैसे दे सकता हूँ.”
“गौरव प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ. प्लीज़ ये रेसिग्नेशन वापिस ले लो और यही रहो इसी शहर में.”
“हां यही रहू और आपको शादी करते देखूं…फिर बच्चे पैदा करते देखूं. मुझसे ये नही होगा.”
“शट अप गौरव.”
“क्यों चुप रहूं. मेरे प्यार का मज़ाक बना दिया आपने.”
“मैने तुम्हे नही कहा था प्यार करने के लिए.” अंकिता ने कड़ी आवाज़ में कहा.
“आप कभी कह भी नही सकती थी. मेरा ही दिमाग़ खराब था जो दिल लगा बैठा आपसे. मुझे क्या पता था कि मेरे प्यार का यू मज़ाक उड़ाया जाएगा.”
“देखो गौरव मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती तुमसे. मेरी बस यही रिक्वेस्ट है की जब प्यार मुमकिन नही हमारे बीच तो हम दोस्त बन कर रहें तो ज़्यादा अच्छा है.”
“ठीक है मंजूर है दोस्ती आपकी मुझे. लेकिन ये दोस्ती निभाने के लिए यहाँ रहना ज़रूरी नही है. फोन पर दोस्ती जारी रख सकते हैं हम.”
ये सुनते ही अंकिता भड़क गयी. “जाओ फिर दफ़ा हो जाओ यहाँ से,” अंकिता चिल्लाई.
“चिल्लाओ मत मेरे उपर. गुस्सा मुझे भी आता है. एक तो प्यार का अपमान करती हो उपर से चिल्लाति हो. ए एस पी साहिबा हो कर अपनी जिंदगी के फ़ैसले दूसरे लोगो पर छोड़ रखें हैं आपने.”
“दूसरे लोग नही हैं वो…मेरे मा-बाप हैं. उनके बारे में एक शब्द भी मत बोलना.”
“क्यों ना बोलूं उनके बारे में. मेरे प्यार को मुझसे छीन रहे हैं वो और आप उनका साथ दे रही हैं. अपने फ़ैसले आपको खुद लेने चाहिए. मा-बाप अपनी जगह है. उनके लिए अपनी खुशियो का गला मत घोटो.”
“शट अप गौरव.”
“हां मेरी ज़ुबान पर ताले लगा दो. कुछ ग़लत नही कहा मैने. आपके पेरेंट्स आपकी खुशियो का गला घोंट रहें हैं और आप उनका साथ दे रही हो ख़ुशी ख़ुशी. और मुझे कहती हैं आप कि मैं रुक जाऊ यहाँ. ताकि आपकी शादी शुदा जिंदगी को पहलते फूलते देख सकूँ.”
“गेट आउट फ्रॉम हियर. दुबारा मत आना यहाँ तुम. जाओ जहा जाना है. आइ डॉन’ट केर.” अंकिता गुस्से में बोली.
तभी चौहान आ गया कमरे में और बोला, “मेडम ये फाइल देख लीजिए. इसमें सारी डीटेल है.”
गौरव चौहान के अंदर आते ही तुरंत उठ कर बाहर आ गया.
अंकिता को थाने पहुँचते ही अपने रूम में फॅक्स मिला कि गौरव का सस्पेंशन वापिस हो गया है. अंकिता के दुखी मन को कुछ राहत मिली. बहुत कोशिश की थी उसने गौरव के लिए. वो खुश थी कि उसकी कोशिश कामयाब रही. उसने तुरंत गौरव को फोन मिलाया.
“हेलो गौरव. क्या इसी वक्त थाने आ सकते हो.” अंकिता फोन पर कुछ नही बताना चाहती थी.
“मैं थाने ही आ रहा हूँ. रास्ते में हूँ. बस 10 मिनिट में पहुँच रहा हूँ मैं.”
गौरव जब अंकिता के रूम पहुँचा तो वो चौहान को कुछ डाइरेक्षन्स दे रही थी. गौरव दरवाजे पर ही रुक गया.
“मिस्टर चौहान यू मे गो नाओ. जैसा कहा है वैसे ही करना.” अंकिता ने चौहान को कहा.
चौहान गौरव को घूरता हुआ बाहर चला गया.
“गौरव आओ ना वही खड़े रहोगे क्या. आओ तुम्हे एक खूसखबरी देनी थी.” अंकिता ने कहा.
गौरव चुपचाप बिना कुछ कहे अंकिता के सामने कुर्सी पर आकर बैठ गया.
“क्या बात है कुछ खोए-खोए से हो.”
“नही बस यू ही…”
“गौरव तुम्हारा सस्पेंशन कैंसिल हो गया है. तुम अभी आज से ही जॉइन कर सकते हो.”
गौरव हल्का सा मुस्कुराया ये सुन कर और बिना कुछ कहे अंकिता की टेबल पर एक लीफाफा रख दिया.
अंकिता गौरव के इस रिक्षन पर हैरान रह गयी.
“क्या बात है गौरव. तुम्हे कोई ख़ुशी नही हुई इस बात की.”
“ख़ुशी तो बहुत है. आपने बहुत कोशिश की इसके लिए. आपका बहुत बहुत शुक्रिया”
“ख़ुशी नज़र नही आ रही तुम्हारे चेहरे पर. इस लीफाफ़े में क्या है?”
“खोल के देख लीजिए.”
अंकिता ने लीफाफ़े में से लेटर निकाला. वो उसे पढ़ कर चोंक गयी.
“गौरव ये क्या मज़ाक है. रिज़ाइन क्यों कर रहे हो तुम. बड़ी मुश्किल से मैने सस्पेंशन कैंसिल करवाया है और तुम रिज़ाइन कर रहे हो. क्या पूछ सकती हूँ मैं कि ऐसा क्यों कर रहे हो तुम.”
“परसो पुणे वापिस जा रहा हूँ मैं. पोलीस की नौकरी कभी भी पसंद नही थी मुझे. मेरे डेडी के कारण जॉइन किया था मैने यहाँ.”
अंकिता को एक और झटका लगा. “पुणे जा रहे हो?...पर क्यों.”
“यहाँ नही रह सकता मैं. मेरी कुछ मजबूरी है.”
“मेरे अंडर काम नही करना चाहते तुम अब है ना. यही मजबूरी है ना तुम्हारी. तुम्हारी मेल ईगो अब तुम्हे मेरे अंडर काम करने की इजाज़त नही देती.”
“ऐसा कुछ नही है.”
“फिर बोलो क्या बात है. क्यों जा रहे हो मुझसे इतनी दूर तुम.”
“आपको मेरे चले जाने से फर्क पड़ेगा क्या कोई.”
“फर्क नही पड़ता तो क्या मैं परेशान होती इस वक्त. तुम यही रहो गौरव मेरे पास. मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ यहाँ.”
“आपने आज तक अपने मूह से प्यार का इज़हार तक नही किया. आज मैं जाने की बात कर रहा हूँ तो आपको तकलीफ़ हो रही है.”
“गौरव एक बात बताओ. क्या तुम्हारा और मेरा रिश्ता बस प्यार का ही हो सकता है? …. क्या हम दोस्त बन कर नही रह सकते.”
“क्या हम दोस्त थे कभी जो अब दोस्त बन कर रहें. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से. इस प्यार को दोस्ती में नही बदल सकता मैं.”
“क्यों नही बदल सकते. दोस्ती भी तो प्यार का ही एक रूप है.”
“पहले प्यार तो कबूल कर लेती आप फिर मैं कुछ सोचता भी इस बारे में. बेकार में बहस कर रही हैं आप मेरे साथ इस बारे में.”
“तुम मुझसे क्या चाहते हो गौरव?”
“आपसे कोई चाहत तो तब रखता जब आप ये हक़ देती मुझे. क्योंकि मेरा प्यार एक तरफ़ा है शायद… इसलिए कुछ नही चाहता आपसे मैं. यहाँ से जा रहा हूँ क्योंकि अपने प्यार को किसी और के साथ शादी करते हुए नही देख सकता. यहाँ रहूँगा तो हर पल घुट-घुट कर जीऊँगा मैं. इसलिए यहाँ से जा रहा हूँ.”
“तो ये नौकरी और शहर तुम मेरे कारण छोड़ रहे हो.” अंकिता की आवाज़ में अजीब सा दर्द था.
“ये नौकरी तो मुझे छोड़नी ही थी. मैने कहा ना मुझे पोलीस की नौकरी कभी पसंद नही थी.”
“हां पर फिलहाल तो तुम मेरे कारण कर रहे हो ना ये सब. क्या इस से बड़ी सज़ा दे सकते हो तुम मुझे.”
“सज़ा आपको नही दे रहा हूँ बल्कि खुद को दे रहा हूँ. बहुत प्यार करता हूँ आपसे मैं….आपको सज़ा कैसे दे सकता हूँ.”
“गौरव प्लीज़ ऐसा मत करो मेरे साथ. प्लीज़ ये रेसिग्नेशन वापिस ले लो और यही रहो इसी शहर में.”
“हां यही रहू और आपको शादी करते देखूं…फिर बच्चे पैदा करते देखूं. मुझसे ये नही होगा.”
“शट अप गौरव.”
“क्यों चुप रहूं. मेरे प्यार का मज़ाक बना दिया आपने.”
“मैने तुम्हे नही कहा था प्यार करने के लिए.” अंकिता ने कड़ी आवाज़ में कहा.
“आप कभी कह भी नही सकती थी. मेरा ही दिमाग़ खराब था जो दिल लगा बैठा आपसे. मुझे क्या पता था कि मेरे प्यार का यू मज़ाक उड़ाया जाएगा.”
“देखो गौरव मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती तुमसे. मेरी बस यही रिक्वेस्ट है की जब प्यार मुमकिन नही हमारे बीच तो हम दोस्त बन कर रहें तो ज़्यादा अच्छा है.”
“ठीक है मंजूर है दोस्ती आपकी मुझे. लेकिन ये दोस्ती निभाने के लिए यहाँ रहना ज़रूरी नही है. फोन पर दोस्ती जारी रख सकते हैं हम.”
ये सुनते ही अंकिता भड़क गयी. “जाओ फिर दफ़ा हो जाओ यहाँ से,” अंकिता चिल्लाई.
“चिल्लाओ मत मेरे उपर. गुस्सा मुझे भी आता है. एक तो प्यार का अपमान करती हो उपर से चिल्लाति हो. ए एस पी साहिबा हो कर अपनी जिंदगी के फ़ैसले दूसरे लोगो पर छोड़ रखें हैं आपने.”
“दूसरे लोग नही हैं वो…मेरे मा-बाप हैं. उनके बारे में एक शब्द भी मत बोलना.”
“क्यों ना बोलूं उनके बारे में. मेरे प्यार को मुझसे छीन रहे हैं वो और आप उनका साथ दे रही हैं. अपने फ़ैसले आपको खुद लेने चाहिए. मा-बाप अपनी जगह है. उनके लिए अपनी खुशियो का गला मत घोटो.”
“शट अप गौरव.”
“हां मेरी ज़ुबान पर ताले लगा दो. कुछ ग़लत नही कहा मैने. आपके पेरेंट्स आपकी खुशियो का गला घोंट रहें हैं और आप उनका साथ दे रही हो ख़ुशी ख़ुशी. और मुझे कहती हैं आप कि मैं रुक जाऊ यहाँ. ताकि आपकी शादी शुदा जिंदगी को पहलते फूलते देख सकूँ.”
“गेट आउट फ्रॉम हियर. दुबारा मत आना यहाँ तुम. जाओ जहा जाना है. आइ डॉन’ट केर.” अंकिता गुस्से में बोली.
तभी चौहान आ गया कमरे में और बोला, “मेडम ये फाइल देख लीजिए. इसमें सारी डीटेल है.”
गौरव चौहान के अंदर आते ही तुरंत उठ कर बाहर आ गया.