अपर्णा ने बोलते ही आँखे बंद कर ली. क्योंकि उसे यकीन था कि आशुतोष तुरंत समा जाएगा उसके अंदर. पर ऐसा कुछ नही हुआ. अपर्णा ने एक मिनिट बाद आँख खोली और बोली, “क्या हुआ तुम तो सच में रुक गये. तुम तो ऐसे नही थे.”
“अपर्णा मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी आँखे खुली रखो. ताकि हम एक दूसरे की आँखो में देख सकें और जान सके कि दूसरा क्या महसूस कर रहा है. हमारा मिलन हमारे प्यार के जितना ही पवित्र है. हमें आँखो से आँखे मिला कर उतरना चाहिए इस संभोग में. सिर्फ़ मेरा लंड ही नही जाएगा तुम्हारे अंदर. मेरा प्यार और मेरी आत्मा भी समा जाएगी तुम्हारे अंदर. बस कुछ देर के लिए आँखे खुली रखो फिर तो आँखे वैसे भी खुद-ब-खुद बंद हो जाएँगी क्योंकि हम प्यार में डूब जाएँगे.”
अपर्णा ने आशुतोष के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “मुझे यकीन नही था कि कभी इतनी गहरी बातें भी करोगे. पवर ऑफ नाओ की याद दिला दी तुमने मुझे. ठीक है मेरे दीवाने मैं आँखे खुली रखूँगी.”
आशुतोष ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और अपर्णा के चूत छेद पर टिका दिया. अपर्णा के शरीर में बिजली की लहर दौड़ गयी. उसके होठ काँपने लगे.
“मेरी कोशिश रहेगी कि आज दर्द ना हो…थोड़ा बहुत हो तो संभाल लेना.” आशुतोष ने खुद को पुश किया.
अपर्णा ने अपने दाँत भींच लिए लेकिन आँखे बंद नही की. दोनो की आँखे लगातार एक दूसरे से जुड़ी हुई थी. बहुत कुछ कह रही थी दोनो की आँखे एक दूसरे से. प्यार का अनमोल इज़हार हो रहा था आँखो के ज़रिए.
ना आशुतोष ने मूह से कुछ कहा और ना अपर्णा ने मूह से कुछ कहा. सभी बातें आँखो के ज़रिए हो रही थी. धीरे-धीरे आशुतोष पूरा समा गया अपर्णा के अंदर और आशुतोष ने पलके झपका कर अपर्णा को इशारा किया कि तुम अब आँखे बंद कर सकती हो. दोनो ने आँखे बंद कर ली और उनके होठ खुद-ब-खुद एक दूसरे से जुड़ गये. अपर्णा आशुतोष के प्यार में दर्द पूरी तरह भूल गयी थी.
आशुतोष ने अपर्णा की चूत में लंड का घर्षण शुरू कर दिया. मगर दोनो के होठ लगातार एक दूसरे से जुड़े रहे. धीरे-धीरे आशुतोष ने स्पीड बढ़ाई तो अपर्णा की चीख गूंजने लगी कमरे में. ये चीन्खे दर्द की नही बल्कि बल्कि उस आनंद की थी जो अपर्णा को आशुतोष के साथ हो रहे मिलन से मिल रहा था. अपर्णा अपना सर दायें-बायें बहुत तेज़ी से घुमा रही थी. आशुतोष भी पूरी तरह खो गया था अपर्णा में. आँखे बंद थी उसकी भी और वो बार-बार अपर्णा के अंदर और अंदर जाने की कोशिश कर रहा था. प्यार अंतिम सीमा तक पहुचने की कोशिश करता है. इसलिए आशुतोष हर बार अपर्णा के और अंदर उतर जाना चाहता था.
अचानक अपर्णा बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “आशुतोष….बस…और नही….रुक जाओ….” अपर्णा का ऑर्गॅज़म हो चुका था.
मगर आशुतोष नही रुका तो उसे अश्चर्य हुआ की वो एक और ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ रही है. ऐसा पहली बार हो रहा था उसके साथ. वो दुबारा चिल्लाई, “आशुतोष बस…अब रुक जाओ…प्लेअएसस्स्स्स्स्सस्स.”
आशुतोष बिना कुछ कहे अपर्णा के और ज़्यादा अंदर जाने की कोशिश में लगा रहा. अचानक उसकी स्पीड बहुत तेज हो गयी. इतनी तेज की पूरा बिस्तर हिलने लगा. अपर्णा की तो साँसे अटकने लगी. साँस लेना बहुत मुश्किल हो गया था उसके लिए. तूफान ही कुछ ऐसा मचा दिया था आशुतोष ने.
“अपर्णा!” बहुत ज़ोर से चिल्लाया आशुतोष और ढेर हो गया अपर्णा के उपर. दोनो की गरम-गरम साँसे आपस में टकरा रही थी.
कुछ देर तक यू ही पड़े रहे दोनो. दोनो को नींद की झपकी लग गयी थी. अचानक आशुतोष की आँख खुली, “ओ.ऍम.जी. सौरभ मेरी जान ले लेगा.”
अपर्णा ने आशुतोष को कश कर थाम लिया. आशुतोष ने अपर्णा की आँखो में देखा तो पाया कि उसकी आँखे नम हैं.
“क्या हुआ मेरी महबूबा को.” आशुतोष ने पूछा.
“मुझे हमेशा यू ही प्यार करना आशु .”
“मेरा प्यार नही बदलेगा पगली…चाहे ये दुनिया बदल जाए.”
“हमने कोई प्रोटेक्शन यूज़ नही किया…कुछ ऐसा वैसा हो गया तो.” अपर्णा ने कहा.
“ओह हां… आगे से ध्यान रखेंगे. अभी बच्चो का नही सोचेंगे. पहले खुल कर इस प्यार को एंजाय कर लें फिर सोचेंगे.”
“चलें अब…” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“मेरा तो फिर से मन कर रहा है.”
“चलो..चलो लेट हो जाएँगे.” अपर्णा ने प्यार से कहा.
“अपर्णा मैं चाहता हूँ कि तुम अपनी आँखे खुली रखो. ताकि हम एक दूसरे की आँखो में देख सकें और जान सके कि दूसरा क्या महसूस कर रहा है. हमारा मिलन हमारे प्यार के जितना ही पवित्र है. हमें आँखो से आँखे मिला कर उतरना चाहिए इस संभोग में. सिर्फ़ मेरा लंड ही नही जाएगा तुम्हारे अंदर. मेरा प्यार और मेरी आत्मा भी समा जाएगी तुम्हारे अंदर. बस कुछ देर के लिए आँखे खुली रखो फिर तो आँखे वैसे भी खुद-ब-खुद बंद हो जाएँगी क्योंकि हम प्यार में डूब जाएँगे.”
अपर्णा ने आशुतोष के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “मुझे यकीन नही था कि कभी इतनी गहरी बातें भी करोगे. पवर ऑफ नाओ की याद दिला दी तुमने मुझे. ठीक है मेरे दीवाने मैं आँखे खुली रखूँगी.”
आशुतोष ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और अपर्णा के चूत छेद पर टिका दिया. अपर्णा के शरीर में बिजली की लहर दौड़ गयी. उसके होठ काँपने लगे.
“मेरी कोशिश रहेगी कि आज दर्द ना हो…थोड़ा बहुत हो तो संभाल लेना.” आशुतोष ने खुद को पुश किया.
अपर्णा ने अपने दाँत भींच लिए लेकिन आँखे बंद नही की. दोनो की आँखे लगातार एक दूसरे से जुड़ी हुई थी. बहुत कुछ कह रही थी दोनो की आँखे एक दूसरे से. प्यार का अनमोल इज़हार हो रहा था आँखो के ज़रिए.
ना आशुतोष ने मूह से कुछ कहा और ना अपर्णा ने मूह से कुछ कहा. सभी बातें आँखो के ज़रिए हो रही थी. धीरे-धीरे आशुतोष पूरा समा गया अपर्णा के अंदर और आशुतोष ने पलके झपका कर अपर्णा को इशारा किया कि तुम अब आँखे बंद कर सकती हो. दोनो ने आँखे बंद कर ली और उनके होठ खुद-ब-खुद एक दूसरे से जुड़ गये. अपर्णा आशुतोष के प्यार में दर्द पूरी तरह भूल गयी थी.
आशुतोष ने अपर्णा की चूत में लंड का घर्षण शुरू कर दिया. मगर दोनो के होठ लगातार एक दूसरे से जुड़े रहे. धीरे-धीरे आशुतोष ने स्पीड बढ़ाई तो अपर्णा की चीख गूंजने लगी कमरे में. ये चीन्खे दर्द की नही बल्कि बल्कि उस आनंद की थी जो अपर्णा को आशुतोष के साथ हो रहे मिलन से मिल रहा था. अपर्णा अपना सर दायें-बायें बहुत तेज़ी से घुमा रही थी. आशुतोष भी पूरी तरह खो गया था अपर्णा में. आँखे बंद थी उसकी भी और वो बार-बार अपर्णा के अंदर और अंदर जाने की कोशिश कर रहा था. प्यार अंतिम सीमा तक पहुचने की कोशिश करता है. इसलिए आशुतोष हर बार अपर्णा के और अंदर उतर जाना चाहता था.
अचानक अपर्णा बहुत ज़ोर से चिल्लाई, “आशुतोष….बस…और नही….रुक जाओ….” अपर्णा का ऑर्गॅज़म हो चुका था.
मगर आशुतोष नही रुका तो उसे अश्चर्य हुआ की वो एक और ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ रही है. ऐसा पहली बार हो रहा था उसके साथ. वो दुबारा चिल्लाई, “आशुतोष बस…अब रुक जाओ…प्लेअएसस्स्स्स्स्सस्स.”
आशुतोष बिना कुछ कहे अपर्णा के और ज़्यादा अंदर जाने की कोशिश में लगा रहा. अचानक उसकी स्पीड बहुत तेज हो गयी. इतनी तेज की पूरा बिस्तर हिलने लगा. अपर्णा की तो साँसे अटकने लगी. साँस लेना बहुत मुश्किल हो गया था उसके लिए. तूफान ही कुछ ऐसा मचा दिया था आशुतोष ने.
“अपर्णा!” बहुत ज़ोर से चिल्लाया आशुतोष और ढेर हो गया अपर्णा के उपर. दोनो की गरम-गरम साँसे आपस में टकरा रही थी.
कुछ देर तक यू ही पड़े रहे दोनो. दोनो को नींद की झपकी लग गयी थी. अचानक आशुतोष की आँख खुली, “ओ.ऍम.जी. सौरभ मेरी जान ले लेगा.”
अपर्णा ने आशुतोष को कश कर थाम लिया. आशुतोष ने अपर्णा की आँखो में देखा तो पाया कि उसकी आँखे नम हैं.
“क्या हुआ मेरी महबूबा को.” आशुतोष ने पूछा.
“मुझे हमेशा यू ही प्यार करना आशु .”
“मेरा प्यार नही बदलेगा पगली…चाहे ये दुनिया बदल जाए.”
“हमने कोई प्रोटेक्शन यूज़ नही किया…कुछ ऐसा वैसा हो गया तो.” अपर्णा ने कहा.
“ओह हां… आगे से ध्यान रखेंगे. अभी बच्चो का नही सोचेंगे. पहले खुल कर इस प्यार को एंजाय कर लें फिर सोचेंगे.”
“चलें अब…” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“मेरा तो फिर से मन कर रहा है.”
“चलो..चलो लेट हो जाएँगे.” अपर्णा ने प्यार से कहा.


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