03-01-2020, 11:56 AM
अपर्णा ने अपनी आँखे बंद कर ली. आशुतोष ने बड़े प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया. अपर्णा आँखे बंद किए पड़ी रही चुपचाप. जब कुछ देर उसे आशुतोष की कोई चुअन महसूस नही हुई तो उसने आँखे खोल कर देखा. आशुतोष पूरे कपड़े उतार चुका था. लंड पूरे तनाव में था. अपर्णा की नज़र जैसे ही आशुतोष के लंड पर पड़ी उसने अपने दोनो हाथो में अपना चेहरा ढक लिया, “ओ.ऍम.जी.…अब पता चला उस दिन इतना दर्द क्यों हुआ था.”
“उस दिन के दर्द का कारण बता चुके हैं हम आपको. उसका हमारे लंड महोदया की लंबाई-चौड़ाई से कोई लेना देना नही है.”
आशुतोष अपर्णा के उपर चढ़ गया और उसके कपड़े उतारने लगा.
“कपड़े रहने दो प्लीज़. मुझे शरम आएगी.”
“कपड़े नही उतारोगी तो मैं तुम्हारे अंग-अंग पर अपने होंटो को कैसे रखूँगा. चलो ये चोली उतारते हैं पहले.” आशुतोष ने चोली उतार दी. अपर्णा बिना कुछ कहे सहयोग कर रही थी.
“वाओ…ब्यूटिफुल. इन उभारों को ब्रा के चंगुल से बाद में आज़ाद करेंगे पहले ये लहंगा उतार लेते हैं.” आशुतोष ने कहा.
आशुतोष ने अपर्णा के नितंबो के नीचे हाथ सरकाए और लहँगे को पकड़ कर नीचे खींच लिया.
“जितना सुंदर चेहरा…उतना ही सुंदर शरीर. मन भी सुंदर पाया है तुमने. व्हाट आ रेर कॉंबिनेशन. “ आशुतोष ने लहँगे को अपर्णा के शरीर से अलग करते हुए कहा.
“तुम नाच रही थी तो तुम्हारे उभार जब उपर नीचे हिल रहे थे तो मेरा दिल भी उपर नीचे उछल रहा था. मन कर रहा था की पकड़ लूँ तुम्हे जा कर और टूट पदू इन उछलते उभारों पर.” आशुतोष ने ब्रा खोलते हुए कहा.
“कैसी बाते करते हो तुम…मुझे शरम आ रही है…प्लीज़ मूह बंद रखो अपना.”
“क्या करूँ दीवाना हूँ तुम्हारा. तुम्हारी तारीफ़ किए बिना रह ही नही सकता.”
आशुतोष ने अपर्णा के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. अपर्णा की सिसकियाँ गूंजने लगी कमरे में.
“कैसा लग रहा है तुम्हे.” आशुतोष ने पूछा.
अपर्णा ने कोई जवाब नही दिया. उसने आशुतोष के सर को थाम लिया और उसके सर पर हल्का सा दबाव बनाया ताकि उसके होठ वापिस निपल्स पर टिक जायें.
“लगता है तुम्हे मज़ा आ रहा है…हहेहेहहे…वैसे मैं दूसरे निपल पर जा रहा था. तुम कहती हो तो इसे ही चूस्ता रहता हूँ.”
अपर्णा शरम से पानी-पानी हो गयी. “नही मेरा वो मतलब नही था. तुम करो जो करना है.”
“आपकी इन्हीं अदाओं पे तो प्यार आता है…थोड़ा नही बेसुमार आता है. बस एक बार हमें ये बता दो. इन अदाओं का तूफान कहाँ से आता है.”
“तुम ऐसी बातें करोगे तो कोई भी शर्मा जाएगा.”
“चलो इसी निपल को सक करता हूँ. लगता है ये ज़्यादा मज़ा दे रहा है तुम्हे…हिहिहीही..”
आशुतोष फिर से डूब गया अपर्णा के उभारों में. अपर्णा फिर से आहें भरने लगी. बारी-बारी से दोनो उभारों को प्यार कर रहा था आशुतोष. अपर्णा की सिसकियाँ तेज होती जा रही थी.
अचानक आशुतोष अपर्णा के निपल्स छोड़ कर हट गया और अपर्णा की पॅंटी को धीरे से नीचे सरका कर अपर्णा के शरीर से अलग कर दिया. अपर्णा की टांगे काँपने लगी और उसकी साँसे बहुत तेज चलने लगी.
आशुतोष के लिए एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था. उसने अपर्णा की टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और अपर्णा के चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “मुझे कभी किसी का प्यार नही मिला अपर्णा. जिंदगी भर प्यार के लिए तरसता रहा. ऐसा नही था की मैने कोशिश नही की. जो भी लड़कियाँ जिंदगी में आईं उन्होने मेरे दिल में झाँक कर देखा ही नही. मैं प्यार ढूंड रहा था हमेशा…लेकिन जिंदगी पता नही कब बस सेक्स में उलझ गयी. प्यार की तलाश इसलिए भी थी शायद क्योंकि बचपन से अनाथ था. तुम्हे प्यार तो करने लगा था पर डरता था कि दिल टूट ना जाए. लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा दिल बहुत प्यार से संभाल कर रखा है तुमने. इतना प्यार कभी नही मिला अपर्णा. आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू…आशुतोष. झुत नही बोलूँगी. तुमसे प्यार करना नही चाहती थी. तुमसे दूर ही रहना चाहती थी. पर ना जाने क्या जादू किया तुमने कि मैं तुम्हारे प्यार में फँस गयी.”
“वैसे दूर क्यों भागती थी मुझसे तुम.”
“मैने सपना देखा था. जिसमे तुम मेरे साथ…ये सब कर रहे थे.”
“ये सब मतलब…सेक्स.”
“हां…. हम खुले में थे. किसी खेत का दृश्य था शायद. अचानक मुझे श्रद्धा दिखी चारपाई पर लेटी हुई. मैने तुम्हे रोकने की कोशिश कि ये कह कर की श्रद्धा देख लेगी. पर तुम नही रुके. अचानक साइको आ गया वहाँ और मेरी आँख खुल गयी. इस सपने ने बहुत डरा दिया था मुझे. इसलिए तुमसे दूर भागती थी.”
“हाहहहहाहा….अब पता चला सारा चक्कर. तो तुम अपनी चूत बचाने के चक्कर में थी.”
“शट अप…” अपर्णा गुस्से में बोली.”
“वैसे सपना सच हुआ है तुम्हारा. उस दिन टेबल पर झुका रखा था तुम्हे तो श्रद्धा की फोटो भी गिरी थी नीचे. उसके उपर एसपी की फोटो थी. क्या सपने में भी पीछे से ठोक रहा था तुम्हे.”
“मुझे कुछ याद नही है अब….” अपर्णा हंसते हुए बोली.
“सो स्वीट अपर्णा. हमेशा यू ही हँसती रहना.”
“तुम मुझे यू ही प्यार करोगे तो मैं यू ही हँसती रहूंगी.”
“अपर्णा क्या मैं समा जाऊ तुम में.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“बोल कर तो देखो.”
“रुक जाओ फिर…”
“उस दिन के दर्द का कारण बता चुके हैं हम आपको. उसका हमारे लंड महोदया की लंबाई-चौड़ाई से कोई लेना देना नही है.”
आशुतोष अपर्णा के उपर चढ़ गया और उसके कपड़े उतारने लगा.
“कपड़े रहने दो प्लीज़. मुझे शरम आएगी.”
“कपड़े नही उतारोगी तो मैं तुम्हारे अंग-अंग पर अपने होंटो को कैसे रखूँगा. चलो ये चोली उतारते हैं पहले.” आशुतोष ने चोली उतार दी. अपर्णा बिना कुछ कहे सहयोग कर रही थी.
“वाओ…ब्यूटिफुल. इन उभारों को ब्रा के चंगुल से बाद में आज़ाद करेंगे पहले ये लहंगा उतार लेते हैं.” आशुतोष ने कहा.
आशुतोष ने अपर्णा के नितंबो के नीचे हाथ सरकाए और लहँगे को पकड़ कर नीचे खींच लिया.
“जितना सुंदर चेहरा…उतना ही सुंदर शरीर. मन भी सुंदर पाया है तुमने. व्हाट आ रेर कॉंबिनेशन. “ आशुतोष ने लहँगे को अपर्णा के शरीर से अलग करते हुए कहा.
“तुम नाच रही थी तो तुम्हारे उभार जब उपर नीचे हिल रहे थे तो मेरा दिल भी उपर नीचे उछल रहा था. मन कर रहा था की पकड़ लूँ तुम्हे जा कर और टूट पदू इन उछलते उभारों पर.” आशुतोष ने ब्रा खोलते हुए कहा.
“कैसी बाते करते हो तुम…मुझे शरम आ रही है…प्लीज़ मूह बंद रखो अपना.”
“क्या करूँ दीवाना हूँ तुम्हारा. तुम्हारी तारीफ़ किए बिना रह ही नही सकता.”
आशुतोष ने अपर्णा के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. अपर्णा की सिसकियाँ गूंजने लगी कमरे में.
“कैसा लग रहा है तुम्हे.” आशुतोष ने पूछा.
अपर्णा ने कोई जवाब नही दिया. उसने आशुतोष के सर को थाम लिया और उसके सर पर हल्का सा दबाव बनाया ताकि उसके होठ वापिस निपल्स पर टिक जायें.
“लगता है तुम्हे मज़ा आ रहा है…हहेहेहहे…वैसे मैं दूसरे निपल पर जा रहा था. तुम कहती हो तो इसे ही चूस्ता रहता हूँ.”
अपर्णा शरम से पानी-पानी हो गयी. “नही मेरा वो मतलब नही था. तुम करो जो करना है.”
“आपकी इन्हीं अदाओं पे तो प्यार आता है…थोड़ा नही बेसुमार आता है. बस एक बार हमें ये बता दो. इन अदाओं का तूफान कहाँ से आता है.”
“तुम ऐसी बातें करोगे तो कोई भी शर्मा जाएगा.”
“चलो इसी निपल को सक करता हूँ. लगता है ये ज़्यादा मज़ा दे रहा है तुम्हे…हिहिहीही..”
आशुतोष फिर से डूब गया अपर्णा के उभारों में. अपर्णा फिर से आहें भरने लगी. बारी-बारी से दोनो उभारों को प्यार कर रहा था आशुतोष. अपर्णा की सिसकियाँ तेज होती जा रही थी.
अचानक आशुतोष अपर्णा के निपल्स छोड़ कर हट गया और अपर्णा की पॅंटी को धीरे से नीचे सरका कर अपर्णा के शरीर से अलग कर दिया. अपर्णा की टांगे काँपने लगी और उसकी साँसे बहुत तेज चलने लगी.
आशुतोष के लिए एक पल भी रुकना मुश्किल हो रहा था. उसने अपर्णा की टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और अपर्णा के चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “मुझे कभी किसी का प्यार नही मिला अपर्णा. जिंदगी भर प्यार के लिए तरसता रहा. ऐसा नही था की मैने कोशिश नही की. जो भी लड़कियाँ जिंदगी में आईं उन्होने मेरे दिल में झाँक कर देखा ही नही. मैं प्यार ढूंड रहा था हमेशा…लेकिन जिंदगी पता नही कब बस सेक्स में उलझ गयी. प्यार की तलाश इसलिए भी थी शायद क्योंकि बचपन से अनाथ था. तुम्हे प्यार तो करने लगा था पर डरता था कि दिल टूट ना जाए. लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा दिल बहुत प्यार से संभाल कर रखा है तुमने. इतना प्यार कभी नही मिला अपर्णा. आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू…आशुतोष. झुत नही बोलूँगी. तुमसे प्यार करना नही चाहती थी. तुमसे दूर ही रहना चाहती थी. पर ना जाने क्या जादू किया तुमने कि मैं तुम्हारे प्यार में फँस गयी.”
“वैसे दूर क्यों भागती थी मुझसे तुम.”
“मैने सपना देखा था. जिसमे तुम मेरे साथ…ये सब कर रहे थे.”
“ये सब मतलब…सेक्स.”
“हां…. हम खुले में थे. किसी खेत का दृश्य था शायद. अचानक मुझे श्रद्धा दिखी चारपाई पर लेटी हुई. मैने तुम्हे रोकने की कोशिश कि ये कह कर की श्रद्धा देख लेगी. पर तुम नही रुके. अचानक साइको आ गया वहाँ और मेरी आँख खुल गयी. इस सपने ने बहुत डरा दिया था मुझे. इसलिए तुमसे दूर भागती थी.”
“हाहहहहाहा….अब पता चला सारा चक्कर. तो तुम अपनी चूत बचाने के चक्कर में थी.”
“शट अप…” अपर्णा गुस्से में बोली.”
“वैसे सपना सच हुआ है तुम्हारा. उस दिन टेबल पर झुका रखा था तुम्हे तो श्रद्धा की फोटो भी गिरी थी नीचे. उसके उपर एसपी की फोटो थी. क्या सपने में भी पीछे से ठोक रहा था तुम्हे.”
“मुझे कुछ याद नही है अब….” अपर्णा हंसते हुए बोली.
“सो स्वीट अपर्णा. हमेशा यू ही हँसती रहना.”
“तुम मुझे यू ही प्यार करोगे तो मैं यू ही हँसती रहूंगी.”
“अपर्णा क्या मैं समा जाऊ तुम में.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“बोल कर तो देखो.”
“रुक जाओ फिर…”