03-01-2020, 11:54 AM
15 मिनिट में वो आशुतोष के घर पहुँच गये.
“वैसे इस ड्रेस में शीतम ढा रही हो तुम. उपर से ऐसा डॅन्स दिखा दिया मुझे.” आशुतोष ने अपर्णा को बाहों में भर लिया.
“मैने तुम्हे नही बुलाया था. तुम क्यों आए वहाँ.”
“श्रद्धा ले गयी थी मुझे ज़बरदस्ती. मैं वहाँ ना जाता तो मुझे पता ही ना चलता कि मेरी अपर्णा इतना अच्छा नाचती है.”
“मैं बस यू ही थिरक रही थी गाने के साथ…मुझे नाचना नही आता.”
“तुम्हारा अंग-अंग म्यूज़िक के साथ सागर की लहरों की तरह झूम रहा था. ये हर कोई नही कर सकता. तुम्हारे नितंब क्या झटके मार रहे थे. और पतली कमर का तो क्या कहना.”
“क्या कहा तुमने…नितंब हिहिहीही…सभ्य भासा पर्योग कर रहें हैं आज आप.” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“हां गान्ड कहूँगा तो कही तुम भड़क ना जाओ. फिर मुझे कुछ नही मिलेगा. मुझे आज उस दिन का आधुंरा काम पूरा करना है. आज प्लीज़ कोई बुक मत गिराना.”
“आशुतोष बस एक महीने की बात और है. डाइवोर्स होते ही हम शादी कर लेंगे. देखो 2 महीने रुके रहे तुम. एक महीना और रुक जाओ. मैं तो तुम्हारी हूँ…तुम्हारी रहूंगी.”
“वही तो मैं कह रहा हूँ. जब तुम मेरी हो तो ये शादी की फॉरमॅलिटी क्यों. तुम्हे पत्नी मानता हूँ मैं और क्या रह गया. शादी के इंतेज़ार में मेरी जान ना चली जाए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने तुरंत आशुतोष के मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा मत कहो.”
“तुमने उस दिन फार्म हाउस पर कहा था कि मैं अपने अंग-अंग पर तुम्हारे होंटो की चुअन महसूस करना चाहती हूँ. आज मेरे होंटो को ये मौका दे दो ना.”
“मेरा पूरा शरीर पसीने में डूबा हुआ है. मूह कड़वा हो जाएगा तुम्हारा.”
“अच्छा देखूं तो…” आशुतोष ने अपर्णा की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.
अपर्णा उसे चाह कर भी रोक नही पाई.
“तुम तो बहुत टेस्टी लग रही हो. कोई भी कड़वपन नही है. मज़ा आएगा.”
“उफ्फ…यू आर टू मच…अच्छा मुझे नहा लेने दो पहले. फिर देखते हैं आगे क्या करना है.”
“नही मैने अपने होंटो के प्रेम रस से नहलाउंगा तुम्हे आज.”
“तुम पागल हो सच में.”
“वैसे तुमने आज तक नही बताया की उस दिन कैसा लगा था तुम्हे.”
“दर्द हुआ था बहुत ज़्यादा. मैने उसी दिन बता दिया था तुम्हे. क्यों पूछते हो बार-बार.”
“हुआ यू कि हमारे लंड महोदया बस अंदर गये ही थे आपके की आपने वो पुस्तक गिरा दी. हमारे लंड महोदया को आपकी चूत के अंदर प्रेम घर्सन करने का अवसर ही नही मिला. अन्यथा आप इस वक्त दर्द को याद ना करती.”
“अंदाज़ बड़ा निराला है आपका. ये सब कहाँ से सीखा.”
“आपके प्रेम ने सभ्य भासा सीखा दी. क्या करें प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.”
“हम भी प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.” अपर्णा ने कहा.
आशुतोष ने अपर्णा के होंटो को प्यार से किस किया और बोला, “चलो अपर्णा इस प्यार में आज डूब जायें हम दोनो. जब इतना प्यार करते हैं हम एक दूसरे से तो हक़ बनता है ये हमारा.”
अपर्णा कुछ नही बोली. बस आशुतोष की छाती पर सर टीका कर चिपक गयी उसके साथ. बहुत कश कर जाकड़ लिया था उसने आशुतोष को.
“मेरी महबूबा का स्वीकृति देने का अंदाज़ बड़ा निराला है.” आशुतोष ने अपर्णा के नितंबो को जाकड़ लिया दोनो हाथो में.
आशुतोष ने अपर्णा को खुद से अलग किया और उसे गोदी में उठा लिया.
“वैसे इस ड्रेस में शीतम ढा रही हो तुम. उपर से ऐसा डॅन्स दिखा दिया मुझे.” आशुतोष ने अपर्णा को बाहों में भर लिया.
“मैने तुम्हे नही बुलाया था. तुम क्यों आए वहाँ.”
“श्रद्धा ले गयी थी मुझे ज़बरदस्ती. मैं वहाँ ना जाता तो मुझे पता ही ना चलता कि मेरी अपर्णा इतना अच्छा नाचती है.”
“मैं बस यू ही थिरक रही थी गाने के साथ…मुझे नाचना नही आता.”
“तुम्हारा अंग-अंग म्यूज़िक के साथ सागर की लहरों की तरह झूम रहा था. ये हर कोई नही कर सकता. तुम्हारे नितंब क्या झटके मार रहे थे. और पतली कमर का तो क्या कहना.”
“क्या कहा तुमने…नितंब हिहिहीही…सभ्य भासा पर्योग कर रहें हैं आज आप.” अपर्णा ने हंसते हुए कहा.
“हां गान्ड कहूँगा तो कही तुम भड़क ना जाओ. फिर मुझे कुछ नही मिलेगा. मुझे आज उस दिन का आधुंरा काम पूरा करना है. आज प्लीज़ कोई बुक मत गिराना.”
“आशुतोष बस एक महीने की बात और है. डाइवोर्स होते ही हम शादी कर लेंगे. देखो 2 महीने रुके रहे तुम. एक महीना और रुक जाओ. मैं तो तुम्हारी हूँ…तुम्हारी रहूंगी.”
“वही तो मैं कह रहा हूँ. जब तुम मेरी हो तो ये शादी की फॉरमॅलिटी क्यों. तुम्हे पत्नी मानता हूँ मैं और क्या रह गया. शादी के इंतेज़ार में मेरी जान ना चली जाए.” आशुतोष ने कहा.
अपर्णा ने तुरंत आशुतोष के मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा मत कहो.”
“तुमने उस दिन फार्म हाउस पर कहा था कि मैं अपने अंग-अंग पर तुम्हारे होंटो की चुअन महसूस करना चाहती हूँ. आज मेरे होंटो को ये मौका दे दो ना.”
“मेरा पूरा शरीर पसीने में डूबा हुआ है. मूह कड़वा हो जाएगा तुम्हारा.”
“अच्छा देखूं तो…” आशुतोष ने अपर्णा की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.
अपर्णा उसे चाह कर भी रोक नही पाई.
“तुम तो बहुत टेस्टी लग रही हो. कोई भी कड़वपन नही है. मज़ा आएगा.”
“उफ्फ…यू आर टू मच…अच्छा मुझे नहा लेने दो पहले. फिर देखते हैं आगे क्या करना है.”
“नही मैने अपने होंटो के प्रेम रस से नहलाउंगा तुम्हे आज.”
“तुम पागल हो सच में.”
“वैसे तुमने आज तक नही बताया की उस दिन कैसा लगा था तुम्हे.”
“दर्द हुआ था बहुत ज़्यादा. मैने उसी दिन बता दिया था तुम्हे. क्यों पूछते हो बार-बार.”
“हुआ यू कि हमारे लंड महोदया बस अंदर गये ही थे आपके की आपने वो पुस्तक गिरा दी. हमारे लंड महोदया को आपकी चूत के अंदर प्रेम घर्सन करने का अवसर ही नही मिला. अन्यथा आप इस वक्त दर्द को याद ना करती.”
“अंदाज़ बड़ा निराला है आपका. ये सब कहाँ से सीखा.”
“आपके प्रेम ने सभ्य भासा सीखा दी. क्या करें प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.”
“हम भी प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.” अपर्णा ने कहा.
आशुतोष ने अपर्णा के होंटो को प्यार से किस किया और बोला, “चलो अपर्णा इस प्यार में आज डूब जायें हम दोनो. जब इतना प्यार करते हैं हम एक दूसरे से तो हक़ बनता है ये हमारा.”
अपर्णा कुछ नही बोली. बस आशुतोष की छाती पर सर टीका कर चिपक गयी उसके साथ. बहुत कश कर जाकड़ लिया था उसने आशुतोष को.
“मेरी महबूबा का स्वीकृति देने का अंदाज़ बड़ा निराला है.” आशुतोष ने अपर्णा के नितंबो को जाकड़ लिया दोनो हाथो में.
आशुतोष ने अपर्णा को खुद से अलग किया और उसे गोदी में उठा लिया.