03-01-2020, 11:52 AM
Update 117
साइको को भूलने लगे थे लोग क्योंकि 2 महीने से बिल्कुल शांति थी शहर में. किसी को नही पता था कि साइको मर चुका है. एसपी की तलाश की जा रही थी हर तरफ. यही अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि शायद साइको ने एसपी को किडनॅप कर लिया है और उन्हे मार दिया है. मीडीया में भी यही चर्चा थी. टास्क फोर्स के लिए ये अच्छी बात थी.
मगर एक और अच्छी बात होने जा रही थी. शादी हो रही थी पूजा और सौरभ की. सौरभ बिना किसी दहेज के शादी कर रहा था पूजा से. पूजा के बापू बहुत खुश थे. श्रद्धा भी फूली नही समा रही थी.
लॅडीस डॅन्स हो रहा था. श्रद्धा खूब झूम-झूम कर नाच रही थी. चारो तरफ लॅडीस ने गोल घेरा बना रखा था. अपर्णा भी श्रद्धा को डॅन्स करते हुए देख रही थी. पिंक कलर का लहंगा-चोली पहन रखा था उसने. अचानक एक गाना चला और श्रद्धा ने अपर्णा को भी खींच लिया.
श्रद्धा भाग कर गयी आशुतोष के पास और उसे बोली, “चल जल्दी तेरी अपर्णा नाच रही है.”
“मज़ाक मत कर. उसे डॅन्स नही आता.” आशुतोष ने कहा.
“झूठ बोला होगा उसने तुझे…चल देख अपनी आँखो से दिल ज़ख़्मी ना हो गया तेरा तो कहना.”
आशुतोष वहाँ पहुँचा तो उसे अपनी आँखो पर यकीन ही नही हुआ.
“ओ.ऍम.जी. अपर्णा इतना अच्छा डॅन्स करती है. मेरा भी मन कर रहा है उसके साथ डॅन्स करने का” आशुतोष ने श्रद्धा से कहा.
“ये लॅडीस महफ़िल है. जाओ अब… बस एक झलक दिखानी थी तुम्हे.” श्रद्धा ने कहा.
“नही मैं अपर्णा का पूरा डॅन्स देख कर जाऊगा. कम से कम इस गाने को तो ख़तम हो जाने दो.”
“ओके मगर चुपचाप खड़े रहना.” श्रद्धा ने कहा.
जब गाना थमा तो अपर्णा भी थम गयी. अचानक उसकी नज़र आशुतोष पर पड़ी तो शरम से पानी-पानी हो गयी. उसका पूरा जिसम पसीने से लटपथ था. कुछ लड़कियों ने उसे घेर लिया बधाई देने के लिए. वो सभी की बधाई लेकर भीड़ से बाहर आ गयी.
“ग़ज़ब अपर्णा…ग़ज़ब…यार मार डाला तुमने मुझे आज. मैं पहले से ही घायल था तुम्हारे प्यार में. क्या नाचती हो तुम.”
“मेरे कपड़े गीले हो गये हैं. चेंज करके आती हूँ.” अपर्णा ने बात टालने की कोशिश की.
“घर जाओगी क्या वापिस?”
“हां जाना ही पड़ेगा. दूसरे कपड़े तो कार में पड़े हैं पर यहाँ चेंज करने की जगह नही है.”
“मेरे घर चलते हैं…नज़दीक पड़ेगा.”
“नही वहाँ नही जाऊगी.”
“क्यों…”
“तुम मुझे जिस तरह देख रहे हो…मुझे लगता है तुम्हारे साथ जाना ठीक नही.”
“ऐसा मत कहो अपर्णा…. प्यार करता हूँ तुमसे. खा नही जाऊगा तुम्हे. चलो…” आशुतोष अपर्णा का हाथ पकड़ कर कार की तरफ चल पड़ा.
अपर्णा का दिल धक-धक करने लगा.
*********************************
***
लॅडीस डॅन्स हो रहा था. श्रद्धा खूब झूम-झूम कर नाच रही थी. चारो तरफ लॅडीस ने गोल घेरा बना रखा था. अपर्णा भी श्रद्धा को डॅन्स करते हुए देख रही थी. पिंक कलर का लहंगा-चोली पहन रखा था उसने. अचानक एक गाना चला और श्रद्धा ने अपर्णा को भी खींच लिया.
कूदिया दे विच फिरे हस्दी खेददी
गुट दी प्रंडी तेरी नाग वांगु महलदी
कॉलेज नू जावे नि तू नाग वांगु महलदी
आशिकन नू दर्श दिखाया करो जी
कड़ी साडी गली भूल के वी आया करो जी
कुछ देर तो अपर्णा शरमाई मगर जब उसके पाँव थिरकने लगे तो वो पूरे जोश में आ गयी. तनु वेड्स मनु का ये गाना उसका फेवोवरिट था इसलिए झूम-झूम कर नाच रही थी. अपर्णा इतना अच्छा थिरक रही थी कि श्रद्धा पीछे हट गयी. बाकी लड़कियाँ भी वहाँ से हट गयी. सिर्फ़ अपर्णा रह गयी वहाँ. उसकी पतली कमर के झटके किसी की भी जान ले सकते थे. एक सुंदर नारी जब नृत्य करती है तो बड़े से बड़े साधु भी घायल हो जाते हैं. बहुत ही कामुक नृत्य था अपर्णा का. अंग-अंग म्यूज़िक के साथ लहराता मालूम हो रहा था.
श्रद्धा भाग कर गयी आशुतोष के पास और उसे बोली, “चल जल्दी तेरी अपर्णा नाच रही है.”
“मज़ाक मत कर. उसे डॅन्स नही आता.” आशुतोष ने कहा.
“झूठ बोला होगा उसने तुझे…चल देख अपनी आँखो से दिल ज़ख़्मी ना हो गया तेरा तो कहना.”
आशुतोष वहाँ पहुँचा तो उसे अपनी आँखो पर यकीन ही नही हुआ.
“ओ.ऍम.जी. अपर्णा इतना अच्छा डॅन्स करती है. मेरा भी मन कर रहा है उसके साथ डॅन्स करने का” आशुतोष ने श्रद्धा से कहा.
“ये लॅडीस महफ़िल है. जाओ अब… बस एक झलक दिखानी थी तुम्हे.” श्रद्धा ने कहा.
“नही मैं अपर्णा का पूरा डॅन्स देख कर जाऊगा. कम से कम इस गाने को तो ख़तम हो जाने दो.”
“ओके मगर चुपचाप खड़े रहना.” श्रद्धा ने कहा.
जब गाना थमा तो अपर्णा भी थम गयी. अचानक उसकी नज़र आशुतोष पर पड़ी तो शरम से पानी-पानी हो गयी. उसका पूरा जिसम पसीने से लटपथ था. कुछ लड़कियों ने उसे घेर लिया बधाई देने के लिए. वो सभी की बधाई लेकर भीड़ से बाहर आ गयी.
“ग़ज़ब अपर्णा…ग़ज़ब…यार मार डाला तुमने मुझे आज. मैं पहले से ही घायल था तुम्हारे प्यार में. क्या नाचती हो तुम.”
“मेरे कपड़े गीले हो गये हैं. चेंज करके आती हूँ.” अपर्णा ने बात टालने की कोशिश की.
“घर जाओगी क्या वापिस?”
“हां जाना ही पड़ेगा. दूसरे कपड़े तो कार में पड़े हैं पर यहाँ चेंज करने की जगह नही है.”
“मेरे घर चलते हैं…नज़दीक पड़ेगा.”
“नही वहाँ नही जाऊगी.”
“क्यों…”
“तुम मुझे जिस तरह देख रहे हो…मुझे लगता है तुम्हारे साथ जाना ठीक नही.”
“ऐसा मत कहो अपर्णा…. प्यार करता हूँ तुमसे. खा नही जाऊगा तुम्हे. चलो…” आशुतोष अपर्णा का हाथ पकड़ कर कार की तरफ चल पड़ा.
अपर्णा का दिल धक-धक करने लगा.