इस रात में बहुत कुछ देखा हमने. साइको की हैवानियत और दरिंदगी की इंतेहा देखी हमने. मगर हमने बेन्तेहा प्यार भी देखा इस चाँदनी रात में. ये ऐसा प्यार था जो कि साइको की दरिंदगी के आगे सीना ताने खड़ा रहा. अगर प्यार ना होता तो शायद सभी पात्र बिखर जाते. प्यार ने उन्हे हिम्मत दी और कुछ करने का जज़्बा दिया. अगर अपर्णा आशुतोष से सच्चा प्यार ना करती तो वो शायद ही तलवार उठाती. जिस तरह से उसने साइको के दोनो हाथ काटे तलवार से उस से यही लगता है कि वो अपने प्यार के लिए किसी भी हद तक जा सकती है.
इस चाँदनी रात में इंसाफ़ होते हुए भी देखा हमने. साइको को कुछ उसी तरह की मौत मिली जैसी की वो लोगो को देता आया था.
पूरी टास्क फोर्स हॉस्पिटल में मौजूद थी. आशुतोष का ऑपरेशन सक्सेस्फुल रहा था और वो ख़तरे से बाहर था. अंकिता के हाथ में पट्टी बाँधी गयी. उसके पेट में कोई नया जखम नही बना था. हां दर्द हो रहा था, उसके लिए उसे पेनकिलर दे दिया गया था. उसे हॉस्पिटल में स्टे की कोई ज़रूरत नही थी पर वो सभी के कारण रुकी हुई थी.
ऋतू के हाथ में भी पट्टी बाँधी गयी. अपने सीनियर की कॉल के कारण उसे तुरंत वहाँ से जाना पड़ा. उसे कोई न्यूज़ कवर करनी थी. गौरव और सौरभ की हालत बॉम्ब ब्लास्ट के कारण नाज़ुक थी. गौरव बेसबॉल की मार के कारण और ज़्यादा घायल था. उसकी पीठ बुरी तरह छिली हुई थी. मगर वो दोनो भी ख़तरे से बाहर थे. मायनर स्टिचस लगे दोनो को. गौरव को पीठ पर थोड़े ज़्यादा लगे. हां काई जगह पट्टी बाँधी गयी. हाथ पाँव पूरी तरह पट्टी से ढक गये.
2 दिन बाद सभी हॉस्पिटल में आशुतोष के कमरे में बैठे थे.
“यार आशुतोष ये तो बता कि एसपी की फोटो तेरे घर में क्या कर रही थी.” सौरभ ने पूछा.
“अरे ग़लती से आ गयी थी. एक फंक्षन में मेरी भी कई फोटो खींची थी फोटोग्राफर ने. मैने फोटोग्राफर से अपनी स्नॅप्स के ऑर्डर दिए थे. उसने ग़लती से एक फोटो एसपी की भी दे दी मुझे. मैने घर पर एक बुक में रख दी थी एसपी की फोटो. उसमें कुछ और फोटोस भी थी. वापिस देनी थी मुझे एसपी की फोटो फोटोग्राफर को पर बार-बार भूल जाता था.”
“वैसे कितना बड़ा कोयिन्सिडेन्स है कि अपर्णा से वो किताब गिर गयी. ना वो किताब गिरती ना हमें पता चलता कि साइको कोन है.” अंकिता ने कहा.
“श्ह्ह्ह…धीरे बोलिए…दीवारो के भी कान होते हैं.” गौरव ने कहा.
“हाहहहाहा….” सौरभ हँसने लगा.
“क्या हुआ भाई मैने कोई चुटकुला बोला क्या?”
“आशुतोष दीवारो के भी कान होते हैं…कुछ याद आया…हिहिहीही…” सौरभ ने कहा.
“तुम बस मेरी फ़ज़ीहत करने पर लगे रहा करो. आगे कुछ मत बोलना.” आशुतोष ने कहा.
“अरे यार बात क्या है कोई हमें भी तो बताए.” गौरव ने कहा.
“अपर्णा से पूछो…वो बताएगी…” सौरभ ने कहा.
“कोई बात नही है…और मुझे अब कुछ याद भी नही है.” अपर्णा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी अपर्णा मैं बस मज़ाक कर रहा था.” सौरभ ने कहा.
“दुबारा ऐसा मज़ाक मत करना…” अपर्णा ने कहा.
सभी एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे. दोस्ती में प्यार और तकरार चलता रहता था.
इस चाँदनी रात में इंसाफ़ होते हुए भी देखा हमने. साइको को कुछ उसी तरह की मौत मिली जैसी की वो लोगो को देता आया था.
पूरी टास्क फोर्स हॉस्पिटल में मौजूद थी. आशुतोष का ऑपरेशन सक्सेस्फुल रहा था और वो ख़तरे से बाहर था. अंकिता के हाथ में पट्टी बाँधी गयी. उसके पेट में कोई नया जखम नही बना था. हां दर्द हो रहा था, उसके लिए उसे पेनकिलर दे दिया गया था. उसे हॉस्पिटल में स्टे की कोई ज़रूरत नही थी पर वो सभी के कारण रुकी हुई थी.
ऋतू के हाथ में भी पट्टी बाँधी गयी. अपने सीनियर की कॉल के कारण उसे तुरंत वहाँ से जाना पड़ा. उसे कोई न्यूज़ कवर करनी थी. गौरव और सौरभ की हालत बॉम्ब ब्लास्ट के कारण नाज़ुक थी. गौरव बेसबॉल की मार के कारण और ज़्यादा घायल था. उसकी पीठ बुरी तरह छिली हुई थी. मगर वो दोनो भी ख़तरे से बाहर थे. मायनर स्टिचस लगे दोनो को. गौरव को पीठ पर थोड़े ज़्यादा लगे. हां काई जगह पट्टी बाँधी गयी. हाथ पाँव पूरी तरह पट्टी से ढक गये.
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2 दिन बाद सभी हॉस्पिटल में आशुतोष के कमरे में बैठे थे.
“यार आशुतोष ये तो बता कि एसपी की फोटो तेरे घर में क्या कर रही थी.” सौरभ ने पूछा.
“अरे ग़लती से आ गयी थी. एक फंक्षन में मेरी भी कई फोटो खींची थी फोटोग्राफर ने. मैने फोटोग्राफर से अपनी स्नॅप्स के ऑर्डर दिए थे. उसने ग़लती से एक फोटो एसपी की भी दे दी मुझे. मैने घर पर एक बुक में रख दी थी एसपी की फोटो. उसमें कुछ और फोटोस भी थी. वापिस देनी थी मुझे एसपी की फोटो फोटोग्राफर को पर बार-बार भूल जाता था.”
“वैसे कितना बड़ा कोयिन्सिडेन्स है कि अपर्णा से वो किताब गिर गयी. ना वो किताब गिरती ना हमें पता चलता कि साइको कोन है.” अंकिता ने कहा.
“श्ह्ह्ह…धीरे बोलिए…दीवारो के भी कान होते हैं.” गौरव ने कहा.
“हाहहहाहा….” सौरभ हँसने लगा.
“क्या हुआ भाई मैने कोई चुटकुला बोला क्या?”
“आशुतोष दीवारो के भी कान होते हैं…कुछ याद आया…हिहिहीही…” सौरभ ने कहा.
“तुम बस मेरी फ़ज़ीहत करने पर लगे रहा करो. आगे कुछ मत बोलना.” आशुतोष ने कहा.
“अरे यार बात क्या है कोई हमें भी तो बताए.” गौरव ने कहा.
“अपर्णा से पूछो…वो बताएगी…” सौरभ ने कहा.
“कोई बात नही है…और मुझे अब कुछ याद भी नही है.” अपर्णा ने गुस्से में कहा.
“सॉरी अपर्णा मैं बस मज़ाक कर रहा था.” सौरभ ने कहा.
“दुबारा ऐसा मज़ाक मत करना…” अपर्णा ने कहा.
सभी एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे. दोस्ती में प्यार और तकरार चलता रहता था.


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