03-01-2020, 11:43 AM
अपर्णा ने तलवार तो उठा ली थी पर बहुत ज़्यादा सदमें में थी. बार-बार आशुतोष का चेहरा उसकी आँखो में घूम रहा था. उसने किसी तरह अपने एमोशन्स को काबू में किया और तलवार को दोनो हाथो से मजबूती से थाम कर साइको की तरफ चल पड़ी. तब तक साइको को अपनी बंदूक मिल गयी थी. जब अपर्णा उसके नज़दीक पहुँची तो उसने उसे पहचान लिया.
“अरे मैं खवाब तो नही देख रहा. ओ.ऍम.जी.… नही ये तो हक़ीक़त है. आओ अपर्णा आओ. स्वागत है तुम्हारा यहाँ.
“मैं तुम्हे जींदा नही छोड़ूँगी…तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.” अपर्णा चिल्लाई.
“हाहहहाहा….अति सुंदर. एक हसीना के मूह से ये सुन-ना कितना अच्छा लग रहा है. तुमने आज साबित कर दिया कि तुम मेरी बेस्ट आर्ट का हिस्सा बन-ने के लायक हो. ये तलवार किसी काम नही आएगी तुम्हारे क्योंकि मेरे पास बंदूक है. इसलिए ये गिरा कर मेरे पास आ जाओ चुपचाप.”
“अपर्णा क्यों आई तुम यहाँ…तुम्हे वही रुकने को कहा था ना मैने.” आशुतोष दर्द भरी आवाज़ में बोला.
आशुतोष की आवाज़ सुनते ही अपर्णा की जान में जान आई.
“आशुतोष तुम ठीक हो ना?” अपर्णा ने पूछा.
“बस कुछ पल का महमान है बेचारा. वैसे तुम्हे इतनी चिंता क्यों है उसकी. तेरा यार है क्या ये.” साइको ने कहा.
“हां मेरा यार भी है और मेरा प्यार भी है…मेरा सब कुछ है. मेरे प्यार को ज़ख़्मी करने की सज़ा मैं दूँगी तुम्हे.”
“हाहहहाहा…क्या बात है. अपर्णा मान गये. जब पहली बार मिली थी तो गान्ड फॅट रही थी तुम्हारी. आज बिना ख़ौफ़ के मेरे सामने खड़ी हो. ऐसे मज़ा नही आएगा बात का. कुछ ख़ौफ़ पैदा करो अपने अंदर. रूको एक गोली मारता हूँ तुम्हे…जब तुम्हे दर्द मिलेगा तो खूबसूरत ख़ौफ़ अपने आप पैदा हो जाएगा….हिहिहिहीही.”
अचानक साइको की चीख गूँज उठी और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. गौरव ने उसकी टाँगों पर घुटनो के नीचे बेसबॉल बॅट से वार किया था. साइको के गिरते ही गौरव भी गिर गया. बड़ी मुश्किल से उठा था वो और अपनी पूरी ताक़त उसने साइको की टाँग पर बॅट मारने में लगा दी थी.
जैसे ही साइको नीचे गिरा अपर्णा ने बिना वक्त गवायें उसके दायें हाथ पर तलवार से वार किया. हाथ बंदूक सहित साइको की कलाई से अलग हो गया. साइको की चीख गूँज उठी चारो तरफ.
“साली…कुतिया…रंडी…आआहह… मेरा हाथ….नही छोड़ूँगा तुझे मैं.” साइको दर्द से कराहता हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी जेब से एक और चाकू निकाला उसने बायें हाथ से.
“तेरे आशिक़ की तरह तुझे भी टपका दूँगा मैं.”
तभी साइको फिर से नीचे गिर गया. इस बार अंकिता ने वार किया था बात से साइको के टाँग पर घुटनो के ठीक नीचे.
अपर्णा ने तुरंत बिना मौका गवायें पहली बार की तरह साइको के बायें हाथ पर वार किया और साइको का बायाँ हाथ चाकू सहित उसकी कलाई से अलग हो गया. फिर से दर्दनाक चीख गूँज उठी वहाँ साइको की.
“जो ख़ौफ़ तुमने लोगो को दिया वही ख़ौफ़ आज तुम्हारी आँखो में दिख रहा है. बहुत सुंदर ख़ौफ़ है ये. मैं तुम्हे एक मिनिट के लिए भी जींदा नही देखना चाहती.” अपर्णा ने तलवार साइको के पेट में गाढ़ने के लिए उपर उठाई.
“नही अपर्णा…रुक जाओ. इतनी जल्दी मौत नही देनी है इसे.” गौरव चिल्लाया.
अपर्णा ने तलवार एक तरफ फेंक दी और दौड़ कर आशुतोष के पास आ गयी. “आशुतोष तुम ठीक हो ना.”
“जिसके पास तुम्हारे जैसी प्रेमिका हो उसे क्या हो सकता है.”
“मैने उसके दोनो हाथ काट दिए. उन्ही हाथो से उसने तुम्हे मारा था ना. उन्ही हाथो से मेरे मम्मी-पापा को बेरहमी से मारा था. उन्ही हाथो से सभी को इतना दर्द दिया उसने आज. मैने काट दिए उसके हाथ आशुतोष… अब वो हमें कोई नुकसान नही पहुँचा सकता.”
“ठीक किया तुमने. मुझे नही पता था कि मेरी अपर्णा ऐसा भी कर सकती है.”
“सब कुछ तुम्हारे लिए किया. तुम पर वार किया इसने तो बर्दास्त नही कर पाई. प्यार करती हूँ तुमसे कोई मज़ाक नही.”
“जानता हूँ मैं…”
गौरव बड़ी मुश्किल से उठा दुबारा और बोला, “सभी थोड़ी सी हिम्मत करो और यहाँ आ जाओ. हमने बहुत कुछ सहा है आज. पर अब वो वक्त आ गया है जिसके लिए हम सब एक साथ जुड़े थे. सौरभ आ जाओ भाई…अब एक गेम हो जाए इस पागल कुत्ते के साथ.”
अंकिता ने तलवार उठा ली और साइको के पास खड़ी हो गयी ताकि वो भागने की कोशिश ना करे. “ज़रा भी हिलने की कोशिश की तो काट डालूंगी तुम्हे मैं.” अंकिता ने कहा.
गौरव अपर्णा के पास आया और बोला, “अपर्णा तुमने बहुत बहादुरी से काम लिया आज. ये तलवार कहाँ से मिली तुम्हे.”
“वहाँ उस पेड़ के पीछे पड़ी थी. और हथियार भी पड़े हैं वहाँ.” अपर्णा ने हाथ के इशारे से बताया.
“क्या वहाँ कुल्हाड़ी भी है.”
“हां शायद है.”
“आशुतोष बस थोड़ी देर और फिर हम हॉस्पिटल चलेंगे. हॅंग ऑन.” गौरव ने कहा.
“मेरी चिंता मत करो…इसे ऐसी मौत देना की दुबारा किसी जनम में ऐसी हरकत करने की सोचे भी नही.” आशुतोष ने कहा.
गौरव ने ऋतू को भी उठाया. “ठीक हो ना तुम.”
“कम्बख़त ने सर में ऐसी लात मारी कि सर घूम रहा है. पेट में भी बहुत दर्द है.” ऋतू ने कहा.
“मेरे शरीर का बुरा हाल है पर किसी तरह से उठ ही गया हूँ. आओ साइको के साथ एक गेम हो जाए.” गौरव ने कहा.
ऋतू को उठाने के बाद गौरव, सौरभ के पास गया और उसे बोला, “उठो दोस्त. गेम तुम्हारे बिना अधूरी रहेगी.”
सौरभ उठा बड़ी मुश्किल से . उसने अपनी शर्ट उतार कर पूजा को दे दी. “ये पहन लो फिलहाल. ये शर्ट तुम्हारे शरीर को घुटने तक ढक लेगी.”
गौरव सौरभ के पास से सीधा उस पेड़ की तरफ बढ़ा जिसकी तरफ अपर्णा ने इशारा किया था. वहाँ से उसने कुल्हाड़ी उठा ली और लड़खदाता हुआ वापिस साइको के पास आ गया. सभी वहाँ साइको को घेर कर खड़े थे. साइको ज़मीन पर पड़ा था. आशुतोष खड़ा नही हो सकता था. अपर्णा नीचे बैठ गयी थी और उसके घुटने पर आशुतोष सर टिकाए पड़ा था.
“कैसा लग रहा है आपको सर….ओह मैं भूल गया आपको तो अच्छा ही लग रहा होगा. बल्कि आप तो ये सोच कर खुश हो रहे होंगे कि आपके दोनो हाथ एक लड़की ने तलवार से काट दिए. आप खुद को किस्मत वाले समझ रहे होंगे. अब आप ये बतायें कि क्या सज़ा दी जाए आपको.” गौरव ने कहा.
“गौरव मैं अपना गुनाह कबूल करता हूँ. मुझे क़ानून के हवाले कर दो. मुझे गिरफ्तार कर लो. जैल में डाल दो मुझे. मुझे अपने सभी गुनाह काबुल हैं.” साइको गिड़गिदाया.
“अरे मैं खवाब तो नही देख रहा. ओ.ऍम.जी.… नही ये तो हक़ीक़त है. आओ अपर्णा आओ. स्वागत है तुम्हारा यहाँ.
“मैं तुम्हे जींदा नही छोड़ूँगी…तुमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी.” अपर्णा चिल्लाई.
“हाहहहाहा….अति सुंदर. एक हसीना के मूह से ये सुन-ना कितना अच्छा लग रहा है. तुमने आज साबित कर दिया कि तुम मेरी बेस्ट आर्ट का हिस्सा बन-ने के लायक हो. ये तलवार किसी काम नही आएगी तुम्हारे क्योंकि मेरे पास बंदूक है. इसलिए ये गिरा कर मेरे पास आ जाओ चुपचाप.”
“अपर्णा क्यों आई तुम यहाँ…तुम्हे वही रुकने को कहा था ना मैने.” आशुतोष दर्द भरी आवाज़ में बोला.
आशुतोष की आवाज़ सुनते ही अपर्णा की जान में जान आई.
“आशुतोष तुम ठीक हो ना?” अपर्णा ने पूछा.
“बस कुछ पल का महमान है बेचारा. वैसे तुम्हे इतनी चिंता क्यों है उसकी. तेरा यार है क्या ये.” साइको ने कहा.
“हां मेरा यार भी है और मेरा प्यार भी है…मेरा सब कुछ है. मेरे प्यार को ज़ख़्मी करने की सज़ा मैं दूँगी तुम्हे.”
“हाहहहाहा…क्या बात है. अपर्णा मान गये. जब पहली बार मिली थी तो गान्ड फॅट रही थी तुम्हारी. आज बिना ख़ौफ़ के मेरे सामने खड़ी हो. ऐसे मज़ा नही आएगा बात का. कुछ ख़ौफ़ पैदा करो अपने अंदर. रूको एक गोली मारता हूँ तुम्हे…जब तुम्हे दर्द मिलेगा तो खूबसूरत ख़ौफ़ अपने आप पैदा हो जाएगा….हिहिहिहीही.”
अचानक साइको की चीख गूँज उठी और वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया. गौरव ने उसकी टाँगों पर घुटनो के नीचे बेसबॉल बॅट से वार किया था. साइको के गिरते ही गौरव भी गिर गया. बड़ी मुश्किल से उठा था वो और अपनी पूरी ताक़त उसने साइको की टाँग पर बॅट मारने में लगा दी थी.
जैसे ही साइको नीचे गिरा अपर्णा ने बिना वक्त गवायें उसके दायें हाथ पर तलवार से वार किया. हाथ बंदूक सहित साइको की कलाई से अलग हो गया. साइको की चीख गूँज उठी चारो तरफ.
“साली…कुतिया…रंडी…आआहह… मेरा हाथ….नही छोड़ूँगा तुझे मैं.” साइको दर्द से कराहता हुआ उठ खड़ा हुआ और अपनी जेब से एक और चाकू निकाला उसने बायें हाथ से.
“तेरे आशिक़ की तरह तुझे भी टपका दूँगा मैं.”
तभी साइको फिर से नीचे गिर गया. इस बार अंकिता ने वार किया था बात से साइको के टाँग पर घुटनो के ठीक नीचे.
अपर्णा ने तुरंत बिना मौका गवायें पहली बार की तरह साइको के बायें हाथ पर वार किया और साइको का बायाँ हाथ चाकू सहित उसकी कलाई से अलग हो गया. फिर से दर्दनाक चीख गूँज उठी वहाँ साइको की.
“जो ख़ौफ़ तुमने लोगो को दिया वही ख़ौफ़ आज तुम्हारी आँखो में दिख रहा है. बहुत सुंदर ख़ौफ़ है ये. मैं तुम्हे एक मिनिट के लिए भी जींदा नही देखना चाहती.” अपर्णा ने तलवार साइको के पेट में गाढ़ने के लिए उपर उठाई.
“नही अपर्णा…रुक जाओ. इतनी जल्दी मौत नही देनी है इसे.” गौरव चिल्लाया.
अपर्णा ने तलवार एक तरफ फेंक दी और दौड़ कर आशुतोष के पास आ गयी. “आशुतोष तुम ठीक हो ना.”
“जिसके पास तुम्हारे जैसी प्रेमिका हो उसे क्या हो सकता है.”
“मैने उसके दोनो हाथ काट दिए. उन्ही हाथो से उसने तुम्हे मारा था ना. उन्ही हाथो से मेरे मम्मी-पापा को बेरहमी से मारा था. उन्ही हाथो से सभी को इतना दर्द दिया उसने आज. मैने काट दिए उसके हाथ आशुतोष… अब वो हमें कोई नुकसान नही पहुँचा सकता.”
“ठीक किया तुमने. मुझे नही पता था कि मेरी अपर्णा ऐसा भी कर सकती है.”
“सब कुछ तुम्हारे लिए किया. तुम पर वार किया इसने तो बर्दास्त नही कर पाई. प्यार करती हूँ तुमसे कोई मज़ाक नही.”
“जानता हूँ मैं…”
गौरव बड़ी मुश्किल से उठा दुबारा और बोला, “सभी थोड़ी सी हिम्मत करो और यहाँ आ जाओ. हमने बहुत कुछ सहा है आज. पर अब वो वक्त आ गया है जिसके लिए हम सब एक साथ जुड़े थे. सौरभ आ जाओ भाई…अब एक गेम हो जाए इस पागल कुत्ते के साथ.”
अंकिता ने तलवार उठा ली और साइको के पास खड़ी हो गयी ताकि वो भागने की कोशिश ना करे. “ज़रा भी हिलने की कोशिश की तो काट डालूंगी तुम्हे मैं.” अंकिता ने कहा.
गौरव अपर्णा के पास आया और बोला, “अपर्णा तुमने बहुत बहादुरी से काम लिया आज. ये तलवार कहाँ से मिली तुम्हे.”
“वहाँ उस पेड़ के पीछे पड़ी थी. और हथियार भी पड़े हैं वहाँ.” अपर्णा ने हाथ के इशारे से बताया.
“क्या वहाँ कुल्हाड़ी भी है.”
“हां शायद है.”
“आशुतोष बस थोड़ी देर और फिर हम हॉस्पिटल चलेंगे. हॅंग ऑन.” गौरव ने कहा.
“मेरी चिंता मत करो…इसे ऐसी मौत देना की दुबारा किसी जनम में ऐसी हरकत करने की सोचे भी नही.” आशुतोष ने कहा.
गौरव ने ऋतू को भी उठाया. “ठीक हो ना तुम.”
“कम्बख़त ने सर में ऐसी लात मारी कि सर घूम रहा है. पेट में भी बहुत दर्द है.” ऋतू ने कहा.
“मेरे शरीर का बुरा हाल है पर किसी तरह से उठ ही गया हूँ. आओ साइको के साथ एक गेम हो जाए.” गौरव ने कहा.
ऋतू को उठाने के बाद गौरव, सौरभ के पास गया और उसे बोला, “उठो दोस्त. गेम तुम्हारे बिना अधूरी रहेगी.”
सौरभ उठा बड़ी मुश्किल से . उसने अपनी शर्ट उतार कर पूजा को दे दी. “ये पहन लो फिलहाल. ये शर्ट तुम्हारे शरीर को घुटने तक ढक लेगी.”
गौरव सौरभ के पास से सीधा उस पेड़ की तरफ बढ़ा जिसकी तरफ अपर्णा ने इशारा किया था. वहाँ से उसने कुल्हाड़ी उठा ली और लड़खदाता हुआ वापिस साइको के पास आ गया. सभी वहाँ साइको को घेर कर खड़े थे. साइको ज़मीन पर पड़ा था. आशुतोष खड़ा नही हो सकता था. अपर्णा नीचे बैठ गयी थी और उसके घुटने पर आशुतोष सर टिकाए पड़ा था.
“कैसा लग रहा है आपको सर….ओह मैं भूल गया आपको तो अच्छा ही लग रहा होगा. बल्कि आप तो ये सोच कर खुश हो रहे होंगे कि आपके दोनो हाथ एक लड़की ने तलवार से काट दिए. आप खुद को किस्मत वाले समझ रहे होंगे. अब आप ये बतायें कि क्या सज़ा दी जाए आपको.” गौरव ने कहा.
“गौरव मैं अपना गुनाह कबूल करता हूँ. मुझे क़ानून के हवाले कर दो. मुझे गिरफ्तार कर लो. जैल में डाल दो मुझे. मुझे अपने सभी गुनाह काबुल हैं.” साइको गिड़गिदाया.