03-01-2020, 11:41 AM
Update 115
साइको गुस्से से तिलमिला उठा ये सुन कर. उसने तुरंत गौरव के सर को निशाना बनाया. आशुतोष ने जब देखा कि साइको का ध्यान चूक गया है, उसने बड़ी फुर्ती से साइको की तरफ बढ़ कर बेसबॉल बॅट से उसके उसी हाथ पर वार किया जिसमें उसने गन पकड़ रखी थी. वार इतनी ज़ोर का था कि बंदूक ना जाने कहाँ गिरी जाकर और साइको का हाथ खून से लथपथ हो गया.
"अब इस बेसबॉल बॅट से पीट-पीट कर मैं तुझे जहन्नुम पहुँचा दूँगा. चल कुत्ते की तरह पिटने के लिए तैयार हो जा. पागल कुत्तो को ऐसे बेसबॉल बॅट की मार की ही ज़रूरत होती है." आशुतोष ने कहा.
“हाहहहाहा….तू मुझे मारेगा. अपनी औकात से कुछ ज़्यादा ही सोच लिया तूने. अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.” साइको ने अपनी जेब से एक बड़ा से चाकू निकाल लिया.
अपर्णा इस सब से अंजान दीवार के सहारे चलते-चलते काफ़ी दूर आ गयी वहाँ से. वो चुपचाप बिना आवाज़ किए दीवार पर चढ़ कर अंदर कूद गयी. वो उस कमरे के पीछे पहुँच गयी थी जिसके आगे साइको का घिनोना खेल चल रहा था.
साइको ने चाकू बायें हाथ में लेकर बहुत ज़ोर से आशुतोष की तरफ फेंका. चाकू सीधा उसके पेट में लगा जाकर. आशुतोष दर्द से कराह उठा.
“क्यों कैसी रही…मुझे मारने चले थे हा….”
साइको आशुतोष की तरफ आगे बढ़ा. आशुतोष ने दर्द की परवाह किए बिना उसके सर को निशाना बना कर बॅट घुमाया पर साइको झुक गया और झुक कर उसने आशुतोष के पेट में लात से वार किया. वार इतनी ज़ोर का था कि आशुतोष संभाल नही पाया और वो हाथ में बॅट लिए गौरव और अंकिता के उपर गिर गया पीठ के बल. साइको ने तुरंत आगे बढ़ कर चाकू आशुतोष के पेट से निकाल कर उसके पेट में दूसरी तरफ गाढ दिया पूरा का पूरा. आशुतोष की चीख गूँज गयी चारो तरफ.
"गौरव...गौरव...हमें आशु की मदद करनी चाहिए." अंकिता ने कहा.
मगर गौरव की कोई आवाज़ नही आई. वो बेहोश हो चुका था. अंकिता भी इस हालत में नही थी कि उठ कर कुछ कर सके. बहुत बेरहमी से पीटा गया था उसे.
अपर्णा उस वक्त जस्ट पहुँची ही थी वहाँ. उसने पेड़ के पीछे से आशुतोष को गिरते हुए देखा और फिर साइको को उसे चाकू मारते हुए देखा. ना चाहते हुए भी अपर्णा की चीख निकल गयी, “नहियीईईईईई.” चीख के साथ ही उसकी आँखे भी बरस पड़ी. उसे लगा की आशुतोष मर गया है.
अपर्णा उसी जगह खड़ी थी जहाँ साइको ने पूजा को छुपा रखा था. वही उसने बहुत सारे हथियार भी रख रखे थे. अपर्णा की नज़र एक तलवार पर पड़ी. उसने अपने आँसू पोंछे और तलवार उठा ली, “नही छोड़ूँगी मैं तुम्हे. तुमने मेरा सब कुछ छीन लिया.”
साइको चीख सुन कर चोंक गया और उसने चारो तरफ नज़र दौड़ाई. मगर उसे कोई नही दीखा.
“अब कों है जो मेरे हाथो मरना चाहता है. आज तो जॅकपॉट लग गया मेरा. आवाज़ तो किसी लड़की की लगती है. अगर ऐसा है तो मज़ा ही आ जाएगा.” साइको ने सोचा. उसने अपनी बंदूक की तलाश शुरू कर दी.
“गौरव…” अंकिता ने गौरव के सर पर हाथ रख कर कहा.
अंकिता के हाथो की चुअन को गौरव ने अपने सर पर महसूस किया तो तुरंत उसकी आँख खुल गयी, “आपने कुछ कहा…मेरे उपर कॉन पड़ा है ये.?”
“आशु है. साइको ने उसे चाकू मार दिया.”
“ओह गॉड ये क्या हो रहा है.”
“गौरव हम हार नही सकते…कुछ करना होगा हमें.” अंकिता ने कहा.
“मेरा शरीर साथ नही दे रहा है…नही तो मैं कुछ भी कर जाता.” गौरव ने कहा.
“खाई में गिरे थे हम तब भी कुछ ऐसी ही हालत थी हमारी. तुम मुझे बचाने के लिए उठ गये थे. क्या याद है तुम्हे वो सब?”
“वो कैसे भूल सकता हूँ मैं.”
“हमें उठना होगा गौरव. वो बंदूक ढूंड रहा है. इस से पहले बंदूक उसके हाथ आए हमें उठना होगा.” अंकिता ने कहा.
“आशुतोष…” गौरव ने आशुतोष को आवाज़ दी.
“हां सर….आअहह” आशुतोष ने कहा.
“तुम्हारे पास कोई हथियार है क्या?”
“मेरे हाथ में बेसबॉल बॅट है…”
“गुड…अब मेरे उपर से तोड़ा सा हट जाओ…मैं उठने की कोशिश करता हूँ. ए एस पी साहिबा का ऑर्डर है..उठना तो पड़ेगा ही.” गौरव ने कहा.
आशुतोष का पेट बुरी तरह से ज़ख्मी था. वो धीरे से गौरव के उपर से सरक गया.
“आशु हम अभी हारे नही है. वी विल डू सम्तिंग.” अंकिता ने कहा.
साइको गुस्से से तिलमिला उठा ये सुन कर. उसने तुरंत गौरव के सर को निशाना बनाया. आशुतोष ने जब देखा कि साइको का ध्यान चूक गया है, उसने बड़ी फुर्ती से साइको की तरफ बढ़ कर बेसबॉल बॅट से उसके उसी हाथ पर वार किया जिसमें उसने गन पकड़ रखी थी. वार इतनी ज़ोर का था कि बंदूक ना जाने कहाँ गिरी जाकर और साइको का हाथ खून से लथपथ हो गया.
"अब इस बेसबॉल बॅट से पीट-पीट कर मैं तुझे जहन्नुम पहुँचा दूँगा. चल कुत्ते की तरह पिटने के लिए तैयार हो जा. पागल कुत्तो को ऐसे बेसबॉल बॅट की मार की ही ज़रूरत होती है." आशुतोष ने कहा.
“हाहहहाहा….तू मुझे मारेगा. अपनी औकात से कुछ ज़्यादा ही सोच लिया तूने. अब देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.” साइको ने अपनी जेब से एक बड़ा से चाकू निकाल लिया.
अपर्णा इस सब से अंजान दीवार के सहारे चलते-चलते काफ़ी दूर आ गयी वहाँ से. वो चुपचाप बिना आवाज़ किए दीवार पर चढ़ कर अंदर कूद गयी. वो उस कमरे के पीछे पहुँच गयी थी जिसके आगे साइको का घिनोना खेल चल रहा था.
साइको ने चाकू बायें हाथ में लेकर बहुत ज़ोर से आशुतोष की तरफ फेंका. चाकू सीधा उसके पेट में लगा जाकर. आशुतोष दर्द से कराह उठा.
“क्यों कैसी रही…मुझे मारने चले थे हा….”
साइको आशुतोष की तरफ आगे बढ़ा. आशुतोष ने दर्द की परवाह किए बिना उसके सर को निशाना बना कर बॅट घुमाया पर साइको झुक गया और झुक कर उसने आशुतोष के पेट में लात से वार किया. वार इतनी ज़ोर का था कि आशुतोष संभाल नही पाया और वो हाथ में बॅट लिए गौरव और अंकिता के उपर गिर गया पीठ के बल. साइको ने तुरंत आगे बढ़ कर चाकू आशुतोष के पेट से निकाल कर उसके पेट में दूसरी तरफ गाढ दिया पूरा का पूरा. आशुतोष की चीख गूँज गयी चारो तरफ.
"गौरव...गौरव...हमें आशु की मदद करनी चाहिए." अंकिता ने कहा.
मगर गौरव की कोई आवाज़ नही आई. वो बेहोश हो चुका था. अंकिता भी इस हालत में नही थी कि उठ कर कुछ कर सके. बहुत बेरहमी से पीटा गया था उसे.
अपर्णा उस वक्त जस्ट पहुँची ही थी वहाँ. उसने पेड़ के पीछे से आशुतोष को गिरते हुए देखा और फिर साइको को उसे चाकू मारते हुए देखा. ना चाहते हुए भी अपर्णा की चीख निकल गयी, “नहियीईईईईई.” चीख के साथ ही उसकी आँखे भी बरस पड़ी. उसे लगा की आशुतोष मर गया है.
अपर्णा उसी जगह खड़ी थी जहाँ साइको ने पूजा को छुपा रखा था. वही उसने बहुत सारे हथियार भी रख रखे थे. अपर्णा की नज़र एक तलवार पर पड़ी. उसने अपने आँसू पोंछे और तलवार उठा ली, “नही छोड़ूँगी मैं तुम्हे. तुमने मेरा सब कुछ छीन लिया.”
साइको चीख सुन कर चोंक गया और उसने चारो तरफ नज़र दौड़ाई. मगर उसे कोई नही दीखा.
“अब कों है जो मेरे हाथो मरना चाहता है. आज तो जॅकपॉट लग गया मेरा. आवाज़ तो किसी लड़की की लगती है. अगर ऐसा है तो मज़ा ही आ जाएगा.” साइको ने सोचा. उसने अपनी बंदूक की तलाश शुरू कर दी.
“गौरव…” अंकिता ने गौरव के सर पर हाथ रख कर कहा.
अंकिता के हाथो की चुअन को गौरव ने अपने सर पर महसूस किया तो तुरंत उसकी आँख खुल गयी, “आपने कुछ कहा…मेरे उपर कॉन पड़ा है ये.?”
“आशु है. साइको ने उसे चाकू मार दिया.”
“ओह गॉड ये क्या हो रहा है.”
“गौरव हम हार नही सकते…कुछ करना होगा हमें.” अंकिता ने कहा.
“मेरा शरीर साथ नही दे रहा है…नही तो मैं कुछ भी कर जाता.” गौरव ने कहा.
“खाई में गिरे थे हम तब भी कुछ ऐसी ही हालत थी हमारी. तुम मुझे बचाने के लिए उठ गये थे. क्या याद है तुम्हे वो सब?”
“वो कैसे भूल सकता हूँ मैं.”
“हमें उठना होगा गौरव. वो बंदूक ढूंड रहा है. इस से पहले बंदूक उसके हाथ आए हमें उठना होगा.” अंकिता ने कहा.
“आशुतोष…” गौरव ने आशुतोष को आवाज़ दी.
“हां सर….आअहह” आशुतोष ने कहा.
“तुम्हारे पास कोई हथियार है क्या?”
“मेरे हाथ में बेसबॉल बॅट है…”
“गुड…अब मेरे उपर से तोड़ा सा हट जाओ…मैं उठने की कोशिश करता हूँ. ए एस पी साहिबा का ऑर्डर है..उठना तो पड़ेगा ही.” गौरव ने कहा.
आशुतोष का पेट बुरी तरह से ज़ख्मी था. वो धीरे से गौरव के उपर से सरक गया.
“आशु हम अभी हारे नही है. वी विल डू सम्तिंग.” अंकिता ने कहा.