03-01-2020, 11:35 AM
अपर्णा बहुत देर हो गयी है मेडम को गये. उन्होने भी कोई फोन नही किया.
“तो फोन करो ना उन्हे. पूछो कि क्या बात है.” अपर्णा ने कहा.
“हां मैं डर रहा था कि कही डाँट ना पड़ जाए.” आशुतोष ने कहा.
“लाओ फिर मैं बात करती हूँ.” अपर्णा ने फोन ले लिया आशुतोष से.
“क्या हुआ….उठाया क्या उन्होने फोन.”
“नही बस रिंग जा रही है.”
“अपर्णा अब तो मुझे जाना ही होगा. लगता है सब लोग मुसीबत में हैं.” आशुतोष ने कहा.
“हां जाना भी चाहिए. मगर तुम्हे अकेले नही जाने दूँगी मैं.”
“अपर्णा वहाँ ख़तरा है…तुम्हे कुछ हो गया तो मैं मर जाऊगा.” आशुतोष ने अपर्णा के चेहरे पर हाथ रख कर कहा.
“मेरी भी तो यही क्न्सर्न है. तुम्हे कुछ हो गया तो मैं भी नही जी पाउन्गि. मुझे खुद से दूर मत करो. हमे हर चीज़ का सामना एक साथ करना चाहिए.”
“ओह अपर्णा…तुम्हारे लिए बहुत पोज़ेसिव हूँ ना इसलिए डरता हूँ इतना. पता नही क्या हो रहा है वहाँ. लेकिन मुझे ना जाने क्यों किसी अनहोनी का अंदेसा हो रहा है.”
“मुझे भी यही अंदेसा है. वरना कोई तो फोन करता हमें. हमें देर नही करनी चाहिए आशुतोष चलो जल्दी.”
“हां चलो. थाम लो बंदूक हाथ में. और घबराना मत बिल्कुल भी.”
“अपनी चिंता नही है मुझे. बस तुम्हारी चिंता है. जबसे तुमसे प्यार हुआ है अपनी चिंता छोड़ दी मैने.”
“सो क्यूट…लेकिन जब बिस्तर पर होगी ना मेरे साथ तो अपनी चिंता करनी पड़ेगी तुम्हे. किसी भी हद तक जा सकता हूँ मैं…..हिहिहीही.”
“उफ्फ….चलें अब”
“मेरे ख्याल से झाड़ियों के रास्ते जाना ही ठीक रहेगा.” आशुतोष ने कहा.
“हां यही ठीक रहेगा.” अपर्णा ने सहमति जताई.
साइको बड़ी बहरहमी से पीठ रहा था अंकिता को. बीच बीच में एक-दो लात ऋतू को भी मार रहा था. साइको अचानक मारता-मारता रुक गया.
“वो दर्द दूँगा तुझे मैं आज कि दुबारा जानम नही लेगी इस धरती पर. मुझे बिल्कुल बर्दास्त नही कि मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जींदा घूमता फिरे. खाई से जींदा बच गयी तू साली लेकिन आज नही बचेगी” साइको बोल कर वहाँ से चला गया. उसने अंकिता और ऋतू की बंदूक और मोबायल भी अपने कब्ज़े में ले लिए.
एक मिनिट बाद वो वापिस आया तो उसके हाथ में एक बेसबॉल बॅट था जिसके उपर बार्ब वाइयर लिपटी हुई थी.
गौरव ने साइको के हाथ में बेसबॉल बॅट देखा तो रूह काँप उठी उसकी. “ओह नो. कुछ करना होगा मुझे. मैं मेडम को कुछ नही होने दूँगा.”
गौरव के हाथ पाँव ब्लास्ट की वजह से और उसके बाद की साइको की मार की वजह से बुरी तरह ज़ख्मी थे. खड़ा होना मुश्किल था उसके लिए. उसने बड़ी मुश्किल से दाई तरफ करवट ली और पेट के बल लेट कर खुद को ज़मीन पर घसीट-ता हुआ अंकिता के पास आ गया.
“इसलिए मना कर रहा था आपको. लेकिन आप मेरी बात सुनती ही कहाँ हैं. आपके शरीर पर जो चोट लगेगी उसका दर्द भी मुझे ही होगा. बल्कि ये दर्द ज़्यादा दुखदायी होगा मेरे लिए. काश आप मेरा प्यार समझ पाती.” गौरव ने भावुक आवाज़ में कहा.
“गौरव कैसे हुआ ये सब.” अंकिता की आवाज़ में बहुत दर्द था.
“बॉम्ब लगा रखा था कमिने ने कमरे में. मैं और सौरभ ब्लास्ट की चपेट में आ गये. हाथ पाँव बुरी तरह घायल हैं.”
“हे भगवान. पूरा प्लान फैल हो गया मतलब.”
“हां इसे आंटिडोट पहले ही मिल गयी थी. ये बस हमें फँसाने के लिए नाटक कर रहा था.”
“वाह क्या बात है. बहुत गरमा गरम चक्कर लगता है तुम दोनो का. प्यारी प्यारी बाते हो रही हैं शायद. काम के वक्त बाते बिल्कुल पसंद नही मुझे. मिस्टर पांडे अच्छा हुआ जो कि तुम यहाँ आ गये. अब नज़दीक से देखना कि कैसे खाल उधेड़ता हूँ मैं ए एस पी साहिबा की.” साइको ने बेसबॉल बॅट हवा में उपर उठाया वार करने के लिए.
“रूको…” गौरव चिल्लाया और कराहते हुए अपने शरीर को घसीट-ते हुए अंकिता के उपर आ गया.
“वाह क्या बात है. ये प्यार बड़ी कुत्ति चीज़ है. पांडे जी ए एस पी साहिबा की सज़ा खुद भुगतना चाहते हैं. ग्रेट. मुझे कोई दिक्कत नही है. देखता हूँ कब तक रहोगे इस बात और अंकिता के बीच हहेहहे.”
“गौरव ये क्या कर रहे हो… हट जाओ तुम.” अंकिता ने गौरव को धक्का देने की कोशिश की.
“प्लीज़ मेरा हक़ मुझसे मत छिनो. बहुत प्यार करता हूँ मैं आपसे. मेरे जीते जी आपको कुछ हो गया तो मेरा जीना बेकार है. आअहह.” अगले ही पल चीख गूँज गयी गौरव की चारो तरफ.
बार्ब वाइयर से लिपटा बेसबॉल बात गौरव की पीठ पर बहुत ज़ोर से मारा था साइको ने.
“तो फोन करो ना उन्हे. पूछो कि क्या बात है.” अपर्णा ने कहा.
“हां मैं डर रहा था कि कही डाँट ना पड़ जाए.” आशुतोष ने कहा.
“लाओ फिर मैं बात करती हूँ.” अपर्णा ने फोन ले लिया आशुतोष से.
“क्या हुआ….उठाया क्या उन्होने फोन.”
“नही बस रिंग जा रही है.”
“अपर्णा अब तो मुझे जाना ही होगा. लगता है सब लोग मुसीबत में हैं.” आशुतोष ने कहा.
“हां जाना भी चाहिए. मगर तुम्हे अकेले नही जाने दूँगी मैं.”
“अपर्णा वहाँ ख़तरा है…तुम्हे कुछ हो गया तो मैं मर जाऊगा.” आशुतोष ने अपर्णा के चेहरे पर हाथ रख कर कहा.
“मेरी भी तो यही क्न्सर्न है. तुम्हे कुछ हो गया तो मैं भी नही जी पाउन्गि. मुझे खुद से दूर मत करो. हमे हर चीज़ का सामना एक साथ करना चाहिए.”
“ओह अपर्णा…तुम्हारे लिए बहुत पोज़ेसिव हूँ ना इसलिए डरता हूँ इतना. पता नही क्या हो रहा है वहाँ. लेकिन मुझे ना जाने क्यों किसी अनहोनी का अंदेसा हो रहा है.”
“मुझे भी यही अंदेसा है. वरना कोई तो फोन करता हमें. हमें देर नही करनी चाहिए आशुतोष चलो जल्दी.”
“हां चलो. थाम लो बंदूक हाथ में. और घबराना मत बिल्कुल भी.”
“अपनी चिंता नही है मुझे. बस तुम्हारी चिंता है. जबसे तुमसे प्यार हुआ है अपनी चिंता छोड़ दी मैने.”
“सो क्यूट…लेकिन जब बिस्तर पर होगी ना मेरे साथ तो अपनी चिंता करनी पड़ेगी तुम्हे. किसी भी हद तक जा सकता हूँ मैं…..हिहिहीही.”
“उफ्फ….चलें अब”
“मेरे ख्याल से झाड़ियों के रास्ते जाना ही ठीक रहेगा.” आशुतोष ने कहा.
“हां यही ठीक रहेगा.” अपर्णा ने सहमति जताई.
साइको बड़ी बहरहमी से पीठ रहा था अंकिता को. बीच बीच में एक-दो लात ऋतू को भी मार रहा था. साइको अचानक मारता-मारता रुक गया.
“वो दर्द दूँगा तुझे मैं आज कि दुबारा जानम नही लेगी इस धरती पर. मुझे बिल्कुल बर्दास्त नही कि मेरी आर्ट का कोई हिस्सा जींदा घूमता फिरे. खाई से जींदा बच गयी तू साली लेकिन आज नही बचेगी” साइको बोल कर वहाँ से चला गया. उसने अंकिता और ऋतू की बंदूक और मोबायल भी अपने कब्ज़े में ले लिए.
एक मिनिट बाद वो वापिस आया तो उसके हाथ में एक बेसबॉल बॅट था जिसके उपर बार्ब वाइयर लिपटी हुई थी.
गौरव ने साइको के हाथ में बेसबॉल बॅट देखा तो रूह काँप उठी उसकी. “ओह नो. कुछ करना होगा मुझे. मैं मेडम को कुछ नही होने दूँगा.”
गौरव के हाथ पाँव ब्लास्ट की वजह से और उसके बाद की साइको की मार की वजह से बुरी तरह ज़ख्मी थे. खड़ा होना मुश्किल था उसके लिए. उसने बड़ी मुश्किल से दाई तरफ करवट ली और पेट के बल लेट कर खुद को ज़मीन पर घसीट-ता हुआ अंकिता के पास आ गया.
“इसलिए मना कर रहा था आपको. लेकिन आप मेरी बात सुनती ही कहाँ हैं. आपके शरीर पर जो चोट लगेगी उसका दर्द भी मुझे ही होगा. बल्कि ये दर्द ज़्यादा दुखदायी होगा मेरे लिए. काश आप मेरा प्यार समझ पाती.” गौरव ने भावुक आवाज़ में कहा.
“गौरव कैसे हुआ ये सब.” अंकिता की आवाज़ में बहुत दर्द था.
“बॉम्ब लगा रखा था कमिने ने कमरे में. मैं और सौरभ ब्लास्ट की चपेट में आ गये. हाथ पाँव बुरी तरह घायल हैं.”
“हे भगवान. पूरा प्लान फैल हो गया मतलब.”
“हां इसे आंटिडोट पहले ही मिल गयी थी. ये बस हमें फँसाने के लिए नाटक कर रहा था.”
“वाह क्या बात है. बहुत गरमा गरम चक्कर लगता है तुम दोनो का. प्यारी प्यारी बाते हो रही हैं शायद. काम के वक्त बाते बिल्कुल पसंद नही मुझे. मिस्टर पांडे अच्छा हुआ जो कि तुम यहाँ आ गये. अब नज़दीक से देखना कि कैसे खाल उधेड़ता हूँ मैं ए एस पी साहिबा की.” साइको ने बेसबॉल बॅट हवा में उपर उठाया वार करने के लिए.
“रूको…” गौरव चिल्लाया और कराहते हुए अपने शरीर को घसीट-ते हुए अंकिता के उपर आ गया.
“वाह क्या बात है. ये प्यार बड़ी कुत्ति चीज़ है. पांडे जी ए एस पी साहिबा की सज़ा खुद भुगतना चाहते हैं. ग्रेट. मुझे कोई दिक्कत नही है. देखता हूँ कब तक रहोगे इस बात और अंकिता के बीच हहेहहे.”
“गौरव ये क्या कर रहे हो… हट जाओ तुम.” अंकिता ने गौरव को धक्का देने की कोशिश की.
“प्लीज़ मेरा हक़ मुझसे मत छिनो. बहुत प्यार करता हूँ मैं आपसे. मेरे जीते जी आपको कुछ हो गया तो मेरा जीना बेकार है. आअहह.” अगले ही पल चीख गूँज गयी गौरव की चारो तरफ.
बार्ब वाइयर से लिपटा बेसबॉल बात गौरव की पीठ पर बहुत ज़ोर से मारा था साइको ने.