03-01-2020, 11:30 AM
Update 113
उन दोनो ने कमरे से कदम बाहर रखे ही थे की धदाम की आवाज़ के साथ पूरी धरती हिल गयी. ब्लास्ट बहुत भयानक था.
"ये कैसी आवाज़ थी?" अपर्णा ने कहा.
"ऐसा लगता है जैसे की बॉम्ब ब्लास्ट हुआ है" अंकिता ने तुरंत जवाब दिया.
"हां मेडम मुझे भी ऐसा ही लगता है. मैं जा कर देखता हूँ" आशुतोष उठने लगा तो अपर्णा ने उसे रोक दिया. "नही अकेले वहाँ जाना ठीक नही है. गौरव को फोन मिलाओ और पूछो कि क्या बात है"
अपर्णा के बोलने से पहले ही अंकिता गौरव के नंबर पर कॉल कर चुकी थी. "रिंग जा रही है पर वो उठा नही रहा."
पूरी रिंग जाने के बाद भी गौरव का कोई रेस्पॉन्स नही आया तो अंकिता ने दुबारा ट्राइ किया.
"फोन क्यों नही उठा रहे हो गौरव. कम ऑन पिक अप दा डॅम फोन." अंकिता ने कहा.
"मैं सौरभ का फोन ट्राइ करता हूँ" आशुतोष ने सौरभ का नंबर डाइयल किया.
"गुरु भी फोन नही उठा रहा. ज़रूर कुछ गड़बड़ है. अपर्णा मुझे जाना होगा वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं" आशुतोष ने कहा.
अपर्णा असमंजस में पड़ गयी. "मैं भी साथ चलूंगी फिर"
"अरे यार तुम्हारे प्यार ने तो बेड़ियाँ डाल दी मेरे पैरों में. तुम साथ क्यों चलोगि भला. वहाँ कोई पिक्निक मनाने नही जा रहा हूँ. यही रूको तुम मैं फोन करके बताउन्गा तुम्हे कि क्या सिचुयेशन है." आशुतोष ने धीरे से कहा ताकि सिर्फ़ अपर्णा को सुने.
"आशुतोष तुम यहाँ सतर्क रहना मैं जा रही हूँ वहाँ." अंकिता ने कहा.
"नही मेडम आप रहने दीजिए मैं जाकर देखता हूँ कि आख़िर बात क्या है." आशुतोष ने कहा.
"नही तुम यही रूको. मैं जा रही हूँ." अंकिता ने ऑर्डर दिया.
"मेडम मैं आपके साथ चलती हूँ." ऋतू ने कहा.
"क्या तुम्हे बंदूक चलानी आती है?" अंकिता ने पूछा.
"हां बंदूक भी चलानी आती है और हाथ भी चलाने आते हैं." ऋतू ने जवाब दिया.
"ह्म्म ठीक है फिर चलो." अंकिता ने कहा.
उन दोनो ने कमरे से कदम बाहर रखे ही थे की धदाम की आवाज़ के साथ पूरी धरती हिल गयी. ब्लास्ट बहुत भयानक था.
"ये कैसी आवाज़ थी?" अपर्णा ने कहा.
"ऐसा लगता है जैसे की बॉम्ब ब्लास्ट हुआ है" अंकिता ने तुरंत जवाब दिया.
"हां मेडम मुझे भी ऐसा ही लगता है. मैं जा कर देखता हूँ" आशुतोष उठने लगा तो अपर्णा ने उसे रोक दिया. "नही अकेले वहाँ जाना ठीक नही है. गौरव को फोन मिलाओ और पूछो कि क्या बात है"
अपर्णा के बोलने से पहले ही अंकिता गौरव के नंबर पर कॉल कर चुकी थी. "रिंग जा रही है पर वो उठा नही रहा."
पूरी रिंग जाने के बाद भी गौरव का कोई रेस्पॉन्स नही आया तो अंकिता ने दुबारा ट्राइ किया.
"फोन क्यों नही उठा रहे हो गौरव. कम ऑन पिक अप दा डॅम फोन." अंकिता ने कहा.
"मैं सौरभ का फोन ट्राइ करता हूँ" आशुतोष ने सौरभ का नंबर डाइयल किया.
"गुरु भी फोन नही उठा रहा. ज़रूर कुछ गड़बड़ है. अपर्णा मुझे जाना होगा वो ज़रूर किसी मुसीबत में हैं" आशुतोष ने कहा.
अपर्णा असमंजस में पड़ गयी. "मैं भी साथ चलूंगी फिर"
"अरे यार तुम्हारे प्यार ने तो बेड़ियाँ डाल दी मेरे पैरों में. तुम साथ क्यों चलोगि भला. वहाँ कोई पिक्निक मनाने नही जा रहा हूँ. यही रूको तुम मैं फोन करके बताउन्गा तुम्हे कि क्या सिचुयेशन है." आशुतोष ने धीरे से कहा ताकि सिर्फ़ अपर्णा को सुने.
"आशुतोष तुम यहाँ सतर्क रहना मैं जा रही हूँ वहाँ." अंकिता ने कहा.
"नही मेडम आप रहने दीजिए मैं जाकर देखता हूँ कि आख़िर बात क्या है." आशुतोष ने कहा.
"नही तुम यही रूको. मैं जा रही हूँ." अंकिता ने ऑर्डर दिया.
"मेडम मैं आपके साथ चलती हूँ." ऋतू ने कहा.
"क्या तुम्हे बंदूक चलानी आती है?" अंकिता ने पूछा.
"हां बंदूक भी चलानी आती है और हाथ भी चलाने आते हैं." ऋतू ने जवाब दिया.
"ह्म्म ठीक है फिर चलो." अंकिता ने कहा.