03-01-2020, 11:27 AM
“गौरव हम सब को वहाँ नही जाना चाहिए. पता नही क्या गेम है उसकी. हम दोनो चलते हैं वहाँ.” सौरभ ने कहा.
आशुतोष सब कुछ सुन रहा था, “ऐसा क्यों बोल रहे हो गुरु. मुझे एक दम से पराया कर दिया. मैं भी साथ चलूँगा.”
“आशुतोष सिचुयेशन हमारे कंट्रोल में नही है. पता नही क्या गेम है उसकी. और अपर्णा के साथ भी तो किसी का होना ज़रूरी है.”
“अपर्णा को उसके घर ड्रॉप कर देते हैं. सेक्यूरिटी तो है ही वहाँ.” आशुतोष ने कहा.
“नही मैं भी साथ ही रहूंगी. घर में मुझे ज़्यादा दर लगेगा. और ये टीम क्या मज़ाक में बनाई थी तुम लोगो ने. मैं कही नही जाऊगी सुन लो तुम दोनो. और जो ज़ख़्म साइको ने मुझे दिया है वो तभी भरेगा जब मैं उसे अपनी आँखो से मारते हुए देखूँगी.” अपर्णा ने कहा.
“सोच लो अपर्णा वहाँ बहुत ख़तरा है. वो ज़रूर कोई ख़तरनाक खेल खेलने के चक्कर में है.” सौरभ ने कहा.
“कुछ भी हो मुझे आशुतोष के साथ रहना है. मैने सपना देखा था….”
“छोड़ो भी उस सपने को अपर्णा. मेरा वो बाल भी बांका नही कर सकता.” आशुतोष ने कहा.
“सच में यार तुम दोनो तो पागल हो गये हो एक दूसरे के प्यार में.” सौरभ ने कहा.
“क्या तुम पागल नही हो पूजा के लिए गुरु जो हमें बोल रहे हो.” आशुतोष ने कहा.
“हूँ तो सही. यार उसे कुछ हो गया तो मैं मर जाऊगा.” सौरभ ने कहा.
“उसे कुछ नही होने देंगे हम. चिंता मत करो.” आशुतोष ने सौरभ के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
गौरव फोन पर सब सुन रहा था, “यार मेरे से भी बात कर लो कोई.”
“ओह सॉरी मैं भूल गया था कि तुम फोन पर हो. मैं आशुतोष और अपर्णा के साथ बातों में लग गया था.”
“हां मैने सुनी तुम लोगो की बातें. मैं भी यही चाहता हूँ कि हम सब वहाँ ना जायें. हम दोनो चलते हैं. बाकी लोग सुरक्षित जगह पर रुक जायें.” गौरव ने कहा.
“बहुत बढ़िया. मैं कही नही जा रही हूँ. भूल गये तुमने मुझे कहा था कि आप खुद गोली मारेंगी साइको को. आज वो मौका आया है तो मुझे साथ नही रखना चाहते.” अंकिता ने कहा.
“मेडम पर अप 100% फिट नही हैं. और आप साथ होंगी तो ध्यान आप पर ही रहेगा मेरा.” गौरव ने कहा.
“मेडम पर ध्यान क्यों रहेगा… ..” ऋतू कन्फ्यूज़ हो गयी.
“अरे बॉस हैं मेरी…इन पर ध्यान नही रखूँगा तो सस्पेंड कर देंगी…समझा करो.” गौरव ने बात घूमने की कोशिश की.
“लेकिन मेडम ठीक कह रही हैं. हम सभी चलेंगे वहाँ. मेरे लिए ये स्टोरी बहुत इम्पोर्टेन्ट है. मीडीया में मेरा करियर सुरक्षित हो जाएगा इस स्टोरी के बाद.”
“गौरव अब क्या करें कोई भी रुकने को तैयार नही है. वहाँ बहुत ख़तरा है…कोई समझने को तैयार ही नही है.” सौरभ ने कहा.
“हमारे पास किसी को कही ड्रॉप करने का वक्त है भी नही. हमे तुरंत पहुँचना होगा उस फार्म हाउस पर. फुल स्पीड से चलें तब भी हमें 20 मिनिट से ज़्यादा टाइम लगेगा. चलते हैं सभी…जो होगा देखा जाएगा.” गौरव ने कहा.
“ऐसा करते हैं फिर की सभी एक ही कार में हो जाते हैं. अलग अलग रहने से दिक्कत आ सकती है. तुम अपनी कार रोको हम उसी में आ जाते हैं. उसमे स्पेस भी काफ़ी है.” सौरभ ने कहा.
“ह्म्म ठीक है मैं कार रोकता हूँ.” गौरव ने ब्रेक लगा दिए.
सौरभ ने कार सड़क किनारे पार्क कर दी. तीनो भाग कर ऋतू की कार में घुस गये.
कार में घुसते ही सौरभ की नज़र लॅपटॉप स्क्रीन पर पड़ी. पूजा डरी सहमी एक कोने में बैठी थी. पूजा को देख कर सौरभ चिल्लाया, “पूजा…ओ.ऍम.जी. ये क्या हाल बना दिया उसने मेरी पूजा का. गौरव तुमने बताया नही कि लाइव वीडियो आ रही है लॅपटॉप पर पूजा की.” सौरभ की आँखे नम हो गयी बोलते हुए.
“कैसे बताता यार. हमसे ही नही देखा गया ये सब. तुम्हे कैसे बताते.” गौरव ने कहा.
“तो किलर07 कुछ काम नही आया. हम उसके साथ गेम खेलने चले थे मगर अब खुद उसकी गेम में फँसते नज़र आ रहे हैं.” सौरभ पूजा को देख कर डिप्रेस्ड हो गया था.
“ऐसा नही है. वो नेगोशियेशन कर रहा है उसके कारण.” गौरव ने कहा.
“हां पर हमारे कंट्रोल में कुछ नही है. ये गेम हमने शुरू की थी पर कंट्रोल वो कर रहा है.” सौरभ ने कहा.
“हां क्योंकि हमें पूजा की चिंता है. अगर पूजा उसके कब्ज़े में ना होती तो उसे गेम खेलना सीखा देते आज हम.” गौरव ने कहा.
“जान ख़तरे में है उसकी…फिर भी गेम खेलना चाहता है. एक नंबर का कमीना है.” आशुतोष ने कहा.
“साइको है ना. अपनी आदत से मजबूर है.” गौरव ने कहा.
“अरे स्क्रीन से वीडियो गायब हो गयी..” सौरभ ने कहा.
“ये साइको साला कुछ ना कुछ करता रहता है. चैन से नही बैठता एक मिनिट भी.” गौरव ने कहा.
आशुतोष सब कुछ सुन रहा था, “ऐसा क्यों बोल रहे हो गुरु. मुझे एक दम से पराया कर दिया. मैं भी साथ चलूँगा.”
“आशुतोष सिचुयेशन हमारे कंट्रोल में नही है. पता नही क्या गेम है उसकी. और अपर्णा के साथ भी तो किसी का होना ज़रूरी है.”
“अपर्णा को उसके घर ड्रॉप कर देते हैं. सेक्यूरिटी तो है ही वहाँ.” आशुतोष ने कहा.
“नही मैं भी साथ ही रहूंगी. घर में मुझे ज़्यादा दर लगेगा. और ये टीम क्या मज़ाक में बनाई थी तुम लोगो ने. मैं कही नही जाऊगी सुन लो तुम दोनो. और जो ज़ख़्म साइको ने मुझे दिया है वो तभी भरेगा जब मैं उसे अपनी आँखो से मारते हुए देखूँगी.” अपर्णा ने कहा.
“सोच लो अपर्णा वहाँ बहुत ख़तरा है. वो ज़रूर कोई ख़तरनाक खेल खेलने के चक्कर में है.” सौरभ ने कहा.
“कुछ भी हो मुझे आशुतोष के साथ रहना है. मैने सपना देखा था….”
“छोड़ो भी उस सपने को अपर्णा. मेरा वो बाल भी बांका नही कर सकता.” आशुतोष ने कहा.
“सच में यार तुम दोनो तो पागल हो गये हो एक दूसरे के प्यार में.” सौरभ ने कहा.
“क्या तुम पागल नही हो पूजा के लिए गुरु जो हमें बोल रहे हो.” आशुतोष ने कहा.
“हूँ तो सही. यार उसे कुछ हो गया तो मैं मर जाऊगा.” सौरभ ने कहा.
“उसे कुछ नही होने देंगे हम. चिंता मत करो.” आशुतोष ने सौरभ के कंधे पर हाथ रख कर कहा.
गौरव फोन पर सब सुन रहा था, “यार मेरे से भी बात कर लो कोई.”
“ओह सॉरी मैं भूल गया था कि तुम फोन पर हो. मैं आशुतोष और अपर्णा के साथ बातों में लग गया था.”
“हां मैने सुनी तुम लोगो की बातें. मैं भी यही चाहता हूँ कि हम सब वहाँ ना जायें. हम दोनो चलते हैं. बाकी लोग सुरक्षित जगह पर रुक जायें.” गौरव ने कहा.
“बहुत बढ़िया. मैं कही नही जा रही हूँ. भूल गये तुमने मुझे कहा था कि आप खुद गोली मारेंगी साइको को. आज वो मौका आया है तो मुझे साथ नही रखना चाहते.” अंकिता ने कहा.
“मेडम पर अप 100% फिट नही हैं. और आप साथ होंगी तो ध्यान आप पर ही रहेगा मेरा.” गौरव ने कहा.
“मेडम पर ध्यान क्यों रहेगा… ..” ऋतू कन्फ्यूज़ हो गयी.
“अरे बॉस हैं मेरी…इन पर ध्यान नही रखूँगा तो सस्पेंड कर देंगी…समझा करो.” गौरव ने बात घूमने की कोशिश की.
“लेकिन मेडम ठीक कह रही हैं. हम सभी चलेंगे वहाँ. मेरे लिए ये स्टोरी बहुत इम्पोर्टेन्ट है. मीडीया में मेरा करियर सुरक्षित हो जाएगा इस स्टोरी के बाद.”
“गौरव अब क्या करें कोई भी रुकने को तैयार नही है. वहाँ बहुत ख़तरा है…कोई समझने को तैयार ही नही है.” सौरभ ने कहा.
“हमारे पास किसी को कही ड्रॉप करने का वक्त है भी नही. हमे तुरंत पहुँचना होगा उस फार्म हाउस पर. फुल स्पीड से चलें तब भी हमें 20 मिनिट से ज़्यादा टाइम लगेगा. चलते हैं सभी…जो होगा देखा जाएगा.” गौरव ने कहा.
“ऐसा करते हैं फिर की सभी एक ही कार में हो जाते हैं. अलग अलग रहने से दिक्कत आ सकती है. तुम अपनी कार रोको हम उसी में आ जाते हैं. उसमे स्पेस भी काफ़ी है.” सौरभ ने कहा.
“ह्म्म ठीक है मैं कार रोकता हूँ.” गौरव ने ब्रेक लगा दिए.
सौरभ ने कार सड़क किनारे पार्क कर दी. तीनो भाग कर ऋतू की कार में घुस गये.
कार में घुसते ही सौरभ की नज़र लॅपटॉप स्क्रीन पर पड़ी. पूजा डरी सहमी एक कोने में बैठी थी. पूजा को देख कर सौरभ चिल्लाया, “पूजा…ओ.ऍम.जी. ये क्या हाल बना दिया उसने मेरी पूजा का. गौरव तुमने बताया नही कि लाइव वीडियो आ रही है लॅपटॉप पर पूजा की.” सौरभ की आँखे नम हो गयी बोलते हुए.
“कैसे बताता यार. हमसे ही नही देखा गया ये सब. तुम्हे कैसे बताते.” गौरव ने कहा.
“तो किलर07 कुछ काम नही आया. हम उसके साथ गेम खेलने चले थे मगर अब खुद उसकी गेम में फँसते नज़र आ रहे हैं.” सौरभ पूजा को देख कर डिप्रेस्ड हो गया था.
“ऐसा नही है. वो नेगोशियेशन कर रहा है उसके कारण.” गौरव ने कहा.
“हां पर हमारे कंट्रोल में कुछ नही है. ये गेम हमने शुरू की थी पर कंट्रोल वो कर रहा है.” सौरभ ने कहा.
“हां क्योंकि हमें पूजा की चिंता है. अगर पूजा उसके कब्ज़े में ना होती तो उसे गेम खेलना सीखा देते आज हम.” गौरव ने कहा.
“जान ख़तरे में है उसकी…फिर भी गेम खेलना चाहता है. एक नंबर का कमीना है.” आशुतोष ने कहा.
“साइको है ना. अपनी आदत से मजबूर है.” गौरव ने कहा.
“अरे स्क्रीन से वीडियो गायब हो गयी..” सौरभ ने कहा.
“ये साइको साला कुछ ना कुछ करता रहता है. चैन से नही बैठता एक मिनिट भी.” गौरव ने कहा.