03-01-2020, 11:09 AM
गौरव को अपनी और आते देख अंकिता एक तरफ को आ गयी लोगो की भीड़ को छोड़ कर
“दाढ़ी मूछ क्यों उतार दी.” अंकिता ने पूछा.
“जिस काम के लिए यहाँ आया था वो हो गया इसलिए उतार दी.”
“क्या मतलब?”
“साइको का पता चल गया मेडम.”
“क्या! कॉन है वो?”
“अपने एसपी साहिब.”
“व्हाट…तुम होश में तो हो.”
“जी हां पूरे होश में हूँ.अपर्णा ने पहचान ली उसकी फोटो. अब उनका मायाजाल समझ में आया. खुद को हॉस्पिटल में भरती करवा दिया उसने. ताकि किसी का भी शक ना जाए उस पर. फिर अपर्णा के घर पर हमला हुआ. हम सब हैरान थे की आख़िर साइको सिर्फ़ पैंटिंग रख कर क्यों चला गया. ये सब हमें भटकाने के लिए था. एसपी साहिब को डर था कि कही उस पर किसी का शक ना जाए इसलिए ये मायाजाल बुन कर खुद को शक के दायरे से हटा लेना चाहता था वो. मुझे पूरा यकीन है कि हॉस्पिटल में नकली इलाज हुआ होगा उसका. डॉक्टर उसकी जान पहचान का था. ज़बरदस्ती आइक्यू में रहा वो हमें बेवकूफ़ बनाने के लिए.”
“विश्वास नही हो रहा मुझे ये सुन कर. पोलीस के इतने बड़े ऑफीसर जिन पर की लोगो की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है…लोगो को मारते फिर रहे हैं.”
“आपको अभी ये नही पता कि यहाँ क्या किया उसने. जिसकी शादी में आप आई हैं उसे मार दिया हमारे एसपी साहिब ने.”
“ओह माय गॉड”
“उसे उसी के तरीके से मारेंगे मेडम. वो एक आर्टिस्टिक मर्डर डिज़र्व करता है. हम उसे इस तरह से मारेंगे कि उसे गर्व होगा कि वो हमारे हाथो मारा गया.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“एक बात कहनी थी आपसे.” गौरव ने कहा.
“हां बोलो.”
गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ा और उसे भीड़ से दूर तन्हाई में ले आया.
“क्या कर रहे हो…वहाँ नही बोल सकते थे क्या?”
गौरव ने अंकिता को दीवार से सटा दिया और उसके बहुत करीब आ कर बोला, “क्या आप प्यार करती हैं मुझसे.”
“मुझे नही पता.” अंकिता ने टालने की कोशिश की
इतने करीब खड़े थे वो दीवार के सहारे की दोनो की साँसे टकरा रही थी आपस में.
“लेकिन मुझे पता है कि मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ.” गौरव ने कहा.
अंकिता खामोश रही. गौरव ने अंकिता के होंटो पर अपने होठ टीकाने की कोशिश की तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया. गौरव ने अंकिता के कंधे पर सर रख दिया और दो आँसू टपक गये उसकी आँखो से.
“इसलिए झीजक रहा था अपने दिल की बात बोलने से. ठुकरा दिया ना मेरा प्यार…” गौरव ने भावुक आवाज़ में कहा.
“मेरे पापा ने मेरे लिए लड़का ढूंड लिया है गौरव. उन्हे मना नही कर पा रही हूँ मैं.” अंकिता ने कहा.
गौरव अंकिता से दूर हट गया और बोला, “कोई बात नही मेडम. मैं बस साइको के पीछे जाने से पहले अपने दिल की बात कहना चाहता था. क्योंकि जिंदगी का कोई भरोसा नही है. आप ने मेरी बात प्यार से सुन ली वही बहुत है मेरे लिए. गॉड ब्लेस्स यू.”
“गौरव मुझे साथ नही ले जाओगे.”
“मुश्किल से आपके घाव भरे हैं. बहुत दीनो बाद आप बिस्तर से उठी हैं. अभी बस 2-3 दिन ही तो हुए हैं. आप घर जाओ और आराम करो.”
“नही गौरव मैं चलूंगी तुम्हारे साथ. मुझे अपनी ड्यूटी भी तो करनी है.”
“अभी जॉइन नही किया है आपने. आपको मेरी कसम है…घर जाओ आप. मेरी इतनी सी बात तो मान लो. ख़ुशी होगी मुझे. बाकी आपकी मर्ज़ी है. ए एस पी साहिबा हैं आप. हम कों होते हैं आपको कुछ कहने वाले.”
दो आँसू टपक गये अंकिता की आँखो से.
“अपना ख्याल रखना गौरव.”
गौरव जाते जाते मुड़ा और बोला, “आपके बहुत नज़दीक पहुँच गया था आज. ये रात कभी नही भूलूंगा मैं. पूर्णिमा का चाँद चमक रहा है उपर. बहुत सुन्दर दीख रहा है आज वो. लेकिन एक चाँद ज़मीन पर भी है. वो भी बहुत सुंदर दीख रहा है आज. उसके बहुत करीब पहुँच गया था मैं. साँसे टकरा रही थी हमारी. चूम लेना चाहता था अपने चाँद को. पर मेरा चाँद मुझसे रूठ गया. मूह फेर लिया उसने. भूला नही पाउन्गा इस चाँदनी रात को. अपने चाँद के नज़दीक आकर बहुत दूर हो गया मैं.जब-जब ऐसी रात आएगी…मुझे तेरी याद आएगी. खुश रहें आप हमेशा यही दुवा है. मेरी उमर आपको लग जाए. चलता हूँ अब…घर चली जाना…यहाँ मत रुकना.”
गौरव कह कर चल दिया.
अंकिता थाम नही पाई खुद को और रो पड़ी, “पता नही क्यों हो रहा है ऐसा मेरे साथ. पापा को बताया भी कि मुझे गौरव पसंद है पर वो सुन-ने को तैयार ही नही. उन्हे तो मुझे आइएएस के घर ही भेजना है. इतना पढ़ लिख कर, इतनी बड़ी ऑफीसर बन कर भी कोई कंट्रोल नही मेरा अपनी जिंदगी पर. सच ही कहा है किसी ने, नारी कुछ भी कर ले मगर अपनी औकात नही बदल सकती समाज में. उसकी किस्मत का फ़ैसला फिर भी दूसरे ही करते हैं.”
गौरव दिल में गम लिए चल पड़ा था अंकिता को वहाँ छोड़ कर. आँखे इतनी नम हो गयी थी की कभी भी ज़ोर शोर से बरस सकती थी. अपना गम तो वो जानता था पर उसे ये नही पता था कि वो अंकिता को रोते हुए छोड़ आया है अपने पीछे. प्यार हो तो जाता है दो दिलो को पर कभी कभी हालात ऐसे होते हैं की प्यार को ज़बरदस्ती दबा देना पड़ता है दिल के किसी कोने में. ऐसा ही कुछ गौरव और अंकिता के साथ हो रहा था.
“दाढ़ी मूछ क्यों उतार दी.” अंकिता ने पूछा.
“जिस काम के लिए यहाँ आया था वो हो गया इसलिए उतार दी.”
“क्या मतलब?”
“साइको का पता चल गया मेडम.”
“क्या! कॉन है वो?”
“अपने एसपी साहिब.”
“व्हाट…तुम होश में तो हो.”
“जी हां पूरे होश में हूँ.अपर्णा ने पहचान ली उसकी फोटो. अब उनका मायाजाल समझ में आया. खुद को हॉस्पिटल में भरती करवा दिया उसने. ताकि किसी का भी शक ना जाए उस पर. फिर अपर्णा के घर पर हमला हुआ. हम सब हैरान थे की आख़िर साइको सिर्फ़ पैंटिंग रख कर क्यों चला गया. ये सब हमें भटकाने के लिए था. एसपी साहिब को डर था कि कही उस पर किसी का शक ना जाए इसलिए ये मायाजाल बुन कर खुद को शक के दायरे से हटा लेना चाहता था वो. मुझे पूरा यकीन है कि हॉस्पिटल में नकली इलाज हुआ होगा उसका. डॉक्टर उसकी जान पहचान का था. ज़बरदस्ती आइक्यू में रहा वो हमें बेवकूफ़ बनाने के लिए.”
“विश्वास नही हो रहा मुझे ये सुन कर. पोलीस के इतने बड़े ऑफीसर जिन पर की लोगो की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी है…लोगो को मारते फिर रहे हैं.”
“आपको अभी ये नही पता कि यहाँ क्या किया उसने. जिसकी शादी में आप आई हैं उसे मार दिया हमारे एसपी साहिब ने.”
“ओह माय गॉड”
“उसे उसी के तरीके से मारेंगे मेडम. वो एक आर्टिस्टिक मर्डर डिज़र्व करता है. हम उसे इस तरह से मारेंगे कि उसे गर्व होगा कि वो हमारे हाथो मारा गया.”
“मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
“एक बात कहनी थी आपसे.” गौरव ने कहा.
“हां बोलो.”
गौरव ने अंकिता का हाथ पकड़ा और उसे भीड़ से दूर तन्हाई में ले आया.
“क्या कर रहे हो…वहाँ नही बोल सकते थे क्या?”
गौरव ने अंकिता को दीवार से सटा दिया और उसके बहुत करीब आ कर बोला, “क्या आप प्यार करती हैं मुझसे.”
“मुझे नही पता.” अंकिता ने टालने की कोशिश की
इतने करीब खड़े थे वो दीवार के सहारे की दोनो की साँसे टकरा रही थी आपस में.
“लेकिन मुझे पता है कि मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ.” गौरव ने कहा.
अंकिता खामोश रही. गौरव ने अंकिता के होंटो पर अपने होठ टीकाने की कोशिश की तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया. गौरव ने अंकिता के कंधे पर सर रख दिया और दो आँसू टपक गये उसकी आँखो से.
“इसलिए झीजक रहा था अपने दिल की बात बोलने से. ठुकरा दिया ना मेरा प्यार…” गौरव ने भावुक आवाज़ में कहा.
“मेरे पापा ने मेरे लिए लड़का ढूंड लिया है गौरव. उन्हे मना नही कर पा रही हूँ मैं.” अंकिता ने कहा.
गौरव अंकिता से दूर हट गया और बोला, “कोई बात नही मेडम. मैं बस साइको के पीछे जाने से पहले अपने दिल की बात कहना चाहता था. क्योंकि जिंदगी का कोई भरोसा नही है. आप ने मेरी बात प्यार से सुन ली वही बहुत है मेरे लिए. गॉड ब्लेस्स यू.”
“गौरव मुझे साथ नही ले जाओगे.”
“मुश्किल से आपके घाव भरे हैं. बहुत दीनो बाद आप बिस्तर से उठी हैं. अभी बस 2-3 दिन ही तो हुए हैं. आप घर जाओ और आराम करो.”
“नही गौरव मैं चलूंगी तुम्हारे साथ. मुझे अपनी ड्यूटी भी तो करनी है.”
“अभी जॉइन नही किया है आपने. आपको मेरी कसम है…घर जाओ आप. मेरी इतनी सी बात तो मान लो. ख़ुशी होगी मुझे. बाकी आपकी मर्ज़ी है. ए एस पी साहिबा हैं आप. हम कों होते हैं आपको कुछ कहने वाले.”
दो आँसू टपक गये अंकिता की आँखो से.
“अपना ख्याल रखना गौरव.”
गौरव जाते जाते मुड़ा और बोला, “आपके बहुत नज़दीक पहुँच गया था आज. ये रात कभी नही भूलूंगा मैं. पूर्णिमा का चाँद चमक रहा है उपर. बहुत सुन्दर दीख रहा है आज वो. लेकिन एक चाँद ज़मीन पर भी है. वो भी बहुत सुंदर दीख रहा है आज. उसके बहुत करीब पहुँच गया था मैं. साँसे टकरा रही थी हमारी. चूम लेना चाहता था अपने चाँद को. पर मेरा चाँद मुझसे रूठ गया. मूह फेर लिया उसने. भूला नही पाउन्गा इस चाँदनी रात को. अपने चाँद के नज़दीक आकर बहुत दूर हो गया मैं.जब-जब ऐसी रात आएगी…मुझे तेरी याद आएगी. खुश रहें आप हमेशा यही दुवा है. मेरी उमर आपको लग जाए. चलता हूँ अब…घर चली जाना…यहाँ मत रुकना.”
गौरव कह कर चल दिया.
अंकिता थाम नही पाई खुद को और रो पड़ी, “पता नही क्यों हो रहा है ऐसा मेरे साथ. पापा को बताया भी कि मुझे गौरव पसंद है पर वो सुन-ने को तैयार ही नही. उन्हे तो मुझे आइएएस के घर ही भेजना है. इतना पढ़ लिख कर, इतनी बड़ी ऑफीसर बन कर भी कोई कंट्रोल नही मेरा अपनी जिंदगी पर. सच ही कहा है किसी ने, नारी कुछ भी कर ले मगर अपनी औकात नही बदल सकती समाज में. उसकी किस्मत का फ़ैसला फिर भी दूसरे ही करते हैं.”
गौरव दिल में गम लिए चल पड़ा था अंकिता को वहाँ छोड़ कर. आँखे इतनी नम हो गयी थी की कभी भी ज़ोर शोर से बरस सकती थी. अपना गम तो वो जानता था पर उसे ये नही पता था कि वो अंकिता को रोते हुए छोड़ आया है अपने पीछे. प्यार हो तो जाता है दो दिलो को पर कभी कभी हालात ऐसे होते हैं की प्यार को ज़बरदस्ती दबा देना पड़ता है दिल के किसी कोने में. ऐसा ही कुछ गौरव और अंकिता के साथ हो रहा था.